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KASHMIR में बदलाव का असर : सेब और केसर के लिए मशहूर कश्मीर की पेंसिल भी अब 60 देशों में हो रही निर्यात, PM MODI बोले- पहले जहां आतंक की खबरें, वहां अब हो रहा तेज विकास

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सरकार को कोई एक सही फैसला कितना बदलाव ला सकता है, यह देखना हो तो कश्मीर से बेहतर मिसाल और कौनसी हो सकती है। पीएम नरेन्द्र मोदी की विजन और दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते यहां जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म किया गया। इस एक फैसले ने घाटी में बदलाव की बयार ला दी है। विकास को तो जैसे पंख लग गए हैं और इससे युवाओं के लिए रोजगार के नित-नए अवसर बन रहे हैं। इसलिए आज घाटी के युवा मोदी-मोदी के नारे लगा रहे हैं। कश्मीर अपनी खूबसूरती, रसभरे सेब और केसर के लिए तो मशहूर था ही। अब नए रास्ते खुलने से यह परफ्यूम, पैंसिल और पशमीना के लिए नए-नए रोजगार दे रहा है। सिर्फ पैंसिल ही बात करें तो आज न सिर्फ देश, बल्कि दुनियाभर के 60 देशों में यहां बनी पेंसिल इस्तेमाल की जाती है। श्रीनगर के पुलवामा जिले में झेलम नदी के किनारे स्थित उखू की पहचान अब ‘पेंसिल विलेज’ के रूप में होने लगी है। यहां से दुनियाभर में पेंसिल निर्यात होती है।धारा 370 के हटने से शांति-अमन और विकास के रास्ते पर चल पड़ा कश्मीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और विजनरी सोच की ही कमाल है कि ‘भारत का भाल’ जम्मू-कश्मीर करीब साढ़े चार साल में सचमुच ही ‘स्वर्ग’ बनने के रास्ते पर चल पड़ा है। जम्मू-कश्मीर में दशकों से भारतीय नागरिकता और सरकारी सुविधाओं से वंचित लोगों को अब सभी सुविधाएं मिलने लगी हैं। वहां के सियासी दल भी अब कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की बात करने लगे हैं। केंद्रीय स्तर पर कानून बनने के बाद जम्मू—कश्मीर चुनाव में भी एससी और एसटी श्रेणी के लोगों को अब आरक्षण का लाभ मिलने लगा है। शांति-अमन के बीच भारत का स्वर्ग फिर से दुनियाभर के पर्यटकों को आवाज दे रहा है। काबिले जिक्र है कि भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था। कुछ छुट-पुट घटनाओं को छोड़ दें तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से जम्मू और कश्मीर में अभूतपूर्व शांति-अमन में प्रगति हुई है। खासकर युवाओं ने पत्थरबाजी को छोड़कर विकास और रोजगार की राह पकड़ ली है। इसके एक नहीं, अनेक उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।

केसर-सेब के लिए मशहूर कश्मीर में अब पैंसिल उद्योग को लग रहे पंख
केसर और सेब के लिए फेमस कश्मीर में अब घर-घर इस्तेमाल की जाने वाली बच्चों की पैंसिल का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा है। यहां पर 20 पेंसिल स्लेट निर्माण कारखाने’ हैं, जिनमें से 17 पुलवामा में और अधिकांश उखू गांव में स्थित हैं। स्थानीय पुरुषों, महिलाओं और बंगाल, असम और बिहार के अन्य लोगों सहित लगभग 5000 मजदूरों को इस उद्योग से रोजगार मिल रहा है। यहां पेंसिल उद्योग से सालाना 190 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होने लगा है। पेंसिल बनाने के लिए यह जगह मुफीद इसलिए है, क्योंकि कश्मीर में उगने वाले चिनार के पेड़ों में भारी मात्रा में नमी मौजूद होती है।

 

खेती और लकड़ी का छोटा कारोबार करने वाले अब फैक्ट्रियों के मालिक
वनस्पतिशास्त्री मोहम्मद अदनान का कहना है कि 10-12 साल में उखू के लोगों ने 17 पेंसिल फैक्ट्रियां शुरू की हैं। आबिद अहमद बताते हैं, 20 लाख रुपए कर्ज लेकर 2011 में हमने एक फैक्ट्री शुरू की थी। तब से हम यहां पेंसिल बना रहे हैं। हम पहले सिर्फ छोटे लकड़ी व्यापारी थे और अब अपने बिजनेस के मालिक हैं। मोहमद्द अल्ताफ बताते हैं, ‘इस उद्योग से अच्छी कमाई के साथ लोगों को रोजगार भी दे पा रहे हैं। मोहम्मद अदनान का कहना है कि जितनी नमी यहां हैं, ‘इतनी नमी दुनिया में कुछ ही जगहों पर है। यह नमी लकड़ी को कोमलता देती है, जो बेहतरीन पेंसिल तैयार करने में मदद करती है।’

एशियाई और यूरोपीय देशों में यहां बनी पेंसिल्स की खासी डिमांड
पेंसिल निर्माण से जुड़े बशीर अहमद के मुताबिक चिनार के पेड़ों से छोटे लट्ठे बनाकर फैक्ट्री में इसकी स्लेट तैयार की जाती है। एक स्लेट से 4 पेंसिल बनाई जाती हैं। इन स्लेटों के सूखने के बाद महिलाएं उन्हें छांटकर पैक करती हैं। इन्हें फिर फाइनल शेप देने के लिए सप्लाई किया जाता है। अहमद के मुताबिक यहां निर्मित लकड़ी के स्लैट्स अंतिम आकार के लिए अप्सरा, नटराज और हिंदुस्तान पेंसिल जैसे सबसे बड़े पेंसिल निर्माताओं के पास भेजी जाती है। एशियाई और यूरोपीय देशों में यहां बनी पेंसिल्स की खासी डिमांड है। आठ साल से पेंसिल बनाने का काम कर रहे प. बंगाल के मयूर माथुर बताते हैं कि कश्मीर की पेंसिल्स रूस, ऑस्ट्रेलिया और चीन की पेंसिल्स की तरह गुणवत्ता वाली हैं पर कम महंगी हैं। उन्हें इस काम से 18 हजार रुपए महीने की आमदनी हो जाती है।पहले आतंक की खबरें आती थीं, अब बह रही विकास की बयार- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को कहा कि एक वो दिन भी थे, जब जम्मू-कश्मीर से सिर्फ निराशा की खबरें आती थीं। बम-बंदूक, अपहरण, अलगाव, ऐसी ही बातें जम्मू-कश्मीर का दुर्भाग्य बना दी गई थीं। लेकिन अब आज जम्मू-कश्मीर, विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। आज ही यहां 32 हज़ार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है। ये शिक्षा-कौशल, रोज़गार, सेहत, उद्योग और कनेक्टिविटी से जुड़े प्रोजेक्ट्स हैं। आज यहां से देश के अलग-अलग शहरों के लिए औऱ भी ढेर सारी परियोजनाओं का उद्घाटन हुआ है। अलग-अलग राज्यों में IIT और IIM जैसी संस्थाओं का विस्तार हो रहा है। इन सारी विकास परियोजनाओं के जम्मू कश्मीर को बहुत लाभ होने वाला है। सैकड़ों नौजवानों को सरकारी नियुक्ति पत्र मिलने से उनमें भी जोश और भरोसे का संचार हो रहा है।दस साल पहले स्कूल जलाए जाते थे, अब KASHMIR में सजाए जा रहे हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विकसित बनाने के लिए हमारी सरकार गरीब, किसान, युवाशक्ति और नारीशक्ति पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है। आज देखिए, जम्मू कश्मीर शिक्षा और कौशल विकास का बहुत बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। बीते 10 वर्षों में देश में शिक्षा को आधुनिक बनाने का जो मिशन हमारी सरकार ने चलाया है, उसका आज यहां और विस्तार हो रहा है। यहां जम्मू-कश्मीर में ही करीब 50 नए डिग्री कॉलेज स्थापित किए जा चुके हैं। ऐसे 45 हजार से ज्यादा बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया गया है, जो पहले स्कूल नहीं जाते थे। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि इन स्कूलों का सबसे ज्यादा फायदा हमारी बेटियों को हुआ है। आज वे घर के पास ही बेहतर शिक्षा हासिल कर पा रही हैं। एक वो दिन थे, जब स्कूल जलाए जाते थे, एक आज का दिन है, जब स्कूल सजाए जा रहे हैं।शाहीना बेगम ने ऐसे तय किया गरीबी से लखपति दीदी बनने का सफर
इससे पहले प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के कुछ लोगों से सीधा संवाद किया। इसमें साफ तौर पर दिखा कि अब कैसे कश्मीर के लोग विकास की पटरी पर सरपट दौड़ने लगे हैं। कश्मीर के बांदीपुरा की शाहीदा बेगम ने पीएम को बताया कि सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ने और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने के बाद कैसे उनकी जिंदगी बदल गई। उन्होंने बताया कि पहले गरीबी और बेरोजगारी की वजह से उन्हें बहुत सारी मुश्किलातों का सामना करना पड़ता था। लेकिन कुछ साल पहले एसएचजी से जुड़ने के बाद सरकार से लोन लेकर अपने एक स्माल हनी फार्मिंग बिजनेस की शुरुआत की। इससे फायदा मिला तो एनआरएलएम से और लोन लेकर अपना मल्टीपरपज यूनिट स्टैब्लिश किया। आज इसमें राइस मिल, फ्लोर मिल, मसाला मिल, ऑयल एक्सपेलर, पॉल्टी यूनिट, हनी फार्मिंग चल रहे हैं। इससे मेरे परिवार की अच्छी-खासी कमाई हो रही है और कई अन्य परिवारों का भी गुजारा हो रहा है। सरकार की मदद से मेरे बिजनेस की मार्केटिंग हुई तो मेरे हुनर को एक नई पहचान मिल गई और आज मैं एक लखपति दीदी बन गई हूं।

खानाबदोश जिंदगी के बाद अब पीएम आवास योजना से मिला पक्का घर
इस मौके पर कश्मीर के पुंछ जिले के लाल मोहम्मद ने प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करते हुए अपने अच्छे दिन आने की बात बताई। उन्होंने कहा कि गुर्जर विरादरी से ताल्लुक रखने वाले हम लोग पीढ़ियों से खानाबदोश थे। परेशानी के हाल में कच्चे मकानों में रहते थे। हमने मिलिटेंसी के दौर में बहुत सी परेशानी और मुसीबतें देखी हैं। लेकिन अब प्रधानमंत्री पीएम आवास योजना के तहत जो पैसा मिला है, उससे उन्होंने अपना घर पक्का बना लिया है और खुशहाली की जिंदगी जी से रह रहे हैं। लाल मोहम्मद ने पीएम मोदी की हिंदुस्तान से लगाव का अपना एक गाना भी सुनाया और बताया कि बड़े लोग तो आपकी योजनाओं से लाभान्वित हो ही रहे हैं और बहुत खुशी से अच्छे से रहते हैं और आपका गुण गाते हैं। यहां तक कि गांव के छोटे-छोटे बच्चे भी मोदी-मोदी जी नारा लगाते चलते रहते हैं।
अनुच्छेद-370 व 35ए खत्म होने से ये आए 15 महत्वपूर्ण बदलाव

1. अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन ले सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो गई है।
2. कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं है. मतलब वहां भी अब तिरंगा शान से लहराता है. जम्मू-कश्मीर में अब तिरंगे का अपमान या उसे जलाना या नुकसान पहुंचाना संगीन अपराध है।
3. अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है. अब वहां भी भारत का संविधान लागू है।
4. बेहतर शासकीय प्रबंधन के लिए जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटा गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।
5. महिलाओं पर पर्सनल कानून बेअसर हो गया. इस संशोधन से सबसे बड़ी राहत जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को ही मिली है। इसको जम्मू-कश्मीर की महिलाओ की आजादी के तौर भी देखा जा सकता है।
6. अनुच्छेद-370 की पहचान इसके सबसे विवादित खंड 2 व 3 से थी, जो भेदभाव से भरी थी। इन दोनों खंडों के समाप्त होने से प्रभावी रूप से अनुच्छेद 370 से आजादी मिल गई है।
7. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. मतलब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार बनेगी, लेकिन लद्दाख की कोई स्थानीय सरकार नहीं होगी.

8. जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता है। दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं होगी।
9. जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल अब छह साल का नहीं, बल्कि भारत के अन्य राज्यों की तरह पांच वर्ष का ही होगा।
10. भारत का कोई भी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर में नौकरी भी कर सकता है। अब तक जम्मू-कश्मीर में केवल स्थानीय लोगों को ही नौकरी का अधिकार था।
11. अन्य राज्यों से जम्मू-कश्मीर जाकर रहने वाले लोगों को भी वहां मतदान करने का अधिकार मिल सकेगा। साथ ही अन्य राज्यों के लोग भी अब वहां से चुनाव लड़ सकेंगे।
12. जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के लोग भी अब शिक्षा के अधिकार, सूचना के अधिकार जैसे भारत के हर कानून का लाभ उठा रहे हैं।
13. केंद्र सरकार की कैग जैसी संस्था अब जम्मू-कश्मीर में भी भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए ऑडिट कर सकेगी। इससे वहां भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
14. अब जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में भी सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला लागू होगा। पहले विशेष दर्जे के कारण जनहित में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले वहां लागू नहीं होते थे।
15. अब तक यहां की कानून-व्यवस्था मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी थी। अब दिल्ली की तरह जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की कानून-व्यवस्था भी सीधे केंद्र के हाथ में होगी। गृहमंत्री, उपराज्यपाल के जरिये इसे संभालेंगे।दो साल में पूरी हुईं 1200 से अधिक परियोजनाएं, कुछ दो दशक से लटकी थीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए वहां से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया है उसके बाद दो साल में ही 1200 से अधिक परियोजनाएं पूरी की गई हैं। इनमें से 5 परियोजनाएं तो ऐसी हैं जो पिछले 20 साल से लटकी पड़ी थीं। पीएम मोदी ने 15 ऐसी परियोजनाओं को गति देकर उन्हें पूरा कराया है जो 15 सालों से लटकी पड़ी थी। 165 परियोजनाएं जो 10 सालों से लटकी थी, उसे भी मोदी सरकार ने पूरा किया है।

सेना और पुलिस ने मिलकर आतंकियों को जहन्नुम की राह दिखाई
सवा दो साल की अवधि में कश्मीर घाटी में हालात बदले हैं। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन का मिजाज भी बदला है। ऐसा केंद्र सरकार के सख्त रवैये को देखते हुए स्थानीय आतंकी संगठनों का सफाया और उनके आकाओं का हुक्का-पानी पूरी तरह से बंद करने की वजह से हुआ है। कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकी अपनी जमीन खो चुके हैं। उनके चंगुल से निकल स्थानीय लोग और प्रशासनिक मशीनरी नए ढर्रे पर चल पड़ी है। सोच में बदलाव का ही असर है कि ऑपरेशन ऑल आउट के तहत सेना और स्थानीय पुलिस ने मिलकर आतंकियों को जहन्नुम की राह दिखाने का काम किया। 2020 में 221 आतंकी ढेर किए गए, जबकि एक साल पहले 2019 में 157 आतंकी मारे गए थे। पंचायतों, ब्लॉकों और डीडीसी चुनाव स्थानीय प्रशासन की देखरेख में संपन्न हुए हैं।वोटर सर्वेक्षण में 47.5% लोगों ने माना था सही कदम
अगर हम एबीपी-सी वोटर सर्वेक्षण पर गौर फरमाएं तो खुद ब खुद पता चल जाता है कि वहां पर हालात बदले हैं। हर स्तर पर लोग बदलाव का स्वीकार करने लगे हैं और नए माहौल के अनुरूप आगे बढ़ना चाहते हैं। ऐसा इसलिए कि एबीपी-सी वोटर सर्वेक्षण में 47.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करना मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। जबकि 23.7 प्रतिशत का मानना है कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबसे बड़ी उपलब्धि है। 543 लोकसभा सीटों पर किए गए सर्वे में 1.39 लाख लोगों से बातचीत की गई। यह सर्वे एक जनवरी से 28 मई 2021 के बीच किया गया था।

 

 

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