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जानिए कैस यूपीए सरकार के दौरान 35 से 71 रुपये पहुंचे पेट्रोल के दाम, डीजल की कीमत में भी हुई ढाई गुनी बढ़ोतरी

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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ कांग्रेस देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है। वहीं कांग्रेस चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी एक वीडियो मैसेज पोस्ट कर लोगों से पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भड़काने की कोशिश की है। कांग्रेस का आरोप है कि कोरोना संकट के दौरान परेशान आम लोगों पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से दोहरी मार पड़ रही है। इस समय कांग्रेस पेट्रोल और डीजल को सियासी हथियार बना कर बीजेपी को घेरना चाहती है। लेकिन कांग्रेस को शायद अपना कार्यकाल याद नहीं है। आइए आपको बताते हैं किस तरह मोदी सरकार की तुलना में यूपीए सरकार के दौरान पेट्रोल और डीजल के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई थी। 

यूपीए सरकार में जून 2004 में 35.71 रुपये प्रति लीटर था पेट्रोल
2004 से लेकर 2014 तक दस वर्षों तक देश में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यूपीए की सरकार रही, लेकिन अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह भी पेट्रोल की कीमतों पर लगाम नहीं लगा सके। इन दस वर्षों में पेट्रोल के दाम में दोगुनी बढ़ोतरी हुई। जून 2004 में पेट्रोल की कीमत 35.71 रुपये थी, जो मई 2014 में बढ़कर 71.52 रुपये प्रतिलीटर पहुंच गई। यानि यूपीए के कार्यकाल में पेट्रोल के दामों में करीब 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

यूपीए सरकार : दस साल में 35.8 रुपये बढ़े पेट्रोल के दाम 

वर्ष पेट्रोल के दाम प्रति लीटर (रुपये में)
2004 (जून) 35.71
2006 47
2010 51
2012 65
2013 76.06
2014 (मई) 71.52
प्रति वर्ष 3.5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी

मोदी सरकार के 6 साल में सिर्फ 4 रुपये प्रति लीटर बढ़े दाम
आपने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान पेट्रोल के दामों में बेतहाशा वृद्धि तो देख ली। अब आपको बताते हैं मोदी सरकार के छह वर्ष में पेट्रोल के कीमतों में कितनी वृद्ध हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली थी तब दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71.52 रुपये प्रतिलीटर थी और आज 6 साल बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम 75.78 रुपये प्रति लीटर है। यानी 6 वर्षों में सिर्फ 4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।

मोदी सरकार के 6 वर्ष में 4 रुपये बढ़े पेट्रोल के दाम
वर्ष पेट्रोल के दाम प्रति लीटर (रुपये में)
2014 (मई) 71.52
2020 (जून) 75.78
प्रति वर्ष सिर्फ 70 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी

इन आंकड़ों से पता चलता है कि मोदी सरकार पेट्रोल के दामों को नियंत्रित रखने में कामयाब रही है, अगर इन 6 वर्षों में भी यूपीए सरकार की तरह पेट्रोल के दाम बढ़ाए जाते तो आज पेट्रोल की कीमत दोगुनी यानि 150 रुपये के करीब होती।

यूपीए सरकार के दौरान डीजल के दाम में ढाई गुनी बढ़ोतरी 

यूपीए शासन के दौरान पेट्रोल की तरह डीजल में भी आग लगी थी। दस साल में डीजल की कीमत में ढा़ई गुनी बढ़ोतरी हुई। जहां जून 2004 में डीजल की कीमत 22.74 रुपये थी, वहीं मई 2014 में बढ़कर 55.47 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई। 

यूपीए सरकार के 10 वर्ष में 32.73 रुपये बढ़े डीजल के दाम
वर्ष डीजल के दाम प्रति लीटर (रुपये में)
2004 (जून) 22.74
2014 (मई) 55.47
प्रति वर्ष 3.2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी

मोदी सरकार में डीजल के दाम में 19 रुपये की बढ़ोत्तरी

यूपीए और मोदी सरकार में डीजल की कीमत की तुलना करें, तो पाते हैं कि मोदी सरकार में प्रति वर्ष डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी यूपीए सरकार की तुलना में कम है। जहां यूपीए सरकार के दस साल में डीजल की कीमतों में प्रति वर्ष 3.2 रुपये की बढ़ोतरी हुई, वहीं मोदी सरकार के 6 साल में प्रति वर्ष 3.1 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। मोदी सरकार में मई 2014 में डीजल 55.47 रुपये प्रति लीटर था, जो जून 2020 में बढ़कर 74.04 रुपये प्रति लीटर हो गया।

मोदी सरकार के 6 वर्ष में 19 रुपये बढ़े डीजल के दाम
वर्ष डीजल के दाम प्रति लीटर (रुपये में)
2014 (मई) 55.47
2020 (जून) 74.04
प्रति वर्ष सिर्फ 3.1 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी

 

अब सरकार के हाथ में नहीं पेट्रोल-डीजल के दाम
अब देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है और यह पूरी तरह से पेट्रोलियम कंपनियों की तरफ से निर्धारित किया जाता है। ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमत को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है।

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