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बिहार में आरजेडी नेताओं के दो लालों का कमाल, एक ने कराई जीजा-साले के दौर की वापसी, दूसरा चावल घोटाले का आरोपी होने के बावजूद बना कृषि मंत्री, दोनों में हो चुका है टकराव

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जंगलराज खत्म करने के वादे के साथ सत्ता में आए थे। लेकिन अपने ‘सियासी यूटर्न’ की वजह से जनता के भरोसे को तोड़ दिया है। आज नीतीश कुमार बिहार में जंगलराज और परिवारवाद की वापसी के मुख्य सूत्रधार होने के साथ ही उसके संरक्षक बन गए हैं। उनके मंत्रिमंडल में अपराधियों और घोटालेबाजों की भरमार है। कानून मंत्री कोर्ट की नजर में फरार है। चावल घोटाले का आरोपी कृषि मंत्री बन गया है, तो जीजा-साले के दौर की वापसी हो चुकी है। नेताओं के बेटे मंत्री बनकर अपने पद का दुरुपयोग करते नजर आ रहे हैं।

दरअसल, बिहार में नए पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव ने विभाग का कार्यभार संभालते ही 15 साल पहले के जीजा-साले के जंगलराज की याद ताजा कर दी। विभागीय बैठक में तेज प्रताप यादव के साथ मीसा भारती के पति शैलेश कुमार भी नजर आए। जबकि, शैलेश न ही कोई अधिकारी हैं और न उनका सरकार से कोई नाता है। बिना किसी सरकारी पद के शैलेश कुमार के बैठक में मौजूद रहने पर बीजेपी ने सरकार पर हमला बोला। बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मंत्री तेजप्रताप यादव को कोई हल्के में न ले। शैलेश कुमार आरजेडी के सभी मंत्रियों से समझदार हैं, उनका आशीर्वाद रहा तो तेजप्रताप यादव सबसे अच्छे मंत्री साबित होंगे।

बैठक की तस्वीर वायरल आते ही सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ। शैलेश को बैठक में शामिल किए जाने पर बीजेपी ने सवाल खड़े किए। पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जनक राम ने नीतीश सरकार से सवाल पूछा कि क्या सरकार की बैठकों में बाहरी लोगों की भी इंट्री की छूट दे दी गई है ? क्या नीतीश कुमार जी को यह नजर नहीं आ रहा है ? उन्होंने कहा कि जब बिहार मे लालू प्रसाद की सरकार होती थी तो उस समय जीजा साले की जोड़ी मशहूर थी। दोनों अपनी सरकार चलाते थे। उस दौर को सभी ने देखा है और आज बिहार की जो हालत है, उसके लिए इन्हीं जीजा साले की जोड़ी को जिम्मेदार माना जाता है। लालू परिवार में यह स्थिति आज भी नहीं बदली है। 

उधर नए कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को लेकर नीतीश सरकार घिरती नजर आ रही है। सुधाकर सिंह पर दो राइस मिल के माध्यम से सरकार के 5 करोड़ 31 लाख एक हजार 286 रुपये के घोटाले के आरोप में प्राथमिकी दर्ज है।  सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सुधाकर सिंह पर चावल घोटाले में केस करने वाली सरकार और कोई नहीं नीतीश कुमार की ही सरकार थी।राज्य खाद्य निगम के डीएम ने 27 नवंबर 2013 को सुधाकर सिंह पर रामगढ़ थाने में केस दर्ज किया था। इस घोटाले में 80 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हुईं, जिसमें कई आरोपी बनाए गए थे।

इस मामले में राज्य खाद्य निगम के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर दिनेश प्रसाद सिंह ने सुधाकर सिंह के खिलाफ घोटाले का केस दर्ज करने के लिए दो आवेदन दिया था। दोनों राइस मिल के संचालक वर्तमान कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ही थे। दोनों राइस मिलों पर चावल के गबन का आरोप था। वहीं मामले को तूल पकड़ता देख सुधाकर सिंह खुद सामने आए। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार के समय घोटाला हुआ तो उन्होंने इसे क्यों नहीं उठाया ? उन्होंने कहा कि मैं किसी भी हालत में इस्तीफा नहीं दूंगा।

सुधाकर सिंह वर्तमान राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं और अभी कैमूर के रामगढ़ से विधायक हैं। सुधाकर सिंह की शैक्षणिक योग्यता स्नातक है और उनकी उम्र 44 साल है। राजनीति में आने से पहले सुधाकर सिंह खेती का काम किया करते थे। उन पर लगे चावल घोटाले के आरोप का मामला न्यायिक दंडाधिकारी की प्रथम अदालत में अब भी लंबित है। रामगढ थाने में ही उन पर केस हुआ था। लेकिन, लालू यादव के परिवार से उनके पिता की नजदीकी काम कर गई और उन्हें मंत्री पद मिल गया।

गौरतलब है कि एक साल पहले आरजेडी नेताओं के ये दो लाल एक-दूसरे के सामने आ गए थे। लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को ही निशाने पर ले लिया था। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि जगदानंद सिंह जैसे नेताओं की वजह से उनके पिता लालू प्रसाद की यह स्थिति हुई है। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष बदलने तक की मांग कर दी थी। उनके इस बयान पर जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह ने पलटवार किया था। कैमूर में उन्होंने कहा था कि तेजप्रताप एकालाप करते रहते हैं और लोकतंत्र में एकालाप का कोई महत्व नहीं है। वे पार्टी के नेता हो सकते हैं, लेकिन पार्टी से बड़े नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि राजद के अंदर तेजप्रताप यादव के बयान का कोई महत्व नहीं है। जगदानंद सिंह ने तेज के बयान को बर्दाश्त कर लिया था, लेकिन उनके बेटे ने बर्दाश्त नहीं किया। 

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