कांग्रेस पार्टी और उसके नेता फेक न्यूज की फैक्ट्री है। इसकी पुष्टि समय-समय पर खुद उसके बड़े नेता करते रहते हैं। फिर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी फेक न्यूज फैलाते पकड़े गए है। उन्होंने एक रिपोर्ट के हवाले से केंद्र सरकार पर कृतघ्न का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर अफवाह फैलायी है कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच केंद्र सरकार ने चुपचाप स्वास्थ्यकर्मियों को मिलने वाले बीमा वापस ले ली है और उन्हें बिना बीमा कवर के कोरोना से लड़ने के लिए छोड़ दिया है।
GOI, you are utterly ungrateful. pic.twitter.com/bXQd7tp7d9
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 19, 2021
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राहुल गांधी और उनके इकोसिस्टम द्वारा फैलाये जा रहे झूठ का पर्दाफश किया और सोशल मीडिया पर ट्वीट कर लोगों को सच्चाई से अवगत कराया। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मार्च 2020 में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ का ऐलान किया गया था, जिसकी अवधि 24 अप्रैल,2021 तक 3 बार बढ़ाई गई। इसके जरिए स्वास्थ्यकर्मियों को एक सुरक्षा कवच प्रदान किया गया। अगर कोरोना की ड्यूटी के दौरान उनके साथ कुछ गड़बड़ होती है तो सरकार उनके परिवार का ध्यान रखेगी।
PMKGP के तहत ही 50 लाख का बीमा कवर प्रावधान किया जाता है। जिन्होंने भी कोरोना की ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई, उनके परिजनों को ये रकम बीमा मुआवजा के रूप में प्रदान की गई। इंश्योरेंस कंपनी ने अब तक इसके तहत 287 क्लेम का भुगतान किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस योजना ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के मनोबल को मजबूत करने में मनोवैज्ञानिक रूप से एक बड़ी भूमिका निभाई है। अप्रैल 24 तक इसके सभी क्लेम सेटल कर लिए जाएंगे।
इसके बाद मंत्रालय ने जो कहा, उसे ही गलत तरीके से पेश किया गया। असल में 24 अप्रैल, 2021 के बाद कोरोना वॉरियर्स के लिए एक नई व्यवस्था आने वाली है, जिसके तहत उन्हें सहायता मिलेगी। इसके लिए मंत्रालय ‘न्यू इंडिया इंश्योरेंस’ नामक एक कंपनी के साथ बातचीत भी कर रही है। अब नई और बेहतर व्यवस्था आएगी तो स्पष्ट है कि पुरानी वाली हटेगी, जिसे लेकर अफवाह फैलायी जा रही है।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी और कांग्रेस ने फेक न्यूज के जरिए अफवाह फैलाकर मोदी सरकार को बदनाम करने कोशिश की है। आइए देखते हैं कांग्रेस ने कब-कब झूठी खबरें फलाईं…
प्रियंका वाड्रा ने की फेक न्यूज फैलाने की कोशिश
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में कोरोना को लेकर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की। प्रियंका वाड्रा ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में सीएमओ की अनुमति के बिना मरीजों को अस्पताल में बेड्स नहीं मिल रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने ट्वीट किया, “कई जगहों से सूचना आ रही है कि कई गंभीर मरीजों को सीएमओ के पत्र के बिना एडमिट नहीं किया जा रहा। मुख्यमंत्री जी, सीएमओ के पत्र के इंतजार में लोगों की जानें जा रही हैं। कृपया ये नियम बंद कराएं, लोगों की जान बचाएं। ऐसी व्यवस्था बनाएं जिससे कि गंभीर मरीजों का अस्पताल में एडमिशन आसान हो सके।”
कई जगहों से सूचना आ रही है कि कई गंभीर मरीजों को CMO के पत्र के बिना एडमिट नहीं किया जा रहा। मुख्यमंत्रीजी CMO के पत्र के इंतजार में लोगों की जानें जा रही हैं। कृपया ये नियम बंद कराएँ, लोगों की जान बचाएँ।
ऐसी व्यवस्था बनाएं जिससे कि गंभीर मरीजों का अस्पताल में एडमिशन आसान हो सके
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 19, 2021
उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने प्रियंका वाड्रा के दावे का खंडन किया। इन्फो उत्तर प्रदेश फैक्ट चेक ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीज को इंटीग्रेटेड कोविड एंड कमांड कंट्रोल रूम की मदद से एम्बुलेंस से लेकर टेस्ट और अस्पताल में भर्ती करने की व्यवस्था की जाती है। कोरोना संक्रमित मरीज को इंटीग्रेटेड कोविड एंड कमांड कंट्रोल रूम की मदद से एम्बुलेंस से लेकर टेस्ट और अस्पताल में भर्ती करने की व्यवस्था की जाती है। इसके लिए सीएमओ से अनुमति पत्र लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।
दावा: कोविड-19 पॉजिटिव मरीज को भर्ती होने के लिए सम्बंधित जिले के CMO से अनुमति पत्र लेना होगा।#InfoUPFactCheck: कोरोना संक्रमित मरीज को इंटीग्रेटेड कोविड एंड कमांड कंट्रोल रूम की मदद से एम्बुलेंस से लेकर टेस्ट और अस्पताल में भर्ती करने की व्यवस्था की जाती है। pic.twitter.com/LFQdJyZMVM
— Info Uttar Pradesh Fact Check (@InfoUPFactCheck) April 15, 2021
‘परीक्षा पे चर्चा 2021’ को लेकर कांग्रेस ने फैलायीं झूठी खबरें
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 अप्रैल, 2021 को ‘परीक्षा पे चर्चा 2021’ कार्यक्रम के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दुनिया भर के छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद किया। इस दौरान परीक्षा और पढ़ाई को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए। इनमें से एक टिप्स को लेकर कांग्रेस ने झूठी खबरें फैलायीं। कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को सुझाव दिया है कि परीक्षा में कठिन प्रश्न पहले हल करें, सरल सवाल बाद में। असल में ये बात ग़लत तरीके से पेश की गई।
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ट्वीट के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया। उन्होंने लिखा, ” बच्चों, ऐसी गलत सलाह पर ध्यान देकर अपना नुकसान ना कर बैठना। कठिन प्रश्न पहले करने में यदि फंस गए तो समय बर्बाद होगा व हाथ पांव फूलने लगेंगे कि आसान प्रश्नों को हल करने का समय कहीं चला ही जाए। आसान प्रश्न करके बचे हुए समय में कॉन्फिडेंस से कठिन प्रश्नों को हैंडल किया जाता है।”
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने कठिन और सरल सवालों की बात परीक्षा नहीं, पढ़ाई के संदर्भ में कही थी। प्रधानमंत्री ने असल में क्या कहा था, वो आगे पढ़िए…
साथियों,
आपने देखा होगा टीचर्स, माता-पिता हमें सिखाते हैं कि जो सरल है वो पहले करें। ये आमतौर पर कहा जाता है। और Exam में तो ख़ासतौर पर बार-बार कहा जाता है कि जो सरल है उसको पहले करो भाई। जब टाइम बचेगा तब वो कठिन है उसको हाथ लगाना। लेकिन पढ़ाई को लेकर मैं समझता हूं, ये सलाह आवश्यक नहीं है। और उपयोग भी नहीं है। मैं जरा इस चीज को अलग नजरिए से देखता हूं।
मैं कहता हूं कि जब पढ़ाई की बात हो, तो कठिन जो है उसको पहले लीजिए, आपका mind fresh है, आप ख़ुद fresh हैं, उसको attend करने का प्रयास कीजिए। जब कठिन को attend करेंगे तो सरल तो और भी आसान हो जाएगा।
मैं अपना अनुभव बताता हूं, जब मैं मुख्यमंत्री था, जब प्रधानमंत्री बना, तो मुझे भी बहुत कुछ पढ़ना पड़ता है, बहुत कुछ सीखना पड़ता है। बहुतों से सीखना पड़ता है। चीजों को समझना पड़ता है। तो मैं क्या करता था जो मुश्किल बातें होती हैं, जिसके निर्णय थोड़े गंभीर होते हैं। मैं सुबह जो शुरू करता हूं तो कठिन चीजों से शुरू करना पसंद करता हूं। मुश्किल से मुश्किल चीजें मेरे अफसर मेरे सामने लेकर आते हैं, उनको मालूम है कि वो मेरा एक अलग मूड होता है, मैं चीजों को बिलकुल तेजी से समझ लेता हूं, निर्णय करने की दिशा में आगे बढ़ता हूं। मैंने अपना एक नियम बनाया है, कोशिश की है। और जो सरल चीजें हैं दिनभर की थकान के बाद रात देर हो जाती हैं तो चलो भाई अब उनको मैं ज्यादा दिमाग खपाने की जरुरत नहीं वो गलती होने का कारण नहीं है। उन चीजों को फिर मैं देर रात तक खींच लेता हूं। लेकिन सुबह जब उठता हूं तो फिर कठिन से ही मुकाबला करने निकल पड़ता हूं।
इस वीडियो के माध्यम से आप प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को सुन सकते हैं…
असम कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के खिलाफ फैलायी झूठी खबरें
असम कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ऐसा वीडियो ट्वीट किया, जिसमें पुलिस लोगों के ऊपर गोली चलाती नजर आ रही है। इसमें दावा किया गया है कि असम पुलिस ने सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान लोगों पर गोलियां चलायी थीं, जिसमें निर्दोष लोग मारे गए थे। लेकिन असम की बीजेपी सरकार के मंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा ने ट्वीट कर कांग्रेस के फर्जीवाड़े का खुलासा कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस को फेक न्यूज की फैक्ट्री बताया। साथ ही TIMESNOWNEWS.COM की खबर का स्क्रीन सॉट भी शेयर किया, जिसमें वीडियो को फर्जी करार दिया गया।
Congress is Fake News Factory!
Check at 2 min, how they have misused a mock drill video from Jharkhand to call it shooting by @assampolice. https://t.co/km68J31yKW pic.twitter.com/7sx8hz4Ylh
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) March 6, 2021
झारखंड के खूंटी जिले में पुलिस द्वारा किए गए मॉक ड्रिल के वीडियो को 1 नवंबर, 2017 को अपलोड किया गया था। उस समय खूंटी के मेन रोड में जगदंबा स्टील के पास जिला पुलिस ने मॉक ड्रिल किया था। झारखंड पुलिस के मॉक ड्रिल के चार साल पुराने इस वीडियो को पहले भी कई गलत दावों से शेयर किया जा चुका है।
आइए देखते हैं कांग्रेस किस तरह फेक न्यूज फैक्ट्री के रूप में काम करती है-
प्रियंका वाड्रा ने फेक न्यूज के जरिए फैलायी सनसनी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने फरवरी 2021 में फेक न्यूज के जरिए सनसनी फैलाने की कोशिश की, लेकिन जल्दी ही इसका पर्दाफाश हो गया। प्रियंका वाड्रा ने एक ट्वीट किया, “लखीमपुर खीरी के किसान आलोक मिश्रा का 6 लाख रु का गन्ना भुगतान बकाया है। उनको खेती, इलाज आदि के लिए 3 लाख का लोन लेना पड़ा। 10,000 करोड़ का भुगतान फंसा होने के चलते यूपी के लाखों किसानों का यही हाल है। 14 दिन में भुगतान एवं आय दोगुनी का वादा जुमला निकला।”
प्रियंका वाड्रा ने अपने ट्वीट में जिस किसान आलोक मिश्रा का जिक्र किया उनका कहना था कि प्रियंका वाड्रा को सही खबर पढ़कर रिएक्शन देना चाहिए था। आलोक ने एबीपी न्यूज से कहा कि मुझे पिछले साल का पूरा भुगतान मिल गया है।
प्रियंका के ट्वीट में जिस किसान आलोक मिश्रा का ज़िक्र है वो कह रहे हैं कि प्रियंका वाड्रा को सही खबर पढ़कर रिएक्शन देना चाहिए। मुझे पिछले साल का पूरा भुगतान मिल गया है। pic.twitter.com/hFG83fjDr1
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) February 17, 2021
रेलवे पर फेक न्यूज ट्वीट कर की सनसनी फैलाने की कोशिश
प्रियंका गांधी वाड्रा ने जनवरी 21 में सोशल मीडिया पर दावा किया कि सरकार ने रेलवे भर्ती बोर्ड की फीस को बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया है। कांग्रेस महासचिव वाड्रा ने ट्वीट किया कि रेलवे भर्ती बोर्ड की फीस 2013 तक 60 रुपए थी। भाजपा सरकार ने बढ़ाकर उसे 2016 में 500 रुपए कर दिया। बेरोजगारों से भर्ती के नाम पर रेलवे भर्ती बोर्ड 900 करोड़ रुपए वसूल चुका है। लेकिन रोजगार कितना मिला? युवाओं से जो हर साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया गया था वो कितना पूरा हुआ?
प्रियंका गांधी वाड्रा का यह दावा #PIBFactCheck में पूरी तरह से गलत पाया गया। रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा में अनारक्षित व ओबीसी परीक्षार्थियों को ₹400 जबकि आरक्षित श्रेणी के परीक्षार्थियों, महिलाओं और दिव्यांगों को पूरा पंजीकरण शुल्क वापस किया जाता है।
सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि सरकार ने रेलवे भर्ती बोर्ड की फीस को बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया है।#PIBFactCheck: यह दावा भ्रामक है। अनारक्षित व ओबीसी परीक्षार्थियों को ₹400 व आरक्षित श्रेणी के परीक्षार्थियों, महिलाओं और दिव्यांगों को पूरा पंजीकरण शुल्क वापस किया जाता है। pic.twitter.com/TmSLRkis5s
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) January 12, 2021
एक निजी कंपनी के ठप्पा लगाने के मामले में फैलायी अफवाह
कांग्रेस महासचिव ने ट्वीट कर दावा किया था कि सरकार ने भारतीय रेल पर एक निजी कंपनी का ठप्पा लगवा दिया है। जबकि पीआईबी फैक्ट चेक में पाया गया कि निजी कंपनी का वह प्रतीक चिन्ह सिर्फ एक विज्ञापन है। जिसे रेलवे ने कमाई बढ़ाने के लिए लगाया है। आप इस तरह का विज्ञापन मेट्रो और रेलवे के कोच पर देख सकते हैं, लेकिन कांग्रेस नेता को तो सिर्फ फेक न्यूज फैलाकर लोगों को भरमाना रहता है।
दावा: #फेसबुक पर एक वीडियो के साथ यह दावा किया जा रहा है कि सरकार ने भारतीय रेल पर एक निजी कंपनी का ठप्पा लगवा दिया है। #PIBFactCheck: यह दावा भ्रामक है। यह केवल एक वाणिज्यिक विज्ञापन है जिसका उद्देश्य केवल ‘गैर किराया राजस्व’ को बेहतर बनाना है। pic.twitter.com/vSmK8Xgdis
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) December 16, 2020
प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसके पहले जुलाई में भी फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की थी। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा कि असम, बिहार और यूपी के कई क्षेत्रों में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है। लाखों लोगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए हम तत्पर हैं। मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं से अपील करती हूं कि प्रभावित लोगों की मदद करने का हर संभव प्रयास करें।
असम, बिहार और यूपी के कई क्षेत्रों में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है। लाखों लोगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं।
बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए हम तत्पर हैं। मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं से अपील करती हूं कि प्रभावित लोगों की मदद करने का हर संभव प्रयास करें। pic.twitter.com/RiOMe5R0D3
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 20, 2020
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस ट्वीट के साथ दो फोटो भी शेयर किए, लेकिन इनमें से एक तस्वीर 2019 की और दूसरी 2017 की थी। पुरानी तस्वीरें शेयर करने पर लोगों ने ट्विटर पर प्रियंका वाड्रा की क्लास लगा दी।
The images you’ve used is from 2017 and 2019.
This is what happens when you show Fake Sympathy on Twitter instead of actually helping people. pic.twitter.com/30kKWJqa0C
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) July 20, 2020
राहुल गांधी ने किसान आंदोलन को लेकर फैलायी झूठी खबर
किसान आंदोलन को भड़काने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक तस्वीर साझा की। तस्वीर में एक बुजुर्ग व्यक्ति पर लाठी चार्ज किया जा रहा था। ट्वीट में राहुल ने लिखा, ‘बड़ी ही दुखद फ़ोटो है। हमारा नारा तो ‘जय जवान जय किसान’ का था लेकिन आज PM मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया। यह बहुत ख़तरनाक है।’
बड़ी ही दुखद फ़ोटो है। हमारा नारा तो ‘जय जवान जय किसान’ का था लेकिन आज PM मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया।
यह बहुत ख़तरनाक है। pic.twitter.com/1pArTEECsU
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 28, 2020
कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी ने इस तस्वीर को शेयर कर लोगों को भड़काने की कोशिश की। लेकिन राहुल की ये कोशिश हमेशा की तरह एक बार फिर नाकाम हो गई। उनकी पोल खुलते ही लोगों ने उन्हें क्लास लगानी शुरू कर दी।
Rahul Gandhi must be the most discredited opposition leader India has seen in a long long time. https://t.co/9wQeNE5xAP pic.twitter.com/b4HjXTHPSx
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 28, 2020
पुरानी भड़काऊ तस्वीरों के जरिए दंगा भड़काने की कोशिश
सत्ता की चाहत में कांग्रेस पार्टी इतना नीचे गिर जाएगी ये किसी ने सोचा भी नहीं था। यूथ कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से दो साल पुरानी भड़काऊ फोटो शेयर कर दंगा फैलाने की कोशिश की।
India can never forgive the govt who treats those who feed this nation like terrorists.#FarmersProtest pic.twitter.com/uMObiNtYgh
— Youth Congress (@IYC) November 26, 2020
India can never forgive the party who use old pictures to provoke people of India. #FarmersProtest https://t.co/TqDPwyIarY pic.twitter.com/moBarMjE8Q
— Lä Lä ?? (@Lala_The_Don) November 26, 2020
मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए शेयर किया यूपीए कार्यकाल का फोटो
कांग्रेस ने इसके पहले अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो में सात साल पहले साल 2013 का एक फोटो शेयर कर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की। कांग्रेस ने गंगा नदी की जिस तस्वीर को शेयर कर मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की, वो कांग्रेसी शासनकाल की है। इसका खुलासा होने के बाद कांग्रेसी नेताओं की बोलती बंद हो गई।
सोनिया गांधी का दिगभ्रमित करने वाला बयान
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा जारी बयान में कहा गया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी, लेकिन कांग्रेस के इस बयान को सोशल मीडिया में काफी निंदा झेलनी पड़ी।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का यह बयान सिर्फ और सिर्फ आम लोगों को दिगभ्रमित और बरगलाने वाला था। आइए बताते हैं कैसे?
भारतीय रेलवे कर रहा है 85 फीसद खर्च
कांग्रेस द्वारा फैलाई गई झूठ की हकीकत ये थी कि कोरोना संकट काल में जरूरतमंद प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए रेलवे ने 85% और राज्य सरकार ने सिर्फ 15% खर्चा उठाया। प्रवासी मजदूरों से एक भी पैसा नहीं लिया गया। इसके अलावा रेलवे ने यात्रा के दौरान खाना और पानी देने के साथ साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करके आधी क्षमता पर ट्रेन चलाया। राज्य सरकरों को सिर्फ बचे हुए 15 प्रतिशत का ही भुगतान करना पड़ा, जो बहुत बड़ी रकम नहीं है। राज्य सरकारों को यह भार महज इस व्यवस्था में दायित्व सुनिश्चित करन के लिए दिया गया।
न्याय योजना कांग्रेस शासित राज्यों में लागू नहीं किया
लोकसभा चुनाव 2019 के पहले कांग्रेस ने न्याय योजना को लेकर खूब प्रचार प्रसार किया लेकिन चुनाव हारने के बाद ही न्याय योजना की बात कांग्रेस यदा कदा ही करती है लेकिन बड़ी बात ये है कि अभी तक कांग्रेस शासित पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान लागू नहीं कर पाईं।
डिटेंशन सेंटर को लेकर कांग्रेस ने झूठ बोला
डिटेंशन सेंटर और सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के मुद्दे पर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जो झूठे आरोप लगाए थे, उसका पर्दाफाश हो चुका है। पीआईबी की एक ख़बर से साफ हो जाता है कि कांग्रेस की सरकारों के दौरान डिटेंशन सेंटर बनाए गए थे। इस खबर का पीआईबी ने खंडन किया।13 दिसंबर, 2011 को पीआईबी द्वारा प्रकाशित की गई एक ख़बर से साफ हो गया कि कांग्रेस की सरकारों के दौरान डिटेंशन सेंटर बनाए गए थे। पीआईबी के मुताबिक तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने गोलपुरा, कोकराझाड़ और सिल्चर में डिटेंशन सेंटर बनाए ताकि अवैध घुसपैठियों को प्रत्यर्पण तक वहाँ और रखा जाए। इसके साथ ही इस खबर में ये भी बताया गया था कि कांग्रेस ने नवंबर 2011 तक 362 लोगों को डिटेंशन सेंटर में भेजा था। गोलपुरा में 221, कोकराझाड़ में 79 और सिल्चर के डिटेंशन कैम्प में 62 लोगों को भेजे जाने की खबर थी। इस दौरान 78 लोगों को प्रत्यर्पित किया गया था।
बता दें कि 13 जनवरी 2011 को भारत और बांग्लादेश के बीच घुसपैठियों के प्रत्यर्पण को लेकर करार भी हुआ था, इसके साथ ही भारत ने बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों के प्रत्यर्पण का मुद्दा भी उठाया था। वहीं तत्कालीन गृह राज्यमंत्री मुल्लाप्पली रामचंद्रन ने लोकसभा में इसकी लिखित जानकारी भी दी थी। गौरतलब है कि पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर बीजेपी द्वारा जारी किए वीडियो को गलत करार दिया था, वहीं भाजपा की ओर से बताया गया कि NPR की स्कीम कांग्रेस राज में ही शुरू हुई थी तब पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे।
ट्विटर पर शेयर किया प्रधानमंत्री मोदी के मेकअप वाला भ्रामक फोटो
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चार साल पुराने फोटो को शेयर करते हुए लिखा है कि ‘ऐशो-आराम की जिंदगी में मस्त हैं।’ कांग्रेस ने इस फोटो को अपने वीडियो में इस्तेमाल करते हुए यह कहने की कोशिश की कि कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री मोदी मजदूर-किसानों की आवाज सुन नहीं रहे हैं और ‘ऐशो-आराम की जिंदगी में मस्त हैं।
Do you know how low can Congress stoop?
Congress did a post saying PM Modi ‘ऐशो-आराम की ज़िंदगी में मस्त हैं’.
The pic used is of Madame Tussauds museum staff recording facial features of PM Modi for wax statue. pic.twitter.com/DzOK3ZWSKk
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) May 28, 2020
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की जिस तस्वीर को लगाया, वह मैडम तुसाद म्यूजियम के लिए मार्च, 2016 में ली गई थी। आप भी देखिए ये वीडियो मार्च 2016 का है। उस समय मैडम तुसाद म्यूजियम के कुछ आर्टिस्ट प्रधानमंत्री मोदी का वैक्स स्टेच्यू बनाने के लिए उनका शारीरिक नाप लेने उनके घर आए थे।
कांग्रेस ने इस वीडियो में से प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर निकाल कर लोगों को बरगलाने का काम किया। साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने के लिए कांग्रेस किसी भी स्तर तक नीचे गिरने को तैयार रहती है।
फेक न्यूज फैलाते रंगे हाथ पकड़ी गई कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड राम्या
कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड दिव्या स्पंदना ‘राम्या’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में फेक न्यूज फैलाते रंगे हाथ पकड़ी गई थी। दिव्या स्पंदना ने एक ट्वीट कर लिखा कि, ‘बड़ी मुश्किल से वीडियो ढूंढा है, ये 1998 का इन्टरव्यू है जिसमे साहब खुद कह रहे है हाई स्कूल तक पढा हूँ, लेकिन आज साहब के पास ग्रेजुएशन की डिग्री है जो 1979 मे किया था!!’
बड़ी मुश्किल से विडियो ढूंढा है, ये 1998 का इन्टरव्यू है जिसमे साहब खुद कह रहे है हाई स्कूल तक पढा हूँ, लेकिन आज साहब के पास ग्रेजुएशन की डिग्री है जो 1979 मे किया था !! pic.twitter.com/zr2DLBDv6i
— Divya Spandana/Ramya (@divyaspandana) September 18, 2018
कांग्रेस सोशल मीडिया हेड ने इंटरव्यू को एडिट कर लोगों को गलत जानकारी देकर भरमाने की कोशिश की। दिव्या ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी के सिर्फ हाई स्कूल पास होने का दावा किया, लेकिन अगर आप कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला के साथ प्रधानमंत्री मोदी की पूरी बातचीत देखेंगे तो आपको सच्चाई का पता चलेगा। ओरिजनल वीडियो में प्रधानमंत्री साफ कहते हैं कि बीए और एमए की पढ़ाई एक्सटर्नल एक्जाम (कोरेस्पोंडेस कोर्स) से पूरी की है।
देखिए ओरिजनल वीडियो-
राइट ऑफ को लेकर कांग्रेस ने फैलाई झूठी खबर!
मोदी सरकार पर हमले के लिए कांग्रेस तथ्यों से खिलवाड़ करती रही है। कांग्रेस के ट्विटर हैंडल और नवजीवन वेबसाइट के जरिए लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश की जाती रही है। बड़े अखबार और वेबसाइट भी बगैर तथ्यों की जांच-परख किए इन खबरों को प्रकाशित कर देते हैं।
जब 3 साल में ही मोदी सरकार ने क्रोनी कॉरेपोरेट पर बकाया सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 2.4 लाख करोड़ का कर्ज़ माफ कर दिया है तो फिर किसानों का कर्ज़ माफ़ क्यों नहीं कर रही है ये सरकार? #SuitBootKiSarkar https://t.co/hafOjoLyIT
— Congress (@INCIndia) 4 April 2018
केंद्र सरकार ने जब राज्यसभा में स्वीकार किया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.41 लाख करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया तो कांग्रेस पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि सरकार ने कंपनियों का 2.41 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। सोची-समझी चाल के तहत कांग्रेस ने राइट ऑफ को वेव ऑफ दिखाते हुए मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की, क्योंकि मनमोहन सिंह और पी. चिदंबरम के रहते कांग्रेस पार्टी को बैंकों द्वारा लोन की रकम राइट ऑफ करने और वेव ऑफ किए जाने का अंतर पता नहीं हो, ऐसा हो नहीं सकता। कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट पर एक आर्टिकल में लिखा गया कि, Loans Worth ₹2.41 Lakh Crore to Corporate Bodies Waived Off
इसके साथ ही पार्टी से ही संबंधित नवजीवन वेबसाइट पर प्रकाशित खबर का शीर्षक था– ‘सरकार ने माना, सार्वजनिक बैंकों ने 2014 से 2017 के बीच माफ किया 2,41,911 करोड़ रुपए का कर्ज’। वेबसाइट में लिखा गया कि वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा सांसद रिताब्रता बनर्जी के सवाल के जवाब में दी लिखित प्रतिक्रिया में यह स्वीकार किया है कि वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2,41,911 करोड़ रुपए कर्ज माफ (वेव ऑफ) कर दिए हैं। जबकि, रिताब्रत बनर्जी के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा को बताया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 के बीच 2,41,911 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया है।
साफ है कांग्रेस ने राइट ऑफ को वेव ऑफ बताकर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश की। कांग्रेस की इस साजिश पर सीनियर जर्नलिस्ट सुनील जैन ने ट्टीट किया कि, ‘राहुल गांधी, यह वाकई अविश्वसनीय है कि सिर्फ नरेंद्र मोदी पर हमला बोलने के लिए कांग्रेस पार्टी को तथ्यों को इस हद तक तोड़ना-मरोड़ना चाहिए। लोन के ‘राइटिंग ऑफ’ और इसके ‘वेविंग ऑफ’ में अंतर है। निश्चित है कि आपकी विशाल पार्टी में कुछ लोग तो यह जानते ही होंगे?’
It is truly unbelievable @RahulGandhi that @INCIndia should be distorting facts so much just to hit @narendramodi There is a difference between ‘writing off’ a loan and ‘waiving it off’. Surely someone in your huge party would know? https://t.co/gjJR9zTlZU
— Sunil Jain (@thesuniljain) April 4, 2018
इस फेक न्यूज की खबर पर नवभारत टाइम्स अखबार में साफ बताया गया कि राइट ऑफ और वेव ऑफ क्या होता है और कैसे सरकर को बदनाम करने की कोशिश की गई।
राहुल से एनसीसी का सवाल पूछने वाली कैडेट को एबीवीपी कार्यकर्ता बताया
24 मार्च, 2018 को कर्नाटक में स्टूडेंट्स से रूबरू होते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि वह एनसीसी के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीसी कैडेट संजना सिंह ने कहा, “आश्चर्य की बात है कि राहुल गांधी को एनसीसी के बारे में नहीं पता! यह कोई और चीज नहीं है, यह रक्षा की दूसरी पंक्ति है! आशा है कि राहुल गांधी इसके बारे में जाने! एक नेता के लिए यह जानना जरूरी है।” जाहिर है कि इस एनसीसी कैडेट ने सही बात कही, लेकिन कांग्रेस पार्टी का स्पोक्स पर्सन बन चुके कुछ पत्रकारों को ये बात चुभ गई। एशिया टाइम्स ऑनलाइन के साउथ एशिया एडिटर सैकत दत्ता ने इसके बारे में ट्वीट किया कि संजना सिंह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी हुई हैं। जबकि सच्चाई यह है कि किसी दूसरी संजना सिंह के प्रोफाइल को पोस्ट कर सैकत दत्ता ने झूठ खबर फैलाने की कोशिश की। इसी तरह कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड ने भी इस झूठी खबर को फैलाने की कोशिश की। लेकिन अब यह साफ हो चुका है कि झूठी खबर फैलाने की मंशा से ये किया गया था जिसका पर्दाफाश हो चुका है।
दुष्प्रचार पर उतरी कांग्रेस !
अल्ट न्यूज पर लगाई गई इस खबर में आप देख सकते हैं कि एक तस्वीर में राजनाथ सिंह के पैरों में गिरे हुए पुलिस इंस्पेक्टर की तस्वीर है, दूसरी तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है जिसमें मुंबई हमले का मास्टर माइंड आतंकवादी हाफिज सईद से उन्हें हाथ मिलाते हुए दिखाया जा रहा है, लेकिन इन तस्वीरों की सच्चाई जानेंगे तो आप कांग्रेस के कुकृत्यों को भी सही रूप में देख पाएंगे।
फोटो शॉप से बनाई Fake तस्वीरें
इन तस्वीरों की सच्चाई भी जान लीजिए। दरअसल राजनाथ सिंह के पैरों में गिरे पुलिस इंस्पेक्टर की तस्वीर एक फिल्म की है। इसमें एक राजनेता के कदमों में पुलिस इंस्पेक्टर को गिड़गिड़ाते हुए दिखाया गया है। दूसरी तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाफिज सईद से हाथ मिलाते हुए दिखाया गया है, लेकिन वास्तविक तस्वीर 1 जनवरी 2016 की तस्वीर है जब प्रधानमंत्री मोदी लाहौर गए थे तो उन्होंने तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ से हाथ मिलाया था। इन दोनों ही तस्वीरों से फोटो शॉप के जरिये छेड़छाड़ की गई और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया।
Fake तस्वीरों का कांग्रेसी कनेक्शन
दोनों ही तस्वीर वायरल करने वालों का नाता कांग्रेस पार्टी से बताया गया। दरअसल तस्वीर पोस्ट करने वालों में से एक आलमगीर रिजवी फ्रेंड्स ऑफ कांग्रेस वेबसाइट के एनआरआई टीम में सोशल मीडिया वोलेंटियर के रूप में लिस्टेड है। जबकि अरशद चिस्ती के ट्विटर प्रोफाइल में कांग्रेस के आइटी सेल का सदस्य बताया गया है। आलमगीर रिजवी को कई बार बताया गया कि ये तस्वीरें नकली, लेकिन उन्होंने इसे नहीं हटाया। अलबत्ता कांग्रेस के तत्कालीन प्रवक्ता संजय झा ने इसे रीट्वीट भी किया। उन्होंने लिखा है, “अगर यह सही तस्वीर है, तो यह बहुत ज्यादा है। समझ से परे, दंग रह गए।”
हालांकि संजय झा ने इस रीट्वीट के लिए क्षमा मांग ली, लेकिन यह साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिपरिषद के सदस्यों को लेकर कई ऐसी खबरें फैलाई जा रही हैं जो Fake हैं।
Noted. I will delete my RT. @alamgirizvi you should delete this forthwith. It is inappropriate and wrong, and therefore misleading. https://t.co/vvaNqUmfzg
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) November 1, 2017
फर्जी तस्वीर के सहारे फेक न्यूज फैलाते पकड़े गए राहुल गांधी
राहुल गांधी ने सितंबर 2020 में एक फर्जी तस्वीर शेयर कर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की। नोटबंदी के दौरान की इस तस्वीर में गुरुग्राम के नंदलाल की रोते हुए दिखाया गया। उस समय नंदलाल से रोने का कारण पूछने पर उन्होंने कहा था कि जब वह बैंक के बाहर कतार में खड़े थे तो किसी ने उन्हें धक्का दे दिया। इस क्रम में एक महिला ने उनके पैर कुचल दिए। साफ है कि जिस नंदू लाल की तस्वीर के सहारे राहुल नोटबंदी को कोस रहे थे, वो तस्वीर न केवल फेक थी, बल्कि नंदू लाल पूरी तरह से नोटबंदी पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़े थे। उन्होंने साफ कहा कि सरकार जो भी कर रही है, वह देश की भलाई के लिए है।
नोटबंदी पर @RahulGandhi फिर फेक न्यूज फैलाते पकड़े गए… जिस नंदू लाल की तस्वीर के सहारे नोटबंदी को कोस रहे हैं… वो तस्वीर न केवल फेक है, बल्कि नंदू लाल जी तो नोटबंदी पर पीएम मोदी के साथ खड़े हैं… ये लिंक देखिएhttps://t.co/Rt2jnEObQG https://t.co/yCd92CEsyS pic.twitter.com/dnV2e43yce
— Dr. Harish Chandra Burnwal (@hcburnwal) September 3, 2020
जीएसटी पर देश से बोला झूठ
यूपीए के दस वर्षों के शासन में कांग्रेस पार्टी जीएसटी को लेकर तमाम राज्यों के बीच आम राय नहीं बना पाई थी, क्योंकि उसका जीएसटी को लेकर कोई साफ रुख नहीं था। 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनी तो उसने नए सिरे से जीएसटी को लेकर कवायद शुरू की और सभी राज्य सरकारों के बीच इसे लेकर सहमति बनाई। हालांकि राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने सहमति नहीं दी थी, लेकिन हकीकत ये है कि कांग्रेस की सभी राज्य सरकारों ने जीएसटी का समर्थन किया और संसद के दोनों ही सदनों में कांग्रेस ने जीएसटी पास करवाने के लिए पक्ष में वोटिंग भी की थी।
नोटबंदी पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी ने कहा था कि संघ परिवार के एक विचारक ने प्रधानमंत्री मोदी को नोटबंदी का विचार दिया था। राहुल गांधी का यह बयान सरासर झूठा था। सच्चाई यह है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने और कालाधन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने काफी गहन विचार-विमर्श के बाद नोटबंदी का ऐलान किया था। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी भी कह चुके हैं कि नोटबंदी का पहला विचार फरवरी 2016 में आया था और सरकार ने विमुद्रीकरण के बारे में रिजर्व बैंक की राय मांगी थी। आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने पहले तो सरकार को मौखिक रूप से इस पर राय दी। बाद में एक विस्तृत नोट बनाकर सरकार को भेजा गया जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि नोटबंदी की खामियां और खूबियां क्या-क्या हैं। इसके बाद पूरी तैयारी के साथ 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया गया था।
रायबरेली पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी कहते रहे हैं कि मोदी सरकार आने के बाद से रायबरेली के साथ भेदभाव किया जाता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि यूपीए के जमाने में राजीव गांधी के नाम पर रायबरेली में जो पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी उसे पांच वर्षों के दौरान यूपीए सरकार ने महज 1 करोड़ रुपये दिए थे। जबकि मोदी सरकार ने पहले दो वर्षों में इस यूनीवर्सिटी के लिए 360 रुपये देकर इसे एक संस्थान के रूप में विकसित किया। इतना ही नहीं रायबरेली में स्थित इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज नाम का संस्थान बंद होने के कगार पर था और वहां अफसरों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस संस्थान को 500 करोड़ आवंटित कर जीवनदान दिया और 1100 करोड़ रुपये का आर्डर भी दिलाया।
महंगाई पर देश से बोला झूठ
राहुल ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ट्विटर पर लिखा “जुमलों की बेवफाई मार गई, नोटबंदी की लुटाई मार गई, GST सारी कमाई मार गई बाकी कुछ बचा तो – महंगाई मार गई… बढ़ते दामों से जीना दुश्वार, बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार?” राहुल गांधी ने इस सवाल के साथ एक इन्फोग्राफिक्स भी पोस्ट किया। इसमें उन्होंने गैस सिलिंडर, प्याज, दाल, टमाटर, दूध और डीजल के दामों का हवाला देकर 2014 और 2017 के दामों की तुलना में सभी चीजों के दामों में वास्तविक दामों से सौ प्रतिशत अधिक की बढ़ोतरी दिखा दी। जैसे ही राहुल गांधी ने ये ट्वीट किया, लोगों ने इस चालाकी को पकड़ लिया और फिर शुरू हो गई राहुल की खिंचाई।
महिला साक्षरता के आंकड़े पर बोला झूठ
राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान “22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब” अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी से महिला सुरक्षा, पोषण और महिला साक्षरता से जुड़ा सवाल पूछा था, लेकिन इस सवाल के साथ राहुल ने जो इन्फोग्राफिक्स पोस्ट किया था उसमें गुजरात की महिला साक्षरता के उल्टे आंकड़े दिखाए थे। इन आंकड़ों में दिखाया गया था कि 2001 से 2011 के बीच गुजरात में महिला साक्षरता दर में 70.73 से गिरकर 57.8 फीसदी हो गई है।
राहुल गांधी ने जो आंकड़े दिखाए थे वे सरासर गलत थे। गुजरात में महिला साक्षरता की सच्चाई इसके उलट है। सही आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 2001 से 2011 के बीच महिला साक्षरता में 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि 1991 से 2001 के बीच हुई 8.9 फीसदी बढ़ोतरी से काफी ज्यादा है। इतना ही नहीं इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर हुई साक्षरता वृद्धि से भी ये काफी ज्यादा है।
45,000 करोड़ एकड़ जमीन पर बोला झूठ
गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान ही राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलने के क्रम में ऐसा कुछ कह दिया था जो कि असंभव है। राहुल ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने अपने उद्योगपति दोस्तों को 45,000 करोड़ एकड़ जमीन दे दी, लेकिन राहुल ने जमीन का जो आंकड़ा बोला वह असंभव है। 45,000 करोड़ एकड़ जमीन इस धरती से भी तीन गुना ज्यादा है। आपको बता दें कि पूरी धरती ही लगभग 13,000 करोड़ एकड़ की है।
Statue of Unity पर देश से बोला झूठ
राहुल गांधी ने गुजरात में पाटीदारों को कहा कि मोदी सरकार के लिए शर्मनाक है कि नर्मदा नदी पर बनने वाला Statue of Unity सरदार पटेल की प्रतिमा made in China होगी। राहुल गांधी एक बार फिर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चक्कर में सरदार पटेल के नाम पर झूठ बोला। जबकि सच्चाई ये है कि प्रतिमा के निर्माण का कार्यभार एक भारतीय कंपनी को दिया गया। यह पूरी तरह भारतीय तकनीक, भारतीय मटीरियल, भारतीय इंजिनियरों, भारतीय लेबर और भारतीय चीज़ों द्वारा बनाई गई।
लोकसभा सदस्यों की संख्या पर बोला झूठ
वर्ष 2017 के सितंबर में राहुल गांधी जब अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या ही 546 बता डाली। जबकि सच्चाई यह है कि लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या 545 है, इनमें से 543 को जनता चुनती है और दो सदस्य (ऐंग्लो-इंडियन) मनोनित किए जाते हैं। आप ही बताइए जो शख्स इतने वर्षों से लोकसभा का सदस्य है, उसे लोकसभा के सदस्यों की संख्या तक नहीं पता है।
इंदिरा कैंटीन को बताया अम्मा कैंटीन
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में इंदिरा कैंटीन योजना की लॉन्चिंग में भी राहुल गांधी के ज्ञान पर सवाल उठ गए। पहली बार में उन्होंने योजना का नाम ही गलत बता दिया। जबकि यह योजना उनकी दादी यानि इंदिरा गांधी के नाम पर शुरू हो रही थी, लेकिन राहुल गांधी ने उसे तमिलनाडु में जयललिता के नाम पर चलने वाली अम्मा कैंटीन बता दिया। हालांकि, बाद में उन्हें भूल का अंदाजा हुआ और उन्होंने गलती सुधारने की कोशिश की। लेकिन जिस व्यक्ति में सामान्य ज्ञान का इतना अभाव है उससे क्या उम्मीद की जा सकती है?
महाभारत काल पर झूठ
राहुल गांधी की हरकतें बतातीं हैं कि वे झूठे प्रचार के जरिए और निराधार खबरें फैला कर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने को आतुर हैं। इसी क्रम में वे कई बार खुद के ‘अज्ञानी’ होने का भी सबूत दे देते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इस ट्वीट को देखिए-
1000 years ago, Kauravas were fighting for power and Pandavas were fighting for truth. The same question arises now, whether to support BJP’s hunger for power or Congress’s fight for truth: Congress President @RahulGandhi #JanaAashirwadaYatre #RGInKarnataka
— Congress (@INCIndia) 20 March 2018
दरअसल अपने ट्वीट में महाभारत काल का उदाहरण दे रहे हैं और इसे 1000 साल पहले की घटना बता रहे हैं। साफ है कि इस ट्वीट से एक बात साबित हो जाती है कि राहुल गांधी न सिर्फ झूठ फैलाते हैं बल्कि वे अज्ञानी भी हैं। कौरव-पांडव की बात करने वाले राहुल को ये भी नहीं पता है कि महाभारत काल पांच हजार वर्ष से अभी अधिक पुराना है। इस ट्वीट से ये भी पता लग जाता है कि लोग उन्हें गंभीरता से क्यों नहीं लेते हैं?
दो करोड़ रोजगार पर बोला झूठ
इसके पहले लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान हर वर्ष युवाओं को 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। राहुल गांधी का ये आरोप सच्चाई से कोसों दूर है। एबीपी न्यूज चैनल ने अपने कार्यक्रम वायरल सच में राहुल गांधी के इस आरोप की गहनता से पड़ताल की। इसके अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी देशवासियों से सरकार बनने पर प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार देने का वादा नहीं किया था। इतना ही नहीं भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया था। यानि दो करोड़ रोजगार देने का आरोप झूठ के सिवा और कुछ नहीं है। इस कार्यक्रम में बताया गया है कि 21 नवंबर, 2013 को एक रैली में श्री मोदी ने कांग्रेस सरकार द्वारा हर वर्ष एक करोड़ रोजगार देने के वादे का जिक्र जरूर किया था। मतलब साफ है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी पर झूठा और मनगढ़ंत आरोप लगाया।
उत्तर प्रदेश के शिक्षा बजट का झूठा प्रचार
जुलाई 2017 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहला बजट पेश किया था। इस बजट में शिक्षा के लिए आवंटित धन में कमी दिखाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया किया गया, जबकि शिक्षा का बजट वास्तव में बढ़ाया गया था।
राहुल गांधी को तो प्रधानमंत्री के विरोध का कोई मौका चाहिए था, उन्होंने तुरंत सोशल मीडिया पर हमला बोल दिया
इसके बाद लोगों ने इसे शेयर करना शुरु कर दिया और कांग्रेसी पत्रकारों ने इस पर खबर भी बना डाली।
सच्चाई यह थी कि समाचार एजेंसी पीटीआई ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पेश बजट के कुछ अंशों के आधार पर ही यह रिपोर्ट तैयार की थी। कागजों को ठीक ढंग से पढ़कर खबर बनाई गयी होती तो पता चलता कि योगी सरकार ने शिक्षा के लिए बजट में कमी नहीं बल्कि 34 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की। अखिलेश यादव की सरकार ने 2016-17 में जहां 46,442 करोड़ रुपये शिक्षा के लिए दिये थे वही 2017-18 में योगी आदित्यनाथकी सरकार ने 62, 351 करोड़ रुपये दिए।
आइए मोदी सरकार को बदनाम करने वाली कुछ झूठी खबरों और उनकी सच्चाई का विश्लेषण करते हैं…
10 अप्रैल, 2018 को भारत बंद की अफवाह
2 अप्रैल, 2018 को दलित संगठनों के भारत बंद के बाद से ही देश में 10 अप्रैल को जनरल और ओबीसी समुदाय की तरफ से आरक्षण के विरोध में भारत बंद का मैसेज सोशल मीडिया पर शेयर किया गया। हैरानी की बात यह है कि मैसेज में किसी भी संगठन और पार्टी का नाम नहीं था, सिर्फ जनरल और ओबीसी वर्ग लिखा था। जब तक किसी मैसेज में किसी संगठन का नाम नहीं हो तो उसका प्रामणिकता संदिग्ध रहती है। यानि साफ है कि इस मैसेज के पीछे उन ताकतों का हाथ था, जो देश के लोगों को जातियों के आधार पर लड़ाना चाहते हैं। इतना ही नहीं 10 अप्रैल को भारत बंद के संदेश को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की फोटो के साथ भी शेयर किया गया। जबकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आरक्षण को लेकर पार्टी का स्टैंड साफ कर चुके थे।