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यूएई में पहले मंदिर का लोकार्पण, पीएम मोदी के नेतृत्व में दुनिया में बज रहा सनातन का डंका

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ही नहीं विदेशों में सनातन का डंका बज रहा है। जिन मुस्लिम देशों में मंदिर बनाने की कोई कल्पना नहीं कर पाता था आज उन्हीं देशों में मंदिर बन रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात में भव्य-दिव्य मंदिर का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। अब इसके बाद एक और मुस्लिम देश बहरीन में मंदिर बनने जा रहा है। इससे पहले अमेरिका के न्यूजर्सी में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को किया गया। भारत के बाहर निर्मित यह दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में एक है। ऐसा तब संभव होता है जब देश का नेतृत्व करने वाला नेता प्रखर राष्ट्रभक्त हो और अपनी संस्कृति के प्रति गर्व महसूस करता हो। 10 साल पहले कांग्रेस की मनमोहन सरकार कहती थी कि यदि हम राम मंदिर की बात करेंगे तो अरब के देश हमें तेल देना बंद कर देंगे। आज उन्हीं देशों में मंदिर बन रहे हैं और शेख लोग खुद नाच नाच कर भगवान की परिक्रमा कर रहे हैं। यह सब पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन से संभव हो रहा है। 

पीएम मोदी ने किया यूएई में पहले मंदिर का लोकार्पण
दुनिया के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि संयुक्त अरब अमीरात (मुस्लिम देश) में किसी मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस मंदिर का लोकार्पण 14 फरवरी को पीएम मोदी ने किया। इस भव्य मंदिर का निर्माण दिसंबर 2019 में शुरू हुआ था। यह मंदिर सात शिखरों और पांच अलंकृत गुंबदों वाला है। इस मंदिर को बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी BAPS ने बनाया है। इसकी लागत 700 करोड़ रुपए आई है। यह मंदिर संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच स्थायी दोस्ती का प्रमाण बन गया है। इस मंदिर की 7 चोटियां संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके अलावा इसमें 12 समरन यानी पिरामिड जैसी चोटियां बनी हुई हैं। इस मंदिर के दोनों गुंबदों का नाम शांति रखा गया है। ये दोनों गुंबद मंदिर के मध्य में स्थित हैं।

पीएम मोदी की पहल से मिली मंदिर के लिए जमीन
अगस्त 2015 में संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए भूमि आवंटित करने का फैसला किया। 16 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसले की जानकारी दी और इसके लिए संयुक्त अरब अमीरात सरकार का आभार भी जताया। पीएम मोदी ने मंदिर के लिए जमीन देने के निर्णय को एक बेहतरीन कदम बताया था। इस फैसले के दो साल बाद 2017 में अबू धाबी के राजकुमार ने शाही आदेश के जरिए भूमि उपहार में दी। 2018 में अबू धाबी के राजकुमार ने पीएम मोदी के साथ मिलकर मंदिर के लिए सहमति दे दी। इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी हिंदू मंदिर की परियोजना शुरू की। इसके अलावा मंदिर की शोध वास्तुकला भी तैयार की गई।

मंदिर प्रशासन ने कहा- रेगिस्तान में खिला कमल
शिलान्यास के बाद 2020 में भारत में पत्थरों पर मूर्तियां उकेरने का काम जारी रहा। वहीं अंततः वास्तुकला तैयार हुई जो पारंपरिक शिला मंदिर की शैली थी। इस तरह से मंदिर परिसर में पुस्तकालय, कक्षा, सामुदायिक केंद्र, सभास्थल, रंगभूमि बनाए जाने की परिकल्पना की गई। अगस्त 2023 में मंदिर के लिए वह घड़ी आई जब यह साकार रूप ले चुका था। मंदिर प्रशासन ने इसे ‘रेगिस्तान में खिलता कमल’ की संज्ञा दी। इसके साथ ही तय किया गया कि 14 फरवरी 2024 को यूएई के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन होगा। 27 दिसंबर 2023 को बीएपीएस के स्वामी ईश्वरचरणदास और स्वामी ब्रह्मविहारिदास के साथ मौजूद शिष्टमंडल ने उद्धाटन समारोह के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित किया।

अबू धाबी में ‘अल वाकबा’ में मंदिर का निर्माण
मंदिर यूएई की राजधानी अबू धाबी में ‘अल वाकबा’ नाम की जगह पर बनाया गया है। यह धर्म स्थल 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। हाइवे से सटी अल वाकबा नामक जगह अबू धाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है। यूएई का पहला हिंदू मंदिर भले ही 2023 में बनकर तैयार हुआ, लेकिन इसकी कल्पना करीब ढाई दशक पहले 1997 में बीएपीएस संस्था के तत्कालीन प्रमुख स्वामी महाराज ने की थी।

2019 में रखी गई थी मंदिर की नींव
अप्रैल 2019 में यूएई के पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास हुआ था। लगभग 5,000 भक्त बीएपीएस हिंदू मंदिर के शिलान्यास समारोह में भाग लेने और देखने के लिए एकत्र हुए थे। यह समारोह मंदिर के निर्माण की शुरुआत का प्रतीक था। आधारशिला रखने के बाद भारत की तीन प्रमुख पवित्र नदियों गंगा, यमुना एवं सरस्वती से लाया गया जल पत्थरों पर अर्पित किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, जापान, अफ्रीका, चीन, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों के भक्तों और स्वयंसेवकों ने भाग लिया था।

भारतीय संस्कृति के पारंपरिक फूल और फल शामिल
इस मंदिर की दीवारों पर पारंपरिक भारतीय जानवरों सहित देवी-देवताओं, ऋषियों, वनस्पतियों और जीवों की हजारों आकृतियां उकेरी गई हैं। भारतीय पशुओं में गाय, हाथी, मोर आदि के साथ-साथ पारंपरिक अरबी जानवर जैसे ऊंट, ऑरिक्स (रेगिस्तानी बकरी), बाज़ आदि शामिल हैं। इसमें कमल और आम जैसे भारतीय संस्कृति के पारंपरिक फूल और फल भी शामिल हैं। इसके अलावा, अरब संस्कृति से ट्रिबुलस ओमानेंस और खजूर के उदाहरण भी हैं।

सद्भाव की दीवार पर लिखा है वसुधैव कुटुंबकम
इस हिंदू मंदिर की ‘सद्भाव की दीवार’ संयुक्त अरब अमीरात में दाऊदी बोहरा समुदाय द्वारा प्रायोजित है। इस दीवार पर प्राचीन और आधुनिक भाषाओं में 3डी में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ लिखा हुआ है। यह मंदिर प्राचीन वास्तुशिल्प तकनीकों के साथ आधुनिक तकनीक के संयोजन का एक सफल उदाहरण है। अबू धाबी में बना हिंदू मंदिर 108 फीट का है। इसमें 40,000 क्यूबिक फीट संगमरमर, 1,80,000 क्यूबिक फीट बलुआ पत्थर, 18,00,000 ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर में 300 सेंसर लगाए गए हैं।

पीएम मोदी के नेतृत्व में किस तरह दुनिया में सनातन का डंका बज रहा है। इस पर एक नजर-

बहरीन में बन रहा भव्‍य मंदिर
यूएई के बाद एक और खाड़ी देश बहरीन में मंदिर बनने जा रहा है। ये मंदिर भी अबू धाबी के मंदिर की तरह विशाल होगा और इसे भी बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी बीएपीएस भी बनाने जा रहा है। 1 फरवरी 2022 को, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने घोषणा की थी कि बहरीन साम्राज्य के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री, प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा ने बहरीन में स्वामीनारायण हिंदू मंदिर बनाने के लिए जमीन आवंटित की है। अब खबर आई है कि इस मंदिर के निर्माण शुरू करने की सारी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई हैं।

अमेरिका में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मंदिर का लोकार्पण
हिंदू धर्म के भक्तों और कला और संस्कृति के प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब अमेरिका के न्यू जर्सी के रॉबिन्सविले टाउनशिप में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को हुआ। भारत के बाहर निर्मित यह दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में एक है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लगभग 90 किमी दक्षिण में या वाशिंगटन डीसी से लगभग 289 किमी दूर उत्तर में, न्यू जर्सी के छोटे रॉबिन्सविले टाउनशिप में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंद‍िर को 12,500 से अधिक वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया है। भारत के बाहर निर्मित यह मंदिर, कंबोडिया में अंगकोर वाट के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनने की ओर अग्रसर है।

हिंदू धर्म ने ही मुझे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया
भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम में हिंदू धर्म की खूबियों के बारे में बात की है और कहा है कि हमारा धर्म हमें सभी में समानता सिखाता है। द डेली सिग्नल द्वारा आयोजित एक टॉक शो में विवेक ने कहा कि हिंदू धर्म ने ही मुझे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया है और आज मैं इसी वजह से चुनाव में हूं। मेरे धर्म ने मुझे धैर्य सिखाया है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म ने मुझे नैतिक दायित्वों को समझने की स्वतंत्रता प्रदान की। रामास्वामी ने कहा कि मैं एक हिंदू हूं, मैं एक सच्चे ईश्वर में विश्वास रखता हूं। मेरा मानना है कि ईश्वर ने हम सभी को यहां पर एक खास उद्देश्य के लिए भेजा है। इसी उद्देश्य को साकार करना ही हमारा नैतिक कर्तव्य है। विवेक ने कहा कि हिंदू धर्म में हमें सिखाया है कि हम सभी में ईश्वर हैं, इसलिए हम सभी एक समान हैं। यह हमारे धर्म का मूल है।

ऋषि सुनक ने लगाया ‘जय सियाराम’ का जयकारा
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने 15 अगस्त, 2023 को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में मोरारी बापू की रामकथा में हिस्सा लिया और ‘जय सिया राम’ का जयकारा लगाया। पीएम सुनक ने मोरारी बापू को शॉल पहनाकर अभिवादन भी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में मोरारी बापू की रामकथा में उपस्थित होना वास्तव में सम्मान और खुशी की बात है। बापू, मैं आज यहां एक प्रधानमंत्री के रूप में नहीं बल्कि एक हिंदू के रूप में शामिल हुआ हूं। सुनक ने कहा कि आस्था मेरे लिए काफी निजी मामला है। ये मेरे जीवन के हर पहलू में मेरा मार्गदर्शन करती है।

प्रधानमंत्री मोदी अक्सर इस बात को सबके सामने रखते आए हैं कि हमारी सनातन संस्कृति में विश्व की सभी वर्तमान समस्याओं का भी समाधान है। इस पर एक नजर-

‘वेद ज्ञान’ से दूर होगी जलवायु परिवर्तन की समस्या
”विश्व की हर परंपरा ने सूर्य को महत्व दिया है। भारतीय परंपरा में वेदों में सूर्य को विश्व की आत्मा और जीवन का पोषक माना गया है। आज जब हम जलवायु परिवर्तन के खतरे से जूझ रहे हैं, ऐसे में हमें इस प्राचीन विचार से आगे का मार्ग ढूंढने की जरूरत है।”

11 मार्च, 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से जूझ रहे विश्व के सामने सनातन संस्कृति द्वारा इस समस्या का समाधान बताया। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करने से जलवायु परिवर्तन की समस्या से मुक्ति मिल सकती है।

‘योग सूत्र’ से स्वस्थ होगा सारा संसार
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः … अर्थात सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें। मूल रूप से गरुड़ पुराण से लिए गए इस नैतिक ज्ञान को आधार मानते हुए ही प्रधानमंत्री मोदी ने ‘योग’ को अपनाने का आह्वान किया। हर वर्ष 21 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग दिवस घोषित कर दिया। आज सारा संसार सनातन संस्कृति के इस योग सूत्र से स्वस्थ होने की राह पर अग्रसर है।

‘सर्वधर्म समभाव’ से दुनिया में होगी शांति
सत्य, अहिंसा, करुणा, समन्वय, सर्वधर्म समभाव… ऐसे अनेकों तत्व सनातन संस्कृति के आधार हैं। ये ही वे तत्व हैं जिन्होंने बाधाओं के ‍बीच भी हमारी संस्कृति की निरन्तरता को अक्षुण्ण बनाए रखा है। अगर दुनिया सर्व धर्म समभाव यानि सभी धर्मों का सम्मान करने लगे तो संसार में धर्म के नाम पर होने वाले विवाद अवश्य खत्म हो जाएंगे।

‘वसुधैव कुटुम्बकम’ से एक हो जाएगी दुनिया
वसुधैव कुटुम्बकम सनातन धर्म का मूल संस्कार और विचारधारा है। ‘महा उपनिषद’ में उद्धृत इस कथन का अर्थ है- धरती ही परिवार है। यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है।

अयं बन्धुरयं नेतिगणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
उदारचरितानांतु वसुधैव कुटुम्बकम्। ।
इसका अर्थ है- ”यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों की तो सम्पूर्ण धरती ही परिवार है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को अपनी विदेश नीति का मूल आधार बनाया है। उनकी इस नीति को वैश्विक मान्यता मिल रही है और पूरी दुनिया इस अवधारणा को अपनाने की राह पर अग्रसर है। 

‘अहिंसा परमो धर्मों’ से रुकेगा कत्लेआम
‘अहिंसा परमो धर्मः’ श्लोक के व्यापक अर्थ हैं। समस्त मानव जाति के पावन ग्रंथ ‘महाभारत’ के अनुशासन पर्व में यह उद्धृत है। पूरी दुनिया में आज जिस तरह से हिंसा का वातावरण है और धर्म के नाम पर मार काट मची हुई है, इससे मुक्ति का रास्ता इस एक वाक्य में छिपा हुआ है। 

‘दरिद्र’ को ‘नारायण’ मानने से दूर होगी गरीबी
गरीब और वंचित वर्ग की सेवा को ही सनातन संस्कृति में सर्वोच्च धर्म माना गया है। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर इस बात को वैश्विक मंचों पर दोहराते रहते हैं। अफ्रीकी देशों के साथ उन्होंने जिस तरह का नाता बनाया है उसके मूल में यही बात छिपी है।

‘नारी तू नारायणी’ से सशक्त होंगी महिलाएं
जन्म, पालन-पोषण और दिशा सब आप से तो है, आपसे ही तो हम हैं वरना हमारी अस्तित्व कहां? … नारी तू नारायणी, वाक्य को उद्धृत करते हुए अक्सर प्रधानमंत्री कहते हैं कि स्त्री शक्ति को सशक्त करना आवश्यक है नहीं तो हमारे अस्तित्व पर खतरा है। उनकी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं में इसकी झलक देखी जा सकती है।

दूसरों की पीड़ा समझना ही असली शक्ति
वैष्णव जन तो तेने कहिए जे, पीड़ पराई जाने रे… गुजरात के संत कवि नरसी मेहता द्वारा रचित भजन है। ये हमारी सनतान संस्कृति का जीवन दर्शन भी है।

अच्छे विचार चारों ओर से आने चाहिए
आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। यानि हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों। प्रधानमंत्री पूरी दुनिया में घूम-घूम कर अच्छे आइडिया और अच्छी बातों के भारतीय संदर्भ में उपयोगिता देखते हैं। अपने विदेश दौरों में अक्सर वे ऐसी जगहों पर जाते हैं जहां से अपने देश के लिए कुछ ले आ पाएं।

सत्य की हमेशा होती है जीत
सत्यमेव जयते… मुंडकोपनिषद से लिया गया यह वाक्य स्पष्ट करता है कि सत्य की ही जीत तय है। वेदान्त एवं दर्शन ग्रंथों में जगह-जगह सत् असत् का प्रयोग हुआ है। सत् शब्द उसके लिए प्रयुक्त हुआ है, जो सृष्टि का मूल तत्त्व है, सदा है, जो परिवर्तित नहीं होता, जो निश्चित है। प्रधानमंत्री मोदी भी अपने जीवन दर्शन में इसे अहम स्थान देते हैं। दरअसल राजनीतिक जीवन में ही उन्हें जितनी झंझावतें झेलनी पड़ी हैं उतनी शायद ही किसी राजनीतिज्ञ ने झेली हों, परन्तु जीत सत्य की ही हुई है।

पीएम मोदी ने जी-20 सम्मेलन में सनातन मंत्र से विश्व कल्याण का मार्ग दिखाया और मेहमानों ने किए सनातन संस्कृति के दर्शन।

पीएम मोदी ने कोणार्क चक्र के सामने किया विश्व वर्ल्ड लीडर्स का स्वागत
देश की राजधानी दिल्‍ली में 9 सितंबर 2023 को जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रगति मैदान के भारत मंडपम में सभी जी-20 नेताओं और प्रतिनिधियों का जिस स्‍थान पर हाथ मिलाकर स्‍वागत किया, वहां पीछे एक बड़ा-सा चक्र बना हुआ था। ये बेहद खास चक्र है, जिसका नाम ‘कोणार्क चक्र’ है। ओडिशा के कोणार्क चक्र को 13वीं शताब्दी के दौरान राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में बनाया गया था। कोणार्क चक्र वही चक्र है, जो भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज में नजर आता है। 24 तीलियों वाले कोणार्क चक्र को भारत के राष्ट्रीय ध्वज में रूपांतरित किया गया, जो भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है। समय हमेशा एक सा नहीं रहता, ये बदलता रहता है। कोणार्क चक्र इस समय का ही प्रतीक है, जो कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और परिवर्तन को दर्शाता है।

भारत ने ढाई हजार साल पहले मानव कल्याण का संदेश दिया था: मोदी
दिल्ली के भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अपनी बात शुरू की वह भी सनातन संस्कृति का जयघोष ही था। पीएम मोदी ने कहा कि ढाई हजार साल पहले भारत की धरती ने मानवता के कल्याण का संदेश पूरी दुनिया को दिया था। 21वीं सदी का यह समय पूरी दुनिया को नई दिशा देने वाला है। पीएम मोदी ने भारतीय संस्कृति पर कहा- इस समय जिस स्थान पर हम एकत्रित हैं, यहां से कुछ ही किलोमीटर के फासले पर लगभग ढाई हजार साल पुराना एक स्तंभ लगा हुआ है। इस स्तंभ पर प्राकृत भाषा में लिखा है- “हेवम लोकसा हितमुखे ति, अथ इयम नातिसु हेवम”। अर्थात, मानवता का कल्याण और सुख सदैव सुनिश्चित किया जाए। ढाई हजार साल पहले, भारत की भूमि ने, यह संदेश पूरे विश्व को दिया था। आइए, इस सन्देश को याद कर, इस G-20 समिट का हम आरम्भ करें।

विदेशी मेहमान सनातन संस्कृति के दर्शन कर हुए मोहित 
दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन इस बार सनातन संस्कृति की छाया में हुआ। आजादी के बाद पहली बार देश में इतना बड़ा आयोजन हुआ। इसी भाव को दृष्टिगत रखते हुए शिखर सम्मेलन स्थल पर भगवान शिव की 28 फीट ऊंची ‘नटराज‘ प्रतिमा को प्रतीक रूप में स्थापित किया गया। इस प्रतिमा में शिव के तीन प्रतीक-रूप परिलक्षित हैं। ये उनकी सृजन यानी कल्याण और संहार अर्थात विनाश की ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक हैं। अष्टधातु की यह प्रतिमा प्रगति मैदान में ‘भारत मंडपम्’ के द्वार पर लगाई गई है। इस प्रतिमा की आत्मा में सार्वभौमिक स्तर पर सर्व-कल्याण का संदेश अंतर्निहित है। इसे देखकर विदेशी मेहमान भी मोहित हो गए। 

मेहमान कर रहे रामायण, महाभारत, विष्णु अवतार के दर्शन
जी-20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए आए मेहमानों के स्वागत के लिए समूचे नयी दिल्ली क्षेत्र को विशेष रूप से सजाया-संवारा गया। दिल्ली की सड़कों पर हर तरफ वॉल पेंटिंग्स बनाई गई, जहां से डेलीगेट्स के काफिलों को गुजरना है। ये कलाकृतियां भैरो मार्ग रेलवे ब्रिज के नीचे दीवारों पर बनाई गई थीं। इसमें रामायण, महाभारत और विष्णु अवतार के भव्य रूप को दर्शाया गया। विभिन्न राज्यों के पारंपरिक नृत्य कला, चित्रकारी की झलक भी इसमें है।

जी-20 के लोगो में सनातन शब्द ‘वसुधैव कुटुंबकम्’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी शाश्वत दर्शन से भारतीय संस्कृति के दो सनातन शब्द लेकर ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के विचार को सम्मेलन शुरू होने के पूर्व प्रचारित करते हुए कहा कि ‘पूरी दुनिया एक परिवार है।’ यह ऐसा सर्वव्यापी और सर्वकालिक दृष्टिकोण है, जो हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक ऐसा परिवार जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन नहीं है।

विश्व कल्याण का मंत्र आज तक किसी राष्ट्र प्रमुख ने नहीं दिया
पीएम मोदी के दिए ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का मंत्र जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान यह विचार मानव केंद्रित प्रगति के आह्वान के रूप में प्रकट हुआ है। हम एक धरती के रूप में मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं। जिससे सब एक-दूसरे के सहयोगी बने रहें और समान एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए एक साथ आगे बढ़ते रहें। विश्व कल्याण का यह विचार आज तक किसी अन्य देश के राष्ट्र प्रमुख ने नहीं दिया। क्योंकि ये देश असमानता के संदर्भ में ही अपने पूंजीवादी, बाजारवादी और उपभोक्तावादी एजेंडे को आगे बढ़ाते रहे हैं। पश्चिमी देशों द्वारा हथियारों का उत्पादन और फिर उनके खपाने का प्रबंध कई देशों की प्रत्यक्ष लड़ाई और देशों के भीतर ही धर्म और संस्कृति के अंतर्कलह देखने में आते रहे हैं। अतएव विश्वव्यापी भाईचारे के लिए वसुधैव कुटुंबकम् से उत्तम कोई दूसरा विचार हो ही नहीं सकता।

‘आस्क गीता’ ऐप से जीवन की शिक्षाओं एवं दर्शन को समझने का मौका
जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत मंडपम में यूपीआई जैसे प्रौद्योगिकी मंचों को दर्शाने के साथ ‘गीता’ ऐप के जरिये जीवन को समझने का मौका भी मिला। यहां पर विदेशी मेहमानों को पवित्र ग्रंथ गीता की शिक्षाओं एवं उसके दर्शन को समझने का मौका एक विशेष ऐप के जरिये मिला। ‘आस्क गीता’ एक ऐसा माध्यम रहा जिसके जरिये विदेशी मेहमान इस पवित्र ग्रंथ में उल्लिखित शिक्षाओं के अनुरूप जीवन से जुड़े विविध पहलुओं को समझ सके। 

देश-विदेश से आए मेहमानों ने देखी ऋग्वेद की सबसे पुरानी पांडुलिपि
G20 के कल्चर कॉरिडोर में ऋग्वेद की सबसे पुरानी पांडुलिपि रखने के लिए मंगवाई गई, ताकि देश-विदेश से आए मेहमान इसे देख और समझ सकें। साल 2007 में यूनेस्को ने ऋग्वेद को वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया था। ऋग्वेद को दुनिया की पहली पुस्तक और पहला धर्मग्रंथ माना जाता है। ऋग्‍वेद के बारे में कहा जाता है कि ये खुद ईश्‍वर ने ऋषियों को सुनाया था। इसमें कुल 1028 सूक्तियां हैं, जो वेद मंत्रों का समूह हैं। ज्यादातर सूक्तियां देवताओं की स्तुति से जुड़ी हैं। हालांकि कुछ में मानव जीवन के दूसरे पहलुओं पर भी बात की गई है। इसमें करीब 125 औषधियों का जिक्र है, जो शरीर और मन की स्थिति को बेहतर बनाए रखने में मददगार हैं। ऋग्वेद की सबसे पुरानी प्रति भोजपत्र पर लिखी हुई है, जिसे पुणे के भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में रखा गया। इनमें से एक पांडुलिपि शारदा स्क्रिप्ट में लिखी हुई है, जबकि बाकी 29 मेनुस्क्रिप्ट देवनागरी में हैं।

6000 ईसा पूर्व से भारत के गौरवशाली इतिहास की जानकारी
केंद्र सरकार ने जी20 शिखर सम्मेलन से पहले दो पुस्तिकाएं जारी की, जो 6000 ईसा पूर्व से भारत के गौरवशाली इतिहास की जानकारी देती हैं। ‘भारत, लोकतंत्र की जननी’ और ‘भारत में चुनाव’ शीर्षक वाली ये पुस्तिकाएं आने वाले गणमान्य व्यक्तियों को दी गई। इन दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी G20 की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। दो पुस्तिकाओं के 40 पृष्ठों में रामायण, महाभारत, छत्रपति शिवाजी, अकबर और आम चुनावों के माध्यम से भारत के सत्ता परिवर्तन के बारे में बात की गई है।

जी20 शिखर सम्मेलन के लिए जारी दोनों पुस्तिकाओं का फोकस इस बात पर है कि लोकतांत्रिक लोकाचार सहस्राब्दियों से भारत के लोगों का हिस्सा रहा है। पुस्तिकाओं से मुख्य अंश-

♦ पहली 26 पेज की पुस्तिका में भारत को ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में चित्रित किया गया है। इसमें एक नाचती हुई लड़की की मूर्ति की तस्वीर है, जो आत्मविश्वास से खड़ी है और दुनिया को आंखों से आंखें मिलाकर देख रही है, स्वतंत्र और मुक्त है। ये कांस्य प्रतिमा 5,000 वर्ष पुरानी है।
♦ पुस्तिका में चार वेदों में से सबसे प्रारंभिक ऋग्वेद की एक स्तुति भी शामिल है, जो आम लोगों और अन्य प्रतिनिधि निकायों की एक सभा के बारे में बात करती है।
♦ इसमें रामायण और महाभारत के समय के लोकतांत्रिक तत्वों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भगवान राम को उनके पिता ने मंत्रिपरिषद की मंजूरी और परामर्श के बाद राजा के रूप में चुना था।
♦ महाभारत में मरते हुए पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को सुशासन के सिद्धांत बताए. पुस्तिका के अनुसार, भीष्म ने कहा, “एक राजा के धर्म का सार अपनी प्रजा की समृद्धि और खुशी को सुरक्षित करना है।”
♦ इसके बाद पुस्तिका बौद्ध धर्म के आगमन और कैसे इसके सिद्धांतों ने भारत में लोकतांत्रिक लोकाचार, अर्थशास्त्र और इसकी शिक्षाओं और अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य, कृष्णदेव राय और छत्रपति शिवाजी सहित कई राजाओं के शासन के दौरान लोगों की भागीदारी को प्रभावित किया, इसके बारे में भी बात की गई है।
♦ पुस्तिका में कहा गया है कि आधुनिक समय में भी आजादी के बाद, भारत द्वारा अपनाए गए संविधान ने पिछले लोकतांत्रिक मॉडल को बरकरार रखते हुए एक आधुनिक, लोकतांत्रिक गणराज्य की रूपरेखा तैयार की।
♦ 15 पृष्ठों की दूसरी पुस्तिका 1951 से 2019 तक भारत में चुनावों के इतिहास के बारे में बताती है। उम्मीदवारों की संख्या से लेकर अधिकारियों द्वारा की गई व्यवस्था तक, दस्तावेज़ लोकतंत्र के क्षेत्र में भारत द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डालता है।

पीएम मोदी भारतीय संस्कृति का मान विदेशों में भी बढ़ाते रहे हैं उन्होंने जून 2023 में अमेरिका का दौरा किया था और वहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को सनातन संस्कृति से जुड़े खास गिफ्ट दिए थे।

पीएम मोदी ने बाइडेन को दिए सनातन संस्कृति से जुड़े खास गिफ्ट!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21-24 जून को अमेरिका की राजकीय यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने राष्‍ट्रपति जो बाइडेन को सनातन संस्कृति से जुड़े खास गिफ्ट दिए। इसमें भगवान गणेश की मूर्ति, उपनिषद, ताम्रपत्र, दस दानराशि और सहस्र चंद्र दर्शन प्रमुख रूप से शामिल थे। दृष्टसहस्रचंद्रो (सहस्र चंद्र दर्शन) का बाइडेन की उम्र से खास कनेक्शन है और यह उनके लिए अनमोल तोहफा रहा। सहस्र चंद्र दर्शनम का अर्थ है 1000 पूर्ण चंद्रमाओं को देखना। दरअसल 80 साल 8 महीने जीवित रहने पर कोई भी व्यक्ति 1000 पूर्ण चंद्रमा देख लेता है और बाइडेन 80 साल 7 महीने के हो चुके थे। सहस्र चंद्र दर्शनम में सतभिषेकम के लिए पूजा सामग्री रखी गई थी। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ‘द टेन प्रिंसिपल उपनिषद’ के पहले संस्करण की एक प्रति राष्ट्रपति जो बाइडेन को उपहार में दी थी।

पीएम मोदी ने देश में सनातन संस्कृति का गौरव बढ़ाने के लिए कई काम किए हैं। इस पर एक नजर-

पीएम मोदी सनातन संस्कृति के उत्थान से दिला रहे प्राचीन वैभव
भारत में प्राचीन काल से एक अनोखी अर्थव्यवस्था रही है। वह है तीर्थक्षेत्र का अर्थशास्त्र। आजादी के बाद देश पर 60 सालों तक शासन करने वाली कांग्रेस ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया और अंग्रेजों की मानसिकता के साथ देश पर शासन किया। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली तो तीर्थक्षेत्र के अर्थशास्त्र को नई ऊंचाई देने का काम शुरू किया। मोदी सरकार ने पिछले नौ साल के कार्यकाल में ऐसे कई तीर्थक्षेत्रों का विकास किया है जिससे न केवल देश में पर्यटन को नई ताकत मिली है बल्कि सनातन संस्कृति के उत्थान से अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है। पिछले कुछ सालों में तीर्थ क्षेत्रों में विस्तार और सुविधाओं में बढ़ोतरी से भक्तों की संख्या यहां इतनी अधिक हो गई है कि अब पर्यटन से इतर हिंदू तीर्थ क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में एक अलग आर्थिक क्षेत्र भी बनता दिख रहा है और इस पर न रिसेशन की माया है न ही NPA का काला साया। यह सब पीएम मोदी के विजन से संभव हो पाया है। भारत की यह अनोखी अर्थव्यवस्था सैकड़ों सालों से चली आ रही है और अब 2014 के बाद पीएम मोदी भारत को प्राचीन वैभव दिला रहे हैं।

पीएम मोदी के विजन से देश के मंदिरों का हुआ रेनोवेशन 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की सनातन सभ्यता और संस्कृति के उद्धारक के रूप में सामने आए हैं। उनकी सरकार न सिर्फ देश का भौतिक विकास कर रही है, बल्कि सनातन संस्कृति को दुनियाभर में पहचान भी दिला रही है। दरअसल भारत के पवित्र मंदिर सनातन संस्कृति के मूर्त रूप होते हैं। इन मंदिरों ने आस्था और धर्म को बचाए रखने और समाज के फिर से उत्थान में बड़ी भूमिका निभाई है। इनको मोदी राज में प्राचीन और आधुनिक शैली के संगम से नये स्वरुप में ढाला जा रहा है। पिछले 9 सालों से प्रधानमंत्री मोदी प्राचीन धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत और धरोहर रहे मंदिरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें अपनी पुरानी गरिमा वापस दिला रहे हैं। आइए जानते हैं उन मंदिरों के बारे में जिनका प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा और प्रयास से जीर्णोद्धार किया गया है…

1. काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर, 2021 को 500 साधु संतों और मंत्रोच्चार के साथ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही काशी को उसके स्तर के मुताबिक बुनियादी ढांचा देने का ऐलान कर दिया। 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया और चार साल के रिकॉर्ड समय में यह कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया। वाराणसी से लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसके निर्माण में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। अब काशी विश्वनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा। गंगा घाट से सीधे कॉ‍रिडोर के रास्‍ते बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं।

2. महाकाल लोक कॉरिडोर धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी
पीएम मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नवविस्तारित क्षेत्र ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान का उद्देश्य महाकाल मंदिर को पुरानी पहचान वापस दिलाना है। महाकाल लोक कॉरिडोर काफी भव्य है और अब ये मंदिर के क्षेत्र को 10 गुना तक बढ़ा देगा। कॉरिडोर में भगवान शिव से जुड़ी कई मूर्तियां लगाई गई हैं, जो अलग अलग कहानी बताती है और भक्तों को भगवान शिव से जोड़ती हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 300 मीटर में बना है, जबकि इसकी लंबाई 900 मीटर है। इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भव्य माना जा रहा है। इस पर 856 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जितना भव्य यह कॉरिडोर बना है उससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में यह धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी।

3. सोमनाथ मंदिर परिसर का विकास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 अगस्त 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण के लिए विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इससे यहां का पर्यटन बढ़ा है और लोगों में समृद्धि आई है। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इसका निर्माण कुल 30 करोड़ रुपये के परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है। इन परियोजनाओं के अंतर्गत मंदिर के पीछे समुद्र तट पर 49 करोड़ रुपये की लागत से बना एक किलोमीटर लम्‍बा समुद्र दर्शन मार्ग, पुरानी कलाकृतियों से युक्‍त नवनिर्मित सभागार और मुख्‍य मंदिर के सामने बने नवीनीकृत अहिल्‍याबाई होल्‍कर मंदिर यानी पुराना सोमनाथ मंदिर को भी शामिल किया गया है।

4. अयोध्या में भव्य राम मंदिर का पीएम मोदी ने किया भूमि पूजन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को विधि-विधान के साथ अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर की नींव रखी। प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन के बाद अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया। इसके साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया। अब जल्द ही इसके बनकर पूरी तैयार हो जाने की संभावना है। पीएम मोदी के विजन से आज राम मंदिर के रूप में भारत के गौरव का प्रतिबिंब खड़ा हुआ है। इतिहास से सीखकर, वर्तमान को सुधारने की एक नया भविष्य बनाने की कहानी है। यह केवल भौगोलिक एवं वैचारिक निर्माण नहीं है। यह हमारे अतीत से जोड़ने का प्रकल्प है। हमने अतीत के खंडहरों पर आधुनिक गौरव का निर्माण किया है।

5. पावागढ़ के कालिका मंदिर में 500 साल बाद शिखर पर फहराया ध्वज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू स्वाभिमान के प्रतीक है। उनका शासनकाल हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण का काल है। 18 जून, 2022 को हर हिन्दू गर्वान्वित महसूस किया, जब 500 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उसके शिखर पर पताका फहराया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से ही 11वीं सदी में बने इस मंदिर का पुनर्विकास योजना के तहत कायाकल्प किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकाली मंदिर के ऊपर पांच सदियों तक, यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी पताका नहीं फहराई गई थी। लाखों भक्तों का सपना आज उस समय पूरा हो गया जब मंदिर प्राचीन काल की तरह अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है।

6. कश्मीर में प्राचीन मंदिरों का पुनरोद्दार
कश्मीर में 05 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद मोदी सरकार ने श्रीनगर में कई पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण शुरु किया। मंदिरविहीन हो चुकी घाटी में गुलमर्ग का शिव मंदिर ऐसा पहला मंदिर है, जिसे 1 जून, 2021 को जीर्णोद्धार के बाद जनता के लिए खोल दिया गया। शिव मंदिर को व्यापक जीर्णोद्धार की आवश्यकता थी, क्योंकि लंबे समय से इस मंदिर में कोई जीर्णोद्धार कार्य नहीं हुआ था। गुलमर्ग में आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों की एक बड़ी संख्या ने मंदिर को उसकी मूल स्थिति में देखने की इच्छा व्यक्त की थी।

7. कश्मीर में 2300 साल पुराना शारदा पीठ मंदिर का जीर्णोद्धार
कश्मीर में 2300 साल पुराना शारदा पीठ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर में एलओसी के पास माता शारदा देवी मंदिर का 23 मार्च 2023 को वर्चुअल उद्घाटन किया। श्मीर पंडित लंबे समय से सदियों पुराने इस मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे थे. अब इसे पूरा कर दिया गया है। शारदा पीठ मंदिर कश्मीरी पंडितों की आस्था का प्रतीक रहा है लेकिन सदियों पुराना ये मंदिर खंडहर में बदल चुका था। इसे करीब 2300 साल पुराना बताया जाता है। दिसंबर 2021 के महीने में इस भूमि पर पारंपरिक पूजा की गई। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सेव शारदा समिति ने एक मंदिर निर्माण समिति का गठन किया था।

8. झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर का फिर से निर्माण
मोदी सरकार के आकलन के मुताबिक कश्मीर में कुल 1842 हिंदू मंदिर या पूजास्थल हैं। इनमें से 952 मंदिर हैं जिनमें 212 में पूजा चल रही है जबकि 740 जीर्ण शीर्ण हालत में है। मोदी सरकार ने सबसे पहले झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर का फिर से निर्माण किया। भगवान राम का ये मंदिर महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में बनवाया था। इसके अलावा अनंतनाग का मार्तंड मंदिर, पाटन का शंकरगौरीश्वर मंदिर, श्रीनगर के पांद्रेथन मंदिर, अवंतिपोरा के अवंतिस्वामी और अवंतिस्ववरा मंदिर के पुनरोद्धार का काम चल रहा है। अनंतनाग जिले में एएसआई द्वारा संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर में मई 2022 में सुबह 100 से अधिक तीर्थयात्रियों ने कुछ घंटों तक पूजा-अर्चना की। इस कार्यक्रम के जरिए सूर्य मंदिर में पहली बार शंकराचार्य जयंती मनाई गई। कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी के इस मंदिर को सिकंदर शाह मिरी के शासन के दौरान 1389 और 1413 के बीच नष्ट कर दिया गया था।

9. पीएम मोदी की पहल से चार धाम परियोजना का विकास
मोदी सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड के लिए चार धाम परियोजना शुरू की है। केदारनाथ बद्रीनाथ की यमुनोत्री और गंगोत्री के चारधाम परियोजना- रणनीतिक रूप से बेहद अहम माने जाने वाली 900 किलोमीटर लंबी इस सड़क परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चारों धामों के लिए हर मौसम में सुलभ और सुविधाजनक रास्ता देना है। चारधाम परियोजना एक तरह से ऑल वेदर रोड परियोजना है, जो उत्तराखंड में केवल चार धामों को जोड़ने की परियोजना भर नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है। इसके जरिए उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही पड़ोसी चालबाज देश चीन को चुनौती देने के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण है। इसके अलावा ऋषिकेश को रेल मार्ग से कर्णप्रयाग से जोड़ने का काम चल रहा है। ये रेलवे लाइन 2025 से शुरू हो जाएगी।

10. हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी 2022 को हैदराबाद में 11वीं सदी के हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में बनी 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का उद्घाटन किया था। इस प्रतिमा में 120 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रूपए है। यह 45 एकड़ जमीन पर बना है। मंदिर परिसर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन का निर्माण कराया गया है।

11. संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जून 2022 को संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने विकास योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा, ‘संत ज्ञानेश्वर पालखी मार्ग का निर्माण 5 चरणों में होगा और संत तुकाराम पालखी मार्ग का निर्माण 3 चरणों में होगा। 350 किलोमीटर से ज्यादा बड़े हाइवे बनेंगे, इसमें 11000 करोड़ का खर्च होगा। संत तुकाराम एक वारकरी संत और कवि थे। उन्हें अभंग भक्ति कविता और कीर्तन के माध्यम से समुदाय-उन्मुख पूजा के लिए जाना जाता है। यह मंदिर 36 चोटियों के साथ पत्थर की चिनाई से बनाया गया है। इसमें संत तुकाराम की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है।

12. प्रसाद योजना के तहत धार्मिक स्थलों में सुविधाओं का विस्तार
सरकार ने धार्मिक स्थलों का विकास करने के शुरू की गई प्रसाद योजना का विस्तार किया है। फिलहाल इस योजना से 12 धार्मिक स्थलों को जोड़ा गया है। इनमें कामाख्या (असम), अमरावती (आंध्र प्रदेश), द्वारका (गुजरात), गया (बिहार), अमृतसर (पंजाब), अजमेर (राजस्थान), पुरी (ओडिशा), केदारनाथ (उत्तराखंड), कांचीपुरम (तमिलनाडु), वेलनकन्नी (तमिलनाडु), वाराणसी (उत्तर प्रदेश), मथुरा (उत्तर प्रदेश) शामिल हैं। इन 12 स्थलों के अलावा प्रसाद योजना का दायरा और बढ़ा दिया गया है। योजना के तहत स्थलों की संख्या बढ़कर लगभग 41 हो गयी है। बौद्ध तीर्थ यात्रा के लिए कुशीनगर के अलावा झारखंड स्थित देवघर समेत कई तीर्थ स्थलों का प्रसाद योजना के तहत बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कराया जा रहा है। इस योजना का मकसद बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाना है। प्रवेश स्थल (सड़क, रेल और जल परिवहन), आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी, पर्यटन की बुनियादी सुविधाएं जैसे सूचना केंद्र, एटीएम, मनी एक्सचेंज, पर्यावरण अनुकूल परिवहन के साधन, क्षेत्र में प्रकाश की सुविधा और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत से रोशनी, पार्किंग, पीने का पानी, शौचालय, अमानती सामान घर, प्रतीक्षालय, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, शिल्प बाजार, हाट, दुकानें, कैफेटेरिया, मौसम से बचने के उपाय, दूरसंचार सुविधाएं, इंटरनेट, कनेक्टिविटी आदि शामिल हैं।

13. रामायण सर्किट और बुद्ध सर्किट को भी जोड़ने का काम
रामायण सर्किट और बुद्ध सर्किट को भी जोड़ने का काम चल रहा है। देश में कोरोना की रफ्तार में कमी होने के बाद घरेलू पर्यटन में बढोतरी हुई है। पर्यटन मंत्रालय की माने तो दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी में सुधार तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई विकास कार्य तेज कर दिया गया है, जिससे आने वाले यात्रियों को असुविधा न हो। बेहतर सुविधाएं मिलने से जहां पर्यटकों को सहुलियत होगी, वहीं रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। स्थानीय सरकार को इससे कमाई भी बढ़ेगी।

14. दूसरे देशों में भी मंदिर बनाने में योगदान दे रहे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी मंदिरों को भव्य बनाने पर जोर दे रहे हैं। साल 2019 में पीएम मोदी की सरकार ने मनामा और अबू धाबी में भगवान श्रीकृष्ण श्रीनाथजी के पुनर्निर्माण के लिए 4.2 मिलियन डॉलर देने का ऐलान किया था। इसके साथ ही 2018 में उन्होंने अबू धाबी में बनने वाले पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी। उन्होंने 16 मई, 2022 को नेपाल के लुंबिनी में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देवबा के साथ भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र का शिलान्यास किया। यही नहीं पीएम मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों से ऐसे सैकड़ों प्राचीन वस्तुओं एवं मूर्तियों को विदेशों से वापस लाने में सफलता मिली है, जिन्हें दशकों पहले चोरी और तस्करी के जरिए विदेश भेज दिया गया था।

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