Home तीन साल बेमिसाल बांदीपुरा में आतंकियों का हमला नाकाम, बुलन्द हैं जवानों के हौंसले

बांदीपुरा में आतंकियों का हमला नाकाम, बुलन्द हैं जवानों के हौंसले

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जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के हौंसले धीरे-धीरे पस्त होते जा रहे हैं। चाहे एलओसी पार घुसपैठियों को भारत में घुसाने की ताक में लगे पाकिस्तानी सेना हो या कश्मीर में घुस आए आतंकी, भारतीय सुरक्षा बल के जवान उन सबके इरादों को चकनाचूर करने में जुटी हुई है। जब से पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शांति प्रयासों पर पीठ पीछे वार किया है, भारत की नीति बदल चुकी है। अब देश के दुश्मनों को उनके गुनाहों का उन्हीं के अंदाज में जवाब दिया जा रहा है। बांदीपुरा जिले के संबल में सुरक्षा बलों ने कुछ ऐसा ही किया और एक बड़ी साजिश नाकाम करते हुए चार आतंकवादियों को ढेर कर दिया।

उरी की तरह के हमले का प्लान नाकाम
बांदीपुरा के संबल में आतंकवादी सीआरपीएफ कैंप पर हमला करने के मकसद से आए थे। लेकिन आतंकवादी अपने इरादे में सफल होते उससे पहले ही सीआरपीएफ जवानों ने चारों आतंकवादियों को मार गिराया। आतंकवादियों के पास से बरामद हथियार और गोला-बारूद देखने के बाद अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि उनका इरादा उरी जैसी ही वारदात को अंजाम देना था। हथियारों के साथ आतंकवादियों के पास से बरामद पेट्रोल बम भी इस ओर इशारा करता है कि वो जवानों को झुलसा कर मारना चाहते थे। लेकिन सीआरपीएफ 45 बटालियन की सजगता से चारों आतंकी मौके पर ही मार गिराए गए। जानकार बताते हैं कि बरामद  हथियार और हमले के लिए तड़के का वक्त चुनने का मतलब है कि वो बहुत बड़ी वारदात को अंजाम देना चाहते थे। लेकिन वीर जवानों ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया। सबसे बड़ी बात ये है कि बटालियन की कमान सीआरपीएफ के उसी जांबाज अफसर चेतन कुमार चीता के हाथों में है, जिन्होंने पिछले साल आतंकवादियों की  9 गोलियां झेलने के बाद भी मौत को मात दे दी थी।

चौतरफा दबाव में हैं आतंकवादी
हाल के समय में कश्मीर घाटी में मौजूद आतंकवादियों के खिलाफ भी सुरक्षा बलों का एक्शन लगातार जारी है। हर दिन कोई न कोई आतंकवादी या तो सुरक्षा बलों के हाथों मारा जा रहा है या उसकी गिरफ्तारी हो रही है। खबरों के अनुसार राज्य पुलिस LeT के मॉड्यूल के पर्दाफाश करने का दावा कर चुकी है। ये आतंकवादी हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। इनके पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं।

आतंकवादियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के ‘डर्टी गेम’ का खेल खत्म करने की सेना को खुली छूट दे रखी है। दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा, शोपिंया, अनंतनाग आदि जिलों में सेना सघन तलाशी अभियान चलाकर छिपे हुए आतंकवादियों को बाहर निकलने को मजबूर कर चुकी है। सेना के हाथों रोजाना पाकिस्तान से आए भाड़े के आतंकी ढेर हो रहे हैं। हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के बाद उसके उत्तराधिकारी सबजार अहमद बट्ट को भी सेना मौत की नींद सुला चुकी है। बुरहान वानी के 11 साथी आतंकियों में से 9 का काम तमाम हो चुका है, जबकि तारिक नाम का 10वां आतंकी सरेंडर कर चुका है। आखिरी सरगना सद्दाम पडर भी अब ज्यादा दिन तक बचने वाला नहीं है।

आतंकवादियों में हड़कंप
सुरक्षा बलों के दबाव के चलते आतंकवादी संगठनों के अंदर ही उथल-पुथल मची हुई है। पहले बुरहान वानी और फिर सबजार अहमद बट्ट के सफाए के बाद हिजबुल मुजाहिदीन के लोकल कमांडर के पद को लेकर घमासान की खबरें हैं। पहले बताया जा रहा था कि अबतक जिंदा बचे 29 साल के आतंकी रियाज को कमान सौंपी जा सकती है, लेकिन बाद में लश्कर छोड़कर हिजबुल में शामिल हुआ आतंकी सद्दाम पडर ने चीफ बनने का दावा ठोक दिया।

सर्जिकल स्ट्राइक के साथ आतंकियों के दुर्दिन शुरू
19 सितंबर, 2016 के उरी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में 28-29 सितंबर, 2016 की रात प्रधानमंत्री मोदी के आदेश पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया। पाकिस्तान ने भारत की ऐसी प्रतिक्रिया के बारे में सपने में भी नहीं सोचा होगा। उसके आतंकी लॉन्च पैड तो तबाह हो ही गए, 40-50 भाड़े के आतंकी और कुछ पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए। भारतीय सेना के जवानों की बर्बरता से हत्या के बदले 10 मई, 2017 को भारत ने एक बार फिर से नौसेरा सेक्टर में बड़ी कार्रवाई कर पाकिस्तान के कई पोस्ट तबाह कर दिए। इन पोस्ट का इस्तेमाल पाकिस्तान भारत में घुसपैठियों को भेजने के लिए करता था। पहले बात-बात में परमाणु हमले की बात करने वाले पाकिस्तान के हौसले पस्त हैं। सेना का मामला हो या कूटनीति, दोनों स्तर पर भारत से सीधे टकराने की उसकी हिम्मत टूट चुकी है। यही वजह है कि वो चोरी-छिपे तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है। 

 

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