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बिहार में गुंडाराज! चुनावी लाभ के लिए नीतीश राज में गुंडों को संरक्षण, बाहुबली आनंद मोहन के साथ ही 27 कैदियों की रिहाई के आदेश

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बिहार में अब गुंडाराज आ गया है। लालू प्रसाद यादव के समय में जंगलराज था और अब नीतीश कुमार- तेजस्वी यादव के समय में गुंडाराज आ गया है। चुनावी लाभ के लिए गुंडों को संरक्षण दिया जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आनंद मोहन के साथ ही 27 वैसे लोगों को छोड़ रहे हैं जो कुख्यात अपराधी रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार ने गुंडों और माफिया को संरक्षण देने के लिए कानून बदल दिया। नीतीश कुमार कभी लालू यादव के शासनकाल को जंगलराज कहा करते थे और आज वह खुद गुंडाराज को बढ़ावा दे रहे हैं। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से स्थायी तौर पर रिहा करने का आदेश जारी हो गया है। आनंद मोहन के साथ दर्जन भर जेलों में बंद 27 बंदियों को मुक्त करने का आदेश दिया गया है। कई नेता से लेकर अधिकारी तक नीतीश सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। सेंट्रल IAS एसोसिएशन ने बिहार सरकार द्वारा आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नोटिफिकेशन जारी करने का विरोध जताया है। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है। यहां तक कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और भाकपा माले ने भी इस फैसले का विरोध किया है।

बाहुबली आनंद मोहन के साथ 26 अन्य कैदी जेल से रिहा होंगे

बिहार सरकार ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के आरोप में जेल में बंद पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन जल्द कैद से आजाद हो जाएंगे। उनके साथ 26 अन्य कैदी भी जेल से बाहर आ जाएंगे। आनंद मोहन के लिए जेल के नियमों में बदलाव किया गया। नीतीश कुमार की सरकार ने आनंद मोहन के साथ ही 26 अन्य कैदियों को रिहा करने से संबंधित आदेश जारी कर दिया। इन्हें छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

नीतीश सरकार द्वारा जेल कानून में बदलाव बाद रिहाई का आदेश

नीतीश सरकार द्वारा जेल कानून में बदलाव किए जाने के बाद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 20 अप्रैल को हुई राज्य दंडादेश परिहार पर्षद की बैठक में इन कैदियों को छोड़ने से संबंधित प्रस्ताव पर सहमति बनी। इसके बाद विधि विभाग ने सभी पहलुओं पर समीक्षा करने के बाद इसकी अनुमति देते हुए आदेश जारी कर दिया। यह आदेश विधि सचिव रमेश चंद्र मालवीय की तरफ से जारी किया गया है। इसके आधार पर जेल निदेशालय ने सभी संबंधित कैदियों को छोड़ने से जुड़ा निर्देश संबंधित जेलों को भेज दिया। इस सूची में आनंद मोहन 11वें नंबर पर हैं।

15 से अधिक कैदी लोक सेवकों की हत्या के दोषी

अब 27 कैदियों को रिहा करने से संबंधित अंतिम प्रक्रिया जेल के स्तर पर शुरू हो गई है। जल्द ही सभी कैदी बाहर आ जाएंगे। सूचना के अनुसार, इसमें 15 से अधिक कैदी लोक सेवकों की हत्या के आरोप में सजा काट रहे हैं। जबकि 20 वर्ष या आजीवन कैद की सजा काट रहे कुछ कैदी ऐसे भी हैं, जिन्हें हाईकोर्ट ने मामलों की सुनवाई करने के बाद रिहा करने का आदेश दिया है। ऐसे ये सभी वैसे कैदी हैं, जो 20 वर्ष से अधिक समय की सजा काट चुके हैं।

बक्सर जेल से कैदियों की रिहाई शुरू

बिहार के बक्सर मुक्त कारा से पांच कैदी की रिहाई होनी थी। इसमें तीन कैदी को बुधवार को रिहा कर दिया गया जबकि एक कैदी ने अर्थ दंड नहीं जमा किया है इस वजह से उसकी रिहाई नहीं हो सकी। वहीं पांचवे कैदी की रिहाई अब कभी नहीं हो सकती है क्योंकि वह अब कैद में नहीं है। बक्सर जेल से जिन पांच कैदियों की रिहाई होनी थी उनमें से एक कैदी पतिराम राय की मौत करीब 6 महीने पहले ही हो गई है।

पतिराम राय की पहले हो चुकी है मौत

बिहार सरकार ने रिहा किए जाने वाले कैदियों की सूची जारी की है उसमें 15 नंबर पर कैदी पतिराम राय की रिहाई का आदेश सरकार ने दिया है। पतिराम राय को 1988 में उम्रकैद की सजा हुई थी। उन्हें हत्या मामले में यह सजा मिली थी। 35 सालों से जेल में बद पतिराम राय की उम्र सरकारी कागजों के अनुसार 93 साल है। जेल अधीक्षक ने उनकी रिहाई के लिए कारा एवं सुधार विभाग को पत्र लिखा था। जिसके बाद सरकार ने आनंद मोहन सिंह के साथ जिन 26 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया है उसमें पतिराम राय का भी नाम शामिल है लेकिन पतिराम राम रिहाई की खुशी महसूस करने के लिए इस दुनिया में नहीं हैं। 6 महीने पहले ही उनकी मौत हो चुकी है। आश्चर्य की बात यह है कि किसी कैद मौत हो चुकी है लेकिन सरकार को इस बात की जानकारी ही नहीं है। इससे सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठते हैं। 

बिहार में अंधेर नगरी, मौत के बाद रिहाई का आदेश

बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा -बिहार में अंधेर नगरी है। यहां निधन के बाद कर्मचारियों का ट्रांसफर होता है। जिनकी मौत हो चुकी होती है उनके खिलाफ आदेश जारी होता है। अब एक दलित कैदी को जेल से छोड़ने का आदेश तब दिया गया है जब उस कैदी की पहले मौत हो गई है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि काश उस दलित को जिंदा रहते न्याय मिल जाता।

कांग्रेस ने कहा- इससे देश में गलत संदेश जा रहा

कांग्रेस ने बिहार सरकार के इस फैसले का खुलकर विरोध किया है। कांग्रेस नेता पी.एल.पुनिया ने कहा कि गोपालगंज के डीएम की हत्या करने वाले आनंद मोहन को सजा से पहले छोड़ने के लिए कानून के नियमों में संशोधन किया गया, जिससे वे जल्दी रिहा हो जाए। इससे देश में गलत संदेश जा रहा है।

जी कृष्णैया अपनी हत्या के खुद जिम्मेदारः शिवानंद तिवारी

गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह को रिहा करने के फैसले का विरोध हो रहा है। जिसके बाद महागठबंधन के नेता इसका बचाव कर रहे हैं। आनंद मोहन के बचाव में उतरे नेता ऐसे तर्क दे रहे हैं जिसका कोई सिर पैर नहीं हैं। आरजेडी के सीनियर लीडर और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने तो जी कृष्णैया की हत्या के लिए उन्हें ही जिम्मेदार बता दिया है। शिवांनद तिवारी ने कहा है कि- जिस दिन जी. कृष्णैया की हत्या हुई वह किसी और रास्ते से जा सकते थे। उस दिन वह मुजफ्फरपुर के रास्ते से ही क्यों गए?

IAS एसोसिएशन ने कहा- इससे लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आएगी

सेंट्रल IAS एसोसिएशन ने बिहार सरकार द्वारा आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नोटिफिकेसन जारी करने का विरोध जताया है। एसोसिएशन ने एक बायन में कहा कि गोपालगंज के पूर्व डीएम स्वर्गीय जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर कैदियों के वर्गीकरण नियमों में बदलाव पर गहरी निराशा व्यक्त करता है। IAS एसोसिएशन द्वारा जारी लेटर में कहा गया कि कि नियमों में संशोधन कर लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी को जघन्य श्रेणी में फिर से क्लासिफाई नहीं किया जा सकता। ऐसे फैसलों से लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है। लोक व्यवस्था कमजोर होती है और प्रशासन के न्याय का मजाक बनता है। हमलोग अनुरोध करते हैं कि बिहार सरकार जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।

भाकपा माले नेताओं ने कहा- यह भेदभावपूर्व कदम है

महागठबंधन सरकार के सहयोगी भाकपा माले आनंद मोहन की रिहाई को लेकर अपनी ही सरकार का विरोध किया। भाकपा माले ने बिहार सरकार के इस कदम को भेदभाव पूर्ण बताया।

सुशील मोदी ने कहा- ऐसी क्या मजबूरी है कि हत्या के दोषी को रिहा किया जा रहा है?

भाजपा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि ऐसी क्या मजबूरी है कि एससी-एसटी समुदाय के सरकारी अधिकारी जी कृष्णैय्या की हत्या के मामले में सजायाफ्ता बंदी को भी रिहा किया जा रहा है? राजद पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जी कृष्णैया की हत्या और आनंद मोहन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होने के समय लालू प्रसाद ने पूर्व सांसद की कोई मदद नहीं की थी। इतना ही नहीं ट्रायल शुरू होने पर यही ठंडा रवैया नीतीश कुमार का रहा।

विजय कुमार सिन्हा ने कहा- ये सरकार को चुनाव जिताने में मदद करेंगे

आनंद मोहन के साथ 26 अन्य कैदियों की रिहाई पर विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि अगर छोड़ना ही है तो चार लाख कैदियों को छोड़ें जो बेवजह जेल की सजा काट रहे हैं। बहुत ऐसे कैदी हैं जिनकी सजा 20 साल से ज्यादा हो गई है, लेकिन उन लोगों का इस सूची में नाम नहीं है क्योंकि वह सभी अनुसूचित जाति से आते हैं। यह सरकार उन्हीं लोगों को रिहा कर रही है जो अपने आतंक के बल पर सरकार को चुनाव जिताने में मदद करेंगे। विजय कुमार सिन्हा यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार ने चुनाव की राजनीति के लिए कानून में बदलाव कर गुंडों और माफिया को जेल से बाहर कर रही है।

जी. कृष्णैय्या की पत्नी बोलीं- हमारे साथ अन्याय हुआ है

दिवंगत IAS अधिकारी जी. कृष्णैय्या (तत्कालीन डीएम, गोपालगंज) की पत्नी उमा देवी ने कहा कि हमारे साथ अन्याय हुआ है। पहले उसे (आनंद मोहन) मौत की सजा हुई थी। फिर बाद में आजीवन कारावास हुआ। इसके बाद नियम में संशोधन कर बाहर लाना। अच्छा डिसीजन नहीं है। अच्छा नहीं लग रहा है। गलत हो रहा है। बिहार में कास्ट पॉलिटिक्स है ही। वह राजपूत है और उसके बाहर आने से उसको राजपूत वोट मिलेगा। इसलिए उसे बाहर लाया है। क्रिमिनल को बाहर लाने की क्या जरूरत है। वह भी मुख्यमंत्री इसमें इनवॉल्व हुए। इलेक्शन में राजपूतों का वोट मिलेगा। इसलिए बाहर लाया गया है।

मायावती ने कहा- नीतीश सरकार दलित विरोधी है

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है।

आनंद मोहन के साथ इन बंदियों की होगी रिहाई

कैदी का नाम – जेल का नाम

कलक्टर पासवान उर्फ घुरफेकन – मंडल कारा, आरा
किशुनदेव राय – मुक्त कारागार, बक्सर
सुरेंद्र शर्मा – केंद्रीय कारा, गया
देवनंदन नोनिया – केंद्रीय कारा, गया
रामप्रवेश सिंह – केंद्रीय कारा, गया
विजय सिंह उर्फ मुन्ना सिंह – केंद्रीय कारा, मुजफ्फरपुर
रामाधार राम – मुक्त कारागार, बक्सर
दस्तगीर खान – मंडल कारा, अररिया
पप्पू सिंह उर्फ राजीव रंजन सिंह – केंद्रीय कारा, मोतिहारी
अशोक यादव – मंडल कारा, लखीसराय
शिवजी यादव – आदर्श केंद्रीय कारा, बेउर
किरथ यादव – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
राजबल्लभ यादव उर्फ बिजली यादव – मुक्त कारागार, बक्सर
अलाउद्दीन अंसारी – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
मो. हलीम अंसारी – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
अख्तर अंसारी – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
मो. खुदबुद्दीन – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
सिकंदर महतो – मंडल कारा, कटिहार
अवधेश मंडल – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
पतिराम राय – मुक्त कारागार, बक्सर
हृदय नारायण शर्मा उर्फ बबुन शर्मा – केंद्रीय कारा, गया
मनोज प्रसाद – आदर्श केंद्रीय कारा, बेउर
पंचा उर्फ पंचानंद पासवान – केंद्रीय कारा, भागलपुर
जितेंद्र सिंह – मुक्त कारागार, बक्सर
चंदेश्वरी यादव – केंद्रीय कारा, भागलपुर
खेलावन यादव – मंडल कारा, बिहारशरीफ

राजद के साथ सरकार बनाते ही नीतीश कुमार की फजीहत शुरू हो गई थी और आज तो पूरा प्रदेश की गुंडाराज की चपेट में है। इस पर एक नजर-

नीतीश ने सुशासन का चोला उतारकर फेंका

इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि नीतीश जब तक बीजेपी के साथ सरकार में तभी तक वह सुशासन कुमार थे। और जब से उन्होंने राजद के साथ सरकार बनाई है, सुशासन का चोला उतारकर फेंक दिया है। यही वजह है कि एक ऐसे कैदी को रिहा कराने के लिए उन्होंने कानून बदल दिया, जिसने उनके ही राज्य के एक जिले के डीएम की सरेआम रोड पर हत्या करवाई हो। सबसे महत्वपूर्ण बात यह सब किया गया एक ऐसे अपराधी के लिए जिसे पहले फांसी की सजा मिली थी, बाद में उसे उम्रकैद में बदला गया था।

अपराधी को रिहा करने के लिए जेल मैनुअल बदल डाला!

पहले बिहार के जेल मैनुअल में लिखा था कि सरकारी अफसर की ऑन ड्यूटी हत्या करने पर उम्र कैद की सजा खत्म होने पर रिहाई नहीं होगी। यानी अगर आप किसी सरकारी अफसर की हत्या करते हैं और अगर आप को उम्र कैद की सजा मिलती है तो जेल में आप अच्छा व्यवहार भी करते हैं तो भी आप की रिहाई नहीं होगी। लेकिन अब इस दुर्दांत अपराधी को बाहर निकालने के लिए नीतीश कुमार ने इस लाइन को ही हटा दिया है और इसे अपवाद की श्रेणी से हटाकर सामान्य श्रेणी में ला दिया। बदले हुए नियम के अनुसार, अब ऑन ड्यूटी सरकारी सेवक की हत्या अपवाद नहीं होगी। यानी अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा करने वाले ऑफिसर की हत्या करने वाले हत्यारे अब हत्या करके जेल में कुछ दिन अच्छे से रहेंगे और बाहर आ जाएंगे।

नीतीश सरकार पुलिस के साथ नहीं, गुंडे और माफिया के साथ

इस नए कानून से सीधा-सीधा गुंडों माफियाओं में यही मैसेज जाएगा कि सरकार अपने ऑफिसर अपने पुलिस के साथ नहीं बल्कि आपके साथ है। वह दिन दूर नहीं जब बिहार फिर से 90 के दशक में जाएगा। जब अपहरण एक उद्योग हुआ करता था। बालू माफिया समानांतर सरकार चलाते थे। कुछ जातियों के लोग हमेशा दहशत में रहा करते थे, टाइटल बदलकर उन्हें अपना जीवन जीना पड़ता था, ताकि कोई उनकी जाति को जानकर उनकी हत्या ना कर दे।

राजद के साथ सरकार बनाते ही नीतीश की फजीहत शुरू

राजद के साथ नई सरकार बनने और मंत्रियों के शपथ ग्रहण के साथ ही नीतीश की फजीहत शुरू हुई थी। आरजेडी कोटे के दो मंत्रियों- सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह को लेकर जब फजीहत होने लगी तो उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने का फैसला नीतीश को लेना पड़ा। उसके बाद अपनी ही सरकार के सीएम के लिए सुधाकर सिंह ने शिखंडी, नपुंसक, भिखमंगा जैसे शब्दों से वेधना शुरू कर दिया। सुधाकर के शब्द वाण से आहत नीतीश ने आरजेडी के पाले में मामले को डाल दिया। पार्टी ने उन्हें इसके लिए शो काज भी दिया। मामला ठंडे बस्ते में है।

आरजेडी कोटे के मंत्री मंसूरी की वजह से नीतीश की फजीहत

आरजेडी कोटे से मंत्री बने इजरायल मंसूरी की वजह से अब नीतीश कुमार की फजीहत हो रही है। मंसूरी पर आरोप है कि मुजफ्फरपुर में हुई एक हत्या में उनकी संलिप्तता है। बीजेपी विधायकों ने जब यह मामला उठाया तो नीतीश कुमार ने कुछ दिन पहले आश्वस्त किया कि इसकी जांच करायी जाएगी। आश्चर्य इसके कुछ दिन बाद नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने जब सीएम से पूछा कि इजरायल मंसूरी के खिलाफ जांच का आपने आश्वासन दिया था, उसका क्या हुआ। इस पर जवाब देने के बजाय नीतीश कुमार चुप बैठे रहे। इससे पहले शायद ही कभी ऐसे मुद्दों पर नीतीश चुप रहे हों।

चंद्रशेखर, आलोक और सुरेंद्र भी कर चुके नीतीश की फजीहत

आरजेडी कोटे के तीन और मंत्रियों की वजह से भी नीतीश कुमार की फजीहत होती रही है। आलोक मेहता ने सवर्णों के बारे में बेतुकी बातें कहीं थीं। नीतीश की पार्टी जेडीयू को भी वह बयान नागवार लगा था। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने तो रामचरित मानस को नफरती ग्रंथ साबित करने का अभियान ही चला रखा है। चंद्रशेखर के बयान पर जेडीयू ने आपत्ति जतायी थी। सुरेंद्र यादव भी नीतीश कैबिनेट में हैं। उन्होंने सेना को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था।

शराबबंदी की विफलता और जहरीली शराब से 250 से अधिक मौतें

बिहार में 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी का कानून लागू किया था। यह शराबबंदी पूरी तरह विफल रही है। तब से लेकर अब तक राज्य में जरहीली शराब से मौत होने की 20 से अधिक घटनाएं सामने आ चुकी हैं। शराबबंदी के बाद बिहार में 6 वर्षों में जहरीली शराब से 250 से अधिक मौतें हुई हैं। 2016 में 16 से 18 अगस्त के बीच बिहार के गोपालगंज जिले के खजुरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हुई थी। राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद जहरीली शराब से मौत का यह पहला बड़ा मामला था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 2021 में, जहरीली शराब के नौ मामले सामने आए और इनमें 106 लोगों की मौत हुई।पिछले साल दिसंबर 2022 में बिहार के छपरा समेत कई जिलों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। छपरा में 50 से ज्यादा और सीवान में 5 और बेगुसराय के तेघड़ा में दो लोगों की मौत हुई थी।

महिला अधिकारी को लोगों ने दौड़ाकर पीटा और घसीटा

पटना जिले के बिहटा कस्बे में 17 अप्रैल 2023 को अवैध रेत खनन में शामिल लोगों ने खनन विभाग की महिला अधिकारी को घसीटा और हमला किया। पटना में बालू की ओवरलोडिंग की जांच के लिए गई महिला माइनिंग इंस्पेक्टर पर बालू माफियाओं के द्वारा हमला कर दिया दिखाता है कि राज्य में कानून व्यवस्था की क्या हालत है। महिला अधिकारी के साथ मारपीट के इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव, डीजीपी, पटना के जिलापदाधिकारी और एसएसपी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा। खनन एवं भूतत्व मंत्री रामानंद यादव से जब पत्रकारों ने खनन विभाग की महिला अफसर पर माफियाओं के द्वारा हमले को लेकर सवाल पूछा तो खनन मंत्री झल्ला उठे।

जातीय आग में जल रहा बिहार, छपरा में तीन राजपूतों की मॉब लिंचिंग

बिहार की जनता ने 2020 के विधानसभा चुनाव में जंगलराज से मुक्ति के लिए नीतीश कुमार पर भरोसा जताया था, लेकिन अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए नीतीश ने जनता का भरोसा तोड़ दिया और अगस्त 2022 में जंगलराज की वापसी के सूत्रधार बन गए। महागठबंधन की सरकार आते ही हालात खराब होने लगे। इसमें जातीय जनगणना ने आग में घी डालने का काम किया है। आज पूरा बिहार जाति की आग में जल रहा है। इसका वीभत्स रूप छपरा में फरवरी 2023 में देखने को मिला, जब राजपूत जाति के तीन युवकों की मॉब लिंचिंग ने पूर देश को झकझोर दिया। वहीं नीतीश कुमार कानून और व्यवस्था को ताक पर रखकर समाधान यात्रा में व्यस्त रहे।

राजपूत बिरादरी के तीन युवकों की लाठी डंडों से पिटाई

बिहार के छपरा के मुबारकपुर पंचायत के एक पोल्ट्री फार्म में 02 फरवरी, 2023 को बंधक बनाकर राजपूत बिरादरी के तीन युवकों की लाठी डंडों से पिटाई की गई। मुखिया पति विजय यादव के लठैतों ने तीनों युवकों की बेरहमी से पिटाई की, जिसमें 35 साल के अमितेश की मौत हो गई, जबकि दो युवकों को गंभीर हालत में इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती करवाया गया। इस घटना के बाद जहां आरोपी मुखिया पति विजय यादव और उनके समर्थक फरार हो गए।

आरजेडी विधायक नेहालुद्दीन ने कहा-आत्मरक्षा के लिए बम बना रहे थे मुस्लिम लड़के

बिहार के दो शहर बिहार शरीफ और सासाराम सांप्रदायिक आग में जले। रामनवमी की शोभायात्रा पर हुए पथराव के बाद जो आग भड़की उसकी तपिश सड़क से सदन तक महसूस की गई। वहीं आरजेडी के विधायक मोहम्मद नेहालुद्दीन ने दंगाइयों के पक्ष में विवादित बयान देकर बता दिया है कि नीतीश-तेजस्वी की महागठबंधन की सरकार बम बनाने वालों और दंगाइयों के साथ खड़ी है। नेहालुद्दीन ने कहा कि मुस्लिम लड़के आत्मरक्षा के लिए बम बना रहे थे।

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