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PM Modi सनातन संस्कृति का दुनिया भर में लहरा रहे परचम, यूएई के अबू धाबी में पहला हिंदू मंदिर लोकार्पित, इस मंदिर और स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रणेता का अयोध्या से है कनेक्शन

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संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वसंत पंचमी के दिन उद्घाटन कर दिया है। बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा निर्मित यह हिंदू मंदिर बेहद भव्य और विराट है। इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थरों से किया गया है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश से बाहर एक बार फिर बड़े हिंदू मंदिर का पीएम मोदी उद्घाटन किया है। इतना ही नहीं अबू धाबी के मंदिर का अयोध्या से भी कनेक्शन है। दरअसल, गुजराती मूल के स्वामीनारायण संप्रदाय के पूरी दुनिया में 1200 से अधिक मंदिर हैं। इस संप्रदाय का अयोध्या कनेक्शन भी है। जिन महान संत स्वामीनारायण के नाम पर यह संप्रदाय अस्तित्व में आया, उनका जन्म अयोध्या के पास बसे छपैया गांव में हुआ था। यहीं से निकले 11 साल के बालक की आध्यात्मिक ऊर्जा अब अरब की रेत पर भारतीय संस्कृति का वैभव उकेर रही है।अयोध्या धाम के पास छपैया में जन्मे स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रणेता
अयोध्या धाम के पास ही छपैया गांव सरयूपारीण तिवारी परिवारों का गांव है। यहीं हरिप्रसाद पांडे के परिवार में 1781 में रामनवमी के दिन महापुरुष स्वामीनारायण का जन्म हुआ। इनके दो अन्य नाम नीलकंठ और हरिकृष्ण हैं। इन्होंने 11 वर्ष की उम्र में घर त्यागा। 7 साल हिमालय में रहे। भारत भ्रमण करते एक दिन वो गुजरात के लोज गांव पहुंचे। यहीं गुजरातियों ने उन्हें दिल में बसा लिया। उद्धव परंपरा के एक सिद्ध संत से उनकी पहली भेंट हुई और अगले तीन दशकों तक वे समाज को सत्संग से जोड़ते रहे। छपैया में डेढ़ सौ साल पहले स्वामी नारायण की स्मृतियों का भव्य स्मारक बनना शुरू हुआ, जो आज संगमरमरी स्वरूप में है। यह गुजरातियों का दूसरा पवित्र तीर्थ है।राजस्थान के पत्थर से अबू धाबी और अयोध्या के भव्य-दिव्य मंदिर बने
अबू धाबी का यह हिंदू मंदिर 700 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बना है। यह मंदिर 27 एकड़ में बना है और इसकी ऊंचाई 108 फुट की है। यह मंदिर वास्तुशिल्प और अपनी भव्यता से पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है। अबू धाबी के इस मंदिर का एक और अयोध्या कनेक्शन है। दरअसल, अबू धाबी के इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के पिंक सैंड स्टोन (लाल बलुआ पत्थर) से किया गया है। यह वही पत्थर है, जिसे अयोध्या के राम मंदिर में प्रयोग किया गया है। इस मंदिर को अयोध्या के मंदिर की तरह ही भव्य बनाया जा रहा है। मंदिर के कोने कोने में भारत का अंश देखने को मिलेगा। संगमरमर से बने इस मंदिर के स्तंभों पर भारतीय संस्कृति को दर्शाया गया है, जहां रामायण, महाभारत की भी प्रतिमा उकेरी गई हैं।

पीएम मोदी ने किया यूएई में पहले मंदिर का लोकार्पण
दुनिया के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि संयुक्त अरब अमीरात (मुस्लिम देश) में किसी मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस मंदिर का लोकार्पण 14 फरवरी को पीएम मोदी ने किया। इस भव्य मंदिर का निर्माण दिसंबर 2019 में शुरू हुआ था। यह मंदिर सात शिखरों और पांच अलंकृत गुंबदों वाला है। इस मंदिर को बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी BAPS ने बनाया है। इसकी लागत 700 करोड़ रुपए आई है। यह मंदिर संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच स्थायी दोस्ती का प्रमाण बन गया है। इस मंदिर की 7 चोटियां संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके अलावा इसमें 12 समरन यानी पिरामिड जैसी चोटियां बनी हुई हैं। इस मंदिर के दोनों गुंबदों का नाम शांति रखा गया है। ये दोनों गुंबद मंदिर के मध्य में स्थित हैं।

पीएम मोदी की पहल से मिली मंदिर के लिए जमीन
अगस्त 2015 में संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए भूमि आवंटित करने का फैसला किया। 16 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसले की जानकारी दी और इसके लिए संयुक्त अरब अमीरात सरकार का आभार भी जताया। पीएम मोदी ने मंदिर के लिए जमीन देने के निर्णय को एक बेहतरीन कदम बताया था। इस फैसले के दो साल बाद 2017 में अबू धाबी के राजकुमार ने शाही आदेश के जरिए भूमि उपहार में दी। 2018 में अबू धाबी के राजकुमार ने पीएम मोदी के साथ मिलकर मंदिर के लिए सहमति दे दी। इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी हिंदू मंदिर की परियोजना शुरू की। इसके अलावा मंदिर की शोध वास्तुकला भी तैयार की गई।

मंदिर प्रशासन ने कहा- रेगिस्तान में खिला कमल
शिलान्यास के बाद 2020 में भारत में पत्थरों पर मूर्तियां उकेरने का काम जारी रहा। वहीं अंततः वास्तुकला तैयार हुई जो पारंपरिक शिला मंदिर की शैली थी। इस तरह से मंदिर परिसर में पुस्तकालय, कक्षा, सामुदायिक केंद्र, सभास्थल, रंगभूमि बनाए जाने की परिकल्पना की गई। अगस्त 2023 में मंदिर के लिए वह घड़ी आई जब यह साकार रूप ले चुका था। मंदिर प्रशासन ने इसे ‘रेगिस्तान में खिलता कमल’ की संज्ञा दी। इसके साथ ही तय किया गया कि 14 फरवरी 2024 को यूएई के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन होगा। 27 दिसंबर 2023 को बीएपीएस के स्वामी ईश्वरचरणदास और स्वामी ब्रह्मविहारिदास के साथ मौजूद शिष्टमंडल ने उद्धाटन समारोह के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित किया।

2019 में रखी गई थी मंदिर की नींव
अप्रैल 2019 में यूएई के पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास हुआ था। लगभग 5,000 भक्त बीएपीएस हिंदू मंदिर के शिलान्यास समारोह में भाग लेने और देखने के लिए एकत्र हुए थे। यह समारोह मंदिर के निर्माण की शुरुआत का प्रतीक था। आधारशिला रखने के बाद भारत की तीन प्रमुख पवित्र नदियों गंगा, यमुना एवं सरस्वती से लाया गया जल पत्थरों पर अर्पित किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, जापान, अफ्रीका, चीन, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों के भक्तों और स्वयंसेवकों ने भाग लिया था।

सद्भाव की दीवार पर लिखा है वसुधैव कुटुंबकम
इस मंदिर की दीवारों पर पारंपरिक भारतीय जानवरों सहित देवी-देवताओं, ऋषियों, वनस्पतियों और जीवों की हजारों आकृतियां उकेरी गई हैं। भारतीय पशुओं में गाय, हाथी, मोर आदि के साथ-साथ पारंपरिक अरबी जानवर जैसे ऊंट, ऑरिक्स (रेगिस्तानी बकरी), बाज़ आदि शामिल हैं। इसमें कमल और आम जैसे भारतीय संस्कृति के पारंपरिक फूल और फल भी शामिल हैं। इसके अलावा, अरब संस्कृति से ट्रिबुलस ओमानेंस और खजूर के उदाहरण भी हैं। इस हिंदू मंदिर की ‘सद्भाव की दीवार’ संयुक्त अरब अमीरात में दाऊदी बोहरा समुदाय द्वारा प्रायोजित है। इस दीवार पर प्राचीन और आधुनिक भाषाओं में 3डी में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ लिखा हुआ है। यह मंदिर प्राचीन वास्तुशिल्प तकनीकों के साथ आधुनिक तकनीक के संयोजन का एक सफल उदाहरण है। अबू धाबी में बना हिंदू मंदिर 108 फीट का है। इसमें 40,000 क्यूबिक फीट संगमरमर, 1,80,000 क्यूबिक फीट बलुआ पत्थर, 18,00,000 ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर में 300 सेंसर लगाए गए हैं।

पीएम मोदी सनातन संस्कृति के उत्थान से दिला रहे प्राचीन वैभव
भारत में प्राचीन काल से एक अनोखी अर्थव्यवस्था रही है। वह है तीर्थक्षेत्र का अर्थशास्त्र। आजादी के बाद देश पर 60 सालों तक शासन करने वाली कांग्रेस ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया और अंग्रेजों की मानसिकता के साथ देश पर शासन किया। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली तो तीर्थक्षेत्र के अर्थशास्त्र को नई ऊंचाई देने का काम शुरू किया। मोदी सरकार ने पिछले नौ साल के कार्यकाल में ऐसे कई तीर्थक्षेत्रों का विकास किया है जिससे न केवल देश में पर्यटन को नई ताकत मिली है बल्कि सनातन संस्कृति के उत्थान से अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है। पिछले कुछ सालों में तीर्थ क्षेत्रों में विस्तार और सुविधाओं में बढ़ोतरी से भक्तों की संख्या यहां इतनी अधिक हो गई है कि अब पर्यटन से इतर हिंदू तीर्थ क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में एक अलग आर्थिक क्षेत्र भी बनता दिख रहा है और इस पर न रिसेशन की माया है न ही NPA का काला साया। यह सब पीएम मोदी के विजन से संभव हो पाया है। भारत की यह अनोखी अर्थव्यवस्था सैकड़ों सालों से चली आ रही है और अब 2014 के बाद पीएम मोदी भारत को प्राचीन वैभव दिला रहे हैं।

पीएम मोदी के विजन से देश के मंदिरों का हुआ रेनोवेशन 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की सनातन सभ्यता और संस्कृति के उद्धारक के रूप में सामने आए हैं। उनकी सरकार न सिर्फ देश का भौतिक विकास कर रही है, बल्कि सनातन संस्कृति को दुनियाभर में पहचान भी दिला रही है। दरअसल भारत के पवित्र मंदिर सनातन संस्कृति के मूर्त रूप होते हैं। इन मंदिरों ने आस्था और धर्म को बचाए रखने और समाज के फिर से उत्थान में बड़ी भूमिका निभाई है। इनको मोदी राज में प्राचीन और आधुनिक शैली के संगम से नये स्वरुप में ढाला जा रहा है। पिछले 9 सालों से प्रधानमंत्री मोदी प्राचीन धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत और धरोहर रहे मंदिरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें अपनी पुरानी गरिमा वापस दिला रहे हैं। आइए जानते हैं उन मंदिरों के बारे में जिनका प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा और प्रयास से जीर्णोद्धार किया गया है…

1. काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर, 2021 को 500 साधु संतों और मंत्रोच्चार के साथ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही काशी को उसके स्तर के मुताबिक बुनियादी ढांचा देने का ऐलान कर दिया। 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया और चार साल के रिकॉर्ड समय में यह कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया। वाराणसी से लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसके निर्माण में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। अब काशी विश्वनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा। गंगा घाट से सीधे कॉ‍रिडोर के रास्‍ते बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं।

2. महाकाल लोक कॉरिडोर धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी
पीएम मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नवविस्तारित क्षेत्र ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान का उद्देश्य महाकाल मंदिर को पुरानी पहचान वापस दिलाना है। महाकाल लोक कॉरिडोर काफी भव्य है और अब ये मंदिर के क्षेत्र को 10 गुना तक बढ़ा देगा। कॉरिडोर में भगवान शिव से जुड़ी कई मूर्तियां लगाई गई हैं, जो अलग अलग कहानी बताती है और भक्तों को भगवान शिव से जोड़ती हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 300 मीटर में बना है, जबकि इसकी लंबाई 900 मीटर है। इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भव्य माना जा रहा है। इस पर 856 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जितना भव्य यह कॉरिडोर बना है उससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में यह धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी।

3. सोमनाथ मंदिर परिसर का विकास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 अगस्त 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण के लिए विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इससे यहां का पर्यटन बढ़ा है और लोगों में समृद्धि आई है। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इसका निर्माण कुल 30 करोड़ रुपये के परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है। इन परियोजनाओं के अंतर्गत मंदिर के पीछे समुद्र तट पर 49 करोड़ रुपये की लागत से बना एक किलोमीटर लम्‍बा समुद्र दर्शन मार्ग, पुरानी कलाकृतियों से युक्‍त नवनिर्मित सभागार और मुख्‍य मंदिर के सामने बने नवीनीकृत अहिल्‍याबाई होल्‍कर मंदिर यानी पुराना सोमनाथ मंदिर को भी शामिल किया गया है।

4. अयोध्या में भव्य राम मंदिर का पीएम मोदी ने किया भूमि पूजन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को विधि-विधान के साथ अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर की नींव रखी। प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन के बाद अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया। इसके साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया। अब जल्द ही इसके बनकर पूरी तैयार हो जाने की संभावना है। पीएम मोदी के विजन से आज राम मंदिर के रूप में भारत के गौरव का प्रतिबिंब खड़ा हुआ है। इतिहास से सीखकर, वर्तमान को सुधारने की एक नया भविष्य बनाने की कहानी है। यह केवल भौगोलिक एवं वैचारिक निर्माण नहीं है। यह हमारे अतीत से जोड़ने का प्रकल्प है। हमने अतीत के खंडहरों पर आधुनिक गौरव का निर्माण किया है।

5. पावागढ़ के कालिका मंदिर में 500 साल बाद शिखर पर फहराया ध्वज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू स्वाभिमान के प्रतीक है। उनका शासनकाल हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण का काल है। 18 जून, 2022 को हर हिन्दू गर्वान्वित महसूस किया, जब 500 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उसके शिखर पर पताका फहराया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से ही 11वीं सदी में बने इस मंदिर का पुनर्विकास योजना के तहत कायाकल्प किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकाली मंदिर के ऊपर पांच सदियों तक, यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी पताका नहीं फहराई गई थी। लाखों भक्तों का सपना आज उस समय पूरा हो गया जब मंदिर प्राचीन काल की तरह अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है।

6. कश्मीर में प्राचीन मंदिरों का पुनरोद्दार
कश्मीर में 05 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद मोदी सरकार ने श्रीनगर में कई पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण शुरु किया। मंदिरविहीन हो चुकी घाटी में गुलमर्ग का शिव मंदिर ऐसा पहला मंदिर है, जिसे 1 जून, 2021 को जीर्णोद्धार के बाद जनता के लिए खोल दिया गया। शिव मंदिर को व्यापक जीर्णोद्धार की आवश्यकता थी, क्योंकि लंबे समय से इस मंदिर में कोई जीर्णोद्धार कार्य नहीं हुआ था। गुलमर्ग में आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों की एक बड़ी संख्या ने मंदिर को उसकी मूल स्थिति में देखने की इच्छा व्यक्त की थी।

7. कश्मीर में 2300 साल पुराना शारदा पीठ मंदिर का जीर्णोद्धार
कश्मीर में 2300 साल पुराना शारदा पीठ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर में एलओसी के पास माता शारदा देवी मंदिर का 23 मार्च 2023 को वर्चुअल उद्घाटन किया। श्मीर पंडित लंबे समय से सदियों पुराने इस मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे थे. अब इसे पूरा कर दिया गया है। शारदा पीठ मंदिर कश्मीरी पंडितों की आस्था का प्रतीक रहा है लेकिन सदियों पुराना ये मंदिर खंडहर में बदल चुका था। इसे करीब 2300 साल पुराना बताया जाता है। दिसंबर 2021 के महीने में इस भूमि पर पारंपरिक पूजा की गई। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सेव शारदा समिति ने एक मंदिर निर्माण समिति का गठन किया था।

8. झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर का फिर से निर्माण
मोदी सरकार के आकलन के मुताबिक कश्मीर में कुल 1842 हिंदू मंदिर या पूजास्थल हैं। इनमें से 952 मंदिर हैं जिनमें 212 में पूजा चल रही है जबकि 740 जीर्ण शीर्ण हालत में है। मोदी सरकार ने सबसे पहले झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर का फिर से निर्माण किया। भगवान राम का ये मंदिर महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में बनवाया था। इसके अलावा अनंतनाग का मार्तंड मंदिर, पाटन का शंकरगौरीश्वर मंदिर, श्रीनगर के पांद्रेथन मंदिर, अवंतिपोरा के अवंतिस्वामी और अवंतिस्ववरा मंदिर के पुनरोद्धार का काम चल रहा है। अनंतनाग जिले में एएसआई द्वारा संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर में मई 2022 में सुबह 100 से अधिक तीर्थयात्रियों ने कुछ घंटों तक पूजा-अर्चना की। इस कार्यक्रम के जरिए सूर्य मंदिर में पहली बार शंकराचार्य जयंती मनाई गई। कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी के इस मंदिर को सिकंदर शाह मिरी के शासन के दौरान 1389 और 1413 के बीच नष्ट कर दिया गया था।

9. पीएम मोदी की पहल से चार धाम परियोजना का विकास
मोदी सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड के लिए चार धाम परियोजना शुरू की है। केदारनाथ बद्रीनाथ की यमुनोत्री और गंगोत्री के चारधाम परियोजना- रणनीतिक रूप से बेहद अहम माने जाने वाली 900 किलोमीटर लंबी इस सड़क परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चारों धामों के लिए हर मौसम में सुलभ और सुविधाजनक रास्ता देना है। चारधाम परियोजना एक तरह से ऑल वेदर रोड परियोजना है, जो उत्तराखंड में केवल चार धामों को जोड़ने की परियोजना भर नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है। इसके जरिए उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही पड़ोसी चालबाज देश चीन को चुनौती देने के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण है। इसके अलावा ऋषिकेश को रेल मार्ग से कर्णप्रयाग से जोड़ने का काम चल रहा है। ये रेलवे लाइन 2025 से शुरू हो जाएगी।

10. हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी 2022 को हैदराबाद में 11वीं सदी के हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में बनी 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का उद्घाटन किया था। इस प्रतिमा में 120 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रूपए है। यह 45 एकड़ जमीन पर बना है। मंदिर परिसर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन का निर्माण कराया गया है।

पीएम मोदी के नेतृत्व में दुनियाभर में सनातन संस्कृति का डंका खूब बज रहा है। इस पर एक नजर-

बहरीन में बन रहा भव्‍य मंदिर
यूएई के बाद एक और खाड़ी देश बहरीन में मंदिर बनने जा रहा है। ये मंदिर भी अबू धाबी के मंदिर की तरह विशाल होगा और इसे भी बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी बीएपीएस भी बनाने जा रहा है। 1 फरवरी 2022 को, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने घोषणा की थी कि बहरीन साम्राज्य के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री, प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा ने बहरीन में स्वामीनारायण हिंदू मंदिर बनाने के लिए जमीन आवंटित की है। अब खबर आई है कि इस मंदिर के निर्माण शुरू करने की सारी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई हैं।

अमेरिका में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मंदिर का लोकार्पण
हिंदू धर्म के भक्तों और कला और संस्कृति के प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब अमेरिका के न्यू जर्सी के रॉबिन्सविले टाउनशिप में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को हुआ। भारत के बाहर निर्मित यह दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में एक है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लगभग 90 किमी दक्षिण में या वाशिंगटन डीसी से लगभग 289 किमी दूर उत्तर में, न्यू जर्सी के छोटे रॉबिन्सविले टाउनशिप में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंद‍िर को 12,500 से अधिक वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया है। भारत के बाहर निर्मित यह मंदिर, कंबोडिया में अंगकोर वाट के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनने की ओर अग्रसर है।

हिंदू धर्म ने ही मुझे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया
भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम में हिंदू धर्म की खूबियों के बारे में बात की है और कहा है कि हमारा धर्म हमें सभी में समानता सिखाता है। द डेली सिग्नल द्वारा आयोजित एक टॉक शो में विवेक ने कहा कि हिंदू धर्म ने ही मुझे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया है और आज मैं इसी वजह से चुनाव में हूं। मेरे धर्म ने मुझे धैर्य सिखाया है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म ने मुझे नैतिक दायित्वों को समझने की स्वतंत्रता प्रदान की। रामास्वामी ने कहा कि मैं एक हिंदू हूं, मैं एक सच्चे ईश्वर में विश्वास रखता हूं। मेरा मानना है कि ईश्वर ने हम सभी को यहां पर एक खास उद्देश्य के लिए भेजा है। इसी उद्देश्य को साकार करना ही हमारा नैतिक कर्तव्य है। विवेक ने कहा कि हिंदू धर्म में हमें सिखाया है कि हम सभी में ईश्वर हैं, इसलिए हम सभी एक समान हैं। यह हमारे धर्म का मूल है।

ऋषि सुनक ने लगाया ‘जय सियाराम’ का जयकारा
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने 15 अगस्त, 2023 को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में मोरारी बापू की रामकथा में हिस्सा लिया और ‘जय सिया राम’ का जयकारा लगाया। पीएम सुनक ने मोरारी बापू को शॉल पहनाकर अभिवादन भी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में मोरारी बापू की रामकथा में उपस्थित होना वास्तव में सम्मान और खुशी की बात है। बापू, मैं आज यहां एक प्रधानमंत्री के रूप में नहीं बल्कि एक हिंदू के रूप में शामिल हुआ हूं। सुनक ने कहा कि आस्था मेरे लिए काफी निजी मामला है। ये मेरे जीवन के हर पहलू में मेरा मार्गदर्शन करती है।

पीएम मोदी ने कोणार्क चक्र के सामने किया विश्व वर्ल्ड लीडर्स का स्वागत
देश की राजधानी दिल्‍ली में 9 सितंबर 2023 को जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रगति मैदान के भारत मंडपम में सभी जी-20 नेताओं और प्रतिनिधियों का जिस स्‍थान पर हाथ मिलाकर स्‍वागत किया, वहां पीछे एक बड़ा-सा चक्र बना हुआ था। ये बेहद खास चक्र है, जिसका नाम ‘कोणार्क चक्र’ है। ओडिशा के कोणार्क चक्र को 13वीं शताब्दी के दौरान राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में बनाया गया था। कोणार्क चक्र वही चक्र है, जो भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज में नजर आता है। 24 तीलियों वाले कोणार्क चक्र को भारत के राष्ट्रीय ध्वज में रूपांतरित किया गया, जो भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है। समय हमेशा एक सा नहीं रहता, ये बदलता रहता है। कोणार्क चक्र इस समय का ही प्रतीक है, जो कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और परिवर्तन को दर्शाता है।

विदेशी मेहमान सनातन संस्कृति के दर्शन कर हुए मोहित 
दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन इस बार सनातन संस्कृति की छाया में हुआ। आजादी के बाद पहली बार देश में इतना बड़ा आयोजन हुआ। इसी भाव को दृष्टिगत रखते हुए शिखर सम्मेलन स्थल पर भगवान शिव की 28 फीट ऊंची ‘नटराज‘ प्रतिमा को प्रतीक रूप में स्थापित किया गया। इस प्रतिमा में शिव के तीन प्रतीक-रूप परिलक्षित हैं। ये उनकी सृजन यानी कल्याण और संहार अर्थात विनाश की ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक हैं। अष्टधातु की यह प्रतिमा प्रगति मैदान में ‘भारत मंडपम्’ के द्वार पर लगाई गई है। इस प्रतिमा की आत्मा में सार्वभौमिक स्तर पर सर्व-कल्याण का संदेश अंतर्निहित है। इसे देखकर विदेशी मेहमान भी मोहित हो गए। 

मेहमान कर रहे रामायण, महाभारत, विष्णु अवतार के दर्शन
जी-20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए आए मेहमानों के स्वागत के लिए समूचे नयी दिल्ली क्षेत्र को विशेष रूप से सजाया-संवारा गया। दिल्ली की सड़कों पर हर तरफ वॉल पेंटिंग्स बनाई गई, जहां से डेलीगेट्स के काफिलों को गुजरना है। ये कलाकृतियां भैरो मार्ग रेलवे ब्रिज के नीचे दीवारों पर बनाई गई थीं। इसमें रामायण, महाभारत और विष्णु अवतार के भव्य रूप को दर्शाया गया। विभिन्न राज्यों के पारंपरिक नृत्य कला, चित्रकारी की झलक भी इसमें है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी शाश्वत दर्शन से भारतीय संस्कृति के दो सनातन शब्द लेकर ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के विचार को सम्मेलन शुरू होने के पूर्व प्रचारित करते हुए कहा कि ‘पूरी दुनिया एक परिवार है।’ यह ऐसा सर्वव्यापी और सर्वकालिक दृष्टिकोण है, जो हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक ऐसा परिवार जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन नहीं है।

 

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