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केजरीवाल के स्वास्थ्य मॉडल की पोल खुली, पंजाब के पठानकोट में गर्भवती की डिलिवरी बरामदे में हुई, लोग पूछ रहे- क्या ये सड़ता पंजाब है?

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वास्थ्य मॉडल की ढोल पीटते रहते हैं। पंजाब में इस साल जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो वहां के मुख्यमंत्री भगवंत मान दिल्ली के स्वास्थ्य मॉडल को देखने राष्ट्रीय राजधानी भी पहुंचे और फोटो खिंचाने के साथ ड्रामेबाजी भी हुई। लेकिन असलियत में आम आदमी पार्टी का स्वास्थ्य मॉडल क्या है इसकी पोल खुल गई है। पंजाब के पठानकोट में मंगलवार देर रात सिविल अस्पताल में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई। सिविल अस्पताल में रात 2 बजे डिलीवरी के लिए आई महिला को इमरजेंसी में तैनात स्टाफ ने बिना चेकअप के अमृतसर अस्पताल रेफर कर दिया। महिला की हालत खराब होने के चलते पति ने स्टाफ के सामने लाख मिन्नतें की, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा, उलटे उन्होंने उसे वहां से भगाने का प्रयास किया। करीब दो घंटे तड़पने के बाद महिला ने अस्पताल के बरामदे में ही बच्चे को जन्म दे दिया। पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिस पर लोग केजरीवाल के स्वास्थ्य मॉडल को कोस रहे हैं।

घटना कुछ तरह की है कि गर्भवती महिला को उसका पति जंगबहादुर सिविल अस्पताल लाया। वीडियो में महिला तड़पती दिखाई दे रही है और पति उसे भर्ती करने की गुहार लगाता दिख रहा है। निजी एंबुलेंस चालक ने पूरी घटना का वीडियो बना लिया। महिला ने बच्चे को जन्म दिया और मां-बच्चा फर्श पर खून से लथपथ पड़े दिखे। इसके बाद वहां भर्ती मरीज और तीमारदार इकट्ठे हो गए। मामला गरमाता देख अस्पताल स्टाफ ने दोनों को भर्ती कर लिया। जंग बहादुर ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का चेकअप करने के बजाय उन्हें रेफर कर दिया। स्टाफ ने उनके साथ बदसलूकी की और अस्पताल से भगाने का प्रयास किया। जंग बहादुर ने बताया कि उसने स्टाफ से कहा भी था कि वह पत्नी को अमृतसर लेकर जाने में सक्षम नहीं है। इसलिए पत्नी का इलाज सिविल अस्पताल में ही किया जाए।

एसएमओ ने कहा, बिना टेस्ट डिलीवरी नहीं करवाई जा सकती

इलाज में हुई लापरवाही के सवाल एसएमओ डॉ. सुनील चांद का कहना है कि दंपती देर रात आया तो उनके पास महिला का कोई दस्तावेज नहीं था। महिला का कोई टेस्ट या अल्ट्रासाउंड नहीं करवाया गया था। अस्पताल स्टाफ ने उन्हें टेस्ट और अल्ट्रासाउंड करवाने की बात कही तो वे भड़क गए। बिना टेस्ट डिलीवरी नहीं करवाई जा सकती। डिलीवरी के बाद स्टाफ ने मानवता के आधार पर दोनों को भर्ती किया और इलाज दिया।

कुछ ही दिन पहले भी हुई थी इसी तरह की घटना

सिविल अस्पताल में रात के समय गर्भवती को भर्ती न करने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। बीते कुछ दिन पहले घरोटा निवासी रमन कुमार की पत्नी को डिलीवरी के समय अस्पताल में भर्ती न करके रेफर कर दिया गया था। उस समय अस्पताल में रात के समय डाक्टर मौजूद न होने का तर्क देकर कहीं और जाने को कहा गया था। महिला के परिजनों द्वारा महिला को निजी अस्पताल में ले जाया गया था। वहां उसका सिजेरियन हुआ था।

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोग कह रहे हैं कि किसी में भी मानवता नहीं दिख रही। उड़ता पंजाब नहीं ये गिरता पड़ता और सड़ता पंजाब है। लोग ये भी कह रहे हैं कि केजरीवाल अगर गुजरात से फुर्सत मिल गई हो तो पंजाब भी देख लो जरा। एक व्यक्ति ने कहा कि गुजरात वालों अपने राज्य को इस घटिया आम आदमी पार्टी से बचा लेना।

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