प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्नाटक के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए 27 अप्रैल 2023 को जनता को ‘डबल इंजन’ सरकार के फायदे और इसके ना होने के नुकसान गिनाने के साथ ही ‘रेवड़ी संस्कृति’ से आगाह किया था। कांग्रेस पर उन्होंने यह भी कहा कि जिस पार्टी की ‘वारंटी’ ही समाप्त हो चुकी है तो उसकी ‘गारंटी’ (चुनावी वादों) का क्या मतलब है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस जैसी पार्टियों में परिवारवाद और भाई-भतीजावाद पर भी कहा था। जिस दिन पीएम कांग्रेस शासन में भाई-भतीजावाद की बात कह रहे थे उसी दिन राजस्थान में कांग्रेस की सरकार में भाई-भतीजावाद सामने आ गया। राजस्थान में छात्रवृत्ति योजना के तहत जहां गरीब और सुविधाहीन बच्चों को विदेश भेजने की पहल की गई थी वहीं अब इस योजना के तहत अधिकारियों, उद्योगपतियों के बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं। राजस्थान की गहलोत सरकार ने गरीब बच्चों के लिए ‘राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस’ योजना लागू की। लेकिन इस योजना से गरीबों का तो भला नहीं हुआ बल्कि विदेश में मुफ्त पढ़ाई योजना में अफसरों के साथ ही करोड़पतियों के बच्चों का कब्जा हो गया।
कांग्रेस सरकार का कारनामा, योजना गरीबों के नाम, फायदा अमीरों को
राजस्थान में राजीव गांधी छात्रवृत्ति योजना का लाभ यूं तो कमजोर लोगों को देने का प्रावधान था और खुद उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव भी यह कह चुके हैं कि पहले कमजोर लोगों का चयन किया जाएगा, लेकिन बावजूद इसके इस योजना के लाभार्थियों में आईएएस और आईपीएस समेत कई उद्योगपतियों के बच्चे शामिल हैं।
गहलोत सरकार में गरीब बच्चों के नाम पर अमीर छात्र जा रहे विदेश
राजस्थान की गहलोत सरकार ने गरीब बच्चों के लिए ‘राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस’ योजना लागू की। इसकी शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर 20 अगस्त 2021 को हुई थी। इसके तहत उच्च शिक्षा के लिए गरीब छात्र अब दुनिया की नामी यूनिवर्सिटीज में दाखिला लेकर अध्ययन कर सकते हैं। हर वर्ष 200 स्टूडेंट्स गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए दुनिया के नामी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर सकते हैं।
गरीबों की जगह अमीर छात्रों को मिल रही 10 लाख की छात्रवृत्ति
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कैंब्रिज युनिवर्सिटी, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और टोरंटो यूनिवर्सिटी सहित विश्व की टॉप 150 यूनिवर्सिटीज या इंस्टीट्युशन में पढ़ाई करने पर 10 लाख रुपए तक की छात्रवृत्ति दिए जाने का प्रावधान है। पिछले दिनों इस योजना के नियमों में बदलाव किया गया जिससे गहलोत सरकार की इस योजना का फायदा प्रदेश के बड़े ब्यूरोक्रेट्स और बड़े बिजनेसमैन उठा रहे हैं।
नैतिकता के आधार पर जो अधिकारी या उद्योगपति राजस्थान सरकार की योजना जो ग़रीब व मिडिल क्लास के लिए बनाई गई है ‘राजीव गाँधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस’ का लाभ ले रहे है उन्हें इसका त्याग स्वयं ही कर देना चाहिए अन्यथा मैं ख़ुद इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री जी से बात करूँगा व उचित… pic.twitter.com/qNxSGarMfs
— Pratap Khachariyawas (@PSKhachariyawas) April 27, 2023
विदेश में फ्री स्टडी के लिए परिवार की आय 8 लाख रुपए से कम की शर्त
सरकार ने जब इस स्कॉलरशिप योजना की शुरुआत की थी। तब यह शर्त रखी गई थी कि जिस परिवार की आय 8 लाख रुपए से कम है, वही पात्र हैं। ऐसे में शुरुआत में बहुत कम संख्या में छात्रों ने विदेशी शिक्षण संस्थानों में पढने के लिए आवेदन किया।
नियम में बदलाव कर आय की सीमा 25 लाख रुपए कर दिया गया
गहलोत सरकार ने अपने चहेते लोगों को इस योजना का लाभ दिलाने के लिए कुछ महीनों पहले इस शर्त में बदलाव कर दिया। 8 लाख रुपए की आय का दायरा बढाकर 25 लाख रुपए कर दिया गया। जब इस योजना का दायरा बढ़ा तो प्रदेश के आईएएस और आईपीएस अफसरों सहित कई बड़े बिजनेसमैन के बच्चों ने इस योजना का लाभ उठाया।
25 लाख तक की आय वालों का आधा खर्च उठाती है सरकार
इस योजना के तहत सरकार बच्चों को तीन श्रेणी में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती है और इसका निर्धारण आय के आधार पर होता है। 8 लाख तक की आय वालों के सारे खर्च राजस्थान सरकार उठाती है जबकि जिनकी आय 8 से 25 लाख तक है उनके बच्चों के ट्यूशन फीस के अलावा 50 प्रतिशत तक का खर्च उठाया जाता है जबकि 25 लाख से अधिक आय वालों को सिर्फ ट्यूशन फीस का खर्च दिया जाता है जो कि 50 लाख रुपये है। उधर, जरूरतमंदों की जगह अधिकारियों के बच्चों को योजना का लाभ दिए जाने पर बीजेपी विधायक नरपत सिंह रिजवी ने सवाल उठाया है। उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा में भी रखा है और उनका कहना है कि 70 से ज्यादा अधिकारियों के बच्चों का विदेश में पढ़ाई के लिए चयन किया गया है जिसकी जांच की जानी चाहिए।
30 फीदसी छात्रवृत्तियां अफसरों और बिजनेसमैन के बच्चों को
500 करोड़ रुपए के बजट वाली इस योजना के लिए हाल ही में राज्य सरकार ने 65 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट के प्रावधान को मंजूरी दी है। स्टुडेंट्स का दायरा भी अब 245 कर दिया गया है। जमीनी हकीकत यह है कि इसके तहत 30 प्रतिशत ऐसे बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं जिनके पिता अधिकारी हैं। दरअसल, इसकी मुख्य वजह यह है कि योजना के तहत लाभान्वितों के परिजन की सलाना आय की सीमा को आठ लाख रुपये की जगह 25 लाख रुपये कर दिया गया। ऐसे में अधिकारियों के बच्चे भी इस दायरे में आ गए और सेलेक्शन के बाद विदेश पढ़ने गए। 2023 में 245 बच्चों का चयन हुआ है जिनमें से 14 आईएएस और आईपीएस के बच्चे हैं और बाकी 59 बच्चों के पिता अलग-अलग विभागों में अधिकारी हैं।
जय भीम जय संविधान जय जोहार
गरीबों की स्कॉलरशिप पर विदेश गए अफसरों के बच्चे राजस्थान सरकार और गहलोत के नेतृत्व में इतने सारे घोटाले हो रहे हैं जिसकी कोई सीमा नहीं शर्म आनी चाहिए गहलोत जी गरीब के बच्चों के साथ अन्याय कर रहे हैं उनका भविष्य अंधकार की ओर धकेलने का काम किया जा रहा है pic.twitter.com/2RTWzRN5Hb— Ummed Bheem (@UmmedBheem) April 27, 2023
गरीबों को छोड़िए, 3 करोड़ आय वालों के बच्चे भी उठा रहे योजना का लाभ
राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना का 30 फीसदी फायदा राज्य के आईएएस आईपीएस और बिजनेसमैन के बच्चे उठा रहे हैं। कुछ बच्चे तो ऐसे भी हैं जिनके माता पिता दोनों आईएएस हैं। आईएएस दंपति संदीप वर्मा और श्रेया गुहा जिनकी सालाना आय 65 लाख रुपए से ज्यादा हैं। इस दंपति का बेटा भी इस स्कॉलरशिप योजना के तहत विदेश में पढाई कर रहे हैं। कुछ ऐसे बिजनेसमैन के बच्चे भी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं जिनकी सालाना आय 3 करोड़ रुपए से भी ज्यादा हैं।
मंत्री का बयान पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मौका दिया गया
जब गहलोत सरकार की नीयत पर सवाल उठने लगे तो राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री राजेन्द्र यादव बचाव में उतर आए। उन्होंने कहा कि इस योजना में ‘पहले आई, पहले पाओ’ के आधार पर स्कॉलरशिप दी जाती है। ऐसे में अगर कोई अफसर या उद्योगपति का बेटा बेटी भी पहले आ गए हैं तो उन्हें स्कॉलरशिप के लिए पात्र माना गया है। मंत्री ने कहा कि पहले इस योजना के तहत 100 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था लेकिन बहुत कम छात्रों ने आवेदन किया। छात्रों की संख्या बढाने के लिए राज्य सरकार की ओर से इनकम स्लैब में बढ़ोतरी की गई।
अफसर और उद्योगपति के बच्चों को स्कॉलरशिप की क्या जरूरत
मंत्री का यह तर्क कितना बेतुका है कि छात्रों का संख्या बढ़ाने के लिए इनकम स्लैब में बढ़ोतरी की गई। अरे भाई अफसर और उद्योगपति के बच्चे अपने पैसे से भी विदेश में जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर सकते हैं उनको स्कॉलरशिप देने की क्या जरूरत है। यह सरासर भाई-भतीजावाद का बढ़ावा देना और पैसे की बर्बादी है। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस की सरकारें गरीबों की कितनी हितैषी है।
राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में पिछले चार साल में कई घोटालों को अंजाम दिया गया और अपराध का ग्राफ इस तरह बढ़ा कि वहां जंगलराज कायम हो गया है। इस पर एक नजर-
First Punjab, now Rajasthan#Pandemic profiteering is in vogue in @INCIndia ruled Sates
Bloated prices of O2 concentrators purchased by Rajasthan Govt reeks of corruption@RahulGandhi Ji, drop white paper shenanigans & focus on these dark, murky dealingshttps://t.co/GfNCnXYQC5 pic.twitter.com/4WopPKd6e1
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) July 2, 2021
40 हजार वाले कंसंट्रेटर को एक लाख में खरीदा गया
कांग्रेस की गहलोत सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आनन-फानन में 20 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे, जिसमें बड़ा घोटाला सामने आया है। गहलोत सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दलालों के माध्यम से निजी कंपनियों से 20 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि 35-40 हजार रुपये वाले कंसंट्रेटर को एक लाख रुपये में खरीदा गया। इसमें एक और हैरान करने वाली बात है कि ज्यादातर कंसंट्रेटर 2 मई को कोरोना पीक गुजरने के महीने भर बाद खरीदे गए। अब ये अस्पतालों में कबाड़ में पड़े हुए हैं।
किसान कर्जमाफी के नाम पर राजस्थान में करोड़ों का घोटाला
राजस्थान में किसान कर्जमाफी के नाम पर 2019 में करोड़ों का घोटाला समाने आया। राज्य के किसानों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार कर्जमाफी के नाम पर फर्जी किसानों को करोड़ों रुपये बांट रही है, जबकि कर्ज में डूबी असली किसानों को किनारे किया जा रहा है। राजस्थान में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे पहले किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। लेकिन कर्जमाफी में शामिल किसानों की सूची जब ऑनलाइन की गई तो किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। दरअसल राज्य के आदिवासी बहुल वाले डूंगरपुर जिले के गोवाडी, नांदोर, जेठाना समेत कई गांवों में कर्जमाफी की सूची में ऐसे किसानों का नाम शामिल किया गया है, जिन्होंने कभी कर्ज लिया ही नहीं था। इस सूची में कांग्रेसी नेताओं ने अपने खास लोगों के नाम डाल दिए हैं और किसान कर्जमाफी के नाम पर करोड़ों रुपये की लूट का रास्ता तैयार कर लिया गया।
गहलोत की ‘पेपर लीक सरकार’ किराए के कोचिंग को ढहाकर लूट रही झूठी वाहवाही
गहलोत सरकार में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर-दर-पेपर लीक हो रहे हैं और हर पेपर लीक के साथ लाखों बेरोजगार युवाओं की उम्मीदें ढह रही हैं और उनमें सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। बार-बार पेपर लीक कराने के करोड़पति मास्टरमाइंड के हाथ या तो सरकार से भी लंबे हैं। या फिर सरकारी जांच एजेंसियों ने ही उनसे हाथ मिलाए हुए हैं। तभी तो कांग्रेस सरकार मास्टरमाइंड के किराए के कोचिंग सेंटर पर बुलडोजर चलाकर झूठी वाह-वाही लूट रही है और दोनों मास्टरमाइंड बड़े आराम से भारत की सरहद पार कर नेपाल पहुंच गए। पुलिस उनके घर और रिश्तेदारों के यहां झूठे ही हाथ-पांव मार रही है और दोनों मास्टरमाइंड थाईलैंड में नया साल मना रहे थे। पेपर लीक कराने के मास्टरमाइंड ढाका और सारण ने बड़े आराम से बॉर्डर पार कराने के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े लोगों से संपर्क किया। इसके बाद वे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार होते हुए थाईलैंड में अय्याशी कर रहे हैं।
कानून के रक्षक लाचार, प्रदेश में हर तरह के अपराधों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी
राज्य के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने अशोक गहलोत के लिए इस बार शासन सही चलाने से ज्यादा बड़ी चुनौती अपनी कुर्सी बचाना बनी हुई है। गहलोत-पायलट की सियासी लड़ाई का खामियाजा राज्य की साढ़े सात करोड़ जनता को भुगतना पड़ रहा है। यही वजह है कि डकैती, फिरौती, हत्या, लूट, दुष्कर्म और अपहरण की घटनाओं में प्रदेश में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदेश में न पुजारी, न मंदिर और न मंदिर की भूमि ही सुरक्षित है। पूरी तरह से प्रदेश आज अपराधियों से घिर गया है। 8 लाख 41 हजार से ज्यादा मुकदमें दर्ज है। दौसा में आदिवासी महिला के साथ गैंगरैप करके कुएं में फैंक दिया जाता है। सीकर में राजू ठेठ की खुली हत्या, नागौर में न्यायालय परिसर के बाहर दिन दहाडे गोलीवारी, अजमेर, किशनगढ़, जोधपुर में आए दिन फायरिंग इत्यादि घटनाएं प्रदेश में जंगलराज को बयां कर रही है।
प्रदेश में लगातार बढ़ रही घटनाओं के मूल में मुख्यमंत्री की लाचारी- देवनानी
प्रदेश में लगातार बढ़ रही घटनाओं के लिए बीजेपी ने गहलोत सरकार को आड़े हाथों लिया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव में 156 सीटें लाने का खोखला राग अलाप रहे हो, लेकिन सत्य तो यह है कि जनता सीएम गहलोत से आजिज आ चुकी है और कांग्रेस सरकार को सबक सिखाने का मन बना चुकी है। यह भी सत्य है कि जब-जब भी मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लड़ी है तब- तब प्रदेश में कांग्रेस की दुर्गति हुई है। आगामी चुनाव किसके नेतृत्व में कांग्रेस लड़ेगी और किसके नेतृत्व में अपनी दुर्गति करानी है, यह सोचना कांग्रेस का विषय है। लेकिन प्रदेश में लगातार बढ़ रही इन घटनाओं के मूल में मुख्यमंत्री की लाचारी है। इसलिए प्रदेश को मजबूत मुख्यमंत्री की दरकार है।
प्रदेश में तुष्टीकरण की राजनीति और भ्रष्टाचार चरम पर
सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति ने उदयपुर में कन्हैयालाल के साथ घटना कराई। करौली, भीलवाडा, जोधपुर में घटनाएं कराई। प्रदेश में खुलेआम धर्मांतरण हो रहा है। पेपर माफिया दनादन पेपर लीक कर रहे हैं। राजस्थान की ओलओवर स्थिति खराब है दयनीय है। प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। वर्ष 2018 में 372, वर्ष 2020 में 445, वर्ष 2022 में 511 मामले दर्ज हुए। एसीबी पकड़ती है, उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। एसओजी की एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल ही दो करोड रिश्वत मांगती पकड़ी जाती है। दो वर्ष में 46 आईएएस एवं आरएएस अधिकारी सस्पेंड होते हैं। इससे ज्यादा प्रदेश की क्या दुर्गति हो सकती है।
गहलोत सरकार में भ्रष्टाचार को बढ़ावा, अब घूसखोरों की उजागर नहीं होगी पहचान!
राजस्थान की गहलोत सरकार एक ऐसा रिकॉर्ड बनाने जा रही है, जो अभी तक किसी ने नहीं बनाया है। कांग्रेस सरकार के इस रिकॉर्ड में घूसखोर अफसरों और कर्मचारियों को भ्रष्टाचार करने की ‘खुली छूट’ मिल जाएगी! सरकार के अधीन भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के डीजी ने तुगलकी फरमान जारी किया है। इसके तरह एसीबी अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि ट्रैप किए गए किसी भी घूसघोर अधिकारी-कर्मचारी की पहचान उजागर न की जाए। अभी तक ऐसे भ्रष्टाचारियों को घूस लेते वक्त यह डर रहता था कि कहीं पकड़े गए तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी। वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। लेकिन सरकारी आदेश से उन्हें खुलकर घूस लेने की इजाजत दे दी है और पहचान उजागर होने के डर को भी खत्म कर दिया है।