राजनीतिक दलों को चंदे में पारदर्शिता लाने और चुनावी फंडिंग को साफ-सुथरा बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्र सरकार राजनीतिक दलों को चंदे के लिए खास तरह के बॉन्ड्स लेकर आई है। अब पॉलिटिकल पार्टियों को चंदा देने में इन्हीं बॉन्डस का इस्तेमाल होगा। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता की वकालत की है, उन्हीं के निर्देश पर 2017-18 के आम बजट में इस तरह के चुनावी बॉन्ड्स जारी किए जाने की घोषणा की गई थी ताकि राजनीतिक चंदे में काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके। मंगलवार, 2 जनवरी, 2017 को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में इन चुनावी बॉन्ड्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जाहिर है कि मोदी सरकार के इस फैसले से चुनावी चंदे के तौर पर हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
एसबीआई की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे बॉन्ड्स
इन चुनावी बॉन्ड्स को भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीदा जा सकेगा। ये बॉन्ड्स 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, 10 लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के मूल्य में भी उपलब्ध होंगे। चुनावी बॉन्ड्स पर दानदाता का नाम नहीं होगा, इसे केवल अधिकृत बैंक खाते के जरिए 15 दिनों के भीतर भुनाया जा सकेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि बॉन्ड्स खरीदने वाले को SBI को केवाईसी की जानकारी देनी होगी, लेकिन बॉन्ड्स पर उसके खरीदार का नाम नहीं होगा। उन्होंने बताया कि राजनीतिक दलों को चंदे के लिए ब्याज मुक्त बॉन्ड्स, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की चुनिंदा शाखाओं से जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10 दिनों तक खरीदे जा सकेंगे। आम चुनाव वाले साल में पूरे महीने इन बॉन्ड्स को खरीदा जा सकेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चुनावी बॉन्ड्स को अंतिम रूप दे दिया गया है और इस व्यवस्था के शुरू होने से देश में राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की पूरी प्रक्रिया में काफी हद तक पारदर्शिता आएगी।
Govt has now finalized the scheme of electoral bonds.These bonds would be a bearer instrument in the nature of a promissory note and an interest free banking instrument: FM Arun Jaitley pic.twitter.com/c92yolMMR4
— ANI (@ANI) 2 January 2018
काले धन पर मोदी सरकार का एक और अटैक
लगभग सभी पॉलिटिकल पार्टियों में इस समय चुनावी चंदा, कैश के रूप में लिया जाता है और इसमें काफी भ्रष्टाचार होता है, पारदर्शिता न के बराबर होती है। चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था से काफी हद तक पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी के सिस्टम को पूरी तरह से खत्म करने के लिए नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद मोदी सरकार का यह अगला बड़ा कदम माना जा रहा है। चुनावी बॉन्ड्स के सिस्टम में बैंक मध्यस्थ की भूमिका निभाएंगे। ये चुनावी बॉन्ड्स उन्हीं रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को दिए जा सकेंगे, जिनको पिछले चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिला हो।
भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पॉलिसी जीरो टॉलरेंस की रही है। प्रधानमंत्री मोदी ऊपर से लेकर नीचे तक हर स्तर पर भ्रष्टाचार को खत्म करने में लगे हैं, और इसके लिए उन्होंने नोटबंदी, जीएसटी, सब्सिडी देने के लिए डीबीटी जैसे कई अहम फैसले लिए हैं। एक नजर डालते हैं भ्रष्टाचार और काले धन पर लगाम के लिए प्रधानमंत्री मोदी के कदमों पर।
जीएसटी से भ्रष्टाचार पर वार
देशभर में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक जुलाई से लागू हो चुका है। कर प्रणाली में बदलाव होने से एक तरफ मल्टीपल टैक्स के जंजाल से देशवासी मुक्त हुए। कर की गणना आसान हुआ। कर प्रणाली को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जा रहा है। जीएसटी के लागू होने से कच्चे बिल से खरीदारी करने में काफी कमी आई है। आने वाले दिनों में यह इतिहास हो जाएगा क्योंकि जीएसटी के लागू होने से उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक सामान पहुंचने में जितने मिडलमैन हैं। सबको जीएसटीएन में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो गया है। ऐसे में हर स्तर से पक्का बिल बनता है। पक्के बिल से खरीद-बिक्री होने से असली एकाउंट्स में ट्रांजेक्शन दिखता है। व्यापारी के एक्चुअल आमदनी और ग्राहकों द्वारा भुगतान किया हुआ टैक्स सब सरकार की जानकारी में रहता है। लेन-देन में हेरा-फेरी संभावना खत्म हुई।
दो लाख से अधिक फर्जी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द
नोटबंदी के बाद सरकार ने काला धन जमा करने के लिए बनाई गई तीन लाख से भी अधिक फर्जी कंपनियों का पता लगाया। इनमें से ज्यादातर कंपनियां, नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करने में लगी थीं। सरकार की कार्रवाई में ऐसी दो लाख से ज्यादा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है। नोटबंदी के दौरान इन फर्जी कंपनियों में जमा 65 अरब रुपये की पड़ताल की जा रही है। कार्रवाई के दौरान ऐसी कंपनियों का भी पता लगा, जहां एक एड्रेस पर ही 400 फर्जी कंपनियां चलाई जा रहीं थी।
डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा
सरकार ने देश में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है। सरकार ने डिजिटल क्रांति और डिजिटल भुगतान के लिए स्वाइप मशीन, पीओसी मशीन, पेटीएम और भीम ऐप जैसे सरल उपायों को अपनाया है। जनता भी सहजता के साथ इसे अपना रही है। इससे देश में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन बढ़ा है। डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के फलस्वरूप इससे शासन-प्रशासन, नौकरशाही में पारदर्शिता आई है और नागरिकों में भी जागरुकता बढ़ी है।
पीएमजीकेवाई के अंतर्गत कालेधन की घोषणा
नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन रखने वालों को एक आखिरी मौका देते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) दिसंबर 2016 में लॉन्च की गई थी। इसमें कालाधन रखने वालों को टैक्स और 50 प्रतिशत जुर्माना देकर पाक-साफ होने का मौका दिया गया। साथ ही कुल अघोषित आय का 25 प्रतिशत ऐसे खाते में चार साल तक रखना होता है, जिसमें कोई ब्याज नहीं मिलता। नोटबंदी के बाद अघोषित आय के खुलासे में तेजी आई है। अभी तक 21,000 लोगों ने 4,900 करोड़ रुपये के कालेधन की घोषणा की है।
नोटबंदी से पहले आईडीएस स्कीम
कालेधन पर नियंत्रण करने के लिए मोदी सरकार ने नोटबंदी से पहले ही सभी कारोबारियों और उद्योगपतियों को अपना काला धन घोषित करने का ऑफर आईडीएस स्कीम के तहत दिया था। इस योजना के तहत लोग अपना सारा काला धन सार्वजनिक करके 25 प्रतिशत टैक्स और जुर्माने का भुगतान करके कार्रवाई से बच सकते थे। इसके तहत 65,000 करोड़ रुपये का कालाधन उजागर हुआ था।
केंद्र सरकार की ओर से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए एक के बाद एक कई निर्णय लिए गये हैं।
• जन धन योजना- इसके तहत गरीबों के लिए अब तक लगभग 30 करोड़ से ज्यादा खाते खोले जा चुके हैं। सरकारी योजनाओं में सब्सिडी बिचौलियों के हाथों से दिये जाने के बजाय सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचने लगी है।
• कर बचाने में मददगार देशों के साथ कर संधियों में संशोधन– मॉरीशस, स्विटजरलैंड, सऊदी अरब, कुवैत आदि देशों के साथ कर संबंधी समझौता करके सूचनाओं को प्राप्त करने का रास्ता सुगम कर लिया गया है।
• नोटबंदी- कालेधन पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के बाद सबसे बड़ा कदम 08 नवंबर 2016 को उठाया। नोटबंदी के जरिए कालेधन के स्रोतों का पता लगा। लगभग तीन लाख ऐसी शेल कंपनियों का पता चला जो कालेधन में कारोबार करती थी। इनमें से लगभग दो लाख कंपनियों और उनके 1 लाख से अधिक निदेशकों की पहचान करके कार्रवाई की जा रही है।
• बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून- नोटबंदी के बाद सरकार के पास बेनामी संपत्तियों के बारे में पुख्ता जानकारी उपलब्ध हो चुकी है। बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून, जिसे सालों से कांग्रेस ने लटकाये रखा था, उसे लागू करके इन संपत्तियों के खिलाफ जांच चल रही है।
• फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई- सीबीआई ने छद्म कंपनियों के माध्यम से कालेधन को सफेद करने वाले कई गिरोहों का भंडाफोड़ किया है। देश में करीब तीन लाख ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने अपनी आय-व्यय का कोई ब्योरा नहीं दिया है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करती हैं।
• रियल एस्टेट कारोबार में 20,0000 रुपये से अधिक कैश में लेनदेन पर जुर्माना- रियल एस्टेट में कालेधन का निवेश सबसे अधिक होता था। पहले की सरकारें इसके बारे में जानती थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती थीं। इस कानून के लागू होते ही में रियल एस्टेट में लगने वाले कालेधन पर रोक लग गई।
• स्रोत पर कर संग्रह- 2 लाख रुपये से अधिक के कैश लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। इससे ऊपर के लेनदेन चेक, ड्रॉफ्ट या ऑनलाइन ही हो सकते हैं।
• ‘आधार’ को पैन से जोड़ा- कालेधन पर लगाम लगाने के लिए ये एक बहुत ही अचूक कदम है। ये निर्णय छोटे स्तर के भ्रष्टाचारों पर भी नकेल कसने में काफी कारगर साबित हो रहा है।
• सब्सिडी में भ्रष्टाचार पर नकेल- गैस सब्सिडी को सीधे बैंक खाते में देकर, मोदी सरकार ने हजारों करोड़ों रुपये के घोटाले को खत्म कर दिया। इसी तरह राशन कार्ड पर मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को भी 30 जून 2017 के बाद से सीधे खाते में देकर हर साल 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की जा रही है। इससे निचले स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार को पूरी तरह से खत्म करने में कामयाबी मिली है।
• ऑनलाइन सरकारी खरीद- मोदी सरकार ने सरकारी विभागों में सामानों की खरीद के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया लागू कर दी गई है। इसकी वजह से पारर्दशिता बढ़ी है और खरीद में होने वाले घोटालों में रोक लगी है।
• प्राकृतिक संसाधानों की ऑनलाइन नीलामी- मोदी सरकार ने सभी प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी वजह से पारदर्शिता बढ़ी है और घोटाले रुके हैं। यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला, स्पेक्ट्रम नीलामी जैसे घोटालों में देश का इतना खजाना लूट लिया गया था कि देश के सात आठ शहरों के लिए बुलेट ट्रेन चलवायी जा सकती थी।
• आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की जियोटैगिंग- सड़कों, शौचालयों, भवनों, या ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सभी निर्माण की जियोटैगिंग कर दी गई है। इसकी वजह से धन के खर्च पर पूरी निगरानी रखी जा रही है।
इन कदमों के साथ ही सरकार ने दशकों से चली आ रही लालफीताशाही और भ्रष्टाचार में लिप्त कार्यसंस्कृति को बदलने का काम किया। सरकारी योजनाओं में दूरदर्शिता और समयबद्धता के साथ पारदर्शिता भी स्पष्ट दिखने लगी है।