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ड्राई स्टेट बिहार के सिवान में ‘छपरा रिटर्न्स’, जहरीली शराब से अब 8 मरे, बेशर्म सरकार धमका रही- शराब से मौत बताई तो केस करेंगे, कहो- ठंड से जान गई तो ही मिलेगा मुआवजा

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बिहार का नीतीश सरकार की आंखों में पानी नहीं है और शराबबंदी के बावजूद लगातार मौतों से उनके परिजनों की आंखों से आंसू सूख नहीं रहे हैं। छपरा में पिछले ही माह जहरीली शराब पीने से 70 लोगों की मौत के बावजूद सत्ता पक्ष के विधायकों, मंत्री और खुद मुख्यमंत्री द्वारा बेहद शर्मनाक, घोर अनैतिक और गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाने का दुष्परिणाम अब सीवान जिले में मौत के मंजर के रूप में सामने आया है। पिछले 24 घंटों में जहरीली शराब पीने से 7 लोगों की मौत हो गई है। एक मौत गोपालगंज में भी हुई है। 14 से ज्यादा लोगों की हालत गंभीर है। इनमें 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। बिहार में एक ओर जहरीली शराब से मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं, तो दूसरी ओर सरकार के दबाव में अफसरशाही के आदेश मृतकों के परिजनों के जख्मों पर तेजाब बनकर गिर रहे हैं।प्रदेश में नीतीश सरकार की शराबबंदी की नौटंकी चालू, प्रदेश में बिछ रहीं लाशें
बिहार में सिर्फ कहने भर को ही पिछले छह साल से ज्यादा समय से पूर्ण शराबबंदी की नौटंकी चालू है। लेकिन वास्तविकता के धरातल पर वहां वहां आसानी से शराब मिल रही है। देसी शराब खूब बन और बिक रही है। जहरीली शराब की बिक्री से लाशें भी बिछ रही हैं, लेकिन सरकार खुली आंखों से तमाशा देखने में लगी है और जहरीली शराब पर विपक्ष के घेरने पर सरकार के कर्ता-धर्ता जहरीले ही बयान दे रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऐसे जहरीले बयानों का ही दुष्परिणाम है कि उनके मंत्री और विधायक भी मौतों पर अपना बेहूदा ज्ञान बांटने से बाज नहीं आ रहे हैं। निर्दोष मौतों पर इनके निर्मम बयानों ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। राजनीतिक आंच से बचने के लिए पहले छपरा और अब सीवान में जिनके परिजन शराब से मरे हैं, उन्हें अफसर धमका रहे हैं कि यदि उन्होंने शराब से मौत बताई तो उल्टा उन्हीं पर केस करेंगे। इसलिए यह कहो कि कड़ाके की ठंड से जान गई है, इससे केस भी नहीं होगा और 4 लाख मुआवजा मिलेगा।छपरा में जहरीली शराब से 70 से ज्यादा मौतें के बावजूद सरकार ने नहीं लिया सबक
बिहार में नीतीश और तेजस्वी यादव के राज में हालात इतने विकट हैं कि करीब 40 दिन पहले 14 से 18 दिसंबर के बीच छपरा जिले के मशरख और इसुआपुर इलाके में जहरीली शराब पीने से 70 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। मौतों की वजह जहरीली शराब के साथ-साथ इलाज में लापरवाही भी रही। जहरीली शराब पीने वाले तड़फते रहे, लेकिन उन्हें समय से न अस्पताल पहुंचाया गया और न ही तत्काल इलाज मिला। पहले तो सरकार ने शराब से मौतें मानने से ही इनकार कर दिया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के मामले का संज्ञान लेने और मृतकों परिजनों के दबाव में सरकार ने सिर्फ 42 मौतें ही जहरीली शराब से मानी थी। तब भी इसी दौरान सीवान जिले में भी 4 लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई थीं। ये मौतें भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के ब्रह्मस्थान गांव में हुई थीं। लेकिन सरकार ने जहरीली शराब के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने के कोई ठोस उपाय नहीं किए।

सीवान में शराब से 8 की मौत, छह की आंखों की रोशनी गई, 14 और गंभीर
एक बार फिर शराबबंदी वाले बिहार के सीवान जिले में जहरीली शराब ने कहर मचाया है। पिछले 24 घंटों में जहरीली शराब पीने से 8 लोगों की मौत हो गई है। एक मौत गोपालगंज में भी हुई है। 14 से ज्यादा लोगों की हालत गंभीर है। इनमें 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। ऐसा कहा जा रहा है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। इस बीच एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने स्वीकार किया कि सैनिटाइजर बनाने के लिए कोलकाता से स्प्रिट मंगाई गई थी, उसी से यह जहरीली शराब बनी थी। पटना से फोरेंसिक टीम भी बाला गांव पहुंची है। टीम ने खेत में फेंके गए शराब के सैंपल लिए हैं। जहरीली शराब के अधिकतर मामले जिले के लकड़ी नवीगंज थाना क्षेत्र के बाला और भोपतपुर गांव में हैं। फिलहाल, जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की हालत गंभीर है। सीवान में 2 लोगों का इलाज चल रहा है। बाकी 12 लोगों को रेफर किया गया है। 3 लोगों को इलाज के लिए गोरखपुर और 9 लोगों को पटना लाया गया है।लोगों का आक्रोश, रोड जाम-आगजनी, अफसर धमका रहे-चुपचाप अंतिम संस्कार कर दो
इधर आज शाम को पीड़ित परिजनों ने सड़क पर शव रखकर सीवान-पटना मेन रोड को जाम कर दिया। आगजनी भी की गई। आक्रोशित लोग मुआवजे की मांग करते रहे। जाम करीब आधा घंटा रहा। इससे पटना से सीवान व गोपालगंज के बीच आवागमन प्रभावित रहा। बताते हैं कि मृतकों के परिजनों को अफसर कह रहे हैं कि पोस्टमॉर्टम की क्या जरूरत है? अगर शराब से मौत निकली तब तो बात और फंसेगी ही न। चुपचाप अंतिम संस्कार कर दो। कोई पूछे तो ठंड से मौत बता देना। 4 लाख मुआवजा भी मिल जाएगा। शराब से मौत में तो न मुआवजा मिलेगा, न कोई मदद। उल्टा केस अलग हो जाएगा। स्थानीय लोगों ने जहरीली शराब पीने की बात कही है। प्रशासन ने अभी कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है। परिजन को मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी गई है। सीवान के DM अमित कुमार पांडे का कहना है कि अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

बिहार में ‘कुशासन बाबू’ के राज में निर्दोषों की मौत पर भी तेजाबी बयान

बिहार में ‘कुशासन बाबू’ के राज में निर्दोषों की मौत का यह पहला मामला नहीं है। हैरानी की बात तो ये है कि निर्दोष मौतों पर मरहम लगाने के बजाए बिहार सरकार के हुक्मरां  निर्मम बयानों ने जले पर नमक छिड़कने का ही काम करते रहे हैं।  नीतिश जो खुद सरकार के मुखिया हैं, वो सारा दोष शराब पीने वालों पर मढ़कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। लेकिन यह सच है कि राज्य के मुखिया को किसी भी सूरत में अपनी जनता को मरते रहने का शाप नहीं देना चाहिए। क्योंकि उसकी जिम्मेदारी तो यह है कि शराबबंदी दिखावे के नौटंकी न होकर वास्तविकता के धरातल पर शराब बंद ही हो। लेकिन ऐसा एक्शन लेने के बजाए सीएम कोरी बयानबाजी पर उतारू रहते हैं। सीएम के ऐसे जहरीले बयानों का दुष्परिणाम एक के बाद एक ऐसी घटनाओं के रूप में सामने आता है। सीएम की शह मिलती है तो उनके मंत्री और विधायक भी मौतों पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। एक ओर शराब से मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं, तो दूसरी ओर महागठबंधन में शामिल नेताओं के बयान लोगों के जख्मों पर तेजाब बनकर गिर रहे हैं।

सरकार के मंत्री का ज्ञान- ‘खेलकूद से पावर बढ़ाओ – जहरीली शराब बर्दाश्त कर लोगे’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान से पहले बिहार महागठबंधन सरकार के एक मंत्री का बेतुका बयान सामने आया है। आरजेडी कोटे से मंत्री समीर महासेठ ने तो एक बयान शराबबंदी वाले स्टेट में शराब को बर्दाश्त करने का नुस्खा तक बता दिया। समीर महासेठ ने एक खेल कार्यक्रम में शामिल होने के बाद जब उनसे शराब से हो रही मौत के बारे पूछा गया तो उन्होंने तपाक के अपने बयान में कहा कि ‘खेलकूद से पावर बढ़ाओ – जहरीली शराब बर्दाश्त कर लोगे।’ मंत्री यहीं पर नहीं रुकें आगे उन्होंने कहा, ‘बिहार में मिलने वाली शराब जहर है और इन जहरीली शराब को पीने और मरने से बचना है तो इम्युनिटी बढ़ाओ।’ जिस राज्य में छह साल से शराबंदी लागू हो, वहां पर शराब पचाने का बयान यदि मंत्री ही दें तो समझ में आसानी से आ सकता है कि सरकार और उसके नुमाइंदे किस दिशा में जा रहे हैं। उन्हें मरते लोगों को कोई चिंता नहीं है।जहरीली शराब से लोग मर रहे हैं तो इसमें क्या बड़ी बात है- आरजेडी विधायक
इतना ही नहीं आरजेडी के एक विधायक रामबली चंद्रवंशी ने तो जहरीली शराब से मौत का मजाक ही बना दिया। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से लोग मर रहे है, दूसरी बीमारी और दूसरी दुर्घटना से भी लोगों की मौतें हो रही है, मरना-जीना तो चलता ही रहता है। यह कोई बड़ी बात नहीं है। इससे पहले जहरीली शराब से होने वाली मौत पर सवाल पूछे जाने पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी सरकार की ओर से अवैध और जहरीली शराब के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की बात कहने के बजाए उल्टा विपक्ष पर ही हमला बोल दिया था। ऐसी ओछी राजनीति के चलते ही बिहार में शराबंदी सख्ती से लागू नहीं हो पा ही है।

मुख्यमंत्री का शर्मनाक बयान- जो शराब पीएगा, वो मरेगा, लोगों को खुद सचेत होना चाहिए
और शराबबंदी लागू हो भी कैसे…जब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छपरा में मौतों के सवाल पर शर्मनाक तरीके से कहते हों कि “जहरीली शराब से शुरू से लोग मरते हैं, इससे अन्य राज्यों में भी लोग मरते हैं। लोगों को खुद सचेत रहना चाहिए, क्योंकि जब शराबबंदी है तो खराब शराब मिलेगी ही। जो शराब पियेगा वो मरेगा। इस पर पूरी तरह से एक्शन होगा।” उन्होंने आगे कहा कि जहरीली शराब से तो शुरू से लोग मरते हैं और देशभर में मरते हैं। जब शराबबंदी नहीं थी, जब भी जहरीली शराब से आदमी मरते थे। अन्य राज्यों में भी बहुत भारी संख्या में लोग जहरीली शराब से मरते थे।” इस बीच बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन जहरीली शराब से मौतों को लेकर जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी विधायकों ने वेल में आकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग की। बाद में विपक्ष ने इसको लेकर वॉकआउट कर दिया।

बिहार की जनता के मत्थे दोष मढ़ने के बजाय सीएम को अपने अंदर झांकने की जरूरत
सीएम के जो पीएगा, वो मरेगा वाले बयान पर नीतीश और उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने सिर्फ जहरीली शराब पीने का परिणाम बताया है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि उन्होंने ऐसी कोई अनोखी बात नहीं कह दी जिसके बारे में किसी को पता नहीं हो या बहुत कम लोगों की पता हो। नीतीश ने किसी विशेषज्ञ की विशेष रिपोर्ट के अंश तो बताए नहीं। सबको पता है कि जहरीली शराब पीने पर जान जाती है। तो नीतीश ने यूं ही, नॉर्मली तो नहीं कहा कि शराब पीओगे तो मरोगे ही। बल्कि उनके कहने का संदर्भ 39 मौतें थीं। इसी से पता चलता है कि यह कितना संवेदनहीन बयान है। जो लोग मरे, उनके परिजनों, उन पर निर्भर लोगों की क्या हालत होगी? एक बार फिर मुख्यमंत्री को अपने कहे शब्दों के बारे में सोचना चाहिए कि वे अपनी जिद्द में किस कदर निर्मम हो चुके हैं। अब तो हालात यह हो गए हैं कि बिहार की जनता ही नहीं, जनप्रतिनिधियों के भरोसे पर भी सीएम खरे नहीं उतर पा रहे हैं। इसलिए दोष विरोध कर रहे नेताओं और बिहार की जनता के मत्थे मढ़ने की बजाय सीएम को अपने अंदर झांकने की दरकार है। हैरानी की बात यह है कि शराब पर मौतों को लेकर हुए हंगामे के बीच नीतीश मुस्कुराते रहे।

शराब कांड पर बिहार के लेकर दिल्ली तक बीजेपी हमलावर, नीतीश का इस्तीफा मांगा
शराब कांड पर बिहार से लेकर दिल्ली तक बीजेपी नीतीश सरकार की लापरवाही के खिलाफ हमलावर है। विधानसभा अध्यक्ष अवधबिहारी चौधरी और नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा में बहस भी हुई। उधर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आज बिहार में जहरीली शराब से मौतें हो रही हैं, ये चिंता का विषय है। हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपा खो कर जनता पर बरस रहे हैं और कह रहे हैं कि जो पिएगा वो तो मरेगा ही। ऐसे लोगों पर FIR होनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बिहार की जनता से नीतीश कुमार का मोह भंग हो गया है। छपरा में 40 से ज्यादा लोगों की मृत्यु को प्रशासन ने छिपाया और प्रचार किया कि मृत्यु बीमारी से हुई है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार बेअसरदार है और नीतीश को इस्तीफा देना चाहिए।

Nitish का कानून: खूब दारू पीओ, पकड़े जाओ तो जुर्माना देकर ऐश करो
दरअसल, नीतिश सरकार द्वारा शराबबंदी कानून में इसी साल अप्रैल में दी गई ढील का बुरा असर दिखने लगा है। 1 अप्रैल 2022 को शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद शराब पीने वालों के पास जुर्माना देकर छूटने का विकल्प दिया गया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में शराब पीने वाले लोग जुर्माना देकर धड़ल्ले से रिहा हो रहे हैं। बिहार सरकार द्वारा शराब पीने के मामले में ‘छूट’ दिए जाने के करीब छह माह में ही शराब पीने के आरोप में अरेस्ट हुए 17 हजार से ज्यादा लोग जुर्माना देकर रिहा हो चुके हैं। इन सभी लोगों को स्पेशल कोर्ट से जमानत मिली है। शराबबंदी कानून में धारा 37 के तहत पहली बार शराब पीकर पकड़े गए लोगों को शपथ पत्र के साथ 2 से 5 हजार रुपए जुर्माना देकर छोड़ने का प्रावधान भी नीतीश सरकार ने ही किया था।

 

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