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PM MODI का लक्षद्वीप के लिए मेगा प्लान, देश-दुनिया के पर्यटकों को लुभाने के लिए खर्च होंगे 6 हजार करोड़, सुरम्य Lakshadweep से है मालदीव पांच गुना महंगा

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पीएम मोदी सरकार की नीतियों और उद्देश्यों में ‘वोकल फॉर लोकल’ निरंतर शामिल रहा है। प्रधानमंत्री सिर्फ स्थानीय उत्पादों को ही नहीं, विभिन्न अवसरों पर स्थानीय कला, लोकल मैन्युफैक्चरिंग और पर्यटक स्थल आदि को भी प्रोत्साहित करते नजर आते हैं। कुछ समय पहले ही उन्होंने उत्तराखंड में देशवासियों से आग्रह किया था कि डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए विदेश जाने की बजाए अपने देश के स्थलों को चुनें। इसी कड़ी में अब पीएम मोदी ने केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के पर्यटन को प्रोत्साहित किया है। दरअसल, पीएम मोदी का सिर्फ कहने भर में नहीं, बल्कि करके दिखाने में यकीन है। यही वजह है कि उन्होंने खुद लक्षद्वीप में की और समुद्र तट की सैर की। देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करने का यह उनका अनूठा तरीका है। यही नहीं मोदी सरकार ने लक्षद्वीप में पर्यटकों को लुभाने के लिए टूरिज्म इंफ्रा पर 6 हजार करोड़ रूपये खर्च करने का मेगा प्लान तैयार किया है। आने वाले कुछ वर्षों में अपना लक्षद्वीप सीधे ही मालदीव को टक्कर देता नजर आएगा।

पीएम विजिट के बाद गूगल पर लक्षद्वीप को सर्च करना बीस वर्षों का रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री मोदी की इस साल के शुरुआत में लक्षद्वीप की यात्रा और उस पर मालदीव की प्रतिक्रिया के बाद यह केंद्र शासित प्रदेश दुनियाभर में सुर्खियों में आ गया है। इसी बीच मालदीव के नेताओं ने लक्षद्वीप और मालदीव की तुलना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर भी अशोभनीय टिप्पणियां कर दीं। पर्यटन को लेकर भारत और मालदीव के बीच विवाद गहराने के बाद अब सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स जमकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। सोशल प्लेटफार्म X पर मालदीव आउट, बायकॉट मालदीव जैसे हैशटेग ट्रेंड कर रहे हैं। इसका पूरा असर भी दिखाई दे रहा है। गूगल ट्रेंड के अनुसार, पीएम मोदी की लक्षदीप विजिट के बाद लक्षद्वीप को गूगल पर इतना सर्च किया गया है कि यह बीते बीस वर्षों का उच्चतम स्तर का रिकॉर्ड है। इस बीच ट्रैवल साइट्स भी अब टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिए मालदीव को डम्प करने और लक्षद्वीप को प्रमोट करने में जुट गई हैं।मिनिकॉय द्वीप पर नया एयरपोर्ट बनेगा, पांच साल में खर्च होंगे 6 हजार करोड़
मोदी सरकार ने लक्षद्वीप में पर्यटन के विकास के लिए फ्यूचर प्लान तैयार किया है। इसके तहत अगले 5 साल में लक्षद्वीप में पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर 6 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। सबसे महत्वपूर्ण कदम यह है कि यहां आने वाले बढ़ते पर्यटकों के लिए बड़ा नया एयरपोर्ट विकसित किया जाएगा। लक्षद्वीप के कलेक्टर अर्जुन मोहन के मुताबिक सबसे ज्यादा फोकस मिनिकॉय द्वीप पर नए एयरपोर्ट विकसित करने पर है। इसका सैन्य और नागरिक दोनों उड़ानों के लिए उपयोग किया जा सकेगा। नए एयरपोर्ट का डिजाइन बड़े विमानों की लैंडिंग के अनुरूप बन रहा है। फिलहाल लक्षद्वीप में अगत्ती द्वीप पर एयरपोर्ट है जो द्वीप का एकमात्र एयरपोर्ट है और यहां छोटे विमानों की ही लैंडिंग होती है। लक्षद्वीप में करवत्ती आने वाले लोगों को छोटे जहाजों या फिर अगत्ती से हेलीकॉप्टर से आना पड़ता है।

लक्षद्वीप का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट होम और इको-फ्रेंडली रिजॉर्ट
अब लक्षद्वीप प्रशासन का लक्ष्य यहां पर ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट होम और इको-फ्रेंडली रिजॉर्ट तैयार करना है। क्योंकि 2020 तक यहां सिर्फ 184 पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था थी। प्रशासन उन द्वीपों को भी प्रमोट कर रहा है, जहां बसाहट नहीं है, क्योंकि ऐसे द्वीप विदेशी पर्यटकों को पसंद आते हैं। इसके साथ ही नीति आयोग और लक्षद्वीप प्रशासन पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत यहां कई सारी विकास योजनाओं पर काम कर रहे हैं। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत के मुताबिक बीते 8-9 साल से लक्षद्वीप के विकास पर काम हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का फोकस पहले से ही इस द्वीप के विकास पर है। हमने द्वीपों के विकास के लिए कई मुद्दों पर काम किया है। इसके अलावा बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सौलर प्लांट बनाने की तैयारी भी चल रही है। पानी के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।

लक्षद्वीप में पर्यटकों के लिए ये सुविधाएं बढ़ाने की है तैयारी
अभी कोच्ची से अगत्ती के लिए सिर्फ एक फ्लाइट है। 7 जहाज हैं, जो कोच्ची से यहां आने में 18 घंटे लेते है।
• लक्षद्वीप प्रशासन की एक और जहाज की डिमांड पर भी मोदी सरकार विचार कर रही है।
• द्वीप को कोच्ची के अलावा केरल के बेयपोर पोर्ट और कर्नाटक के मेंगलोर पोर्ट से भी कनेक्टिविटी मिलेगा।
• टाटा ग्रुप की सहयोगी इंडियन होटल्स ने ताज रिसॉर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च किया।
• पर्यटकों की सुविधा के लिए दिल्ली, मुंबई और बेंग्लुरू के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट पर भी फोकस होगा।
• गुजरात की टूरिज्म फर्म प्रवेग अगत्ती द्वीप पर 50 से अधिक परमानेंट टेंट का निर्माण और संचालन करेगी।
• यहां पर केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन 360 से ज्यादा लैगून विला विकसित कर रहा है।
• इस प्रोजेक्ट में सुहेली, मिनिकॉय और कदमात द्वीप पर 230 बीच विला, 140 वाटर विला और 370 रूम विला बनाएगी।

पर्यटकों को आवेदन के दिन ही परमिट जारी करने की तैयारी
पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटकों को प्रोत्साहित करने के लिए लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल पटेल ने कहा कि आवेदन के दिन ही इनर लाइन परमिट जारी करने के प्रयास जारी है। इसके अलावा पर्यटन को बढ़ाने के लिए कवरत्ती और बांगरम द्वीप पर परमिट के साथ शराब की बिक्री की अनुमति दी गई है। अभी पर्यटक मंजूरी मिलने के बाद लक्षद्वीप में 7 दिन ही रुक सकते हैं, इस अवधि को बढ़ाने पर भी विचार हो रहा है।पर्यटकों के लिए क्यों खास है लक्षद्वीप, इस सुरम्य द्वीप पर कैसे पहुंचें
लक्षद्वीप, 36 द्वीपों का समूह अपने समुद्र तटों और प्राकृतिक खूबसूरत नजारों के लिए जाना जाता है। भारत का सबसे छोटा संघ राज्यक्षेत्र लक्षद्वीप एक द्वीपसमूह है जिसमें 32 द्वीपों के क्षेत्र में 36 द्वीप हैं। यह भारत दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। लक्षद्वीप में अगत्ती, बंगारम, कदमत, कलपेनी, कवरत्ती और मिनीकॉय प्रमुख पर्यटक स्थल हैं. पूरा लक्षद्वीप रेतीले समुद्र तट, विभिन्न वनस्पति और तरह-तरह के जीवों के चलते पर्यटकों को लुभाता है। यहां कई तरह के सी एडवेंचर का लुत्फ उठाया जा सकता है। अब सवाल आता है कि यहां कैसे पहुंचें- लक्षद्वीप पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले कोच्चि पहुंचना होगा। क्योंकि केरल के इस शहर से लक्षद्वीप की दूरी करीब 220 से 240 किलोमीटर है। दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर कोच्चि पहुंच सकते हैं और वहां से हवाई और सड़क मार्ग से लक्षद्वीप जा सकते हैं। लक्षद्वीप में एकमात्र एयरपोर्ट अगत्ती है, यहां फ्लाइट के जरिए कोच्चि से पहुंचा जा सकता है।

मालदीव से बेहद सस्ता लक्षद्वीप घूमना,  पर्यटक ऐसे पहुंचें लक्षद्वीप
ट्रैवल टूर बनाने वाली विभिन्न कंपनियों के पास पर लक्षद्वीप के लिए 7 टूर पैकेज उपलब्ध हैं। इनमें 2 रात के पैकेज की कीमत 22999 रुपये है। इसमें होटल, घूमना-फिरना, लोकल ट्रांसपोर्ट और खाने-पीने का खर्च शामिल है, जबकि फ्लाइट का चार्ज शामिल नहीं है। वहीं, 4 रातों के लिए लक्षद्वीप का टूर पैकेज करीब 47199 रुपये है। दिल्ली से कोच्चि की फ्लाइट, जिसका किराया 7000 से शुरू होता है, लेकर कोच्चि पहुंच सकते हैं। यहां से लक्षद्वीप आसानी से पहुंचा जा सकता है। यानी लक्षद्वीप में 4 नाइट के टूर पैकेज का खर्च करीब 55,000 तक आएगा। वहीं, लक्षद्वीप की तुलना में मालदीव घूमना काफी महंगा है। मेक माय ट्रिप की साइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 4 नाइट/5 डेज का मालदीव टूर पैकेज 2,52,299 रुपये में उपलब्ध है। मालदीव और लक्षद्वीप दोनों ही समुद्र के तट पर स्थित हैं और अपनी बेमिसाल खूबसूरती के लिए जाने जाते है। लेकिन, अब करीब 5 गुना कम खर्च में आप मालदीव जैसा आनंद लक्षद्वीप में ही उठा सकते हैं।

मालदीव की इकोनॉमी टूरिज्म बेस्ड, भारत सबसे बड़ा हिस्सेदार
मालदीव की तो पूरी इकोनॉकी ही टूरिज्म पर डिपेंड करती है। यहां 70 प्रतिशत नौकरियां तक टूरिज्म सेक्टर में ही पैदा होती हैं। सालभर में यहां जितने टूरिस्ट आते हैं उसमें से 14% से 20% तक इनकम भारत से ही होती है। यहां तक कि शिक्षा और सेहत तक के लिए मालदीव के लोग भारत का ही रुख करते हैं। जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रही थी, तब भी भारत के ही 63 हजार टूरिस्ट वहां गए थे। पिछले 3 साल के आंकड़ों के मुताबिक के कुल टूरिस्ट में भारतीयों की हिस्सेदारी 15-25% रहती है। मालदीव में हर साल करीब 15-20 लाख लोग घूमने जाते हैं। इनमें भारत से 2021 में 2.91 लाख, 2022 में 2.41 लाख और 2023 में 2.10 लाख टूरिस्ट मालदीव गए हैं। पिछले साल क्रिसमस और नए साल की छुट्‌टी मनाने भारत से मालदीव जाने वालों की संख्या 30 से 50 हजार के बीच रही होगी।

मालदीव का हर चौथा टीचर भारतीय, इन पर टिका है एजुकेशन सिस्टम
यूनिसेफ एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव में कुल 212 स्कूल हैं। इनमें 205 सरकारी हैं। इम्पैक्ट एंड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार इनमें पढ़ाने वाले 25% टीचर भारतीय हैं। ये ज्यादातर हायर और मिडल रैंक पर है। यदि मालदीव से ये टीचर हट जाएंगे तो उसका एजुकेशन सिस्टम ही बिगड़ सकता है। सैकड़ों भारतीय टीचर यहां पर बरसों से पढ़ा रहे हैं। हर साल वहां नए टीचर रिक्रूट हो रहे हैं। हर साल मालदीव की सरकार टीचरों की भर्ती के लिए भारतीयों के लिए दक्षिण के राज्यों में टेस्ट आयोजित करती है। इसके अलावा मालदीव के युवा उच्च और तकनीकि शिक्षा हासिल करने के लिए जब विदेश का रुख करते हैं, तो उनकी सबसे पहली च्वाइस भारत ही होता है।

मालदीव में ‘मददगार’ भारतीय सैनिकों की वापसी चाहते हैं मुइज्जू
भारत ने मेडिकल इवैकुएशन और हिंद महासागर में समुद्री निगरानी में मदद के लिए मालदीव को दो हेलिकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान दान में दिए थे। इस समय मालदीव में तैनात 75 भारतीय सैनिकों में से अधिकांश विमान के रख-रखाव और ऑपरेट करते हैं। भारतीय सेना लंबे समय से मालदीव में है। भारतीय सैनिक मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के तहत काम करते हैं। उनका मुख्य काम एक विमान और दो हेलिकॉप्टरों को छोटे द्वीपों से मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने में इस्तेमाल करने के लिए सहयोग देना है। लेकिन मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारतीय सैनिकों की वापसी की वकालत सिर्फ इसलिए कर रहे हैं, ताकि यहां पर चीन-पाकिस्तान की राह आसान हो सके।

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू का भारत विरोधी यह रवैया तब भी है, जबकि भारत कई बार मुश्किल समय में मालदीव के लोगों की मदद कर चुका है। ऐसे कुछ किस्सों पर एक नजर…

1. मालदीव में तख्ता पलट की तैयारी, भारत ने भेजी थी सेना

कहानी कोई साढ़े तीन दशक पुरानी है। मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम 3 नवंबर 1988 को भारत दौरे पर आ रहे थे। तभी उन्हें पता चला कि विरोधियों ने उनके खिलाफ तख्ता पलट की साजिश रची है। तमिल विद्रोही संगठन पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (लिट्‌टे) की मदद से वहां के कुछ लोगों ने बगावत कर दी थी। लिट्‌टे ने सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया था। मालदीव के राष्ट्रपति गयूम ने तुरंत भारत के प्रधानमंत्री से मदद मांगी। भारत ने तत्काल ही मालदीव की मदद के लिए सेना भेजी। मालदीव की सरकार को बचाने की मुहिम को भारत ने ऑपरेशन कैक्टस नाम दिया था। भारतीय सेना के पहुंचने के चलते तख्ता पलट नहीं हो पाया था।2. सुनामी और तूफान में भारत से मदद और विमान पहुंचा
मालदीव में कोई दो दशक पहले आई सुनामी के बाद पीने के पानी का संकट था। भारत वो पहला देश था, जिसका विमान रसद लेकर माले पहुंचा था। इसके बाद भी कई सालों तक मालदीव उजड़ा हुआ था। इसको संवारने में भारत ने दिल खोलकर आर्थिक मदद भी की थी। जुलाई 2007 में फिर आए तूफान से मालदीव को बड़ा धक्का लगा था। तब भी भारत वो देश था, जिसने सबसे पहले 10 करोड़ की तुरंत आर्थिक मदद की थी।

3. कोरोना में तंगी हुई तो भारत ने आर्थिक मदद की
मालदीव की इकोनॉमी टूरिज्म पर ही निर्भर है। कोरोना में टूरिस्टों ने आना बंद कर दिया था। मालदीव की हालत खराब होती जा रही थी। उस समय मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी। पीएम मोदी ने मालदीव की आर्थिक मदद की थी। इतना ही नहीं कोरोनाकाल में भी भारत से करीब 63 हजार पर्यटक मालदीव पहुंचे। तब इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने पीएम नरेंद्र मोदी, सरकार और भारत के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया था। उन्होंने मदद कर पड़ोसी होने की भावना और उदारता दिखाई है। इसके अलावा मालदीव पहला देश था, जिसे भारत ने अपने वहां निर्मित वैक्सीन भेजी थी।

चीन की शह पर भारत के खिलाफ जा रहे हैं मालदीव के राष्ट्रपति
भारत के इतने मददगार होने और कई सालों के अच्छे रिश्तों के बाद मालदीव अब भारत विरोध पर क्यों उतर आया है? इस सवाल का सीधा-सा जवाब है कि इसके पीछे सिर्फ मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ही नहीं हैं, बल्कि उनको असली शह तो चीन से मिल रही है। चीन अपने निजी सामरिक हितों के दृष्टिगत मालदीव से दोस्ती गांठने की फिराक में है। तभी उनके बुलावे पर मुइज्जू चीन के मेहमान बने हैं। संभव है कि चीन ने कर्ज के बहाने मालदीव की भारी-भरकम मदद का ख्वाब दिखाया हो! चीन की नीति और नीयत यही रही है। चीन के कर्ज के बोझ तले दबकर कंगाल हुए श्रीलंका, पाकिस्तान इसके उदाहरण हैं।

पीएम ने फोटो शेयर करते ही सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप ट्रेंडिंग

राष्ट्रपति की भारत विरोधी नीति के चलते ही मालदीव के मंत्रियों को भारत और पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने की हिम्मत मिल गई। दरअसल, पीएम मोदी ने 4 जनवरी को लक्षद्वीप के दौरे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं।  पीएम ने भारतीयों से लक्षद्वीप को अपनी टूरिस्ट डेस्टिनेशन में शामिल करने का आग्रह किया। इसके बाद लक्षद्वीप सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग करने लगा। कई सेलेब्रिटी ने भी इसको लेकर अपने विचार साझा किए। पीएम ने मालदीव का नाम भी नहीं लिया था, लेकिन मोइज्जू सरकार में मंत्री शिउना ने इसराइल से जोड़ते हुए लक्षद्वीप का भी मजाक उड़ाया। उनके अलावा मालदीव के दो और मंत्री मालशा शरीफ और महजूम माजिद ने भी कमेंट किए। बाद में दबाव पड़ा तो इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया।

 

राजीव ने तो लक्षद्वीप में परिवार और ससुरालवालों के साथ मनाई थी पिकनिक
पीएम की लक्षद्वीप यात्रा की बात चल निकली है तो यहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का उल्लेख भी प्रासांगिक होगा। एक ओर जहां पीएम नरेन्द्र मोदी अगत्ती में जनसभा और एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास करने के बाद रणनीतिक रूप से लक्षद्वीप पर स्नॉर्कलिंग की और रात गुजारी थी। दूसरी ओर 1987 में राजीव गांधी ने तो यहां सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका, इटली के अपने ससुराल वालों और बॉलीवुड के दोस्तों के साथ दस दिन तक पिकनिक मनाई थी। उनका छुट्टियां बिताने का स्थान बंगाराम था, जो लक्षद्वीप द्वीपसमूह में एक छोटा-सा निर्जन द्वीप है। यहां तक कि भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विराट, जिसे समुद्री सीमाओं पर तैनात किया गया था, उसे 10 दिनों की छुट्टियों की सुविधा के लिए निजी टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने के लिए यहां भेजा गया था। यात्रा के दौरान एक पनडुब्बी भी मौजूद थी। संक्षेप में कह सकते हैं कि राजीव गांधी की पिकनिक का मतलब भारी खर्चा, रक्षा संसाधनों का खुला दुरुपयोग और राष्ट्रीय सुरक्षा को संभावित खतरे में डालना ही था।

 

 

 

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