राजनेता चाहे कितना भी भ्रष्ट हो वो कानून से बच ही निकलता है। भारतीय जनमानस में ऐसी सोच एक दिन में पैदा नहीं हुई थी। 10 साल की सोनिया-मनमोहन सरकार ने तो इस सोच को पूरी तरह से यकीन में बदलकर रख दिया था। लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है, भ्रष्टाचारी नेताओं पर कानून का शिकंजा कसने लगा है। मोदी सरकार किसी राजनेता के खिलाफ बदले की भावना से काम नहीं करती, इसीलिये जब तक ठोस सबूत हाथ में नहीं होते, कभी किसी के विरोध में कार्रवाई नहीं होती। यही वजह है कि देश की आम जनता में एक बार फिर से कानून के प्रति भरोसा जग उठा है। लोगों को विश्वास हो चला है कि जिसने जनता के खजाने में सेंध मारी है, मोदी सरकार में उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होकर रहेगी।
लालू परिवार के भ्रष्टाचार पर प्रहार
आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुके हैं। चारा घोटाला के समय से उनका कारनामा देश के सामने जग-जाहिर है। फिर भी सोनिया-मनमोहन सरकार ने उन्हें जनता के खजाने को लूटने का खुला छूट दे दिया। परिणाम ये हुआ कि उनपर रेलवे के होटलों का टेंडर देने में घोटाले का आरोप लग गया। लालू यादव ने हमेशा की तरह इस बार भी अपनी करतूतों को छिपाने के लिये बहुत हाथ-पैर मारे। तरह-तरह की राजनीतिक नौटंकीबाजी की लेकिन मोदी सरकार ने उनके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई शुरू कर ही दी। जैसे-जैसे जांच एजेंसियां आगे बढ़ीं, इससे जुड़े भ्रष्टाचार के कई मामलों में लालू का पूरा परिवार ही उलझता चला गया ।
राबड़ी देवी
सैकड़ों करोड़ के निर्माणाधीन मॉल की बेनामी संपत्ति के मामले में सीबीआई ने लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के खिलाफ भी केस दर्ज कर रखा है। इस मामले में सीबीआई ने लालू-राबड़ी और उनके बेटे समेत 8 लोगों पर धारा 420 और 120बी के तहत केस दर्ज किया गया है। राबड़ी देवी पर इसके अलावा भी कई लोगों से बेनामी जमीन सौदा करने के आरोप हैं। इस मामले में सीबीआई ने लालू के कई ठिकानों पर छापेमारी की भी कार्रवाई की है।
तेजस्वी यादव
लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर सैकड़ों करोड़ की बेनामी संपत्ति रखने का आरोप है। आरोपों के अनुसार पटना में एक बड़ा मॉल बन रहा है जिसमें रेलवे होटल घोटाले का ही पैसा लगा हुआ है। इस मामले में सीबीआई तेजस्वी के खिलाफ जांच कर रही है। आरोपों के अनुसार तेजस्वी की बेनामी संपत्ति लालू यादव की हजारों करोड़ की बेनामी संपत्ति का हिस्सा है।
तेजप्रताप यादव
लालू-राबड़ी के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप ने पटना में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2011 में भारत पेट्रोलियम का एक पेट्रोल पंप अपने नाम पर आवंटित करा लिया था। लेकिन जांच के बाद पेट्रोलियम कंपनी ने हाल ही में उस पेट्रोल पंप का आवंटन रद्द कर दिया है। यही नहीं बिहार के वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते हुये उन्होंने अपने परिवार के बेनामी मॉल से निकाली गई मिट्टी को भी बिना टेंडर दिये पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान को बेच दिया। मिट्टी घोटाले के नाम से चर्चित इस घोटाले की भी जांच शुरू कर दी गई है।
मीसा भारती
लालू-राबड़ी की बड़ी बेटी और दामाद के खिलाफ भी जमीन घोटाले में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय की जांच चल रही है। इस दंपति पर दिल्ली के पॉश इलाकों में फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये की जमीन हथियाने के आरोप हैं। इस मामले में इन के सीए की गिरफ्तारी तक हो चुकी है। ऐसा नहीं है कि ये मामला कोई नया है, लेकिन शायद मनमोहन सरकार ने कभी इसपर कार्रवाई की सोची ही नहीं। लालू परिवार की हजारों करोड़ की संपत्तियों में दिल्ली के पॉश कॉलोनियों में घर और फार्म हाउस की प्रॉपर्टी भी शामिल हैं।
चिदंबरम पुत्र के घोटालों पर चोट
आरोपों के अनुसार सोनिया-मनमोहन सरकार में पी चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने कई घोटाले किये थे। कार्ति पर पिता के वित्त मंत्री रहते कई निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप है। मोदी सरकार इन आरोपों की जांच आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय से करा रही है। चिदंबरम के कई ठिकानों पर छापेमारी की भी कार्रवाई हो चुकी है। मामला एयरसेल-मैक्सिस डील केस में मनीलॉन्ड्रिंग की जांच से भी जुड़ा है। अबतक की जांच में सन टीवी के खाते से कई दूसरे खातों में ट्रांसेक्शन की बात सामने आ रही है।
वीरभद्र सिंह पर कसा कानून का शिकंजा
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोपी हैं। जानकारी के अनुसार सीबीआई और ईडी ने इस मामले में सितंबर, 2015 में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था और इस सिलसिले में उनके कई ठिकानों पर छापेमारी के बाद चार्जशीट भी दायर हो चुकी है। चार्जशीट के अनुसार वीरभद्र सिंह ने अपनी आय से 192 प्रतिशत अधिक की संपत्ति अर्जित की है। इस मामले में वीरभद्र सिंह को अभी अदालत से जमानत मिली हुई है।
टीएमसी नेताओं के घोटालों पर आक्रमण
पश्चिम बंगाल में जब से ममता बनर्जी की सरकार बनी है, राज्य पोंजी घोटालों के लिये बदनाम हो गया है। कई हजार करोड़ के शारदा , नारदा और रोज वैली मामले में ममता सरकार के मंत्री से लेकर सांसद तक गिरफ्तार हो चुके हैं।
शारदा घोटाले में गाज
मसलन 2500 करोड़ रुपये के शारदा घोटाले में ममता के करीबी और पूर्व मंत्री मदन मित्रा, टीएमसी सांसद कुणाल घोष और शृंजॉय बोस तक की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसके अलावा टीएमसी नेता रजत मजूमदार और शंकुभदेव पांडा की भी गिरप्तारी हो चुकी है। हालांकि बाद में कुछ नेता अदालत से जमानत लेने में कामयाब हो गये।
रोज वैली घोटाले में शिकंजा
15,000 करोड़ रुपये के रोज वैली घोटाले में भी ममता सरकार में हाईप्रोफाइल मंत्री रहे मदन मित्रा तक की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनके अलावा टीएमसी सांसद तपस पाल और सुदीप्तो बंधोपाध्याय तक की भी गिरफ्तारी हो चुकी है।
नारदा घोटाले में फंसे ममता के मंत्री
नारदा स्टिंग ऑपरेशन में ममता बनर्जी के 13 मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर चुके हैं। इन लोगों पर भ्रष्टाचार निरोधी कानूनी की धारा 7 एवं 13 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत मुकदमा चल रहा है। इस मामले में जिन टीएमसी नेताओं पर शिकंजा कसा गया है उनमें सुब्रता मुखर्जी, फरहद हाकिम, सुल्तानअहमद, ककोली घोषदस्तीदार, सुवेन्दु अधिकारी, मदन मित्रा, मुकुल राय और सोवेन मुखर्जी शामिल हैं।
छगन भुजबल के भ्रष्टाचार पर गाज
महाराष्ट्र के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री और एनसीपी के बड़े नेता छगन भुजबल के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति और हवाला के आरोपों पर कार्रवाई हो रही है। इसके तहत प्रवर्तन निदेशालय उनके घर-दफ्तर समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई कर चुका है। छानबीन में भुजबल और उनके परिवार के नाम अरबों रुपये की संपत्ति होने का खुलासा हो चुका है। उनपर हवाला के माध्यम से करोड़ों रुपये विदेश भेजने का भी आरोप है।
केजरीवाल एंड भ्रष्ट कंपनी के भ्रष्टाचार पर शिकंजा
दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार के कई लोगों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार की जांच चल रही है। इस दायरे में दिल्ली पुलिस मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है। शिकायतकर्ता राहुल शर्मा के अनुसार केजरीवाल के रिश्तेदार सुरेंद्र कुमार बंसल ने अधिकारियों के सहयोग से फर्जी कागजातों के आधार पर कई कंपनियों के नाम पर काम लिए और फर्जी बिल बनाये। इस तरह उन्होंने दिल्ली के खजाने को नुकसान पहुंचाया।
मनीष सिसोदिया
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी सीबीआई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर जांच कर रही है। उन्होंने केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए 1.5 करोड़ रुपये में एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को काम सौंप दिया। जबकि मुख्य सचिव ने इसके लिए इजाजत नहीं देने को कहा था।
सत्येंद्र जैन
केजरीवाल सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटने वाले केजरीवाल के मजबूत स्तंभ सत्येंद्र जैन पर हवाला के जरिये 16.39 करोड़ रुपये मंगाने का आरोप है। बताया जाता है कि सत्येंद्र जैन के करीबी कोड वर्ड के साथ नकद में रुपये ट्रेन के माध्यम से कोलकाता भेजते थे और कोलकाता के हवाला कारोबारी छद्म कंपनियों के नाम से जैन की कंपनी में शेयर खरीदने के बहाने पैसे चेक या आरटीजीएस के माध्यम से लौटा देते थे। यही नहीं सीबीआई जैन की पुत्री सौम्या जैन को मोहल्ला क्लीनिक परियोजना में सलाहकार बनाये जाने की भी जांच कर रही है।
जितेंद्र सिंह तोमर
केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री रहे जितेंद्र सिंह तोमर पर फर्जी डिग्रियां रखने का आरोप साबित हो चुका है। जब दिल्ली पुलिस ने उन्हें धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था, तो केजरीवाल एंड कंपनी ने खूब हंगामा किया था। लेकिन मोदी सरकार के मातहत काम करने वाली दिल्ली पुलिस ने बहुत ही शांति और निष्पक्षता से जांच पूरी की और तोमर का कारनामा सबके सामने ला दिया।