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तीनों सेना की परंपरा के अनुरूप सम्मान के साथ सैल्यूट करने वाले देश के इकलौते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  

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तीनों सेना की परंपराओं और प्रक्रिया के साथ गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान पूरे सम्मान के साथ सैल्यूट करने वाले नरेंद्र मोदी अभी तक देश के इकलौते प्रधानमंत्री हैं। जिस सम्मान और प्रतिबद्धता के साथ सेना की प्रक्रियाओं और परंपराओं को प्रधानमंत्री निभाते हैं उतनी प्रतिबद्धता के साथ कोई और प्रधानमंत्री ने कभी नहीं निभाया है।  यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि इसका मतलब यह नहीं है कि किसी और प्रधानमंत्री ने ऐसा कर देश या तिरंगे का अपमान किया है। यहां बात सिर्फ प्रतिबद्धता के साथ अपने देश, देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा और देश की रक्षा करने वाली तीनों सेना के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का है। हम सभी जानते हैं कि देश का प्रतीक तिरंगा हो या फिर सेना, जब हम उन्हें सैल्यूट करते हैं तो वह प्रतीकात्मक नहीं होता है। बल्कि सैल्यूट करने का एक निश्चित विधान होता है, नियम होता है उसका एक तरीका होता है, उसकी अपनी परंपरा होती है। और इस परंपरा और नियम को सबसे बखूबी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निभा रहे हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष अवसर पर तीनों सेना की परंपरा के अनुरूप उन्हें सैल्यूट कर विशेष रूप से एक उदाहरण स्थापित किया है। इससे यह तो स्पष्ट हो जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में तिरंगे का सम्मान, देश का सम्मान तथा देश की तीनों सेना के प्रति कितना आदर और सम्मान का भाव है।

सेना के तीनों अंगों को अलग-अलग से करते हैं सैल्यूट 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन तीनों तस्वीर को गौर से देखिए। मोटे तौर पर अगर आप सैल्यूट करने का मामले में जाइएगा तो परंपराओं को निभाने के हिसाब से बिल्कुल बारीकी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही ऐसे प्रधानमंत्री दिखते हैं जो हर बार गार्ड ऑफ ऑनर की जो परंपरा है तरीका है उसके हिसाब से सैल्यूट करते हैं। नेवी के गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान उनकी परंपरा का पालन करते दिखते हैं। जब आर्मी का गार्ड ऑफ ऑनर होता है तो उस समय उसके तरीके से सैल्यूट करते हैं और जब एयरफोर्स के जवान गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं तो फिर उनकी परंपरा को निभाते दिखते हैं। कहने का मतलब यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो हर फोर्स की परंपरा और प्रक्रिया के अनुरूप गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान जवानों को सैल्यूट करते आए हैं। इससे पहले कभी कोई ऐसा प्रधानमंत्री नहीं हुआ जो इस प्रकार के अनुशासन और संकल्प के साथ अपना कर्तव्य निभाए हों।

आर्मी, नेवी और और एयरफोर्स के सैल्यूट के तरीके 

अब आप सेना के तीन अंगों के प्रमुखों को सैल्यूट करते देखिए। जिस प्रकार देश की जल सेना प्रमुख अलग प्रकार से सैल्यूट करते दिखाई देते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उसी प्रकार उन्हें सैल्यूट करते हैं। भारतीय थल सेना प्रमुख जिस प्रकार सैल्यूट करते हैं मोदी भी उसी प्रकार और उसी अंदाज में सैल्यूट करते हैं और जब वायु सेना जिस प्रकार सैल्यूट करती है तो पीएम मोदी उनके सम्मान में उसी प्रकार सैल्यूट करते हैं। ध्यान रहे कि इससे पहले कभी किसी प्रधानमंत्री को इस प्रकार इतने अनुशासन में परंपरा के अनुरूप सैल्यूट करते हुए नहीं देखा है। वह चाहे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हो या देश की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाधी जी, वह चाहे मनमोहन सिंह हो या इंद्र कुमार गुजराल या फिर देवेगौड़ा ही क्यों न हो। जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परंपराओं को फॉलो करते रहे हैं वैसे किसी और प्रधानमंत्री ने कभी नहीं किया।

अलग-अलग मुद्रा में सैल्यूट करते रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस मामने में अपने ही अंदाज में सेना का सम्मान करते रहे हैं। गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान अधिकांश समय वे सावधान की मुद्रा में ही अपने जवानों का सम्मान करते दिखे। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के सामने नेवी हो या आर्म फोर्स या फिर एयर फोर्स के जवान उनके सैल्यूट करने का तरीका कमोवेश एक जैसा ही रहा है। वे हमेशा एक ही तरीके से सेल्यूट करते रहे। इसी प्रकार इंद्र कुमार गुजराल को जब 1997 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर गार्ड ऑफ ऑनर लेने का अवसर मिला। इस गार्ड ऑफ ऑनर को नेवी ने लीड किया था लेकिन वे उनकी परंपरा के अनुरूप सैल्यून नहीं कर के सावधान की मुद्रा में खड़े रहे। इसी प्रकार 1996 में स्वतंत्रता दिवस पर गार्ड ऑफ ऑनर आर्मी ने लीड किया। उस साल प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा थे, लेकिन उन्होंने भी आर्मी की परंपरा के अनुरूप सैल्यूट नहीं किया। 1994 और 1995 के स्वतंत्रता दिवस के दौरान प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव के सैल्यूट का अंदाज एक जैसा ही था। वे अपने अंदाज से आर्मी के अंदाज में सैल्यूट किया करते थे। इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह हो या फिर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी या श्रीमती इंदिरा गांधी सभी ने अक्सर सावधान की मुद्रा में गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा निभाईं। जहां तक पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बात है तो उन्होंने कभी एक मुद्रा में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं लिया, बल्कि अपनी मर्जी से कभी सैल्यूट की मुद्रा में तो कभी सावधान की मुद्रा में गार्ड ऑफ ऑनर लिया करते थे।

अलग-अलग है तीनों सेना की सैल्यूट की परंपरा

हमारे देश की आन,वान और शान की रक्षा करने वाली से सेना के तीनों अंगों की सैल्यूट करने की परंपरा अलग-अलग है। भले ही आपको तीन सेना के जवान के सैल्यूट करने का तरीका एक सा दिखता हो लेकिन तीनों सैल्यूट में काफी भिन्नता है। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी बारीकी से फॉलो करते हैं। भारतीय आर्मी के जवान जहां खुले पंजे से सैल्यूट करते हैं वहीं उनकी बीच की उंगली सिर से और अंगूठा भौं को से सटे होते हैं। वहीं भारतीय नेवी के जवान भी सैल्यूट तो खुली हथेली से करते हैं लेकिन उनकी हथेली जमीन की ओर झुकी होती है। जबकी एयरफोर्स के जवान इस प्रकार सैल्यूट करते हैं कि उनकी हथेली धरती से 45 डिग्री का कोण बनाती हुई दिखती है और कदम आसमान की ओर बढ़ता हुआ। इस प्रकार हमारी सेना के तीनों अंगों के जवान अपनी परंपरा के अनुरूप अलग-अलग तरीके से सैल्यूट करते रहे हैं।    

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