प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर बने विशालकाय अशोक स्तंभ का सोमवार (11 जुलाई, 2022) को अनावरण किया था। यह अशोक स्तंभ हमारे देश का राष्ट्रीय प्रतीक भी है। कांस्य का बना यह प्रतीक 9,500 किलोग्राम वजनी है और इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत,इच्छाशक्ति और गौरव को दर्शाता है। अशोक स्तंभ की भव्यता जहां लोगों को आकर्षित करने के साथ नई ऊर्जा और जोश का संचार कर रही है, वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को इसमें कमियां नजर आ रही हैं। कांग्रेस और उसके सरपरस्त नए अशोक स्तम्भ में बदलाव और छेड़छाड़ का आरोप लगाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
पीएम द्वारा अनावरण किए गए राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का स्वरूप बदल दिया गया है।
शांतिप्रिय शेरों को उग्र बना दिया गया है।यह कला के साथ-साथ संविधान का पूरी तरह घोर उल्लंघन है। pic.twitter.com/4iiLFHtFP9
— Congress Sevadal (@CongressSevadal) July 12, 2022
शेरों की शांत और आक्रामक मुद्रा की तुलना कर किया गुमराह
विरोध के नाम पर अच्छी चीजों के विरोध की आदत ने कांग्रेस और विपक्षी दलों को झूठ बोलने पर मजबूर कर दिया है। मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए तथ्यों को तोड़मरोड़ कर लोगों के सामने पेश किया जा रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के स्वरूप को बदल दिया गया है। पुराने और नए अशोक स्तंभ में शेर की शांत मुद्रा और आक्रामक मुद्रा को आधार बनाकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। दलील दी जा ही है कि नए अशोक स्तंभ में शेर को आदमखोर मुद्रा में बनाकर खौफ फैलाने की कोशिश की जा रही है।
पीएम द्वारा अनावरण किए गए राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का स्वरूप बदल दिया गया है।
शांतिप्रिय शेरों को उग्र बना दिया गया है।यह कला के साथ-साथ संविधान का पूरी तरह घोर उल्लंघन है। pic.twitter.com/NcU67eMckm
— Bihar Congress (@INCBihar) July 12, 2022
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के झूठ की खुली पोल
हालांकि सोशल मीडिया पर यूजर्स ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के प्रोपेगेंडा की हवा निकाल दी है। अशोक स्तंभ की पुरानी और नई तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि दोनों में कोई अंतर नहीं है। यूजर्स ने विपक्षी दलों के झूठ की पोल खोलते हुए लिखा है कि झूठ मत फैलाओ कुछ नहीं बदला है। वहां कोई सांड नहीं था, पहले भी शेर ही था और अब भी शेर ही है। एक यूजर ने सारनाथ म्यूज़ियम में रखे असली अशोक स्तंभ की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि शेर भी वैसा ही है जैसा मोदी जी ने नई संसद की छत पर लगवाया है।
सारनाथ म्यूज़ियम रखा असली अशोक स्तंभ,
शेर भी वैसाही है जैसा मोदीजी ने नई संसद की छत पर लगवाया है। गांधी जी ने जैसे #अहिंसा_परमो_धर्मा से ‘धर्म हिंसा तथैव च’ को अलग करके किया था।अब मोदी जी को सब कुछ असल पसंद है तो बिना किसी हेराफेरी के सारनाथ के म्यूजियम से ज़ेरॉक्स कॉपी बनवा दिया pic.twitter.com/7i4P67Pu4G— pankaj kumar dixit (@pankajfkbd) July 12, 2022
नया अशोक स्तंभ जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर स्थित
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर गुमराह करने वालों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में बताया है कि संसद भवन पर जो अशोक स्तंभ बनाया गया है वो पूरी तरह मूल स्तंभ का प्रतिरूप है। सारनाथ में जो मूल स्तंभ है, उसकी ऊंचाई 1.6 मीटर है, जबकि नए संसद भवन की छत पर बने स्तंभ की ऊंचाई 6.5 मीटर है। उन्होंने आलोचना करने वालों को नसीहत देते हुए लिखा है कि ‘विशेषज्ञों’ को यह भी पता होना चाहिए कि सारनाथ में रखा गया मूल स्तंभ जमीनी स्तर पर है जबकि नया अशोक स्तंभ जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। दो संरचनाओं की तुलना करते समय कोण, ऊंचाई और पैमाने के प्रभाव को देखने की जरूरत है।
Sense of proportion & perspective.
Beauty is famously regarded as lying in the eyes of the beholder.
So is the case with calm & anger.
The original #Sarnath #Emblem is 1.6 mtr high whereas the emblem on the top of the #NewParliamentBuilding is huge at 6.5 mtrs height. pic.twitter.com/JsAEUSrjtR— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) July 12, 2022
If an exact replica of the original were to be placed on the new building, it would barely be visible beyond the peripheral rail.
The ‘experts’ should also know that the original placed in Sarnath is at ground level while the new emblem is at a height of 33 mtrs from ground. pic.twitter.com/JLxMMMAq80
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) July 12, 2022
One needs to appreciate the impact of angle, height & scale when comparing the two structures.
If one looks at the Sarnath emblem from below it would look as calm or angry as the one being discussed. pic.twitter.com/Ur4FkMEPLG
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) July 12, 2022
शेरों के बड़े दांतों से डरे कांग्रेसी और सेक्युलर
दरअसल कांग्रेस के नेता और उसके सरपरस्त 20 फिट नीचे से तस्वीर लेकर पुराने और नए अशोक स्तंभ में अंतर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि लोगों को गुमराह किया जा सके। सच्चाई यह है कि सामने और नीचे से तस्वीरें लेने पर उनमें अंतर आना स्वाभाविक है। पुराने अशोक स्तंभ का आकार में छोटा होने के कारण उसका मुख पूरी तरह खुला हुआ नजर नहीं आता है। लेकिन नए अशोक स्तंभ का आकार विशाल होने के कारण शेर का मुख बड़ा और खुला हुआ है। साथ ही दांत भी स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है। एक यूजर ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा उद्घाटित नए संसद भवन की छत पर लंबे राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के दांतों से भी कुछ चमचे और सेक्युलर लोगों को डर लगने लगा है।
प्रधान मंत्री @narendramodi जी के द्वारा उद्घाटित नए #संसद_भवन की छत पर लंबे राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के दांतो से भी कुछ चम?चे सेक्युलर लोगो को डर लगने लगा है ??? pic.twitter.com/oWZk71OPdF
— ⚜️⚔️?️दीपक राज ?️⚔️⚜️ (@Mr_Deepak100) July 12, 2022
इससे पहले भी कांग्रेस ने राष्ट्रीय प्रतीकों और धरोहरों को लेकर गुमराह करने की कोशिश की है…
राहुल ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्च को लेकर किया गुमराह
जब देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा था, उस समय राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्च को लेकर फेक न्यूज फैलाई थी। उन्होंने टीकाकरण, ऑक्सीजन की कमी और लोगों की बिगड़ी आर्थिक स्थिति को लेकर लगातार लोगों को गुमराह किया था। उन्होंने मोदी सरकार से सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर ध्यान देने की बजाय टीकाकरण, ऑक्सीजन की कमी और आर्थिक सहायता देने की अपील की थी। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, ”13450 करोड़ रुपये सेंट्रल विस्टा के लिए। या 45 करोड़ भारतीयों का पूरी तरह से टीकाकरण। या एक करोड़ ऑक्सीजन सिलेंडर्स या दो करोड़ परिवारों को NYAY के तहत 6000 हज़ार रुपये। लेकिन प्रधानमंत्री का अहंकार लोगों की ज़िंदगियों से बड़ा है।”
₹13450 crores for Central Vista.
Or, for fully vaccinating 45 crore Indians.
Or, for 1 crore oxygen cylinders.
Or, to give 2 crore families NYAY of ₹6000.
But, PM’s ego is bigger than people’s lives.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 4, 2021
राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्च को लेकर फेक न्यूज फैलाई थी, जो ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई। लोकसभा में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री कौशल किशोर ने आंकड़े पेश किए, जिसने राहुल की अफवाह की हवा निकाल दी। कौशल किशोर ने लोकसभा में बताया, ‘अब तक, इन 2 परियोजनाओं पर नए संसद भवन के लिए 238 करोड़ रुपये और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास के लिए 63 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इन 2 परियोजनाओं पर होने वाली अनुमानित लागत 1,289 करोड़ रुपये है।’ जबकि राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 13450 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही थी।
RT @erbmjha: When India was fighting COVID at its peak, @RahulGandhi was doing this. Such a disgrace to Indian politics this man is. https://t.co/CXs4jTrfjd
— Sahil Khurana (@sahilkhurana09) July 29, 2021
जलियांवाला बाग स्मारक स्थल के पुनर्निर्माण को लेकर किया गुमराह
कांग्रेस फेक न्यूज की फैक्ट्री है। यहां से पहले सोशल मीडिया पर झूठी खबरें फैलाई जाती हैं और उसके बाद कांग्रेस के योद्धा सियासी मैदन में उतरकर ट्विटर वॉर शुरू कर देते हैं। इसी तरह पहले सोची-समझी रणनीति के तहत जलियांवाला बाग स्मारक स्थल के पुनर्निर्माण और उसकी भव्यता को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाया गया। इसका हवाला देकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार (31 अगस्त, 2021) को आरोप लगाया कि यह शहीदों का अपमान है और यह वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। राहुल ने अपने ट्वीट में खुद को भी शहीद का बेटा बताया।
जलियाँवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता।
मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा।
हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं। pic.twitter.com/3tWgsqc7Lx
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 31, 2021
कांग्रेस नेता ने एक अन्य ट्वीट में यह भी कहा, ‘जिन्होंने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी, वे उन लोगों को नहीं समझ सकते, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी।’ राहुल गांधी ने उस खबर का स्क्रीनशॉट साझा किया जिसमें कहा गया है कि इस स्मारक स्थल की भव्यता को लेकर सोशल मीडिया में लोगों ने गुस्से का इजहार किया है।
Those who didn’t struggle for freedom can’t understand those who did.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 31, 2021
दरअसल राहुल गांधी शहीदों के अपमान को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रहे थे। वो इसके जरिए लोगों को गुमराह कर अपनी सियासी भड़ास निकाल रहे थे। सच्चाई यह थी कि कांग्रेस अध्यक्ष के जलियांवाला बाग न्यास की पदेन सदस्यता खत्म होने से राहुल गांधी विधवा विलाप कर रहे थे। मोदी सरकार ने नवंबर 2019 में जलियांवाला बाग के न्यास प्रबंधन से संबंधित जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक-2019 को संसद से पारित करवाया था। इस संशोधन के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष का न्यास के पदेन सदस्य होने का अधिकार समाप्त हो गया था। उसके स्थान पर लोकसभा में विपक्ष के नेता या सबसे बड़े दल के नेता को सदस्य बनाया गया था।
Here is the main cause of @RahulGandhi‘s anger about renovation of the Jaliyanwala Bagh Memorial. https://t.co/MCJDisPpDE pic.twitter.com/zAJgrsfb7j
— Rahul Kaushik (@kaushkrahul) August 31, 2021
तत्कालीन पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा था कि सरकार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सभी शहीदों को सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह विधेयक इसी दिशा में एक कदम है। विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि जलियांवाला बाग न्यास की स्थापना 1921 में की गई थी और इसमें जनता ने धन दिया था। वर्ष 1951 में नए न्यास का गठन किया गया और इसमें व्यक्ति विशेष को सदस्य बनाया गया और किसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को इसमें शामिल नहीं किया गया।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने पिछले सरकारों पर न्यास के प्रबंधन की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सरकार न्यास में निर्वाचित और संवैधानिक और प्रशासनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों को शामिल कर रही है। इसमें कोई व्यक्ति विशेष नहीं होगा और नामित व्यक्ति प्रत्येक पांच वर्ष के बाद बदल दिए जाएंगे। उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया था कि न्यास में शहीदों के परिजनों को भी शामिल किया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलियांवाला बाग के पुनर्निर्मित परिसर का उद्घाटन किया था। इस बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ज्वाला स्मारक की मरम्मत करने के साथ-साथ, परिसर का पुनर्निर्माण किया गया, वहां स्थित तालाब को एक लिली तालाब के रूप में फिर से विकसित किया गया और लोगों को आने-जाने में सुविधा के लिए यहां स्थित मार्गों को चौड़ा किया गया।
इस परिसर में अनेक नई और आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गई है जिनमें लोगों की आवाजाही के लिए उपयुक्त संकेतकों से युक्त नव विकसित मार्ग, महत्वपूर्ण स्थानों को रोशन करना, और अधिक वृक्षारोपण के साथ बेहतर भूदृश्य, चट्टान युक्त निर्माण कार्य तथा पूरे बगीचे में ऑडियो नोड्स लगाना शामिल हैं। इसके अलावा मोक्ष स्थल, अमर ज्योति और ध्वज मस्तूल को समाहित करने के लिए भी काम किया गया है।
लंबे समय से बेकार पड़ी और कम उपयोग वाली इमारतों का दोबारा अनुकूल इस्तेमाल सुनिश्चित करते हुए चार संग्रहालय दीर्घाएं निर्मित की गई हैं। 13 अप्रैल, 1919 को घटित विभिन्न घटनाओं को दर्शाने के लिए एक साउंड एंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है। इस परिसर में विकास से जुड़ी कई पहल की गई हैं। जलियांवाला बाग का नया स्मारक नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाला है। यह आज़ादी के लिए दी गई कुर्बानियों को याद दिलाएगा। लेकिन यह कांग्रेस और उसके सरपरस्तों को शहीदों का अपमान दिखाई दे रहा था।
जलियांवाला बाग स्मारक स्थल के पुनर्निर्माण को लेकर चल रहे विवाद के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर बदलाव के विरोधियों को करारा जवाब दिया था। इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को भी करारा तमाचा मारा था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जलियांवाला बाग के पुनर्निर्माण और विकास पर कहा था कि मुझे नहीं पता कि क्या हटा दिया गया है। लेकिन मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा है।
“I don’t know what has been removed. To me it looks very nice,” says Punjab CM Captain Amarinder Singh over the renovation of the Jallianwala Bagh pic.twitter.com/uM3aut0Opo
— ANI (@ANI) August 31, 2021