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सहकार आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, इसमें देश की अनेक मुश्किलों का हल : पीएम मोदी

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गुजरात दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राजकोट के अटकोट में बने मातुश्री केडीपी मल्टीश्पेश्यलिटी हॉस्पिटल का उद्घाटन किया। अपने एक दिन के दौरे के दौरान उन्होंने शाम को कलोल में स्थित नैनो यूरिया तरल प्लांट का उद्घाटन किया। मालूम हो कि देश का यह पहला नैनो यूरिया प्लांट है। अपने इस दौरे के दैरान उन्होंने राजकोट और गांधी नगर में लोगों को संबोधित किया। अपने पहले पब्लिक मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार की राष्ट्रसेवा के 8 साल पूरे होने की बात कही। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में उन्होंने गरीब की सेवा, सुशासन और गरीब के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। वहीं गांधीनगर में आयोजित गोष्ठी में उन्होंने देश में सहकार बढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है और आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है।

देश के विकास को मिली नई गति

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर चलते हुए हमने देश के विकास को नई गति दी है। इन 8 सालों में हमने पूज्य बापू और सरदार पटेल के सपनों का भारत बनाने के लिए ईमानदार प्रयास किए गए हैं। पूज्य बापू एक ऐसा भारत चाहते थे जो हर गरीब, दलित, वंचित, आदिवासी को सशक्त करे, जहां स्वच्छता और स्वास्थ्य जीवन पद्धति का हिस्सा बने। उन्होंने कहा कि जब गरीबों की सरकार होती है, तो कैसे उसकी सेवा करती है, कैसे उसे सशक्त करने के लिए काम करती है, ये आज पूरा देश देख रहा है। जब हर नागरिक तक सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य होता है तो भेदभाव भी खत्म होता है, भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी नहीं होती। इसलिए हमारी सरकार मूल भूत सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं को सैचुरेशन तक पहुंचाने में जुटी है। हमारा ये प्रयास देश के गरीब को, देश के मध्यम वर्ग को सशक्त करेगा, उनका जीवन और आसान बनाएगा।

पहले यूरिया के लिए किसानों को खानी पड़ती थी लाठियां 

प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी नगर में अपने संबोधन के दौरान कहा “भारत फर्टिलाइज़र के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर है लेकिन उत्पादन के मामले में तीसरे नंबर पर है। ऊपर से 7-8 साल पहले तक हमारे यहां ज्यादातर यूरिया खेत में जाने के बजाय कालाबाज़ारी का शिकार हो जाता था और किसान अपनी ज़रूरत के लिए लाठियां खाने को मजबूर था। यहां जो बड़ी यूरिया की फैक्ट्रियां थीं, वो भी नई टेक्नॉलॉजी के अभाव में बंद हो गई थीं। लेकिन 2014 में सरकार बनने के बाद हमने यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का किया।इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चत हुआ। साथ ही हमने यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में 5 बंद पड़े खाद कारखानों को फिर चालू करने का काम शुरु किया।“

तात्कालिक उपाय के साथ स्थायी समाधान भी खोजे गए  

पीएम मोदी ने लोगों से प्रश्न करते हुए कहा कि क्या हम 21वीं सदी में अपने किसानों को सिर्फ विदेशी परिस्थितियों पर निर्भर रख सकते हैं? हर साल ये जो लाखों करोड़ रुपए केंद्र सरकार खर्च कर रही है, ये विदेश क्यों जाएं? क्या ये भारत के किसानों के काम नहीं आने चाहिए? ये सवाल अतीत में भी हर सरकार के सामने रहे हैं। लेकिन पहले सिर्फ तात्कालिक समस्या का ही समाधान तलाशा गया, आगे वो परिस्थितियां ना आएं इसके लिए सीमित प्रयास किए गए। बीते 8 सालों में हमने तात्कालिक उपाय भी किए हैं और समस्याओं के स्थाई समाधान भी खोजे हैं।

 

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