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पीएम मोदी के डिजिटल विजन से अमेरिका के VISA और MasterCard को जबरदस्त झटका, अब यूरोप के देशों में भी कर सकेंगे UPI पेमेंट

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल विजन को साकार करने के लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत की थी और इसे 1 जुलाई 2015 को लॉन्च किया गया था। डिजिटल इंडिया का मतलब है भारतवासी के जीवन को सुलभ और सरल बनाना। गरीबों के अकाउंट खोल उनके बैंक अकाउंट में सीधे पैसे भेजने से बिचौलिए खत्म हो गए। डिजिटल इंडिया से बिजली बिल, पानी बिल, इनकम टैक्स भरना काफी आसान और तेज हुआ है। गरीबों को मिलने वाले राशन की डिलीवरी को आसान किया है। अब एक ही राशन कार्ड पूरे देश में मान्य है। दुनिया के सबसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग ऐप आरोग्य सेतु से कोरोना को रोकने में मदद मिली। बीते कुछ वर्षों से भारत में कई प्रकार की लाइन का समाधान Online हो रहा है। आज जन्म प्रमाण पत्र से लेकर वरिष्ठ नागरिक की पहचान देने वाले जीवन प्रमाण पत्र तक, सरकार की अधिकतर सेवाएं डिजिटल हैं। डिजिटल इंडिया से अलग-अलग क्षेत्रों में जो पारदर्शिता आई है, उसने गरीब और मध्यम वर्ग को अनेक स्तरों पर चलने वाले भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाई है। पीएम मोदी के मजबूत भारत के संकल्प में भारतीय पेमेंट सिस्टम UPI मील का पत्थर साबित हो रही है। अब UPI अमेरिका के Visa और MasterCard को टक्कर दे रही है। नेपाल, भूटान और अरब के कई देशों में पहले ही इसकी शुरुआत हो चुकी है। इसके बाद अब यूरोप देशों में भी यह सुविधा उपलब्ध होने जा रही। इसके लिए National Payments Corporation of India (NPCI) ने यूरोपीय कंपनी WorldLine के साथ समझौता किया है। अब यूरोप में आप UPI के माध्यम से पेमेंट के साथ साथ Rupay डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भी पेमेंट कर सकते हैं। चूंकि Visa और MasterCard अमेरिकी कंपनी है तो भारत के UPI के यूरोप में पहुंचने से अमेरिका को करोड़ों का घाटा होने वाला है जिससे वह तिलमिलाया हुआ है।

कल तक आंख दिखाने वाले देश आज भारत से पूरे सम्मान के साथ बात करते हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में आज विश्व पटल पर भारत की धाक है, उसे यहां तक पहुंचने के लिए समय के साथ कदम से कदम मिलाना पड़ा। इस क्रम में उसने अपने हर क्षेत्र में विकास किया, किंतु एक क्षेत्र जिसमें भारत ने अभूतपूर्व कार्य किया वह अर्थव्यवस्था है। इसके अंतर्गत भारत ने ऑनलाइन भुगतान को सुगम बनाने के लिए UPI का निर्माण किया, जिसने ऑनलाइन भुगतान के क्षेत्र में क्रांति ला दी। इसका प्रभाव इतना बढ़ गया कि विकसित देश भी अब इसे अपनाने के क्रम में भारत से बातचीत कर रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑनलाइन भुगतान के क्षेत्र में भारत द्वारा की गयी जबरदस्त प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि इसने सिंगापुर, भूटान और फ्रांस में ज़बरदस्त रुचि पैदा की है। वस्तुतः अन्य देशों द्वारा UPI को अपनाने के पीछे का कारण उसका सरल एवं सुरक्षित होना है। UPI धन के हस्तांतरण का एक तेज़, परेशानी मुक्त और सबसे सस्ते विकल्पों में से एक है, जिसका उपयोग आप कहीं से भी और कभी भी कर सकते हैं। मूलतः लेन-देन करने के लिए केवल UPI आईडी की आवश्यकता होती है। खाते से संबंधित किसी भी संवेदनशील जानकारी को साझा करने, संग्रह करने या याद रखने की आवश्यकता भी नहीं है। आप UPI ऐप पर अपने सभी खातों को इस एक आईडी से आसानी से लिंक कर सकते हैं। UPI ऐप के साथ आपको कैश ले जाने की आवश्यकता नहीं है और ऑनलाइन और ऑफलाइन खरीददारी करने के लिए भी बस क्यूआर कोड स्कैन का उपयोग करना होता है। यह वास्तविक समय में धन निपटान की अनुमति देता है एवं कोई भी शिकायत सीधे UPI ऐप से भी की जा सकती है।

अब RuPay Card और UPI पेमेंट की सुविधा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर

दुनियाभर में पेमेंट सर्विसेज देने वाली वर्ल्डलाइन (Worldline) ने यूरोप में भारतीय पेमेंट माध्यमों का विस्तार करने के लिए एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स के साथ हाथ मिलाया है। एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की अंतरराष्ट्रीय शाखा है। आपको बता दें कि भारत में एनपीसीआई ही डिजिटल भुगतान का संचालन करता है। एनपीसीआई के साथ हुए समझौते के तहत वर्ल्डलाइन व्यापारियों के पॉइंट-ऑफ-सेल (पीओएस) सिस्टम को यूपीआई से भुगतान स्वीकार करने की अनुमति देकर यूरोपीय बाजारों में भारतीय ग्राहकों के लिए और अधिक सुविधा लाएगा। इससे रुपे कार्ड (RuPay Card) की अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स के सीईओ रितेश शुक्ला ने एक बयान में कहा कि वर्ल्डलाइन के रूप में हमें एक ऐसा भागीदार मिला है जो हमें यूरोपीय बाजारों के साथ-साथ एक हाईटेक और यूनिवर्सल समाधान प्रदान करता है। पूरे यूरोप में यूपीआई-संचालित ऐप्स और रुपे कार्ड से पेमेंट शरू होना हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

3.2 करोड़ भारतीय कुछ सेकंड्स में भेज सकेंगे पैसे

मौजूदा समय में विदेशों में रहने वाले 3.2 करोड़ भारतीय विदेशों से भारत धन भेजते हैं और इस पर खर्चा भी काफी अधिक आता है। एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड के सीईओ रितेश शुक्ला ने बताया कि वर्ल्ड बैंक के टाटा ट्रैकर के अनुसार, विदेशों से पैसा भेजने के मामले में भारतीय नंबर वन है। पिछले साल विदेशों से भारतीयों ने 87 बिलियन डॉलर भेजे थे और इंटरनेशनल रेमिटेंस रेट के अनुसार 200 डॉलर एक देश से दूसरे देश में भेजने पर करीब 13 डॉलर की लागत आती है, जो काफी अधिक है। उन्होंने आगे कहा कि हमने भारत में बहुत हद तक नकद का इस्तेमाल कम कर दिया है अब हमारी कोशिश इसे सरहद के पार ले जाकर दोबारा से दोहराने की है। हमारे इस सिस्टम के जरिए बड़ी संख्या में विदेशों में रहने वाले भारतीय सीधे अपने खातों में पैसे ट्रांसफर कर सकेंगे। इससे उन लोगों को भी फायदा होगा जो काम के सिलसिले में अक्सर विदेश जाते रहते हैं। शुक्ला ने कहा कि एनपीसीआई की ओर से लाया जाने वाला इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम भारतीयों को SWIFT के बदले एक घरेलू विकल्प प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य मौजूदा पेमेंट सिस्टम को हटाना नहीं है। मौजूदा समय में एनपीसीआई द्वारा बनाए गए यूपीआई पर 330 बैंकों समेत 25 ऐप काम करते हैं, इसमें गूगल पे, व्हाट्सएप जैसे बड़े ऐप भी शामिल हैं, जिसकी मदद से भारत को 3 ट्रिलियन डॉलर वाले डिजिटल लेनदेन का मार्केट बनाने में मदद मिली है।

दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा UPI, भारतीयता को नई पहचान

शेंगेन वीजा के मुताबिक भारत, यूरोप के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन बाजारों में से एक है, जहां कोरोना काल से पहले लगभग एक करोड़ भारतीय हर साल यात्रा करते थे। जैसे-जैसे COVID-19 का प्रभाव कम हो रहा है, यह संख्या फिर से बढ़ने की उम्मीद है। एनपीसीआई के यूपीआई प्लेटफॉर्म ने 38.74 बिलियन लेनदेन दर्ज किए, जिसकी कीमत 954.58 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। यह दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला रियल-टाइम भुगतान सिस्टम बन गया है। इसी तरह अब तक 714 मिलियन RuPay कार्ड जारी किए गए हैं, जिसमें 130 करोड़ से अधिक लेनदेन हुए हैं। यूरोप में भारतीय पर्यटकों की संख्या में हो रही लगातार बढ़ोतरी और खर्च में वृद्धि के कारण व्यापारियों को बहुत लाभ होगा। वर्तमान में भारत के ग्राहक अंतरराष्ट्रीय कार्ड नेटवर्क के माध्यम से भुगतान करते हैं। एनपीसीआई और वर्ल्डलाइन के संयुक्त बयान में कहा गया है कि यूपीआई एक ही मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से कई बैंक खातों तक पहुंचने की अनुमति देता है। यह फीचर व्यापारियों के लिए नई व्यावसायिक संभावनाओं का द्वार खोलेगा और साथ ही ग्राहकों के लिए भी सुविधाजनक होगा।

अरब देशों में पहले ही हो चुकी यूपीआई की शुरुआत

अरब के कई देशों में पहले ही इसकी शुरुआत हो चुकी है। आपको बता दें कि लाखों की संख्या में भारतीय अरब देश में काम करने के लिए जाते हैं जिसे देखते हुए सरकार ने अरब देशों में UPI और Rupay कार्ड के माध्यम से पेमेंट की शुरुआत की थी। इसके कारण अरब देशों में रहने वाले लोगों को अब भारतीय खातों से ही काम हो जाता है।

सिंगापुर, नेपाल व भूटान ने भी अपनाया यूपीआई 

नेपाल ने इस साल मार्च में डिजिटल लेनदेन के लिए भारत द्वारा विकसित एकीकृत भुगतान इंटरफेस का इस्तेमाल शुरू किया है। वहीं इस साल की शुरुआत में भूटान ने डिजिटल लेनदेन के लिए भीम-यूपीआई आधारित डिजिटल लेनदेन को अपनाया था। भारत में यूपीआई की शुरआत 2016 में हुई थी। एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल) ने 2021 में UPI-आधारित भुगतान स्वीकार करने के लिए सिंगापुर के साथ एक सहयोग हस्ताक्षर किया है। यदि आप सिंगापुर जा रहे हैं तो आप BHIM UPI ऐप डाउनलोड कर सकते हैं और इसका उपयोग खुदरा विक्रेताओं पर भुगतान करने के लिए कर सकते हैं। सिंगापुर मौद्रिक प्राधिकरण (एमएएस) और भारतीय रिजर्व बैंक भी सिंगापुर के पेनाउ और भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस को रीयल-टाइम भुगतान प्रणालियों से जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। मलेशिया, UAE और फ्रांस भी इसे अपनाने की राह पर हैं। आने वाले समय में ऑस्ट्रेलिया और रूस में भी UPI का बोलबाला हो सकता है।

RuPay vs Visa vs MasterCard: जानें तीनों में क्या है अंतर?

बैंक एटीएम (ATM) में आपने अक्सर लोगों को डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते देखा होगा। डिजिटल और कैशलेस पेमेंट के ज़माने में आजकल लगभग हर शख्स के पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड होता है जो कि उनकी बैंक की ओर से जारी किया जाता है। अगर आपने कभी गौर किया हो तो इन कार्ड्स पर RuPay, Visa या MasterCard छपा होता है। प्रत्येक बैंक के कार्ड पर इनमें से कोई न कोई शब्द जरूर लिखा होता है। आखिर क्या फर्क है RuPay, Visa और MasterCard में? जिस कार्ड को आप एटीएम मशीन में डालते हैं, वह एक पेमेंट गेटवे के रूप में काम करता है। यानि कि एटीएम सर्विस शुरू होने से पहले लोग बैंक की शाखा में जाते थे, फिर फॉर्म भरकर पैसा निकाला या जमा किया जाता था। इस सब में बहुत अधिक समय और मानव श्रम लगता था। उसके बाद ATM कार्ड आए। इन कार्ड्स की मदद से आप एटीएम में जाकर कुछ ही मिनट में पैसा निकालने, जमा करने, अकाउंट बैलेंस चेक करने जैसे काम आसानी से कर पाते हैं। यानि कि ये आपके और बैंक के बीच में ट्रांजैक्शन का जरिया बनते हैं। इनको प्लास्टिक मनी भी कहा जाता है। चाहे आप किसी भी बैंक का कार्ड उठाकर देख लें, आपको इस पर Rupay, Visa या MasterCard लिखा दिखाई देगा। ये अलग अलग पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर हैं। इनमें Rupay भारत का अपना पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर है जबकि Visa और MasterCard विदेशी पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर हैं, लेकिन काम तीनों का एक ही है- पेमेंट की सुविधा उपलब्ध करवाना।

RuPay Card क्या होता है?

Rupay Card भारत का घरेलू कार्ड है। इसे NPCI ने 2012 में लॉन्च किया था। जिस तरह से किसी बैंक के एटीएम कार्ड पर Visa या MasterCard लिखा होता है, ऐसे ही आपने किसी कार्ड पर Rupay भी लिखा देखा होगा। Visa या MasterCard विदेशी कंपनियों के कार्ड के रूप में जाने जाते हैं जबकि Rupay भारतीय कार्ड के रूप में जाना जाता है। ये ठीक वैसे ही काम करता है जैसे Visa या MasterCard काम करते हैं। भारतीय कार्ड होने के चलते इसमें कमीशन भी कम लगता है।

Visa Card और MasterCard क्या है?

Visa Card और MasterCard विदेशी कंपनियों के कार्ड हैं जो कि पेमेंट गेटवे के रूप में काम करते हैं। यह दुनियाभर के अधिकतर बैंकों को अपने कार्ड के जरिए पेमेंट की सुविधा देता है। चूंकि ये दोनों इंटरनेशल कार्ड हैं इसलिए इनसे पेमेंट कहीं भी जल्दी से हो जाती है और आसानी से हो जाती है। ये हर जगह मान्य होते हैं। विदेशी कंपनी होने के चलते इनके माध्यम से जो ट्रांजैक्शन होते हैं उसके लिए डेटा प्रोसेसिंग और वेरिफिकेशन इन कंपनियों के सर्वर पर होती है जिससे इसमें टाइम लगता है। Rupay कार्ड भारतीय सर्वर पर प्रोसेसिंग और वेरिफिकेशन करता है इसलिए उसमें ट्रांजैक्शन जल्दी प्रोसेस हो जाता है।

भारत सरकार डेटा प्राइवेसी को लेकर संवेदनशील

भारत सरकार डेटा प्राइवेसी को लेकर संवेदनशील है। भारत सरकार डेटा के नियमों को कड़ा कर स्वदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने की नीति पर काम कर रही हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले साल नियमों का पालन न करने पर मास्टर कार्ड की सर्विसेज वाले कार्ड जारी करने पर बैन लगा चुका है। ऐसे में मास्टर कार्ड की मुसीबतें तो बढ़ ही सकती हैं, क्योंकि उसके हाथ से भारत जैसा एक बड़ा वैश्विक मार्केट निकल सकता है, वहीं भारत सरकर का मास्टर कार्ड पर ये बैन भारतीय रुपे कार्ड के विस्तार के दरवाजे भी खोल सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल मास्टर कार्ड द्वारा डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड जारी करने पर बैन लगा दी है। हालांकि, मौजूदा उपभोक्ताओं को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। RBI का कहना है कि मास्टकार्ड भारतीय नियमों का पालन नहीं कर रहा है। पेमेंट सिस्टम एवं स्टोरेज को लेकर RBI का कहना है कि मास्टर कार्ड ग्राहकों का डेटा लोकल न रखते हुए भारत से बाहर ले जाता है, जिसके चलते मास्टर कार्ड पर पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्‍टम एक्‍ट, 2007 की धारा 17 के अंतर्गत कार्रवाई की गई है। अमेरिकी कंपनी वीजा का प्लास्टिक मनी के मामले मे सबसे अधिक शेयर 40 प्रतिशत के करीब का है। वहीं मास्टर कार्ड की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत है। ऐसे में यदि मास्टर कार्ड को भारत से बाहर किया गया तो उसे एक बड़ा व्यापारिक घाटा होगा

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