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जो हमें आतंकी हमलों के जख्म देते थे, उनकी हालत आज दुनिया देख रही है- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जो हमें आतंकी हमलों के जख्म देते थे, उनकी हालत आज दुनिया देख रही है। बुधवार 20 मार्च को नई दिल्ली में न्यूज 18 के खास कार्यक्रम राइजिंग भारत समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंक के सरगना हों या विकास और शांति का चाहत रखने वाले देश हों, सबने राइजिंग भारत अनुभव किया है। ये नया भारत आतंक के जख्म को नहीं सहता है, बल्कि आतंक के जख्म देने वाले को पूरी ताकत से सबक भी सिखाता है। जो हमें आंतकी हमलों के जख्म देते थे, उनकी क्या हालत है देशवासी भी देख रहे हैं और दुनिया भी देख रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चुनाव का मौसम है, चुनाव की सरगर्मी बिल्‍कुल सर पर है। तारीखों का ऐलान भी हो चुका है। आपकी समिट में भी कई लोगों ने अपने विचार रखे हैं। डिबेट का माहौल बना हुआ है और मैं मानता हूं कि लोकतंत्र की यही खूबसूरती है। देश में भी चुनाव प्रचार धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है। सरकार अपने 10 साल के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड रख रही है। हम अगले 25 साल का रोडमैप बना रहे हैं और अपने तीसरे टर्म के पहले 100 दिन का प्‍लान भी बना रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि दूसरी तरफ हमारे जो विरोधी हैं। वह भी नए कीर्तिमान बना रहे हैं। आज ही उन्‍होंने मोदी को 104वीं गाली दी है। औरंगजेब कह कर नवाजा गया है। मोदी की खोपड़ी उड़ाने का ऐलान किया गया है। इन सब पॉजिटिव, निगेटिव बातों के बीच दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्‍शन जारी है। 2600 से ज्‍यादा पॉलिटिकल पार्टियां, करीब 97 करोड़ मतदाता, करीब दो करोड़ फर्स्‍ट टाइम वोटर लोकतंत्र के इस पर्व में हिस्‍सा लेने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया 21वीं सदी को भारत की सदी कहती है। बड़ी-बड़ी रेटिंग एजेंसी, बडे़-बड़े अर्थशास्‍त्री, बड़े-बड़े जानकार राइजिंग भारत को लेकर बहुत आश्‍वस्‍त हैं। इन लोगों के मन में कोई इफ नहीं है, कोई बट नहीं है, नो इफ नो बट। आखिर ऐसा क्‍यों है? कोई सवालिया निशान नहीं, ऐसा क्‍यों है? ऐसा इसलिए है, क्‍यूंकि पूरी दुनिया आज यह देख रही है, पिछले दस साल में भारत ने कितने बड़े परिवर्तन किए हैं। आजादी के बाद से जो सिस्‍टम बना, जो वर्क कल्‍चर बना, उस सिस्‍टम में ट्रांसफार्मेशन लाना, इतना आसान नहीं था। लेकिन यह हुआ है और यह हम भारतीयों ने ही करके दिखाया है। आज भारत का कांफिडेस लेबल हर भारतीय की बातों में झलकता है। हम विकसित भारत की बात कर रहे हैं। आज हम आत्‍मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं। लोग चाहे विपक्ष में हों, देश के भीतर हों, या देश के बाहर हों। सब भारत की उपलब्धियां देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सिर्फ दस साल में 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना, क्‍या यह ऐसे ही हो गया होगा क्‍या? सिर्फ 10 साल में भारत का 11वें नंबर से 5 पांचवे नंबर की इकॉनोमी बन जाना, क्‍या ऐसे ही हुआ होगा क्‍या? सिर्फ दस साल में भारत का फॉरेक्‍स‍ रिजर्व बढ़कर के 700 बिलियन डॉलर के पार पहुंच जाना, क्‍या ऐसे ही हो गया होगा क्‍या? सिर्फ 10 साल में भारत का एक्‍सपोर्ट 700 बिलियन डॉलर पार कर जाना क्‍या ऐसे ही हुआ होगा क्‍या? और यह तो अभी कुछ भी नहीं है, अभी तो और भी आगे जाना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप जानते हैं हमारे यहां सरकारों में ब्‍यूरोक्रेसी में काम कैसे होता रहा है। फिर वो एक फैक्‍टर क्‍या था, जिसकी वजह से यह बदलाव आया। वह एक फैक्‍टर है, नीयत। नीयत सही तो काम सही। और नीयत कौन सी, नेशन फर्स्‍ट की नीयत। मेरे देश में कोई कमी नहीं है कि उसकी पहचान गरीब देश के रूप में हो। हम दुनिया के सबसे युवा देश हैं। एक समय में हम ज्ञान में, विज्ञान में, सबसे आगे रहे हैं। दुनिया की कोई वजह नहीं है कि भारत किसी भी देश से पीछे रहे। बस हमें नेशन फर्स्‍ट की नीयत के साथ आगे चलना है। यह देश जो हमें इतना कुछ देता है, हम उसमें सिर्फ रहते हैं, या देश के लिए कुछ अलग करते भी हैं। यह फर्क बहुत बारीक है। लेकिन बारीक का फर्क ही देश को आगे ले जाता है।

उन्होंने कहा कि जिस दिन आप अपने काम को देश के साथ जेाड़ लेंगे, आप जो कुछ भी हैं, आप डॉक्‍टर हैं, इंजीनियर हैं, स्‍टार्टअप शुरू कर रहे हैं, जिस दिन आप अपने काम को देश के लक्ष्‍यों के साथ में जोड़ लेंगे, तो समझ लीजिएगा नेशन फर्स्‍ट का बीज आपमें अंकुरित हो गया है। यही नेशन फर्स्‍ट का बीज आज सरकार में, सिस्‍टम में, हर व्‍यवस्‍था में, व्‍यक्ति में, देश के कोने कोने में, राइजिंग भारत का आधार बन रहा है। सिर्फ अपने लिए ही जिए, सिर्फ अपने लिए जिए तो क्‍या जिए. जीना है तो देश के लिए, मरना है तो देश के लिए।

राइजिंग भारत समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2014 से पहले घर-घर में भ्रष्‍टाचार बड़ा मुद्दा था। देश की साख गिर रही थी। लेकिन तब की सरकार झूठे तर्कों के आधार पर अपने घोटालों को डिफेंड करने में जुटी रहती थी। आज स्थित एकदम अलग है। आज सरकार भ्रष्‍टाचार पर कड़े एक्‍शन ले रही है। और भ्रष्‍टाचारी झूठ बोल-बोल कर खुद बचाव की मुद्रा में हैं। तब देश पूछता था कि पॉवरफुल लोगों पर ईडी सीबीआई जैसी एजेंसियां एक्‍शन क्‍यूं नहीं लेती है। आज पॉवरफुल और भ्रष्‍ट लोग पूछ रहे हैं कि एजेंसियां उन पर एक्‍शन क्‍यों ले रही हैं। यह अंतर दस सालों में आया है। बात वही है, नीयत सही तो काम सही। करप्‍शन पर कार्रवाई, यह मेरा कमिटमेंट है। मारे देश में भ्रष्‍टाचार इसलिए भी अधिक था, क्‍यों सरकारी दफ्तर सर्विस सेंटर बनने की बजाय पॉवर सेंटर बन गए थे। हर काम के लिए देशवासियों को सरकारी दफ्तर के चक्‍कर लगाने पड़ते थे।

उन्होंने कहा कि हमने सरकारी दफ्तरों को सत्‍ता की बजाय सेवा का केंद्र बनाया। सरकारी सेवाएं ज्‍यादा से ज्‍यादा फेसलेस हों, बिल से लेकर टैक्‍स जमा करने तक की अधिकतर सेवाएं हों, हमने इसका प्रयास किया। आज सरकार की ज्‍यादातर खरीद जैम पोर्टल के माध्‍यम से होती है। अब सरकार के टेंडर ऑनलाइन होते हैं। आज भ्रष्‍टाचारियों की धरपकड़ आसान हुई है, आज मनी ट्रेल को छिपाना और छिपाना और कैश छिपाना दोनों मुश्किल होते जा रहे हैं। और इसलिए कभी किसी सरकारी बाबू के घर से बिस्‍तर से, दीवारों से नोटों की गड्डियां निकलती हैं। कभी किसी कांग्रेस के सांसद के घर से करोंड़ों रुपये के ढेर निकलते हैं। कभी किसी टीएमसी के सांसद के घर से नोटों के ढेर निकलते हैं। इसलिए चारों तरफ बौखलाहट नजर आती है। बिलबिलाए हुए हैं और यह सब होता क्‍यों है। बात वही है कि नीयत सही तो काम सही।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपमें जो सीनियर है उसने वह दिन भी देखे हैं, जब देश के प्रधानमंत्री ने कहा था कि दिल्‍ली से एक रुपया भेजता हूं तो 15 पैसा गरीब के घर तक पहुंचता है। यानी सरकारी खजाने से पैसा निकल रहा था, लेकिन वह किसी और की जेब में जा रहा था। यह ऐसा भ्रष्‍टाचार था जो सीधे सामान्‍य जन को प्रभावित करता था। मनरेगा का पैसा सरकारी खजाने से निकलता था, लेकिन मजदूर को मजदूरी नहीं मिलती थी। गैस की सब्सिडी किसी और के खाते में पहुंच जाती थी। अपनी स्‍कॉलरशिप पाने के लिए भी रिश्‍वत खिलानी पड़ती थी। दस साल पहले तक जो सरकार में थे, उनको ये सूट करता था, उनकी राजनीति को यह सूट करता था। लेकिन साथियों हमने सरकारी खजाने की इस लूट को पूरी तरह से बंद कर दिया।

समिट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमने जनधन आधार और मोबाइल की त्रिशक्ति बनाई। हमने डायरेक्‍ट बेनिफिट ट्रांसफर डीबीटी के माध्‍यम से 34 लाख करोड़ सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में पहुंचाए हैं। अगर पहले वाला हाल होता, एक पैसे और 15 पैसे वाले थ्‍योरी होती तो 27 -28 लाख करोड़ रुपए गरीबों तक कभी पहुंचते ही नहीं। कहीं और चले जाते। 27 -28 लाख करोड़ अलग-अलग योजनाओं के करीब दस करोड़ फर्जी लाभार्थी, वो लोग जिनका कभी जन्‍म नहीं हुआ था, लेकिन कागजों पर वह जिंदा थे। योजनाओं के हकदार बन गए थे।

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