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कांग्रेस ने हिमाचल को दलदल में धकेला, 18 महीने में 19000 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ा, अब वित्त आयोग से विशेष मदद की गुहार

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कांग्रेस पार्टी ने जब से हिमाचल प्रदेश की सत्ता संभाली है राज्य लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। अब पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर हिमाचल प्रदेश की परेशानी बढ़ती हुई नजर आ रही है। कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश में आने वाला वक्त में वित्तीय संकट बढ़ सकता है। हिमाचल प्रदेश में सत्ता पाने के लिए कांग्रेस द्वारा किया गया पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) का वादा राज्य की आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ने वाला है। OPS के कारण राज्य पर आर्थिक बोझ दोगुना हो जाएगा। हिमाचल प्रदेश सरकार पर मौजूदा वक्त में 85 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। हालत यह है कि खजाना खाली होने से सैलरी पर संकट आ गया है और कर्ज चुकाने के लिए भी राज्य सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। कांग्रेस सरकार ने बीते डेढ़ वर्ष में ही लगभग 19,000 करोड़ रुपये का कर्ज राज्य पर चढ़ा दिया है। अगले वित्तीय वर्ष से पहले ही कर्ज का आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा।

पेंशन पर खर्च होगा लगभग दोगुना
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य की कांग्रेस सरकार ने 16वें वित्त आयोग की टीम को बताया है कि आने वाले वर्षों में उसका पेंशन पर होने वाला खर्च लगभग दोगुना हो जाएगा। यह नई पेंशन स्कीम में शामिल कर्मचारियों के पुरानी पेंशन स्कीम में शामिल हो जाने के कारण होगा। हिमाचल प्रदेश पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ के बीच राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 16वें वित्त आयोग से मदद की मांग भी कर दी है।

पेंशन पर वर्तमान में लगभग 10,000 करोड़ रुपये खर्च
राज्य सरकार ने बताया है कि वर्ष 2030-31 तक उसका पेंशन पर होने वाला खर्च 19,728 करोड़ रुपये हो जाएगा। यह वर्तमान में लगभग 10,000 करोड़ रुपये से भी कम है। वित्त वर्ष 2026-27 से 2030-31 के बीच कुल 90,000 करोड़ रुपये का खर्चा हिमाचल प्रदेश को पेंशन पर ही करना पड़ेगा।

पेंशन पर खर्च 13 से बढ़कर 17 प्रतिशत होगा
कांग्रेस के OPS के वादे से राज्य के अन्य विकास कार्यों के बजट में कटौती होने की आशंका है। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य के बजट में पहले पेंशन का हिस्सा मात्र 13 प्रतिशत था जो कि OPS के बाद बढ़कर 17 प्रतिशत हो जाएगा। पुरानी पेंशन के कारण होने वाला यह खर्च राज्य सरकार के कर्मचारियों को दी जाने वाली तनख्वाह पर खर्च के लगभग बराबर होगा।

पेंशन पाने वालों की संख्या सेवारत कर्मचारियों से ज्यादा होगी
2026-27 में राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को 20,639 करोड़ रुपये तनख्वाह देगी। 2026-27 में दी जाने वाली पेंशन की धनराशि 16,728 रुपये करोड़ होगी। राज्य में पेंशन पाने वालों की संख्या भी आने वाले सालों में नौकरी कर रहे कर्मचारियों से ज्यादा हो जाने के कयास हैं।

2030-31 तक राज्य में 2.38 लाख पेंशनर होंगे
यह भी बात सामने आई है कि 2030-31 तक राज्य में 2.38 लाख पेंशनर हो जाएंगे। यह संख्या आने वाले समय में राज्य कर्मचारियों से भी अधिक होगी क्योंकि औसतन हर वर्ष 10,000 कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं। इसकी तुलना में नए कर्मचारी भर्ती नहीं हो रहे।

पांच साल में पेंशन पर कुल 2.11 लाख करोड़ खर्च होंगे
हिमाचल प्रदेश को 2026-27 से 2030-31 बीच तनख्वाह और पेंशन पर कुल मिलाकर 2.11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह अनुमान लगाया गया है कि वह इस बोझ को अकेले सहन नहीं कर पाएगी। इसके लिए उसे विशेष मदद की जरूरत होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा- राज्य को विशेष आर्थिक मदद मिले
OPS के कारण हिमाचल प्रदेश पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ के बीच राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 16वें वित्त आयोग से मदद की मांग भी कर दी है। उन्होंने कहा है कि राज्य को विकास के लिए विशेष आर्थिक मदद दी जाए। मुख्यमंत्री ने खुद माना है कि उनके राज्य को कर्ज चुकाने के लिए ही नया कर्ज लेना पड़ रहा है।

राज्य का कर्ज उसकी GDP का 40 प्रतिशत
राज्य का कर्ज उसकी GDP का 40 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। उसका राजकोषीय घाटा भी GDP के 5 प्रतिशत के ऊपर है। जबकि नियमों के मुताबिक़, किसी भी राज्य का कर्ज GDP का 20 प्रतिशत जबकि राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

18 महीने में राज्य पर चढ़ा 19,000 करोड़ रुपये का कर्ज
कांग्रेस ने 2022 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से पुरानी पेंशन स्कीम का वादा किया था। हालांकि, अब इसके दुष्परिणाम सामने दिखने लगे हैं। आर्थिक बोझ के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था चरमराने के संकेत हैं। इन सबके बीच कांग्रेस सरकार का धुआंधार तरीके से कर्ज लेने का मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में 88,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का कर्ज है। कांग्रेस सरकार बीते डेढ़ वर्ष में ही लगभग 19,000 करोड़ रुपये का कर्ज राज्य पर चढ़ा दिया है।

हिमाचल पर चढ़ चुका 90 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
हिमाचल की हालत भी पड़ोसी राज्य पंजाब की तरह हो रही है। पंजाब सरकार पर साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का ऋण है तो हिमाचल पर भी 90 हजार करोड़ रुपये का चढ़ चुका है। पंजाब की अनुमानित जनसंख्या 3.17 करोड़ है तो वहां पर हर व्यक्ति पर करीब एक लाख 12 हजार रुपये का ऋण है। हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या करीब 70 लाख है। ऐसे में यहां पर प्रतिव्यक्ति पर लगभग 1,28,571 रुपये का ऋण है। इस तरह जनसंख्या से तुलना करें तो प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऋण पंजाब से भी ज्यादा है।

वित्त आयोग मुफ्त की ‘रेवड़ियों’ के मुद्दे पर विचार करेगा
भारत में राजनीतिक दलों के बीच मुफ्त की घोषणाओं का चलन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। इस मुद्दे पर विदेशी एजेंसियों समेत अर्थशास्त्रियों ने चिंता जताई है। 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि आयोग मुफ्त की ‘रेवड़ियां’ बांटने और हरित दायरा बढ़ाने के लिए मुआवजे से संबंधित मुद्दों का समाधान करेगा। अरविंद पनगढ़िया ने हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद राज्य की अपेक्षाओं और जरूरतों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा, ”आयोग, मुफ्त की ‘रेवड़ियों’ के मुद्दे पर भी विचार करेगा, क्योंकि हम जानते हैं कि इनका चलन बढ़ गया है और राज्यों तथा राजनीतिक दलों के बीच मुफ्त सुविधाएं देने की होड़ मची हुई है।”

हिमाचल में कांग्रेस की गारंटी योजनाओं पर एक नजर –

कांग्रेस ने मेनिफेस्टो में 10 गारंटी का किया था वादा
कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में सत्ता में आने के बाद 10 गारंटी योजनाओं का वादा किया था। कांग्रेस ने जिन 10 गारंटी योजनाओं के जरिये महिलाओं से लेकर युवाओं तक को रिझाने के लिए पेंशन से लेकर रोजगार तक को शामिल किया था। कांग्रेस ने राज्य के बागवानों को भी अपनी फसल की कीमत लगाने का मौका देने का वादा किया था। पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए गोबर खरीदी और दूध व्यापार के लिए भी गारंटी में शामिल किया गया था। महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए बिजली यूनिट भी फ्री देने का वादा किया गया था।

कांग्रेस की 10 गारंटी
1. पुरानी पेंशन स्कीम बहाल होगी।
2. महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाएंगे।
3. महंगाई की मार से बचाने के लिए राज्य में 300 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी।
4. बेरोजगारी से निपटने के लिए युवाओं को 5 लाख रोजगार की सौगात दी जाएगी।
5. बागवानों के फलों की कीमत तय करने का अधिकार होगा।
6. युवाओं के लिए 680 करोड़ का स्टार्टअप फंड भी जारी किया जाएगा।
7. मोबाइल क्लिनिक से हर गांव-गांव तक पहुंचेगी स्वास्थ्य सुविधाएं और मुफ्त इलाज।
8. हर विधानसभा में खुलेंगे 4 इंग्लिश मीडियम स्कूल।
9. गाय-भैंस पालकों से हर दिन 10 लीटर दूध खरीदा जाएगा।
10. 2 रुपये किलो में गोबर की खरीद की जाएगी।

पुरानी पेंशन के लिए सालाना 600 करोड़ रुपये चाहिए
कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सरकारी कर्मियों से पुरानी पेंशन बहाल करने का वादा किया था। हिमाचल प्रदेश में तकरीबन हर विधानसभा क्षेत्र में दस पंद्रह हजार सरकारी कर्मचारी हैं। सेवारत्त और रिटायर्ड कर्मियों की संख्या देखें तो वह लगभग साढ़े चार लाख के आसपास है। हर साल पंद्रह-बीस प्रतिशत कर्मी रिटायर होते हैं तो कुछ नए पद भी भरे जाते हैं। हिमाचल प्रदेश में मौजूदा स्थितियों में पुरानी पेंशन लागू होती है तो हर साल सरकारी खजाने पर लगभग 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। पुरानी पेंशन में केवल बेसिक तय होता है। उसमें डीआर ‘महंगाई राहत’ जुड़ती रहती है। पे कमीशन के जरिए पेंशन रिवाइज होती रहती है। अगर पेंशन का डीआर बकाया है तो उसका एरियर मिल जाता है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश की सरकार का खर्च बढ़ जाएगा।

महिलाओं को 1500 रुपये, मतलब 2700 करोड़ सालाना चाहिए
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की दस गारंटी में महिलाओं के लिए भी घोषणा की गई थी। इसमें कहा गया था कि 18 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं को हर माह 1500 रुपये की सुनिश्चित आय दी जाएगी। विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की संख्या 27,36,306 है। इनमें से 21,01,483 महिलाओं ने वोट डाला है। चूंकि इस गारंटी में शामिल होने के लिए आयु तय की गई है, ऐसे में 15 लाख महिलाएं भी यह राशि लेने के लिए योग्य हैं तो इसके लिए हर माह 225 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके लिए सरकारी खजाने पर सालाना 2700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

स्टार्टअप निधि के लिए 680 करोड़ रुपये जुटाने होंगे
कांग्रेस घोषणापत्र के मुताबिक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में दस करोड़ रुपये की स्टार्टअप निधि प्रदान की जाएगी। इसके लिए भी 680 करोड़ रुपये जुटाने होंगे। पांच लाख युवाओं को नौकरी देनी है। गाय-भैंस पालकों से रोजाना दस लीटर दूध खरीदना है। सरकार, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए दो रुपये किलो गोबर खरीदेगी। इस पर भी खर्च आएगा। हर विधानसभा क्षेत्र में चार अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल खुलेंगे। हर गांव में अस्पताल की गाड़ी पहुंचेगी। हर माह तीन सौ यूनिट बिजली फ्री मिलेगी। इन सभी कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट का इंतजाम करना होगा।

कांग्रेस की सरकार अब संसाधन होने पर महिलाओं को देगी 1500 रुपये
हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पता चल गया कि जो गारंटी दी गई थी वो अभी पूरी नहीं की जा सकती है। इसके बाद उन्होंने कहा कि अब संसाधन होने पर सरकार महिलाओं 1500 रुपये देगी। इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद कहा, “हम जनता की उम्मीदों और किए गए वादों को पूरा करेंगे। हम इसे पहली कैबिनेट बैठक में करेंगे। कर्मचारियों के लिए ओ.पी.एस., महिलाओं के लिए 1500 रुपये, एक लाख नौकरियां, प्रियंका गांधी जी ने जो घोषणाएं की हैं, ये सब लागू हो जाएगा।” वहीं एक अन्य वीडियो में सीएम सुक्खू ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा, “हमने वादा किया था, इसलिए हमें व्यवस्था करनी होगी। वर्तमान में, हम 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी पुरुषों और महिलाओं को 1500 रुपये दे रहे हैं। अब, हमें करना होगा।” 18 से 60 साल की महिलाओं को दें और हम उस दिशा में सोच रहे हैं। हमने एक महीने में इसे पूरा करने का वादा नहीं किया है। हमने पांच साल के लिए वादा किया है और हमारी गारंटी योजना पांच साल के लिए है। हमारे संसाधन बढ़ रहे हैं और फिर हम उन्हें 1500 रुपये दे सकते हैं।”

सुक्खू ने कहा- हमारी गारंटी योजना पांच साल की है
चुनाव से पहले कांग्रेस ने कहा था कि सरकार बनने पर पहली कैबिनेट की बैठक में पुरानी पेंशन योजना, 1 लाख नौकरियां, महिलाओं को 1,500 रुपये देने का जो वादा किया गया है उसे हम लागू करेंगे। सरकार बन जाने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, ”हमने कोई एक महीने का वादा नहीं किया है। हमने पांच साल का वादा किया है। हमारी गारंटी योजना पांच साल की है। संसाधन बढ़ने पर ही 18 से 60 साल की महिलाओं को 1500 रुपये दिए जाएंगे।” कांग्रेस पार्टी अब कह रही, हमने कोई एक महीने में देने का वादा नहीं किया।

पीएम मोदी ने रेवड़ी कल्चर के झांसे में आने से किया था आगाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत खतरनाक है। उन्होंने देशवासियों से रेवड़ी कल्चर से सावधान रहने की बात कही थी क्योंकि ये देश के लिए घातक है। पीएम मोदी ने कहा था कि हमारे बुजुर्गों ने कहा था कि आमदनी अठन्नी खर्चा रूपैया वाली नीति सही नहीं है। आमदनी से ज्यादा खर्च करने पर आम आदमी हो या सरकार कर्ज के बोझ तले दब जाती है। ऐसे में न तो व्यक्ति का विकास हो सकता है और न ही सरकारें लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए विकास कार्य करवा सकती हैं।

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