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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम तुष्टिकरण में अंधे केजरीवाल को लगाई लताड़, कहा- एक राज्य के सीएम का ऐसा बयान शोभा नहीं देता, जिसका कुछ छिपा हुआ अर्थ हो

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नाम से सिर्फ हिन्दू हैं। लेकिन तन, मन, वचन और कर्म से पूरी तरह मुस्लिम है। उन्होंने मुस्लिम तुष्टिकरण में कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है। उनकी जुबान से ‘भगवान’ की जगह ‘खुदा’ शब्द निकलता है। अब ‘खुदा’ ही केजरीवाल के गले की फांस बन गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 8 साल पुराने केस में राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने 2014 में दर्ज किए गए केस में सुल्तानपुर कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट का मानना है कि केजरीवाल ने वोटर्स को प्रभावित करने के लिए ‘खुदा’ के नाम पर धमकाया था। कोर्ट ने केजरीवाल को नसीहत देते हुए कहा कि एक राज्य के सीएम को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए, जिसके छिपे हुए अर्थ हो।

केजरीवाल को इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मंगलवार (17 जनवरी, 2023) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लताड़ लगाते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया एक व्यक्ति जोकि एक राज्य का मुख्यमंत्री हो, ऐसे वाक्य या शब्दों का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता, जिसका कुछ छिपा हुआ अर्थ हो। कोर्ट ने भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान उड़न दस्ते के मजिस्ट्रेट प्रेम चंद्र ने अमेठी जिले के कोतवाली मुसाफिरखाना थाने में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें केजरीवाल पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।

भाजपा को वोट देगा उसे खुदा माफ नहीं करेगा- केजरीवाल

दरअसल आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी जिले में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा था, ‘जो कांग्रेस को वोट देगा, मेरा मानना होगा, देश के साथ गद्दारी होगी। जो भाजपा को वोट देगा उसे खुदा माफ नहीं करेगा। देश के साथ गद्दारी होगी।’ ट्रायल कोर्ट ने इसका संज्ञान लेकर उन्हें 6 सितंबर, 2014 को तलब किया था। इसके बाद केजरीवाल ने आरोप पत्र से नाम हटाने के लिए एक आवेदन दाखिल किया था, लेकिन सुलतानपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने उसे चार अगस्त 2022 को खारिज कर दिया था।

कोर्ट से राहत दिलाने में नाकाम रही केजरीवाल की दलील 

केजरीवाल ने एसीजेएम कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में भी चुनौती दी, जिसे अक्टूबर 2022 में खारिज किया गया। इसके बाद केजरीवाल हाई कोर्ट गए, लेकिन अब वहां से भी निराशा हाथ लगी है। कोर्ट के सामने केजरीवाल ने दलील दी कि उन्होंने धर्म के आधार पर वोट की अपील नहीं की थी और ना ही उन्होंने वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया, इसलिए उन्हें इस कानून के उल्लंघन का दोषी कहना ठीक नहीं है। केजरीवाल की यह दलील उन्हें राहत दिलाने में नाकाम रही और लखनऊ पीठ ने भी उनकी अर्जी खारिज कर दी।

देश की जनता केजरीवाल के मुस्लिम प्रेम से वाकिफ है। मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए वह किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। आइए एक नजर डालते हैं केजरीवाल के मुस्लिम प्रेम पर….

जनता के 101 करोड़ रुपये वक्फ बोर्ड को बांटे

अक्टूबर 2022 में एक RTI में खुलासा हुआ कि केजरीवाल ने पिछले सात साल में दिल्ली वक्फ बोर्ड को जनता के टैक्स के तक़रीबन 101 करोड़ रुपए दिए हैं। पिछले सात साल से केजरीवाल यमुना को साफ करने वादा करते आ रहे हैं। छठ पर्व पर हर साल श्रद्धालुओं को गंदे पानी में डुबकी लगाना पड़ता है और सूर्य भगवान की आराधना में उसी पानी में घंटों खड़ा रहना पड़ता है। लेकिन केजरीवाल इस मुद्दे पर वादा ही करते रहे और वक्फ बोर्ड को 101 करोड़ रुपये दे दिए। इससे स्पष्ट होता है केजरीवाल का हिंदू प्रेम और मुस्लिम प्रेम!

केजरीवाल ने एक साल में वक्फ बोर्ड को 62 करोड़ रुपये दिए

केजरीवाल ने अपने 7 साल के कार्यकाल में जनता के 101 करोड़ रुपए की जो रकम दिल्ली वक्फ बोर्ड को दी है, उसमें से 62 करोड़ रुपए बीते एक साल में दिए गए हैं। वहीं, वर्ष 2019-20 में 22 करोड़ 72.50 लाख रुपए प्रदान किए गए। इसके पहले 2018-19 में 8 करोड़ 85 लाख 69 हजार रुपए दिए गए। RTI में मिले जवाब के मुताबिक, वर्ष 2015-16 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को 1.25 करोड़ रुपए दिए थे। इसके बाद यह राशि प्रति वर्ष बढ़ती चली गई। वर्ष 2016-17 में 1.37 करोड़ रुपए और 2017-18 में 5 करोड़ रुपए प्रदान किए गए। हालांकि, 2020-21 में दिल्ली सरकार ने वक़्फ़ बोर्ड को कोई पैसा नहीं दिया। यह वही साल था, जब देश में कोरोना कहर बरपा रहा था।

हर साल वक्फ बोर्ड 14.50 करोड़ रुपये दिए

RTI कार्यकर्ता अजय बोस द्वारा हासिल की गई जानकारी के मुताबिक, दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने प्रति वर्ष औसतन लगभग 14.50 करोड़ रुपय़े की सार्वजनिक राशि दिल्ली वक्फ बोर्ड को दी है। दिल्ली सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड को सौंपा गया यह पैसा आम जनता का है, मगर अपनी वोटबैंक की सियासत को चमकाने के लिए यह पैसा एक समुदाय विशेष को सौंप दिया गया।

मुस्लिम तुष्टिकरणः मुस्लिम वोटरों को सुविधाएं, हिंदुओं के साथ खिलवाड़

RTI के इस जवाब के बाद साफ हो गया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए केजरीवाल सरकार हर प्रयास कर रही है। अपितु हिंदुओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बोस ने ट्वीट कर लिखा, अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपने 7 साल के शासन में दिल्ली वक्फ बोर्ड 101 करोड़ रुपये से अधिक दिए, क्या यह तुष्टिकरण की नीति नहीं है केजरीवाल जी और आपने हिंदुओं को कुछ नहीं दिया।

‘अंबानी’ का घर वक्फ की प्रोपर्टी… हमारी सरकार होती तो तुड़वा देताः केजरीवाल

केजरीवाल मुस्लिम तुष्टिकरण में कांग्रेस से एक कदम आगे निकलते हुए नजर आ रहे हैं। यहां तक कि तथाकथित वक्फ जमीनों पर से हिन्दुओं को बेदखल करने और उनके मकानों को तोड़ने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”बंबई के अंदर इस देश का जो सबसे अमीर आदमी है, बताते हैं उसका घर वक्फ बोर्ड की प्रोपर्टी पर बना हुआ है। मैं गलत तो नहीं कह रहा?” केजरीवाल इतने पर नहीं रूके। उन्होंने आगे कहा, “वहां की सरकार की हिम्मत नहीं है, जो उसको कुछ कर दे। हमारी सरकार अगर वहां होती, तो उसकी प्रोपर्टी तुड़वा देती। वक्फ बोर्ड को जब भी किसी चीज की जरूरत होगी। दिल्ली सरकार वक्फ बोर्ड के साथ है।”

वक्फ बोर्ड के प्रति तन, मन, धन से समर्पित केजरीवाल

दरअसल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें केजरीवाल मुस्लिमों की एक सभा को संबोधित करते नजर आ रहे हैं। इस दौरान उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “कभी भी जरूरत पड़े आपको… तन, मन, धन से केजरीवाल और दिल्ली सरकार पूरी तरह से वक्फ बोर्ड के साथ है।”

वक्फ बोर्ड और मौलानाओं पर मेहरबान हुए केजरीवाल

इस वीडियो को तीन साल पहले 24 जनवरी, 2019 को आम आदमी पार्टी के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था। दिल्ली के एवान ए गालिब ऑडिटोरियम में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें केजरीवाल ने वक्फ बोर्ड अध्यक्ष अमानतुल्ला खान की जमकर तारीफ की और उन्हें अपना छोटा भाई व शेर बताया। दूसरी तरफ, अमानतुल्ला खान ने मौलाना और मुअज्जिन का वेतन बढ़ाने का एलान किया। मौलाना की सैलरी दस हजार से बढ़ाकर 18000 और मुअज्जिन की सैलरी 9000 से बढ़ाकर 16 हजार कर दी।

केजरीवाल ने खुलकर खेला ‘मुस्लिम कार्ड’, मौलवियों की तनख्वाह दोगुना करने का ऐलान

वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली की केजरीवाल सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण में जुट गई थी। मुसलमानों को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की मस्जिदों के इमाम और मोअज़्ज़िन का वेतन करीब दोगुना करने का एलान किया। दिल्ली के 185 मस्जिदों के इमामों को अब 18 हज़ार रुपये वेतन दिया जाएगा, पहले ये वेतन 10 हज़ार रुपये हुआ करता था। वही मुअज़्ज़िन को अब 16 हज़ार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा जबकि अब तक मुअज़्ज़िन को 9 हज़ार रुपये मिला करता था।

देश में ऐसा पहली बार हुआ, मौलवियों के लिए खोला खजाना

इतना ही नहीं, दिल्ली सरकार ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के तहत ना आने वाली मस्जिदों के इमाम और मुअज़्ज़िन को भी वेतन देने का एलान कर दिया। ऐसा देश में पहली बार हुआ है कि वक्फ़ बोर्ड के दायरे के बाहर की मस्जिदों के इमाम और मुअज़्ज़िन को भी सरकार की जेब से तनख्वाह दी जा रही है।दिल्ली में अब वक़्फ़ बोर्ड के दायरे के बाहर की मस्जिदों के इमामों को 14 हज़ार और मुअज़्ज़िन को 12 रुपये महीने वेतन मिलेगा। केजरीवाल ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए ये ऐलान किया। इसमें सीएम अरविंद केजरीवाल के अलावा उनके मंत्री इमरान हुसैन और दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के अध्य्क्ष अमनातुल्ला खान मौजूद थे।

मुसलमानों को दिखाया मोदी का खौफ

कार्यक्रम में दिल्ली की सभी मस्जिदों के इमामों और मुअज़्ज़िन को बुलाया गया था। दरअसल पीछे शुद्ध राजनीति है। उन्होंने मुस्लिमों को मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने का भी डर दिखाया। उन्होंने एक और चारा भी फेंका। उन्होंने कहा कि “मैं मोदी और अमित शाह को हराने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूं। अगर आपके वोट विभाजित होते हैं, तो देश को भारी नुकसान होगा। केजरीवाल ने कहा कि आप लोकसभा चुनाव में सभी सात सीटों पर जीत हासिल करेगी। केजरीवाल ने कार्यक्रम के दौरान मुसलमानों से आम आदमी पार्टी को वोट देने की भी अपील की। इस दौरान अमानतुल्लाह ने कहा कि अगर केंद्र में मोदी सरकार को रोकने के लिए कांग्रेस को भी समर्थन देना पड़ा तो आम आदमी पार्टी, कांग्रेस को भी समर्थन देगी।

हिन्दू बहुल गांवों और मंदिर पर दावा ठोकता है वक्फ बोर्ड

अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर तीन साल पुराना यह वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर क्यों वायरल हो रहा है। इसके पीछे वक्फ बोर्ड के दावे को लेकर चल रहा विवाद है। तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने हिंदू बहुल गांव से लेकर हिंदू मंदिर तक को अपनी संपत्ति बता दी। वाराणसी ज्ञानवापी मामले की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष का यही दावा है कि यह सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। ताजमहल पर 2005 में वक्फ बोर्ड ने दावा कर दिया था। उत्तर प्रदेश में ऐसे अनेक स्थल हैं जिन पर वक्फ दावा करता है और विवाद चल रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मदरसों के बाद अब वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का भी सर्वे कराने का निर्णय लिया है। मुस्लिम समाज इस सर्वे का तीव्र विरोध कर रहा है।

 

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