28-29 सितंबर, 2016 की दरमियानी रात को भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखाया और दुश्मन देश पाकिस्तान की सीमा में घुसकर वार किया। देर रात को अंजाम दिए गए इस हमले को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कहा गया, जिसमें 38 से अधिक आतंकियों को भारतीय सेना ने एक साथ ढेर कर दिया था। 8 से अधिक आतंकवादी शिविरों को भी तहस-नहस कर दिया गया था। यह देश के लिए गर्व की बात इसलिए भी है कि इस ऑपरेशन में भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ था।
जाहिर है इस सर्जिकल स्ट्राइक ने देशवासियों से मस्तक को ऊंचा करने का काम किया। इसी उपलब्धि को सेलिब्रेट करने के लिए भारत सरकार ने 29 सितंबर को ‘सर्जिकल स्ट्राइक डे’ मनाने का फैसला किया। इसके तहत यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (UGC) ने विश्वविद्यालयों और उच्चतर शिक्षण संस्थानों को निर्देश जारी किया कि वह 29 सितंबर को ‘सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ के तौर पर मनाएं।
यूजीसी ने निर्देश दिए कि सशस्त्र बलों के बलिदान के बारे में पूर्व सैनिकों से संवाद सत्र, विशेष परेड, प्रदर्शनियों का आयोजन और सशस्त्र बलों को अपना समर्थन देने के लिए उन्हें ग्रीटिंग कार्ड भेजने समेत अन्य गतिविधियां की जाएं। हालांकि कांग्रेस भारतीय सेना के साहस और वीरता से जुड़े इस मामले को भी राजनीतिक रंग देने में लग गई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ‘’क्या यूजीसी आठ नवंबर को हुई नोटबंदी को भी ‘सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ के रूप में मनाने की हिम्मत करेगा।‘’ स्पष्ट है कि कांग्रेस इस बात से चिढ़ी हुई है कि सेना के प्रति सम्मान क्यों दिखाया जा रहा है। सच तो ये है कि कांग्रेस अपने राजनीतिक मतलब से सेना पर भी उंगली उठाने से कभी चूकती नहीं है।
ये वही कांग्रेस है जिसके नेताओं ने कभी सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी बताने तक का बयान दे डाला था। 28 जून, 2018 को जब पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो सामने आया तो कांग्रेस से यह भी देखा नहीं गया। सच तो ये है कि कांग्रेस अपने राजनीतिक मतलब से सेना पर भी उंगली उठाने से कभी चूकती नहीं है।
संजय निरुपम ने सर्जिकल स्ट्राइक को Fake कहा था
भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के 38 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था। सेना के शौर्य की इससे बड़ी मिसाल क्या हो सकती है कि इस कार्रवाई में भारत की तरफ से कोई नुकसान नहीं हुआ था। सभी ने सेना के इस शौर्य को सलाम किया। सेना ने स्वयं सामने आकर इस कार्रवाई पर बयान दिया, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इसे भी फर्जी करार दे दिया। पार्टी के नेता संजय निरुपम ने इसे फेक कहा।
Every Indian wants #SurgicalStrikesAgainstPak but not a fake one to extract just political benefit by #BJP.
Politics over national interest pic.twitter.com/4KN6iDqDo5
— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) October 4, 2016
कांग्रेसी संदीप दीक्षित ने सेना को गुंडा कहा
11 जून, 2017 का वह दिन कोई सच्चा भारतीय नहीं भूल पाएगा जब कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता संदीप दीक्षित ने सेना प्रमुख को गुंडा कहा। संदीप दीक्षित ने कहा, ''पाकिस्तान उलजुलूल हरकतें और बयानबाजी करता है। ख़राब तब लगता है कि जब हमारे थल सेनाध्यक्ष सड़क के गुंडे की तरह बयान देते हैं।'' संदीप दीक्षित के इस बयान से साफ है कि सेना के प्रति कांग्रेस पार्टी के मन में कितना सम्मान है। हद तो तब हो गई जब न तो राहुल गांधी ने और न ही सोनिया गांधी ने सदीप दीक्षित के बयान पर कोई टिप्पणी की और न ही माफी की मांग की।
दिग्विजय सिंह ने सेना के जवान को थप्पड़ मारा
15 अक्टूबर 2015 की इस तस्वीर को देख कर कोई भी समझ जाएगा कि कांग्रेस पार्टी के दिल में सेना के प्रति कितनी नफरत भरी हुई है। ये तस्वीर उस समय की है जब मध्यप्रदेश के एक पुलिस कंट्रोल रूम में नियम विरुद्ध नियुक्ति मामले में पूछताछ के लिए आए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अर्द्ध सैनिक बल के जवान को बिना किसी गलती के थप्पड़ मारा था। खास बात यह कि दिग्विजय सिंह के विरुद्ध पार्टी ने न तो कोई कार्रवाई की और न ही माफी मांगने को कहा।
कांग्रेसी दिग्विजय सिंह ने सेना को हत्यारा कहा
16 अप्रैल, 2017 को दिग्विजय सिंह ने एक और शर्मनाक बयान दिया जिसे सुनकर कोई भी समझ सकता है कि कांग्रेस पार्टी सेना के प्रति क्या भाव रखती है। उन्होंने कहा, ''कश्मीरी लोगों को एक तरफ आतंकवादी मारते हैं, दूसरी तरफ भारतीय सेना के जवान।'' दिग्विजय सिंह के इस बयान से समझा जा सकता है कि किस तरह कांग्रेस पार्टी सेना को सियासत का मोहरा बनाती है।
आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते कांग्रेसी सैफुद्दीन सोज
जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।
कांग्रेस के सलमान निजामी को 'रेपिस्ट' लगती है सेना
कश्मीर में यूथ कांग्रेस के नेता सलमान निजामी भारतीय सेना को रेपिस्ट कहते हैं। इतना ही नहीं वह कश्मीर को भी भारत के साथ नहीं बल्कि आजाद देखना चाहता है। यानि कश्मीर को पाकिस्तान के साथ ले जाने को आतुर सलमान निजामी गुजरात में कांग्रेस पार्टी का प्रचार करते हैं, राहुल गांधी के साथ रहते हैं और वही राहुल सेना के सम्मान की बात याद दिलाते हैं।
कांग्रेसी राशिद अल्वी ने करगिल वॉर को BJP का कहा
26 जुलाई, 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन घुसपैठिए पाकिस्तानियों को हमारे जांबाजों ने खदेड़ बाहर किया था और कारगिल की चोटियों पर तिरंगा फहराया था। पूरा देश जहां कारगिल विजय दिवस के उल्लास में डूबा हुआ है वहीं सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी के इस वीडियो में कह रहे हैं, ''कारगिल युद्ध बीजेपी की लड़ाई थी, इस युद्ध से देश का कुछ लेना देना नहीं था।''
#KargilVijayDiwas Congress LEADER RASHID ALVI says Kargil was "BJP's War" & not 'an Indian's war & Congress has nothing to do with it " pic.twitter.com/kaoZTMnaex
— Chayan Chatterjee (@Satyanewshi) 26 July 2018
करगिल विजय के सेलिब्रेशन पर सोनिया गांधी ने लगाई थी रोक
26 जुलाई, 1999 के भारतीय सेना ने घुसपैठिए पाकिस्तानियों को खदेड़ कर बाहर किया था और कारगिल की चोटियों पर तिरंगा फहराया था। इस युद्ध में भारत के 527 वीर सपूतों ने अपनी शहादत दी थी जबकि 1300 से अधिक सैनिक घायल हुए थे। हर देशवासी भारत मां के वीर सपूतों के बलिदान को सेल्यूट करता है, लेकिन कांग्रेस पार्टी और उनके नेता वीर शहीदों को सम्मान नहीं देती, और न ही सेना की इस उपलब्धि पर गर्व करती है। हालांकि ये वीडियो पुराना बताया जा रहा है, लेकिन यह साफ है कि कांग्रेस के नेता देश की सेना के लिए सम्मान का भाव नहीं रखते हैं।
Did u know 2004-2009 Cong led UPA did not celebrate or honor #KargilVijayDiwas on July26 till I insistd in #Parliament #ServingOurNation pic.twitter.com/kDEg4OY1An
— Rajeev Chandrasekhar (@rajeev_mp) 25 July 2017
गौरतलब है कि 1999 के बाद से 2003 तक देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रही। उस दौरान हर साल संसद में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता रहा, लेकिन मई 2004 में जैसे ही कांग्रेस के पास सत्ता आई तो सोनिया गांधी के आदेश से संसद में कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम पर ही बैन लगा दिया गया। नतीजा रहा कि 2004 से लेकर 2009 तक भारत की संसद में कारगिल के बलिदानियों को श्रद्धांजलि नहीं दी गई और न ही विजय दिवस मनाया गया। हालांकि जुलाई 2009 में एनडीए के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने जब मामले को उठाया तो संसद में खूब हंगामा हुआ। इसके बाद कारगिल विजय दिवस संसद में नियमित रूप से मनाया जाने लगा।
गुलाम नबी आजाद ने सेना को नरसंहार करने वाला कहा
21 जून, 2018 को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सेना को नरसंहार करने वाला बताया। आजाद ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर में सेना का निशाना आतंकवादियों पर नहीं, आम नागरिकों पर ज्यादा होता है।'' जाहिर है कांग्रेस ने संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार आयोग के मुस्लिम उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन की उस रिपोर्ट को ताकत देने की कोशिश की है जिसमें भारत पर ह्यूमेन राइट्स के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। सूत्रों की मानें तो यह बयान राहुल गांधी के इशारे पर दिया गया है क्योंकि पार्टी ने इस मामले पर अपनी सफाई भी पेश नहीं की है।
कांग्रेस परस्त पत्रकार भी करते हैं सेना का अपमान
संविधान से मिली अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का बेजा इस्तेमाल करने का ताजा उदाहरण 07 सितंबर को तब सामने आया जब तथाकथित सेक्यूलर पत्रकार शेखर गुप्ता ने एक ट्वीट किया। अपनी गिरी हुई सोच के तहत उन्होंने धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भारतीय सेना से जोड़ दिया और असभ्य टिप्पणी की।
Indian Army is worried now that men can legally have sex with other men@AmritaNayak3 reports: https://t.co/thNycdBSDr
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) September 7, 2018
शेखर गुप्ता का पुराना रिकॉर्ड ये है कि वह भारत और भारतीय सेना का विरोध करते हैं। विशेषकर राष्ट्रवाद नाम से ही उन्हें नफरत है। दरअसल यह बीमारी सिर्फ शेखर गुप्ता की नहीं है, बल्कि खुद को सेक्यूलर कहने वाले राजनीतिक दल, पत्रकार और कई तथाकथित बुद्धिजीवी भी इसमें शामिल हैं। ये भारत को सेना के एक पंचिंग पैड की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं। जब चाहो सेना के बारे में अभद्र टिप्पणी कर दो क्योंकि देश का कानून उन्हें ये अधिकार देता है।
बहरहाल हम आपको ये बता दें कि शेखर गुप्ता वही पत्रकार हैं जिनके 10 जनपथ यानि सोनिया गांधी तक सीधी पहुंच है। ऐसा माना जाता है कि गुप्ता जी वही करते हैं जो कांग्रेस आलाकमान की तरफ से ऑर्डर आता है। बीते 12 जनवरी, 2018 को जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था तो इसका आयोजन भी इसी पत्रकार महोदय ने किया था। यह ट्वीट भी संभवत: कांग्रेस के इशारे पर ही किया गया हो सकता है, क्योंकि कालांतर में कई ऐसे प्रकरण हुए हैं कांग्रेस ने सेना पर सवाल उठाए हैं।