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एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना : ‘भारत’ ब्रांड नाम से बिकेंगे सभी उर्वरक, कंपनियों की मनमानी से मिलेगी आजादी, किसानों को उर्वरक सब्सिडी का संदेश देने की कोशिश

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मोदी सरकार उर्वरक उत्पाद के क्षेत्र में ‘एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना’ लागू करने जा रही है। इसी योजना के तहत देश में 2 अक्‍टूबर, 2022 से सभी तरह के उर्वरक एक ही ब्रांड नाम ‘भारत’ से बिकेंगे। देश भर में फर्टिलाइजर ब्रांड्स में समानता लाने के लिए सरकार यह योजना लाई है। सरकार ने आदेश जारी कर सभी कंपनियों को अपने उत्पादों को ‘भारत’ नाम के सिंगल ब्रांड नाम से बेचने का आदेश दिया है।

इस योजना के तहत कंपनियों को अपने उर्वरक उत्‍पादों को न केवल भारत ब्रांड नाम देना होगा, बल्कि प्रधानमंत्री भारतीय जनउर्वरक परियोजना (पीएमबीजेपी) का लोगो भी बैग पर लगाना होगा। इसी परियोजना के तहत सरकार उर्वरक पर सब्सिडी मुहैया कराती है। उर्वरक बैग पर कंपनी का नाम काफी छोटे शब्‍दों में लिखना होगा। सरकार ने अपने आदेश में कहा कि उर्वरक कंपनियां 15 सितंबर के बाद पुराने बैग नहीं खरीद सकेंगी। कंपनियों को पुराने डिजाइन के बैग बाजार से वापस लेने के लिए 12 दिसंबर तक का समय दिया गया है।

इस योजना के लागू होने के बाद सभी तरह के उर्वरक जैसे यूरिया, डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), म्यूरेट ऑफ पोटास (MOP) और एनपीके सहित सभी फर्टिलाइजर भारत ब्रांड से ही बिकेंगे। 2 अक्‍टूबर से ये ‘भारत यूरिया’, ‘भारत DAP’, ‘भारत MOP’ और ‘भारत NPK’ के नाम से बाजार में उपलब्‍ध होंगे। प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर, दोनों तरह की कंपनियों को अपने उत्‍पाद को भारत ब्रांड नाम देना होगा।

एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना का उद्देश्य उर्वरक उत्पादन के क्षेत्र में ‘भारत’ ब्रांड नाम को एक नई पहचान देना है। साथ ही सरकार का मानना है कि किसानों को अलग-अलग ब्रांड के उर्वरक चुनने के झमेलें से आजादी मिलेगी। इसके साथ ही उर्वरकों की इधर-उधर की आवाजाही को रोकने में मदद मिलेगी। ब्रांड प्रीफरेंस और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए यूरिया के डायवर्जन पर रोक लगेगी, इस तरह माल ढुलाई की लागत में कमी आयेगी।

केंद्र सरकार भारी मात्रा में उर्वरक सब्सिडी देती है। 2022-23 में उर्वरक सब्सिडी 2 लाख करोड़ रुपये को पार करने की संभावना है। इतनी मात्रा में खर्च करने के बावजूद किसानों को पता नहीं होता है कि सरकार उर्वरक पर खर्च करती है या नहीं। क्योंकि सरकार की तरफ से सब्सिडी उर्वरक उत्पादन करने वाली कंपनियों को मिलता है। ऐसे में उर्वरक सब्सिडी का क्रेडिट लेने के लिए सरकार किसानों को स्पष्ट संदेश देना चाहती है।

गौरतलब है कि उर्वरक उत्पादन करने वाली कंपनियां अलग अलग ब्रांडिंग से किसानों को फर्जिटलाइजर की ब्रिक्री करती हैं। वहीं यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य वर्तमान में सरकार द्वारा तय किया जाता है, जो कंपनियों को उनके द्वारा किए गए विनिर्माण या आयात की उच्च लागत के लिए क्षतिपूर्ति करता है। उर्वरक (मूवमेंट) नियंत्रण आदेश, 1973 के आधार पर, मूल्य नियंत्रण, सब्सिडी के अतिरिक्त सरकार यह भी तय करती है कि उर्वरक को कहा बेचा जाये। इससे कंपनियों के मन माना रवैये से आजादी मिलेगी।

 

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