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भारत को ‘ज्ञान’ देने वाले कनाडा के पीएम ट्रूडो ने आपातकाल लगाकर खत्म कराई हड़ताल, पीएम मोदी की तरह लोकतंत्र का सम्मान करने की मिली सलाह

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कनाडा में इमरजेन्सी एक्ट लागू होने के बाद अमेरिका से लगती सीमा के मोंटाना मार्ग पर गत दो सप्ताह से जारी ट्रकों और अन्य वाहनों की हड़ताल समाप्त हो गई है। लेकिन Feedom Convoy 2022 प्रदर्शनकारियों के साथ जिस तरह बेरहमी से ताकत का इस्तेमाल कर हड़ताल खत्म करायी गई, उससे प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। लोग ने ट्रूडो को भारत में किसान आंदोलन के दौरान बिन मांगे दिए सलाह की याद दिलाई और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह लोकतंत्र का सम्मान करने की नसीहत दी। 

प्रदर्शन को दबाने के लिए ट्रूडो ने लगाया आपातकाल

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार (14 फरवरी, 2022) को इमरजेन्सी एक्ट लागू कर दिया था। ट्रूडो ने यह कदम कोविड महामारी प्रतिबंधों के खिलाफ चल रही ट्रक ड्राइवरों की नाकेबंदी और विरोध को संभालने के लिए संघीय सरकार को अतिरिक्त अधिकार देने के लिए उठाया। कनाडा में 50 वर्षों में पहली बार इमरजेन्सी एक्ट लागू किया गया। AFP की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रूडो ने अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने, उनके ट्रकों को जब्त करने और विरोध प्रदर्शनों की फंडिंग को बैन करने के लिए ज्यादा अधिकार दिए। इसके बाद कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया। उनके ट्रक जब्त किए गए।

ट्रूडो को पीएम मोदी से सीखने की नसीहत

इस कार्रवाई के बाद किसान आंदोलन पर भारत को नसीहत देने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अमेरिकी हिंदू संगठन ने आईना दिखाया। संगठन ने ट्रूडो से कहा कि वह खुद अपनी सलाह के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। उन्हें अपने देशवासियों के प्रदर्शन के अधिकार का सम्मान करना चाहिए। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीख लेनी चाहिए, जिनकी सरकार ने लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से किसान आंदोलन का हल किया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत की।

विरोध-प्रदर्शनों को दबाने के लिए सख्ती

हिंदू पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी कलेक्टिव (हिंदूपैक्ट) के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने कहा कि कनाडा में विरोध-प्रदर्शनों और उन्हें दबाने के लिए अपनाए जा रहे कठोर तौर-तरीकों के बारे में आ रही खबरों को लेकर हमें दुख है। वहां स्थिति चिंताजनक है और हम सभी अपने परिवारों व दोस्तों के लिए बहुत चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि जस्टिन ट्रूडो सरकार को संयम से काम लेना चाहिए।

स्वस्तिक पर बयान के बाद हिन्दू मंदिरों पर हमले

हिंदूपैक्ट ने ट्रूडो और एनडीपी नेता जगमीत सिंह से भी आग्रह किया कि वे ‘स्वस्तिक’ की तुलना नाजी प्रतीक ‘हकेनक्रेज’ से न करें। दोनों ने हाल में प्रदर्शनकारियों पर ‘स्वस्तिक लहराने’ का आरोप लगाते हुए बयान दिए थे। इससे कनाडा में कई हिन्दू मंदिरों पर हमले की खबरें आई हैं। चक्रवर्ती ने कहा कि हम मानते हैं कि इस गलत बयानबाजी से हिंदुओं और सिखों के खिलाफ नफरत की भावना पैदा होगी।

किसान आंदोलन में सलाह देकर आंतरिक मामलों में दखल

कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने पिछले साल भारत में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा था, ‘स्थिति चिंताजनक है। हम प्रदर्शन कर रहे किसानों के परिवारों और दोस्तों को लेकर चिंतित हैं। मैं बता दूं कि शांतपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा मौजूद रहेगा। हम अपनी चिंताओं को लेकर भारतीय अधिकारियों से बात कर रहे हैं। ये हम सभी के साथ आने का वक्त है।’ इस बयान को भारत के आंतरिक मामलों में दखल मानते हुए मोदी सरकार ने कड़ी आपत्ति जतायी थी।

आंदोलनकारियों द्वारा नाकेबंदी पर ट्रूडो का दोगलापन

दिल्ली की सीमा पर किसानों की नाकेबंदी से अर्थव्यवस्था और लोगों की परेशानी से बेखबर ट्रूडो भारत को सलाह देने में लगे थे, लेकिन अपने देश में नाकेबंदी से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा नजर आने लगा। वे आंदोलन को कुचलने पर उतारू हो गए। उनके इस दोहरे मानदंड की खूब आलोचना हो रही है। गौरतलब है कि कोरोना टीका लगवाने की अनिवार्यता और महामारी के कारण लागू प्रतिबंधों से नाराज ट्रक ड्राइवरों ने कनाडा की राजधानी ओटावा को पंगु बना दिया था। वहीं, ट्रकों के काफिले ने ओंटारियो में विंडसर को अमेरिकी शहर डेट्रायट से जोड़ने वाले एम्बेसडर ब्रिज को अवरुद्ध कर दिया था, जिससे दोनों देशों के बीच आवागमन और व्यापार ठप हो गया था। 

 

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