मोदी सरकार में भारत की विदेश नीति पूरी तरह बदल चुकी है। जहां मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर दे रही है, वहीं देश में निर्मित हथियारों के निर्यात में उन देशों को प्राथमिकता दे रही है, जिनकी भारत के दुश्मनों (पाकिस्तान, चीन और तुर्की) के साथ दुश्मनी है। ऐसे देशों में फिलीपींस, वियतनाम और आर्मीनिया शामिल है, जिनसे हाल ही में भारत ने हथियारों की डील की है। भारत ने गुरुवार (29 सितंबर, 2022) को आर्मीनिया को दो हजार करोड़ रुपये में मिसाइल, रॉकेट और कई अन्य तरह के गोला-बारूद बेचने के समझौते को मंजूरी दी। इससे आर्मीनिया को अजरबैजान के खिलाफ संघर्ष में मदद मिलेगी।
आर्मीनिया पिनाका रॉकेट पाने वाला पहला विदेशी ग्राहक
भारत और आर्मीनिया के बीच हथियारों की डील करीब दो हजार करोड़ रुपयों में तय हुई है। सबसे खास बात है कि इस डील के तहत आर्मीनिया भारतीय पिनाका रॉकेट सिस्टम पाने वाला पहला विदेशी ग्राहक होगा। भारत सबसे पहले आर्मीनिया को स्वदेशी पिनाका मल्टी बैरेल रॉकेट लॉन्चरों की आपूर्ति करेगा। पिनाका को भारतीय डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है, जिन्हें अलग-अलग स्वदेशी प्राइवेट कंपनियों में बनाया गया है। पिनाका रॉकेट सिस्टम के अलावा आर्मीनिया को एंटी टैंक रॉकेट और गोला-बारूद भी सप्लाई किया जाएगा।
भारत के भरोसेमंद आर्मीनिया को डिफेंस डील से मजबूती
आर्मीनिया के साथ भारत की यह पहली हथियारों की डील नहीं है। साल 2020 में भी भारत ने चार स्वाति रडार आर्मीनिया को सप्लाई किए थे। दोनों देशों के बीच यह सौदा 350 करोड़ में हुआ था। हालांकि, इस बार सौदा बड़ा है और पिनाका जैसे स्वदेशी प्रॉडक्ट भी डील का हिस्सा बने हैं। भारत के भरोसेमंद आर्मीनिया को इस डिफेंस डील से मजबूती मिलेगी, इसमें कोई शंका का सवाल नहीं है। भारत से बड़ी तादाद में हथियारों को खरीदने से न सिर्फ आर्मीनिया के सुरक्षा उपकरण अपडेट होंगे, बल्कि अजरबैजान पर भी इसका काफी असर पड़ेगा।
पाकिस्तान के दोस्त अजरबैजान से आर्मीनिया का सीमा विवाद
आर्मीनिया अपने पड़ोसी अजरबैजान से लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद से जूझ रहा है। ऐसे में वह अपनी सेना को मजबूत करने के लिए भारत का सहारा ले रहा है। भारत की मदद से आर्मीनिया अपने दुश्मन अजरबैजान पर धाक जमाएगा। गौरतलब है कि अजरबैजान पाकिस्तान का काफी करीबी है। सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि तुर्की से भी अजरबैजान के अच्छे रिश्ते हैं। तीनों देशों ने साल 2020 में 44 दिनों का संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया था। इस अभ्यास को ‘थ्री ब्रदर्स’ का नाम दिया गया था। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के दौरान आर्मीनिया के विदेश मंत्री अरारा मिर्जोयान के साथ बैठक की थी। आर्मीनियाई विदेश मंत्री मिर्जोयान ने एस जयशंकर को अजरबैजान द्वारा आर्मेनिया की भूमि पर कब्जा किए जाने के बारे में जानकारी दी थी।
Armenia Foreign minister informs EAM Jaishankar about the “consequences of the large-scale aggression unleashed by Azerbaijan against the sovereign territory of Armenia”. Statement by Armenian foreign ministry: pic.twitter.com/Epa6rPAVvt
— Sidhant Sibal (@sidhant) September 25, 2022
कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थक है आर्मेनिया
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की और अजरबैजान कश्मीर मुद्दे पर हमेशा ही पाकिस्तान के समर्थक रहे हैं। दूसरी ओर आर्मीनिया, कश्मीर मुद्दे पर भारत को अपना स्पष्ट समर्थन देता है। दिलचस्प बात यह है कि आर्मीनिया की तुलना में भारत के अजरबैजान के साथ अधिक मजबूत आर्थिक संबंध हैं, जिसमें वहां के गैस क्षेत्रों में ओएनजीसी का निवेश भी शामिल है, लेकिन वर्तमान में इसका महत्व कम होता जा रहा है। वहीं अजरबैजान अपने सैन्य संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चीनी मूल के जेएफ -17 लड़ाकू विमान हासिल करने के लिए पाकिस्तान से करार करने जा रहा है।
2025 तक 35 हजार करोड़ रुपये का हथियार बेचने का लक्ष्य
मोदी सरकार हथियारों के निर्यात को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसके तहत साल 2025 तक 35 हजार करोड़ के हथियारों को बेचने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में एक बड़ा कदम आर्मेनिया के साथ हथियारों की डील है। रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2021 में भारत ने 13 हजार करोड़ रुपये के हथियारों की दूसरे देशों में सप्लाई की थी। प्राइवेट सेक्टर का इसमें बड़ा योगदान रहा। इस साल भारत की नजर निर्यात को पिछले साल से ज्यादा बढ़ाने पर है और इसी वजह से मोदी सरकार लगातार कोशिश कर रही है।
पिछले 5 साल में हथियार निर्यात में 334 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच साल में हथियार बेचने के मामले में 334 परसेंट की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन के एडिशनल सेक्रेटरी संजय जाजू के मुताबिक पिछले पांच सालों में भारत का निर्यात करीब आठ गुना बढ़ा है। भारत दुनियाभर के 75 देशों को हथियारों या अन्य सुरक्षा उपकरणों की सप्लाई कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020-21 में भारत ने डिफेंस सेक्टर में 8 हजार 434 करोड़ के हथियार सप्लाई किए, वहीं साल 2019-20 में यह आंकड़ा 9 हजार 115 करोड़ तो साल 2015-16 में दो हजार 59 करोड़ रहा। इसी साल 28 जनवरी में भारत और फिलीपींस के बीच 375 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस डील हुई थी, जो दोनों देशों के रिश्तों के लिए भी काफी सकरात्मक बताई गई थी।
The Indian Defence sector, the second largest armed force is at the cusp of revolution.
Defence exports grew by 334% in the last five years; India now exporting to over 75 countries due to collaborative efforts.#8YearsOfMakeInIndia #AmritMahotsav @makeinindia pic.twitter.com/r2p8ErqmIq
— PIB India (@PIB_India) September 25, 2022
हथियार निर्यात किए जाने वाले देशों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी
भारत अपने रक्ष उपकरणों के निर्यात के लिए वैश्विक बाजार पर फोकस कर रहा है। छोटे-छोटे देशों को भी हथियार देकर एक बड़े मार्केट पर कब्जा करने की रणनीति पर भी काम किया जा रहा है। इसमें काफी सफलता मिल रही है। इससे हथियार निर्यात किए जाने वाले देशों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। फिलीपींस भारत का एक विश्वसनीय ग्राहक है। इसके अलावा भी साउथ ईस्ट एशिया, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के कई देशों में भारत हथियारों का व्यापार कर रहा है। खास बात है कि ब्रह्मोस को लेकर भारत के साथ और भी कई देश डील करने के लिए इच्छुक है, जिनमें सऊदी, यूएई, साउथ अफ्रीका के अलावा थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम भी शामिल हैं। इसके अलावा अर्जेंटीना के साथ तेजस लड़ाकू विमान की बिक्री को लेकर भी अडवांस स्टेज में बातचीत चल रही है।
मेक इन इंडिया के तहत हथियार इंडस्ट्री का विकास
अंतर्राष्ट्रीय हथियार बाजार की मांग और आपूर्ति को देखते हुए मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया पर काफी जोर दिया है। भारत तेजी से अपनी हथियार इंडस्ट्री को विकसित कर रहा है। इसके लिए दो समर्पित डिफेंस कॉरिडोर भी बनाए गए हैं। इनमें से पहला उत्तर प्रदेश और दूसरा तमिलनाडु में स्थापित किया गया है। इनमें बड़े पैमाने पर सैन्य साजोसामान जैसे मिसाइलें, रॉकेट, लड़ाकू विमान के पुर्जे, बुलेट प्रूफ जैकेट, ड्रोन, हेलीकॉप्टर, तोप और उसके गोले, रायफलें बनाने की योजना है। डिफेंस कॉरिडोर ऐसे इलाके होते हैं, जहां रक्षा क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के मैन्यूफेक्चरिंग प्लांट स्थापित होते हैं। इनमें पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और एमएसएई कंपनियां शामिल होती हैं।