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मन की बात: खेती-किसानी को लेकर लोगों में पैदा हुई जागरूकता, उद्यमिता के लिए मिल रही है प्रेरणा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम से लोगों के बीच जागरुकता पैदा हो रही है। मन की बात कार्यक्रम ने विभिन्न कृषि मुद्दों पर किसानों को प्रेरित करने और जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर- ICAR) और हैदराबाद के राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान, (एमएएनएजीई- MANAGE) के एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि मन की बात को कृषि और उद्यमशीलता के विकास के लिए प्रेरणा के विश्वसनीय स्रोत और बड़े पैमाने पर जागरूकता के माध्यम के रूप में माना जाता था।

ICAR-MANAGE के अध्ययनों के अनुसार प्राकृतिक खेती, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाने की इच्छा मन की बात एपिसोड में शामिल छोटे किसानों के सबसे पसंदीदा विषय थे। अध्ययन में कहा गया है कि मोटे अनाज के किसानों के साथ एक आकलन से पता चला है कि कृषि विज्ञान केंद्र के पेशेवरों द्वारा मन की बात पर बातचीत और संदेश ने मोटे अनाज की उन्नत किस्मों और उत्पादन प्रणाली को अपनाने की प्रक्रिया पर किसानों की धारणाओं को मजबूत किया है। इसके साथ ही इसने कृषि-उद्यमिता के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है। अध्ययन से यह भी पचा चला कि मन की बात ने कृषि-स्टार्टअप को किसानों को लाभान्वित करने वाले अभिनव समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया।

मन की बात के एपिसोड में हाइलाइट की गई डिजिटल तकनीक, कृषि प्रौद्योगिकी को अपनाने के क्षेत्र में मोबाइल-आधारित कृषि-सलाहकार सेवाओं के उपयोग के बारे में किसानों की जागरूकता और ज्ञान में वृद्धि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पाया गया। इसी तरह, मन की बात में कृषि-ड्रोन पर किए गए संवादों के अध्ययनों ने यह संकेत दिया कि अधिकांश किसानों ने ड्रोन को कृषि कार्यों के लिए तकनीक के रूप में उपयोगी माना।

अध्ययन के अनुसार मन की बात के जरिए कृषि-व्यवसाय को आसान बनाने के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाया जा सकता है। इससे उच्च मूल्य वाली फसलों के लिए उत्पादक सामग्री की आसान उपलब्धता होने के साथ खेती की लागत में 20 से 25 प्रतिशत की कमी आ सकती है। एफपीओ किसानों ने कहा कि मन की बात एपिसोड के साथ वे कृषि व्यवसायों को बढ़ावा देने वाली भारत सरकार की विभिन्न नीतियों और योजनाओं के बारे में भी जागरूक हुए।

मधुमक्खी पालन पर अध्ययन से पता चला है कि मन की बात कार्यक्रम के बाद इस क्षेत्र के मौजूदा संसाधन जुटाए गए। संस्थागत ज्ञान और संसाधनों के बेहतर प्रदर्शन के साथ मधुमक्खी पालकों ने व्यक्तिगत 92,947 रुपये की तुलना में समूह में बेहतर लाभ 1,28,328 रुपये प्रति 50 मधुमक्खी छत्ते अर्जित किया। इसके अलावा, मन की बात के एपिसोड को जैविक-प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता और सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करने में भी सफल हुए हैं।

लोगों के साथ संवाद करने का यह रेडियो कार्यक्रम हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित किया जाता है। इसका पहला प्रसारण 3 अक्टूबर 2014 को हुआ था और तब से 26 मार्च, 2023 तक कुल 99 एपिसोड में विभिन्न विषयों को कवर किया गया है। मन की बात के देश भर में 23 करोड़ से अधिक नियमित श्रोता हैं।

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