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लालू के मंत्री बेटे को BPCL का तमाचा, फर्जीवाड़े के चलते पेट्रोल पंप छिना

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आरजेडी नेता लालू यादव को बड़ा झटका लगा है। उनके बेटे तेज प्रताप यादव को आवंटित पेट्रोल पंप छीन लिया गया है। वो अभी नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं और अपनी करतूतों के चलते सुर्खियों में रहते है। दरअसल उन्होंने अपने दबदबे के सहारे फर्जी तरीकों से एक पेट्रोल पंप का लाइसेंस अपने नाम करा लिया था। अब देखने वाली बात है कि सरकार की फजीहत करवाने के बाद भी क्या नीतीश कुमार उन्हें अपने कैबिनेट में बनाए रखते हैं? चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव अभी हाल के दिनों में एक पत्रकार को धमकाने के लिए भी काफी चर्चा में रहे हैं।

गलत तरीके से पेट्रोल पंप हथियाने का आरोप था
आरोपों के अनुसार बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप ने पटना के न्यू बाइपास पर बेऊर के पास गलत कागजों के आधार पर अधिकारियों की मिलीभगत से 2011 में भारत पेट्रोलियम का एक पेट्रोल पंप अपने नाम आवंटित करा लिया था। जिस समय तेजप्रताप ने पेट्रोल पंप के लिए आवेदन किया और इंटरव्यू दिया, उस समय नेशनल हाईवे-30 पर न्यू बाइपास की 43 डिसमिल जमीन उनके पास नहीं थी। सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि पटना के बिहटा में बीयर फैक्ट्री लगाने वाले अमित कत्याल ने 9 जनवरी, 2012 को एके इंफोसिस्टम कंपनी के निदेशक के नाते लालू के छोटे बेटे और नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को पेट्रोल पंप लगाने के लिए 136 डिसमिल जमीन लीज पर दी थी। यानि पेट्रोल पंप के लिए आवेदन तेजप्रताप ने किया था, लेकिन पेट्रोल पंप की जमीन की लीज तेजस्वी के नाम थी। फिर भी तेजप्रताप को पेट्रोल पंप कैसे आवंटित किया गया ?

एफिडेविट में भी नहीं दी पेट्रोल पंप की जानकारी
सबसे बड़ी बात है कि किसी भी पेट्रोल पंप लेने की प्रक्रिया से पहले एक शपथपत्र देना पड़ता है, जिसमें यह लिखा जाता है कि आवेदक किसी भी निजी और सरकारी पद पर आसीन नहीं होगा। किसी भी तरह के सरकारी पद का लाभ नहीं लेगा। लेकिन फिर भी तेजप्रताप नीतीश सरकार में मंत्री बने हुए हैं, वेतन लेते हैं, सरकारी गाड़ी,और बाकी सुविधाओं का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने जो अपनी संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध कराया है, उसमें भी इस पेट्रोल पंप का जिक्र नहीं है।

असल में लालू को चारा घोटाला में सजा पाने के बाद से उनके परिवार के हौंसले बहुत बुलंद हो चुके हैं। उन्होंने घोटालों के ऐसे-ऐसे तरीके निकाले हैं, जिसके बारे में दूसरे नेताओं को भनक तक नहीं है। इन करतूतों को समेटना तो बहुत मुश्किल है, फिर भी भ्रष्टाचार के उन कुछ मामलों की चर्चा कर रहे हैं जो काफी सुर्खियों में रहे हैं-

राबड़ी को नौकर ने मुफ्त में दे दी लाखों की जमीन !
बिहार बीजेपी के नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने जो लालू-राबड़ी पर ताजा आरोप लगाए हैं वो किसी के भी कान खड़े कर देगा। उनके अनुसार राबड़ी के एक नौकर ने जनवरी, 2014 में उन्हें पटना के सगुना मोड़ में 1,088 वर्ग फीट की एक जमीन मुफ्त में दी, जिसकी कीमत तब करीब 31 लाख रुपये थी। चौंकाने वाली बात ये है कि ललन चौधरी नाम के राबड़ी के उस नौकर ने मार्च, 2009 में वो जमीन मकान के साथ सिर्फ 3.90 लाख रुपये में खरीदी थी। 5 साल में ही उसकी कीमत जब 10 गुना बढ़ गई, तो उसने राबड़ी देवी को इसीलिए दे दिया क्योंकि उन्होंने ललन को समय-समय पर आर्थिक और बाकी तरहों से मदद की थी। सवाल यही उठ रहा है कि आखिर राबड़ी ने ऐसी कौन सी मदद की थी कि उसने लाखों की जमीन यूं हीं दे दी ? सुशील मोदी ने दस्तावेजों के साथ दावा किया है कि लालू ने अपने कालेधन को छिपाने के लिए यही तरीका ढूंढ निकाला है। पहले कौड़ियों के भाव बेनामी संपत्ति अर्जित करो, फिर उसे अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर ट्रांसफर करवा लो। यानी ये अपने आप में एक बहुत बड़ा घोटाला है, जिसमें कालेधन को चतुराई से सफेद किया गया है।

नौकर से पहले यूपीए के मंत्रियों ने भी मुफ्त में दी थी जमीन 

लालू यादव पर आरोप है कि यूपीए- 1 के दौरान उन्होंने मनमोहन सरकार में मंत्री बनवाने के एवज में उन्होंने जमीन का सौदा किया था। लालू से जिन लोगों से जमीन लेकर मंत्री बनवाने का आरोप है वो हैं रघुनाथ झा और कांति सिंह। ये दोनों मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं। दोनों नेताओं ने माना भी है कि उन्होंने लालू यादव के परिवार को जमीनें दी हैं। लेकिन वो ये कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि वो सब मंत्री के लिए रिश्वत के तौर पर दिया गया था। उनका कहना है कि उन्होंने लालू को गिफ्ट में जमीन दी है। ये मामला इसीलिए और भी गंभीर हो जाता है कि केंद्र में मंत्री बनाने का अघिकार संविधान ने प्रधानमंत्री को दिया है, लेकिन मनमोहन सरकार ने कुर्सी बचाने के लिए लालू जैसे भ्रष्ट नेताओं के सामने भी सरेंडर कर रखा था। कुल मिलाकर लालू ने ऐसा तरीका निकाल था जिससे कालाधन भी सफेद हो रहा था और अपनी पसंद की जमीन के मालिक भी बन रहे थे।

लालू की बेटी का जमीन घोटाला नंबर- 1 ?
दस्तावेजों के अनुसार मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार ने दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के पास बिजवासन इलाके में एक फार्म हाउस सिर्फ 1.41 करोड़ रुपये में खरीद लिया। ये वो इलाका जहां कई प्रभावशाली लोगों की प्रॉपर्टी है। जमीन की इस डील की प्रक्रिया बहुत ही संदेहास्पद है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के रेकॉर्ड के अनुसार, मीसा और शैलेश कम से कम चार प्राइवेड लिमिटेड कंपनियों के डायरेक्टर हैं। दोनों ने दिसंबर, 2002 में मिशैल पैकर्स एंड प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई और इसका रजिस्ट्रेशन लालू के सरकारी बंगले 25, तुगलक रोड, नई दिल्ली पर कराया गया। कंपनी की बैलेंस शीट के अनुसार इसकी व्यापारिक गतिविधियां 2006 में बंद हो गईं और फिर उसका प्लांट और उसके मशीनें भी बेच दी गईं। लेकिन फिर भी 2008-09 में इसी कंपनी ने बिजवासन के 26, पालम फार्म्स में एक फॉर्महाउस खरीदा। इसके लिए फंड कंपनी के 1,20,000 शेयर्स बेच कर जुटाए गए। खटकने वाली बात ये है कि 10 रुपये प्रति शेयर कीमत वाले इन शेयरों को वीके जैन और एसके जैन नाम के दो कारोबारियों ने 90 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीद लिया। यहां ये बताना आवश्यक है कि इसी साल मार्च में कालेधन के खिलाफ हुई कार्रवाई में दोनों जैन भाइयों की भी गिरफ्तारियां हुई थीं।

लालू की बेटी का जमीन घोटाला नंबर- 2 ?
लालू के बेटी और दामाद का दिखावे की एक और कंपनी के माध्यम से दिल्ली में एक और संपत्ति खरीदने का भी मामला है। आरोपों के अनुसार KHK होल्डिंग्स नाम की इस कंपनी का उपयोग सैनिक फार्म्स में 2.8 एकड़ का फार्म हाउस खरीदने के लिए किया गया। यह कंपनी असल में विवेक नागपाल नाम के एक व्यक्ति की थी। लेकिन, 2014 में विवेक ने कंपनी के 10,000 शेयर सिर्फ एक लाख रुपये में मीसा और शैलेश को ट्रांसफर कर दिए। नापगाल ने KHK होल्डिंग्स के माध्यम से ही सैनिक फार्म्स की संपत्ति खरीदी थी। माना जा रहा है कि इस प्रॉपर्टी की कीमत भी 50 करोड़ रुपये से अधिक होगी।

दिल्ली में लालू फैमिली की कई और संदिग्ध संपत्ति

लालू और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार से प्रॉपर्टी बनाने का ये कोई पहला मामला नहीं है। लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर दिल्ली में अवैध तरीके से 115 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने के आरोप पहले भी लग चुके हैं। इसके अनुसार लालू का परिवार डिलाइट मार्केटिंग, ए़ के इंफोसिस्टम की तर्ज पर ए़ बी एक्सपोर्ट्स कंपनी के भी मालिक हैं। इस कंपनी के सभी शेयरधारक और निदेशक पद पर लालू के परिवार के लोगों का कब्जा है। इतना ही नहीं दिल्ली के सबसे पॉश इलाके में जमीन खरीदने के लिए मुंबई के पांच बड़े ज्वेलर्स, सोने के व्यापारियों ने ए़ बी एक्सपोर्ट्स कंपनी को वर्ष 2007-2008 में एक-एक करोड़ के यानि पांच करोड़ रुपये बिना ब्याज के कर्ज दिए। इसी पांच करोड़ रुपये से उसी वर्ष नई दिल्ली के डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में 800 वर्ग मीटर जमीन मकान सहित पांच करोड़ रुपये में खरीदा गया। आज इस जमीन की कीमत 55 करोड़ से ज्यादा है और इस जमीन पर लालू परिवार का चार मंजिला मकान बनकर लगभग तैयार है, जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 60 करोड़ रुपये है।

मॉल और मिट्टी घोटाला का भी आरोप

लालू यादव पर पटना में सबसे बड़ा मॉल बनवाने के लिए परिवार के नाम पर 200 करोड़ की जमीन भी भ्रष्ट तरीके से हड़पने का आरोप लग चुका है। आरोपों के अनुसार पटना में सगुना मोड़ के पास बन रहे सबसे बड़े मॉल का मालिकाना हक लालू के परिवार के पास है। ये जमीन लालू ने रेलमंत्री रहते हुए रांची और पुरी में एक व्यवसायी को रेलवे के दो होटल लीज पर देने के एवज में गैर-कानूनी तरीके से हथियाई है। जिस कंपनी के नाम जमीन का मालिकाना हक है उसके डायरेक्टर लालू के बेटे और बेटियां हैं। लालू यादव और उनके परिवार पर पटना में 80 लाख रुपये के मिट्टी घोटाले का भी आरोप लगा है। इसके अनुसार लालू के दबाव में पटना के चिड़िया घर को लालू की उसी प्रॉपर्टी से निकली मिट्टी जबरन बेची गई, जिसपर मॉल बन रहा है। लेकिन सारे दस्तावेज होने के बावजूद नीतीश सरकार में एक्शन लेने की हिम्मत नहीं है। यानि पहले जमीन घोटाला किया और फिर घोटाले वाली जमीन से निकली मिट्टी से भी घोटाला कर लिया।

कई जमीन घोटाले को दबा गए लालू
लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे तब उनपर लोगों से जमीन के बदले नौकरी देने का आरोप लगा था। ग्रुप सी और डी की कई नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांटी गई थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने आंखें मूंद रखीं थी। लालू एंड परिवार पर इसके साथ ही कई जमीन गलत कागजात के आधार पर खरीदने का आरोप है। करोड़ों रुपये की इन जमीनों की खरीद की जांच करवाने से बिहार सरकार मुंह चुरा रही है।

औरंगाबाद में भी लालू के बेटे के नाम पर जमीन
लालू यादव के बड़े बेटे और अब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव पर शेयर की जानकारी छिपाने का आरोप है। 2010 में लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से 45 डेसि‍मल जमीन, 53.34 लाख रुपये में खरीदी और इस जमीन पर एक मोटरसाइकिल कंपनी का शोरूम भी शुरू किया गया। इस शोरूम को शुरू करने के लिए 2.29 करोड़ रुपये कर्ज लिए गए, तब तेजप्रताप इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। हालांकि 2015 में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तेजप्रताप यादव ने इस कंपनी के प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन चुनाव आयोग को दिए गए ब्योरे में तेजप्रताप यादव ने न अपने शेयर की जानकारी दी और न कर्ज का कोई उल्लेख किया।

मवेशियों का 950 करोड़ का चारा खा गए लालू
90 के दशक में जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बिहार की जनता के खून पसीने की कमाई लूट ली। 950 करोड़ चारा घोटाला के नाम से मशहूर इस स्कैम का डायरेक्ट कनेक्शन लालू प्रसाद से निकला और अदालत ने उन्हें सजा भी सुनाई है। सजायाफ्ता लालू प्रसाद चुनाव तो नहीं लड़ सकते, लेकिन बिहार की नीतीश सरकार के फैसले में उन्हीं की मनमानी चलती है और नीतीश तो अब रबर स्टांप की भूमिका में नजर आने लगे हैं।

देश में अगर भ्रष्ट नेताओं का जिक्र हो तो लालू यादव का नाम जुबान पर सबसे पहले आ जाता है। चारा घोटाले के एक केस में लालू को सजा मिली हुई है। कानूनी पेचीदगियों का लाभ उठाकर वो अभी जमानत पर घूम रहे हैं। अभी चारा घोटाले से जुड़े कई और मामलों की सुनवाई होनी है। लेकिन भी फिर भी उनके घोटालों के खुलासे का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अगर बाकी मामलों में भी उन्हें सजा मिल जाए तो उन्हें के लिए पूरी उम्र जेल से निकलना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन अब लालू के भ्रष्टाचार की  विरासत उनके बच्चों ने भी संभाल लिया है। बड़ा सवाल है कि भारत की कानूनी प्रक्रिया में इनके करतूतों की उचित सजा मिल पाएगी ?

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