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दुनियाभर में छंटनी! पीएम मोदी की PLI स्कीम रंग लाई, Apple ने भारत में 19 महीने में दिए एक लाख लोगों को रोजगार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने विदेशी कंपनियों को मेक इन इंडिया के तहत भारत में लाने के लिए कई कदम उठाए। इनमें से एक पीएलआई स्कीम भी है। इसी पीएलआई स्कीम से भारत में रोजगार पैदा करने में बड़ी सफलता हाथ लगी है। अगर मोबाइल और लैपटॉप बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एपल(Apple) की ही बात करें, तो भारत में उसके फोन बनाने वाली कंपनियों और उनको सामान सप्लाई करने वालों ने बीते 19 महीने में 1 लाख युवाओं को अपने यहां रोजगार दिया है। इसी साल इन कंपनियों ने 7000 से ज्यादा नौकरियां दी हैं। अभी मार्च का महीना बचा है। ऐसे में मौजूदा वित्तीय वर्ष में Apple के फोन बनाने वाली ये कंपनियां और भी लोगों को रोजगार दे सकती हैं।

दुनियाभर में छंटनी, भारत में रोजगार के मौके ही मौके

एक तरफ टेक कंपनियां दुनियाभर में बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही हैं। लेकिन एपल ने बीते 19 माह में भारत में करीब एक लाख नई नौकरियां दीं। इसके साथ ही एपल इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में सबसे ज्यादा ब्लू कॉलर जॉब पैदा करने वाली कंपनी बन गई है। ये नौकरियां एपल के प्रमुख वेंडर और कम्पोनेंट सप्लायर्स के इकोसिस्टम की बदौलत पैदा हुईं। ये सप्लायर्स प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) के तहत आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग करते हैं।

फॉक्सकॉन हॉन हाई ने 35 हजार से ज्यादा युवाओं को रोजगार दिया

मोदी सरकार ने अगस्त 2021 में पीएलआई स्कीम का एलान किया था। इस पीएलआई स्कीम के आने के बाद एप्पल का फोन बनाने वाली फॉक्सकॉन होन हाई (Foxconn Hon Hai), पेगाट्रॉन (Pegatron) और विस्ट्रॉन (Wistron) ने कुल मिलाकर 60 फीसदी नई नौकरियां पैदा की हैं। इनमें से तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन हॉन हाई ने ही 35500 युवाओं को रोजगार दिया। तमिलनाडु में पेगाट्रॉन की भी इकाई है। वहां 14000 युवाओं को रोजगार मिला। जबकि, कर्नाटक स्थित विस्ट्रॉन में 12800 युवाओं को रोजगार मिला है।

सैलकॉम्प ने 11 हजार युवाओं को रोजगार दिया

एप्पल के फोन बनाने के लिए उपरोक्त कंपनियों को सामान की सप्लाई करने वाले टाटाज इलेक्ट्रॉनिक्स ने भी रोजगार पैदा किए। सैलकॉम्प ने 11000 युवाओं को रोजगार दिया। जाबिल, फॉक्सलिंक और सुनवोडा ने भी युवाओं को नौकरी दी है। मोदी सरकार ने 6 अक्टूबर 2020 को कहा था कि पीएलआई स्कीम से 200000 युवाओं को सीधे रोजगार मिल सकेगा। इसके अलावा परोक्ष तौर पर भी रोजगार मिलेगा। यानी कुल रोजगार करीब 300000 युवाओं को मिलेगा। भारतीय सेलुलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक पिछले 7 साल में इस क्षेत्र में करीब 20 लाख युवाओं को नौकरी मिली है।

एपल के पूरे इकोसिस्टम ने 40 फीसदी नौकरियां पैदा की

एपल के पूरे इकोसिस्टम ने 40 फीसदी नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें कंपोनेंट्स और चार्जर के सप्लायर्स शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन सप्लायर्स ने 40,000 नौकरियां अलग से पैदा की हैं और इनमें Tata Electronics, Salcomp, Avary, Foxlink, Sunwoda और Jabil जैसे नाम शामिल हैं। ये डेटा तीन वेंडर्स और एप्पल इकोसिस्टम में शामिल कंपनियों पर बेस्ड है, जिन्हें सरकारी अधिकारियों के साथ नियमित तौर पर रोजगार की संख्या दर्ज करने की जरूरत होती है।

मोबाइल डिवाइस मैन्यूफैक्चरर्स ने करीब 20 लाख लोगों को रोजगार दिए

इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के अनुसार, सात सालों में मोबाइल डिवाइस मैन्यूफैक्चरर्स और उनके सप्लायर्स द्वारा डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तौर पर पैदा होने वाली नौकरियों की कुल संख्या लगभग 20 लाख है।

Apple ने एक महीने में किया 1 अरब डॉलर के फोन का निर्यात

Apple दिसंबर 2022 में एक महीने के अंदर 1 अरब डॉलर (करीब 8,267 करोड़ रुपए) से ज्यादा कीमत के iPhone एक्सपोर्ट करने वाली पहली कंपनी है. इसने अप्रैल-दिसंबर 2022 की नौ महीने की अवधि में 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का एक्सपोर्ट किया था. यह देश से एक्सपोर्ट होने वाले कुल स्मार्टफोन की वैल्यू का लगभग 40 फीसदी था.

एपल के इन सप्लायर्स ने दी सबसे ज्यादा नौकरियां

*फॉक्सकॉन होन हाई ने 35,500 से अधिक लोगों को रोजगार दिया।

*पेगाट्रॉन ने इस वित्त वर्ष से ही उत्पादन शुरू किया है और इसने 14,000 को नौकरी दी।

*कर्नाटक स्थित वेंडर विस्ट्रॉन ने 12,800 लोगों को नौकरी दी।

*मैकेनिकल पार्ट्स की सप्लायर टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने बड़ी संख्या में लोगों की भर्ती की।

*सालकॉम्प, जाबिल, फॉक्सलिंक और सुनवोडा ने 11,000 से ज्यादा लोगों की भर्ती की।

*पांच साल में 2 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी।

*सरकार का अनुमान है कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में हर प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने से लगभग तीन गुना अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होते हैं।

रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर, दिसंबर में EPFO से जुड़े 14.93 लाख नए सदस्य

केंद्र सरकार की नीतियों के कारण देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। ईपीएफओ की ओर से जारी पेरोल डेटा के अनुसार ईपीएफओ ने दिसंबर 2022 के दौरान कुल 14.93 लाख नए ग्राहक बनाए हैं।

पेरोल डेटा के अनुसार यह पिछले साल के दिसंबर, 2021 से 32,635 अधिक है। दिसंबर में जुड़े 14.93 लाख सदस्यों में से 8.02 लाख नए सदस्य हैं। इसमें से 55.64 प्रतिशत 18-25 वर्ष आयु- वर्ग के हैं। 18 से 21 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों की संख्या 2.39 लाख है, जबकि 22 से 25 साल के आयु वर्ग के लोगों की संख्या 2.08 लाख है। यह दिखाता है कि संगठित क्षेत्र के कार्यबल में रोजगार के इच्छुक बहुत से लोग पहली बार बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं।

दिसंबर माह के दौरान लगभग 2.05 लाख नए महिला पेरोल जोड़े गए। कुल नए शामिल होने वालों में नई महिला सदस्यों का प्रतिशत नवंबर 2022 में 25.14 प्रतिशत से बढ़कर चालू माह दिसंबर के दौरान 25.57 प्रतिशत हो गया।

एयर इंडिया डील से भारत में 5 लाख ज्यादा रोजगार पैदा होंगे

एयर इंडिया ने अब तक के इतिहास के सबसे बड़ा विमान सौदा किया है। इस डील के तहत 470 जेट खरीदे जाएंगे। एयर इंडिया की इस डील से पायलट, पायलट सपोर्ट स्टाफ, एयर होस्टेस, विमान क्रू मेंबर, और मेंटेनेंस जॉब, इंजीनियर, ईंधन भरने वाले, एमआरओ, एयरपोर्ट स्टाफ और अन्य कर्मचारियों की जरूरत होगी। इसके साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से अन्य कई नौकरियां सृजित होंगी। इसके साथ ही पर्यटन के क्षेत्र में कई नौकरियां बनेंगी जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद होंगी।

लिस्टेड कंपनियों ने 2021-22 में दीं रिकॉर्ड 1 करोड़ नौकरियां

केंद्र सरकार की नीतियों के कारण देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं। देश में रोजगार की स्थिति बेहतर हुई है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों ने एक करोड़ लोगों को नौकरी दी है। इतना ही नहीं प्रति कर्मचारी सालाना सात लाख रुपये औसत वेतन का भुगतान किया गया। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) ने कहा कि यह सभी कर्मचारियों के औसत वेतन तीन लाख रुपये से दोगुना से ज्यादा है। इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार सीएमआईई ने 3,300 लिस्टेड कंपनियों के एक सर्वेक्षण में यह बात कही है।

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत 59 लाख लोगों को मिला लाभ

मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना कोरोना महामारी की वजह से नौकरी गंवा चुके लोगों के लिए वरदान साबित हुई है। इस योजना से देश के लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त करने में मदद मिली है। इस योजना के तहत 30 अप्रैल 2022 तक 4,920 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद जारी की जा चुकी है। 1,47,335 कंपनियों की मदद से इसे 58.76 लाख लाभार्थियों में बांटा गया है। इस योजना का उद्देश्य महामारी के कारण नौकरियां गंवाने वाले लोगों को दोबारा से नौकरी दिलाने में मदद करना और प्रतिष्ठानों द्वारा अधिक से अधिक कर्मचारियों को भर्ती करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

PLI स्कीम इकोनॉमी को दे रही बूस्टर डोज

PLI scheme यानी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से सालाना आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू की गई पीएलआई योजना के तहत अगले पांच सालों में लगभग 2.4 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन की पेशकश करके प्रमुख क्षेत्रों में मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना को इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स और दवा क्षेत्र से सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया मिली है। घरेलू उत्‍पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनियों को उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन (PLI) योजना के तहत नकद सहायता की घोषणा की है। जुलाई 2022 तक करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा की PLI का ऐलान हो चुका है। देश में पीएलआई स्कीम के लिए फिलहाल 14 क्षेत्रों का चुनाव किया गया है। आगे इसमें और क्षेत्रों को शामिल किए जाने की संभावना है।

अगले 5 साल में 6 लाख से ज्‍यादा नौकरियां पैदा होंगी

पीएलआई योजना के तहत अगले 5 साल में 6 लाख से ज्‍यादा नौकरियां पैदा होंगी। अभी तक चिप बनाने के लिए कंपनियों को 76 हजार करोड़ की नकद सहायता दी गई है। इसके अलावा ऑटो, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, कपड़ा सहित विभिन्‍न क्षेत्रों के लिए PLI की घोषणा की जा चुकी है। सरकार ने पीएलआई स्कीम को मार्च 2020 में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात बिलों में कटौती करने के लिए शुरू की। इसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बिक्री में वृद्धि पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है।

पीएलआई स्कीम से 5 सालों में 520 बिलियन डॉलर का प्रोडक्शन होने का अनुमान

देश में पीएलआई स्कीम के लिए 14 क्षेत्रों का चुनाव किया गया है। इनमें ऑटोमोबाइल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और दूरसंचार उपकरण, व्हाइट गुड्स इंडस्ट्री, रासायनिक सेल, टेक्सटाइल, फूड प्रोडक्शन सहित आईटी हार्डवेयर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके तहत सरकार देश में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को 1.97 लाख करोड़ का अलग-अलग मद में प्रोत्साहन देगी। भारत में विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करने के अलावा, इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है। बजट में पीएलआई स्कीम से जुड़ी योजनाओं के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। प्रोडक्शन का औसतन 5 प्रतिशत इंसेंटिव के रूप में दिया गया है। यानि सिर्फ पीएलआई स्कीम के द्वारा ही आने वाले 5 सालों में लगभग 520 बिलियन डॉलर का प्रोडक्शन भारत में होने का अनुमान है।

मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने वाली कंपनियों को मिलेंगे 2.7 लाख करोड़

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां अगले 24 से 30 महीनों में शुरू होने की उम्मीद है जिनमें 2 से 2.7 लाख करोड़ रुपए का निवेश हो सकता है। इसमें बड़े पैमाने पर इंसेंटिव मिलने की उम्मीद है क्योंकि यह सभी मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम के सामान और आईटी हार्डवेयर को बनाएंगी। क्रिसिल की मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव आशु सुयश ने कहा कि PLI स्कीम इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा।

अलग-अलग सेक्टर के लिए है पीएलआई स्कीम

सरकार की तरफ से मैनुफैक्चरिंग के अलावा सेमीकंडक्टर, डिफेंस कंपनियों, टेलीकॉम सेक्टर, स्टील, बैटरी सेल के प्रोडक्शन, ड्रोन जैसे सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई है। इसके अलावा गारमेंट और अपैरल सेक्टर के लिए भी पीएलआई स्कीम की तैयारी है।

इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में पीएलआई योजना में करोड़ों रुपये निवेश की प्रतिबद्धता

वर्ष 2022 में एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, अडाणी कॉपर ट्यूब्स और विप्रो एंटरप्राइजेज सहित 15 फर्मों को इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत लाभार्थी के तौर पर चुना गया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि इन कंपनियों ने कुल मिलाकर 1,368 करोड़ रुपए का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है और इनका चयन अभी अस्थाई रूप से है। इन 15 कंपनियों में से छह कंपनियों ने एयर कंडीशनर कलपुर्जों के विनिर्माण के लिए 908 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है और दूसरी ओर नौ कंपनियां 460 करोड़ रुपये के निवेश के साथ एलईडी लाइट घटकों का विनिर्माण करेंगी। इन 15 कंपनियों ने पांच वर्षों में कुल 25,583 करोड़ रुपए के उत्पादन का लक्ष्य तय किया है जिससे करीब 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। पिछले साल नवंबर में डायकिन, पैनासोनिक, सिस्का और हैवल्स सहित 42 फर्मों को इस योजना के पहले चरण में चुना गया था जिन्होंने 4,614 करोड़ रुपए के निवेश की प्रतिबद्धता जताई थी।

PLI के जरिए ऑटो सेक्टर को ‘ऑक्सीजन’ दे रही सरकार

लंबे समय से सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहे ऑटो उद्योग को सरकार ‘ऑक्सीजन’ देने का काम कर रही है। भारत के वाहन कलपुर्जा उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने और सेमीकंडक्टर की कमी से निजात दिलाने के लिए सरकार ने 70 कंपनियों को उत्पादन प्रोत्साहन योजना (PLI) के लिए चुना है। इससे वाहन कलपुर्जा उद्योग में 7.5 लाख नए रोजगार मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि वाहन कलपुर्जा उद्योग में अगले पांच साल में 2.31 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त उत्पादन हो सकेगा। पीएलआई स्कीम के तहत चुने गए वाहन कलपुर्जा में करीब 8 से 13 फीसदी कंपोनेंट्स ऐसे हैं जो सेफ्टी, फ्लेक्स फ्यूल, CNG, LNG, माइलेज बढ़ाने वाले कलपुर्जे और सेंसर से संबंधित हैं, जबकि इनमें से 13 से 18 फीसदी हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिकल वाहन से संबंधित हैं।

फार्मा सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम से देश में सस्ती होंगी दवाएं

फार्मा सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम से फार्मास्युटिकल क्षेत्र में 15,000 करोड़ रुपए का निवेश आने का अनुमान है। योजना से घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को लाभ होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और लोगों के लिये व्यापक स्तर पर सस्ती दवाएं उपलब्ध होंगी। दवाओं के लिये पीएलआई योजना से देश में हाई वैल्यू प्रोडक्ट्स के उत्पादन की उम्मीद है। साथ ही निर्यात में वैल्यू एडिशन बढ़ेगा। अगले छह साल 2022-23 से 2027-28 के दौरान बिक्री में 2,94,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि और निर्यात में 1,96,000 करोड़ रुपए का की अतिरिक्त बढोतरी होने का अनुमान है।

ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट्स के लिए PLI Scheme, 5000 करोड़ रुपये निवेश होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने एवं देश की सुरक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्र में ड्रोन के महत्व को समझते हुए वर्ष 2021 में ड्रोन पालिसी को लागू किया जिसके कारण इसके इस्तेमाल को लेकर नियमन आसान हुआ। उसके बाद इस क्षेत्र में पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई और इससे अगले तीन वर्षों में करीब 5000 करोड़ रुपए का निवेश आएगा। ड्रोन उद्योग का वार्षिक बिक्री कारोबार वित्त वर्ष 2020-21 में 60 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 900 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस क्षेत्र के विकास से ड्रोन निर्माण उद्योग में अगले तीन साल में 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। पीएलआई योजना के अलावा भारत सरकार ने 2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन हब बनाने के लिए सुधार सहित कई कदम उठाए हैं। इसमें उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021 की अधिसूचना शामिल है।

स्टील मैन्युफैक्चरिंग के लिए के लिए PLI स्कीम

केंद्र सरकार ने विशेष प्रकार के स्टील की डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रेडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI) पेश किया है। केंद्र सरकार विशेष स्टील के प्रोडक्शन के लिए एक समान प्रोत्साहन देने की योजना पर काम कर रही है। इसके साथ ही इसमें ज्यादा ग्रेड शामिल करने पर भी सोचा जा रहा है, खासकर रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले सामान के लिए। देश में विशेष स्टील के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने 6,322 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को मंजूरी दी थी। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से करीब 40,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश को आकर्षित किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इससे 5.25 लाख रोजगार के अवसर भी पैदा होने की उम्मीद है।

कपड़ा क्षेत्र के लिये 19,000 करोड़ रुपये से अधिक के 61 प्रस्तावों को मंजूरी

मोदी सरकार ने कपड़ा क्षेत्र के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत गिन्नी फिलामेंट्स, किम्बर्ली क्लार्क इंडिया प्राइवेट लि. और अरविंद लि. समेत विभिन्न कंपनियों के 61 आवेदनों को मंजूरी दे चुकी है। इससे 19,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आने की उम्मीद है। इससे अनुमानित कारोबार 1,84,917 करोड़ रुपये का होगा जबकि 2,40,134 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। सरकार ने देश की विनिर्माण क्षमता और निर्यात को बढ़ाने को लेकर पांच साल से अधिक समय में 10,683 करोड़ रुपये के वित्तीय व्यय की मंजूरी के साथ मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) कपड़े, एमएमएफ परिधान, तकनीकी वस्त्र समेत कपड़ा क्षेत्र के लिये पीएलआई योजना को मंजूरी दी है।

डिफेंस में सेमीकंडक्टर पीएलआई स्कीम

सरकार की जितनी भी डिफेंस कंपनियां है, उन्होंने सेमीकंडक्टर पीएलआई स्कीम के लिए निवेश कर दिया है। इसके अलावा दूसरी पीएसयू कंपनियों ने भी इस स्कीम के तहत अप्लाई किया है। उनकी वैल्यूएशन 1.53 लाख करोड़ रुपए की है। इसके अलावा सरकार दूसरी कंपनियों से भी बातचीत कर रही है, वहीं विदेशी कंपनियों ने इस स्कीम में निवेश करने का इंटरेस्ट दिखाया है। इस पीएलआई स्कीम की वैल्यूएशन 76000 करोड़ रुपए है। दिसंबर 2022 तक इस स्कीम के तहत मिले सभी आवेदन के वैल्यूएशन का काम पूरा हो जाएगा और बाद में कंपनियों के नामों का ऐलान होगा।

टेलीकॉम सेक्टर के लिए PLI स्कीम

टेलीकॉम सेक्टर के लिए PLI स्कीम में बड़ा बदलाव करते हुए मौजूदा इंसेंटिव को 1% और बढ़ा दिया है। इसके साथ ही लिस्ट में टेलीकॉम और नेटवर्किंग के कई नए प्रोडक्ट जोड़े गए हैं। दूरसंचार विभाग ने 24 फरवरी 2021 को 12,195 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को अधिसूचित किया था। 14 अक्टूबर, 2021 को 8 घरेलू और 7 वैश्विक कंपनियों सहित 16 एमएसएमई और 15 गैर-एमएसएमई सहित कुल 31 कंपनियों को मंजूरी दी गई थी। केंद्रीय बजट 2022-23 में मौजूदा पीएलआई योजना के हिस्से के रूप में डिजाइन-आधारित विनिर्माण के लिए एक योजना शुरू करने का प्रस्ताव किया गया था। अब चयनित पीएलआई आवेदकों सहित हितधारकों से फीडबैक के आधार पर मौजूदा पीएलआई योजना को एक वर्ष तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

पीएलआई स्कीम से बढ़ेगा रोजगार का अवसर

अभी जिन सेक्टर के लिए पीएलआई योजना बनाई गई है, उन सेक्टर में फिलहाल जितनी वर्क फोर्स काम कर रही है, वो करीब-करीब दोगुनी हो जाएगी। इंडस्ट्री को तो प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट में लाभ होगा ही, देश में आय बढ़ने से जो डिमांड बढ़ेगी, उसका भी लाभ होगा, यानि दोगुना फायदा। वहीं इस स्कीम का एक व्यापक असर देश की MSME सेक्टर पर होने वाला है। दरअसल, हर सेक्टर में जो सहायक यूनिट बनेंगे, उनको पूरी वैल्यू चेन में नए सप्लायर बेस की जरूरत होगी। ये जो सहायक यूनिट होंगे, ज्यादातर MSME सेक्टर में ही बनेंगी। MSME को ऐसे ही अवसरों के लिए तैयार करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है। पीएलआई योजना भारत में इकाइयों को स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करेगी। हमारी दवाइयां, वैक्सीन, गाड़ियां, फोन आदि हमारे देश में ही बनें इस दिशा में पीएलआई स्कीम बड़ा कदम माना जा रहा है।

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