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रंग ला रहीं PM Modi दूरदर्शी आर्थिक नीतियां, ग्लोबल इकोनॉमी में भारत सबसे ब्राइट स्पॉट, हमारी Economy 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, China में पांच साल आर्थिक सुस्ती

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पीएम नरेन्द्र मोदी की अर्थव्यवस्था का लेकर दूरगामी नीतियों का सुपरिणाम निरंतर देखने को मिल रहा है। यहां तक कि वैश्विक एजेंसियां भी भारत की बढ़ती इकोनॉमी और पीएम मोदी के विजन का लोहा मानने लगी हैं। अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की ओर से ग्लोबल फॉरकास्ट रिपोर्ट-2024 ने इस पर मुहर लगाई है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक एक ओर जहां आने वाले पांच वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था कुलाचें भरेगी, वहीं 2028 तक चीन की अर्थव्यवस्था में लगातार सुस्ती ही रहेगी। कम उत्पादकता व बढ़ती आबादी से चीन की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है। 2028 तक चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 3.5% रह जाएगी। दूसरी ओर इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.7 प्रतिशत की दर से उत्साहवर्धक बढ़ोतरी होगी।

भारत में जबर्दस्त विस्तार को दक्षिण एशिया में आर्थिक वृद्धि का श्रेय
संयुक्त राष्ट्र की विश्व आर्थिक रिपोर्ट 2024 में वैश्विक मंदी के बावजूद दक्षिण एशिया में आर्थिक वृद्धि् की संभावना जताई गई है। खासकर भारत में 2023 के मुकाबले 2024 में और सुधार का अनुमान लगाया गया है। वहीं पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका जताई गई है। रिपोर्ट में दक्षिण एशिया में आर्थिक वृद्धि 2024 में 5.2 प्रतिशत की दर से मजबूत रहने का अनुमान लगाया गया है, हालांकि यह 2023 की 5.3 की अनुमानित दर से कुछ कम है। इसका श्रेय दिया गया है, जो विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। भारत की वृद्धि दर 2024 में 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2023 में 6.3 प्रतिशत रही। इसका कारण जबरदस्त घरेलू मांग और मैन्यूफेक्चरिंग एवं सेवा क्षेत्रों में उछाल है।चीन की आर्थिक रिकवरी बहुत मुश्किल, जीडीपी दर 4.7 प्रतिशत रह जाएगी
रिपोर्ट के मुताबिक चीन की आर्थिक रिकवरी मुश्किल में है। उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2023 में लगभग 5.3 प्रतिशत हो गयी, किन्तु सम्पत्ति क्षेत्र में कमजोरी, विदेशी मांग में कमी और व्यापार सम्बन्धों में तनाव के कारण 2024 में यह दर 4.7 प्रतिशत रह जाने की पूरी संभावना है। चीनी सरकार के नीतिगत दरों और गिरवी दरों में कमी के प्रयास भी कारगर नहीं होने वाले हैं। रिपोर्ट में पूर्वी एशियाई देशों का सकल घरेलू उत्पाद 2023 के 4.9 प्रतिशत की तुलना में घटकर 2024 में 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक सेवाओं, विशेषकर पर्यटन निर्यात में रिकवरी हो रही है, लेकिन वैश्विक मांग मंद होने के कारण वस्तुओं का निर्यात कम होगा, जबकि क्षेत्र की अनेक अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि मुख्य रूप से उससे संचालित होती है।चीन शेयर बाजार में गिरावट लगातार जारी, 6 लाख करोड़ डॉलर हुए साफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की ओर से जारी ग्लोबल फॉरकास्ट रिपोर्ट-2024 के मुताबिक चीन के शेयर बाजार में गिरावट लगातार जारी है और 06 लाख करोड़ डॉलर साफ हो गए हैं। वहीं, भारत ग्लोबल इकोनॉमी में ब्राइट स्पॉट है। आइएमएफ के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था इस साल 6.3% की दर से बढ़ेगी। देश में बेरोजगारी और खुदरा महंगाई भी घटने की उम्मीद है। 78% ग्लोबल सीईओ को उम्मीद है कि 2024 में भी भारतीय अर्थव्यवस्था दुनियाभर में सबसे अधिक तेजी से बढ़ेगी। भारतीय शेयर बाजार इलेक्शन रैली के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि विदेशी निवेशकों की बिकवाली से उठापटक देखने को मिल सकती है।

भारतीय शेयर बाजार बना रहा नित-नए रिकॉर्ड, सेंसेक्स 72,000 पार
चीनी शेयर बाजार की गिरावट के बीच भारतीय शेयर बाजार नित-नए रिकॉर्ड बना रहा है। भारतीय शेयर बाजार में लगातार तेजी देखने को मिल रही है, जिसके चलते बाजार के सभी प्रमुख इंडेक्स ऐतिहासिक हाई पर हैं। सेंसेक्स ने 72,000 के आंकड़े के पार कर नया रिकॉर्ड बना चुका है, तो निफ्टी 21,675 अंकों के नई हाइट को पार कर गया। भारतीय शेयर बाजार ने मजबूत बुनियाद और मजबूत कमाई दिखाई है, जिसके 2024 तक बढ़ने की उम्मीद है। शेयर बाजार में शानदार तेजी के चलते बाजार के मार्केट कैपिटलाईजेशन में उछाल देखने को मिल रहा है। बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप नए उछाल के साथ 361.30 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया। एचएसबीसी ने 2024 में भारत के लिए 17.8% की आय वृद्धि का अनुमान लगाया है – जो एशिया में सबसे तेज़ दरों में से एक है। एचएसबीसी के अनुसार, बैंक, स्वास्थ्य देखभाल और ऊर्जा जैसे क्षेत्र, जिन्होंने इस साल पहले ही अच्छा प्रदर्शन किया है, 2024 के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हैं। ऑटो, खुदरा विक्रेता, रियल एस्टेट और टेलीकॉम जैसे क्षेत्र भी 2024 के लिए अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति हैं।

फोटो सोशल मीडिया

2024 के लिए ग्लोबल सीईओ का अनुमान
भारत, अमरीका और जापान के शेयर बाजारों में वर्ष 2024 में और तेजी आने की उम्मीद है।
नौकरियों पर रोबोटिक्स – एआइ का खतरा, दुनियाऊर में एआइ का दुरुपयोग बढ़ने की भी आशंका।
ब्याज दरों में कटौती इस साल जुलाई के बाद शुरू होने की उम्मीद, बॉन्ड्स में बढ़ेगा निवेश।
खुदरा महंगाई दर में आएगी गिरावट, अमरीका में आर्थिक मंदी आने की अब कम आशंका।
2.5% से 3.5% रहेगी ग्लोबल ग्रोथ रेट, भारतीय अर्थव्यस्था अगले 5 साल चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक तेजी से बढ़ेगी।
दुनियाभर की सरकारों पर लगातार बढ़ रहा कर्ज, कई देश कर सकते हैं डिफॉल्ट।
उत्तर कोरिया भी कर सकता है जंग का ऐलान, साथ ही रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास जंग लंबे समय तक जारी रहने की आशंका ।
चीन की आर्थिक सुस्ती और प्रॉपर्टी मार्केट क्रैश से बैंकों पर दबाव।

भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.7 फीसदी की दर से बढ़ोतरी होगी : क्रिसिल
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि वित्त वर्ष 2024 से 2031 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.7% की औसत वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह दर महामारी से पहले की औसत वृद्धि दर से कहीं अधिक है। चालू वित्त वर्ष में 7.3% आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान के बावजूद क्रिसिल ने यह अनुमान लगाया है। रेटिंग एजेंसी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार सरकार की आर्थिक नीतियों से जीडीपी की तरक्की सुनिश्चित हो रही है। इसमें निजी क्षेत्र का भरपूर सहयोग है। सरकार से मिल रहे पूंजी समर्थन से अर्थव्यवस्था गति पकड़े रहेगी। हालांकि आरबीआई ब्याज दर के मोर्चे पर सतर्क रहेगा।रेस्पॉन्सिबिल बजट में अर्थव्यवस्था को और मजबूती देने के लिए उठाए कदम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में अंतरिम बजट में पीएम मोदी के विजन पर चलते हुए रेस्पॉन्सिबिल बजट पेश करके अर्थ व्यवस्था को और मजबूती देने के लिए कदम उठाए हैं। चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार की यह दृढ़ता वाकई काबिले तारीफ है। मोदी सरकार की हैट्रिक के लिए पूरी तरह विश्वस्त वित्त मंत्री ने इसलिए कहा कि अभी इकोनॉमी को मजबूती देनी है। यही वजह है कि इस बजट में चुनावी घोषणाएं नहीं हुई, बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक गतिविधियों के इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की राह सशक्त हुई है। जाहिर है कि इससे देश को अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों को कारोबार करने में आसानी होगी, जिससे निवेश का माहौल मजबूत होगा। इससे आने वाले महीनों में शेयर बाजार और इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी। कैपिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का सबसे ज्यादा फायदा मुख्यतः इन्फ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी और टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियों को होगा।

इन्फ्रा खर्च से बाजार, इकोनॉमी और शेयर मार्केट को मिलेगी मजबूती
बजट घाटा जो अभी जीडीपी का 5.8 फीसदी है, उसे घटाकर 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। यह कोरोना के समय में 9.2% तक था। जाहिर है कि इस कदम से सरकार के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा। इससे क्रेडिट रेटिंग में सुधार होगा। एक तरफ निवेश बढ़ने के आसार हैं और दूसरी तरफ कंपनियों पर लगने वाला कॉरपोरेट टैक्स भी नहीं बढ़ा है, जोकि कोराना काल में घटाया गया था। इससे कंपनियों को विस्तार करने या शुद्ध मुनाफा कमाने में पहले के मुकाबले आसानी हो सकती है। इससे अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए घोषित किए गए 1 लाख करोड़ रु. के फंड का फायदा भी कॉपोरेंट सेक्टर को ही मिलेगा। इससे बेनड्रेन में काफी हद तक कमी आ सकती है। दूसरी ओर पावर, रोड्स, पोर्ट, एयरपोर्ट और टेलीकॉम कंपनियों के लिए इस बजट में काफी कुछ है।

पीएम मोदी ने अपने दूरदर्शी विजन से आबादी की चुनौती को अभी से समझा
आबादी के मामले में हम पिछले साल ही दुनिया में नंबर वन बन गए हैं। आबादी की रफ्तार युवा वर्क फोर्स देने के साथ-साथ कई चुनौतियां भी लाती है। जनसंख्या नियंत्रण तथा जनसंख्या संबंधी समस्याएं भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख समस्या बन सकती है। पीएम मोदी ने अपने दूरदर्शी विजन से इसे अभी से समझा है। इसीलिए बढ़ती आबादी के मद्देनजर एक समिति बनाने का निर्णय लिया है। यह इस बजट की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके दूरगामी परिणाम निकलेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर पर 11 फीसदी ज्यादा खर्च किया जाएगा, जिससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। सोलर ऊर्जा तथा ब्लू इकोनॉमी के विकास पर जोर दिया गया है।

विकास और आर्थिक स्थिरता में सामंजस्य रखने वाले लीडर की बनी इमेज
सबसे खास बात यह है कि अंतरिम बजट में सामाजिक न्याय के साथ-साथ राजकोषीय अनुशासन पर भी फोकस है। दीर्घकालिक विकास के लिए आर्थिक स्थिरता जरूरी शर्त है। सरकार इस वर्ष राजकोषीय घाटे को 5.9% पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि यह मध्यम अवधि में 4.5% की ओर बढ़ रहा है। इसने घरेलू और विदेशी, दोनों निवेशकों का विश्वास मजबूत किया है। माना जा रहा था कि चुनावी वर्ष में सरकार लोक-लुभावन घोषणाएं करेगी। लेकिन प्रधानमंत्री ने एक बार फिर ‘सरप्राइज’ देते हुए राजकोषीय सेहत का ध्यान वाले और व्यापक आर्थिक स्थिरता में विश्वास रखने वाले लीडर के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई है।पूंजीगत व्यय में राज्यों को भागीदार बनाने से हो रहा चौतरफा विकास
किसी भी देश के लिए विकास और आर्थिक स्थिरता में सामंजस्य बिठाना वाकई आसान नहीं होता। लेकिन पीएम मोदी ने ऐसा कर दिखाया है। इसके अलावा अंतरिम बजट में जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के कई उपायों के जरिए किसानों, युवाओं और महिलाओं पर जोर दिया गया है। अंतरिम बजट का यह अहम पहलू है। पूंजीगत व्यय में 11% की बढ़ोतरी से विकास में तेजी आएगी। बढ़े हुए पूंजीगत व्यय में राज्यों को भागीदार बनाना सराहनीय है। पिछले साल राज्यों को इसके लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक के आवंटन का 90% उपयोग किया गया। इससे जाहिर है कि राज्य सरकारें भी विकास से लाभान्वित हो रही है।

 

 

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