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गुजरात की जनता ने रेवड़ी कल्चर को नकारा, केजरीवाल सरकार बनाने वाले थे, AAP के तीनों रत्न इसुदान, गोपाल इटालिया और अल्पेश चुनाव हारे

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गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद एक बात साबित हो गई कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की फ्री रेवड़ी को गुजरात की जनता ने नकार दिया है। गुजरात जिस समृद्धि के लिए जाना जाता है वह खून-पसीने की मेहनत से आता है, इसे गुजरात की जनता बखूबी समझती है। गुजरात के लोगों को रेवड़ी का झांसा देकर सरकार बनाने की मंशा पाले केजरीवाल के अरमानों पर जनता ने पानी फेर दिया है। केजरीवाल ने अपने सीएम उम्मीदवार इसुदान गढ़वी, प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और अल्पेश कथीरिया के जीतने का दावा किया था और इस बारे में लिखकर दिया था कि वे भारी मार्जिन से जीतेंगे। ये तीनों उम्मीदवार जीत तो नहीं सके लेकिन भारी मार्जिन से हारने का रिकार्ड जरूर बनाया। केजरीवाल ने गुजरात चुनाव जीतने के लिए क्या-क्या जतन नहीं किए। फ्री की रेवड़ी और पीएम मोदी को अपशब्द कहने से लेकर रुपये पर लक्ष्मी-गणेश की फोटो की मांग वाली चाल भी चली, लेकिन गुजरात की जनता ने उनकी मंशा को भांप लिया और चाल में नहीं फंसी। यह बात चुनाव प्रचार के दौरान ही साफ हो गई थी जब कई टीवी चैनलों ने आम लोगों से बातचीत करते हुए फ्री बिजली-पानी के बावत पूछा तो जनता ने साफ कर दिया था कि उन्हें फ्री का कुछ नहीं चाहिए। गुजरात के चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी ने सभी रिकार्ड तोड़ते हुए 156 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस 17, आम आदमी पार्टी 5, निर्दलीय 3 और समाजवादी पार्ट ने 1 सीट पर जीत दर्ज की है। सबसे बड़ी बात यह है कि भाजपा ने 1995 से राज्य में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हारा है। गुजरात में 27 सालों के शासन के बाद बीजेपी का ऐसा विराट प्रदर्शन देश के चुनाव इतिहास का सबसे अनूठा चुनाव है जो राजनीतिक शोध का सालों तक दिलचस्प विषय बनेगा।

आम आदमी पार्टी के वे प्रमुख उम्मीदवार जिनकी जीत के दावे अरविंद केजरीवाल ने किए थे-

खंभालिया सीट: इसुदान गढ़वी

आम आदमी पार्टी ने खंभालिया सीट से सीएम चेहरे के प्रत्याशी इसुदान गढ़वी को चुनावी मैदान में उतारा था। जिनका सीधा मुकाबला कांग्रेस के विक्रम मदाम और बीजेपी के मुलुभाई बेरा से था। यहां इसुदान गढ़वी बीजेपी के मुलुभाई बेरा से करीब 19 हजार के मार्जिन से चुनाव हार गए।

कतारगाम सीट: गोपाल इटालिया

पूर्व में कांस्टेबल और क्लर्क की नौकरी कर चुके गोपाल इटालिया आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पाटीदार बहुल वाली कतारगाम सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के वीनू मोरडिया और कांग्रेस के कल्पेश वारिया से था। बीजेपी के उम्मीदवार से गोपाल इटालिया लगभग 65 हजार वोटों से हार गए।

वराछा सीट: अल्पेश कथीरिया

पाटीदारों का गढ़ मानी जाने वाली वराछा सीट पर पाटीदार आंदोलन के प्रमुख चेहरे अल्पेश कथीरिया को आम आदमी पार्टी ने उतारा था तो बीजेपी से पूर्व मंत्री किशोर कनाणी और कांग्रेस से प्रफुल्ल तोगड़िया मैदान में थे। पाटीदार बहुल सीट पर बीजेपी लगातार जीत दर्ज कर रही है। किशोर कनाणी बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं। यहां बीजेपी उम्मीदवार ने AAP नेता अल्पेश कथीरिया को करीब 17 हजार वोटों से हराया।

अर्बन नक्सल इसुदान गढ़वी को केजरीवाल ने बनाया AAP का मुख्यमंत्री उम्मीदवार

दिल्ली में आम आदमी पार्टी का शराब प्रेम जगजाहिर है। दिल्ली मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ शराब घोटाले में जांच चल रही है। वहीं ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी का सीएम फेस बनने के लिए शराब प्रेमी होना पहली योग्यता है! तभी तो पंजाब में शराब पीकर कई बार नौटंकी कर चुके भगवंत मान को आप संयोजक केजरीवाल ने सीएम पद के योग्य पाया। उसके बाद गुजरात में भी केजरीवाल ने ऐसे ही शराब प्रेमी को आम आदमी पार्टी की ओर से सीएम का चेहरा बनाया। केजरीवाल के ये अनमोल रत्न हैं इसुदान गढ़वी…इनकी हरकतों का इसी से अंदाजा हो जाता है कि अर्बन नक्सल गढ़वी ड्राई स्टेट गुजरात में शराब पीकर हंगामा करने के कारण गिरफ्तार तक हो चुके हैं। केजरीवाल ने गुजरात के लिए इसी इसुदान गढ़वी को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। गढ़वी के ऊपर शराब पीकर छेड़खानी करने के भी आरोप लग चुके हैं।

गोपाल इटालिया ने पीएम मोदी और हिंदू धर्म के लिए जहर उगला

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी के खिलाफ जहर उगलते ही रहे हैं वहीं उनके करीबी और गुजरात AAP के अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने तो गुजरात चुनाव के दौरान सारी हदें पार कर पीएम नरेंद्र मोदी को ‘नीच किस्म का आदमी’ तक कह डाला और वे यहीं नहीं रुके उन्होंने पीएम मोदी की मां के लिए भी अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। अब इससे पीएम मोदी को चाहने वाली गुजरात एवं देश की जनता खासी नाराज हो गई। केजरीवाल और उनके करीबी ने कई अवसरों पर पीएम मोदी और बीजेपी के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। अब चुनाव परिणाम में भी उसकी झलक साफ देखी जा सकती है। गोपाल इटालिया ने एक वीडियो में कहा था- ‘‘आप ‘नीच’ नरेंद्र मोदी को उनकी जनसभाओं के खर्च सार्वजनिक करने को क्यों नहीं कहते। और उनकी मां हीराबा भी नाटक कर रही हैं। मोदी 70 साल के करीब हैं, वहीं हीराबा जल्द 100 साल की होंगी, फिर भी दोनों की नौटंकी चालू है।” हिन्दू मान्यताओं का अपमान करते हुए इटालिया ने कहा था कि जो इन सत्संग और कथा में शामिल होते हैं वो हिजड़ों के जैसे तालियां बजाते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे ऐसे लोगों पर शर्म आती है। जो मैं कहता हूं वह आपको अगर अच्छा न लगे तो मुझे ब्लॉक कर दीजिए। लेकिन हमें उनकी जरूरत नहीं है जो संस्कृति और प्रथाओं के नाम पर हिजड़ों की तरह ताली बजाते हैं। कुछ साधु स्टेज से फालतू बातें करेंगे और हम हिंजड़ों की तरह ताली बजाएंगे।”

गुजरात चुनाव में केजरीवाल का था छुपा एजेंडा, टिकट बेचकर पैसे बनाना

गुजरात में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का छुपा हुआ एजेंडा था। केजरीवाल जहां एक ओर विधानसभा चुनाव में टिकट बेचकर पैसा जुटाना चाहते थे वहीं उनका लक्ष्य 6 प्रतिशत वोट लाकर राष्ट्रीय पार्टी बनना था। जिससे आगे चलकर लोकसभा चुनाव एवं अन्य विधानसभा चुनावों में मोटा धन उगाही करने में आसानी रहे। यानी उनको पता था कि गुजरात चुनाव वह जीत नहीं सकते लेकिन माहौल ऐसा बनाना है कि वह चुनाव जीत रहे हैं। इसके लिए उन्होंने चुनाव प्रचार से लेकर मीडिया का भरपूर प्रयोग किया। जिस केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के दौरान कभी मीडिया को भला-बुरा कहा आज वही मीडिया उनके इशारों पर नाच रही है और यह सब पैसे की ताकत से हो रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से निकले केजरीवाल पैसे की ताकत समझ चुके हैं और इसीलिए आज उनके ज्यादातर मंत्री व विधायक भ्रष्टाचार में फंसे हुए हैं। एक एजेंडा यह भी है कि अगर उन्हें राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो जाता है तो वह अपने को विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश कर सकेंगे।

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