Home पोल खोल श्री राम, रामायण और हिंदुओं से नफरत करती है कांग्रेस !  

श्री राम, रामायण और हिंदुओं से नफरत करती है कांग्रेस !  

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राज्यसभा में रेणुका चौधरी पर पीएम मोदी की टिप्पणी प्रकरण का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर भागवान श्री राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।  पार्टी ने कहा है कि रामायण एक फिक्शन है और पीएम मोदी इसपर विश्वास रखते हैं। दरअसल कांग्रेस पार्टी ने ऐसा कहकर एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह भागवान श्री राम को नहीं मानती है। दरअसल कांग्रेस हमेशा से भगवान श्री राम के अस्तित्व को ही नकारती रही है।

दरअसल कांग्रेस पार्टी कई बार भागवान श्री राम को काल्पनिक और साम्प्रदायिक बता चुकी है। कांग्रेस का कोई भी नेता आज भी सार्वजनिक रूप से श्री राम का नाम नहीं लेता। दरअसल उन्हें हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं खास धर्म के लोग उनके मुंह से जय श्री राम का नाम ना सुन लें और उनका वोट बैंक कम ना हो जाए। जाहिर है कांग्रेस आस्था से बड़ी सत्ता को मानती है।

आइये हम कांग्रेस पार्टी की उस सोच और दर्शन का पोस्टमॉर्टम करते हैं जो इस देश के 100 करोड़ लोगों की आस्था से खिलवाड़ करती है।

हिन्दू विरोधी कांग्रेस के लिए इमेज परिणाम

भगवान राम के अस्तित्व को नकारा
वर्ष 2013 में जब सुप्रीम कोर्ट में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट पर बहस चल रही थी तो कांग्रेस पार्टी ने अपनी असल सोच को जगजाहिर किया था। पार्टी ने एक शपथ पत्र के आधार पर भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था। इस शपथ पत्र में कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि भगवान श्रीराम कभी पैदा ही नहीं हुए थे, यह केवल कोरी कल्पना ही है। ऐसी भावना रखने वाली कांग्रेस भगवान श्री राम के अस्तित्व को नकार कर क्या सिद्ध करना चाहती थी?

रामसेतु को तोड़ने का कांग्रेस का इरादा
कांग्रेस ने व्यावसायिक हित के लिए देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर कुठराघात करने की तैयारी कर ली थी। जिस राम सेतु के अस्तित्व को NASA ने भी स्वीकार किया है, जिस राम सेतु को अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी MAN MAID यानि मानव निर्मित माना है, उसे कांग्रेस पार्टी तोड़ने जा रही थी। दरअसल हिंदुओं के इस देश में ही कांग्रेस पार्टी ने हिंदुओं को ही दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया है। यही वजह रही कि वह एक अरब से अधिक हिंदुओं की आस्था पर आघात करने की तैयारी कर चुकी थी।

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हिंदुओं से बैर
कांग्रेस ने लम्बे समय से राम के नाम पर घिनौनी राजनीति का प्रदर्शन किया है। एक ऐसी राजनीति जिसने राम मंदिर मुद्दे को उलझाने का काम किया। हम सभी जानते हैं कि इस देश में सभी की भावनाएं हैं, लेकिन कांग्रेस ने हमेशा वोट बैंक की राजनीति करते हुए केवल तुष्टिकरण का ही सहारा लिया। वास्तव में तुष्टिकरण के कारण ही आज कांग्रेस वर्तमान हालत में पहुंची है। 

हिंदू आस्था से खिलवाड़ करती रही है कांग्रेस
16 मई, 2016 को तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी। बहस सामान्य थी कि ट्रिपल तलाक और हलाला मुस्लिम महिलाओं के लिए कितना अमानवीय है, लेकिन सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और AIMPLB के वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक और हलाला की तुलना राम के अयोध्या में जन्म से कर डाली। कपिल सिब्बल ने दलील दी है जिस तरह से राम हिंदुओं के लिए आस्था का सवाल हैं उसी तरह तीन तलाक मुसलमानों की आस्था का मसला है। साफ है कि भगवान राम की तुलना, तीन तलाक और हलाला जैसी घटिया परंपराओं से करना कांग्रेस और उसके नेतृत्व की हिंदुओं की प्रति उनकी सोच को ही दर्शाती है।

तीन तलाक और राम मंदिर कपिल सिब्बल के लिए इमेज परिणाम

400 से 44 पर आए तो श्री राम याद आने लगे
कभी कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में 400 से भी अधिक सांसद होते थे, बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनती थी, उस समय राहुल गांधी और कांग्रेस श्री राम के अस्तित्व से साफ-साफ इनकार करते थे, लेकिन कांग्रेस की इस नीति की वजह से पिछले लोकसभा चुनाव में वह 44 सीटों पर आ गयी और पूरे देश से कांग्रेस का पत्ता साफ हो गया। अब कई राज्यों से भी कांग्रेस साफ़ हो गयी है और कई राज्यों से जाने वाली है तो राहुल भी श्री राम की शरण में जाने का ढोंग रच रहे हैं। पहली बार राहुल गांधी ने दशहरा का त्योहार मनाया और श्री राम को तिलक लगाकर उनकी पूजा अर्चना की।

मंदिर के विरोध में कांग्रेसी कपिल सिब्बल
अयोध्या में राम मंदिर बनाने के मामले को कांग्रेस ने हमेशा से ही उलझाए रखा है। जबकि देश का हर नागरिक अब राम जन्म भूमि पर मंदिर बनने का सपना देख रहा है। अब यह कोई नहीं चाहता कि अयोध्या का हल नहीं निकले, लेकिन कांग्रेस की भूमिका को लेकर कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेसी मानसिकता को उजागर करते हुए अभी हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर अब जुलाई 2019 के बाद सुनवाई हो। सिब्बल के बयान से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ने लम्बे समय से राम के नाम पर घिनौनी राजनीति का प्रदर्शन किया है। एक ऐसी राजनीति जिसने राम मंदिर मुद्दे को उलझाने का काम किया।  

कपिल सिब्बल और राम मंदिर के लिए इमेज परिणाम

इसाई धर्म का प्रचार-प्रसार कर रही हैं सोनिया गांधी !
जब से सोनिया गांधी सत्ता के शीर्ष को हैंडल कर रही हैं तब से ही वह हिंदुओं की धार्मिक-सांस्कृतिक आस्थाओं को कुचलने में लगी हैं। हिंदुओं के सामाजिक ताने-बाने को भी तार-तार करने में लगी हैं। अरुणाचल प्रदेश में 1951 में एक भी ईसाई नहीं था। 2001 में इनकी आबादी 18 फीसदी हो गई। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब अरुणाचल में 30 फीसदी से ज्यादा ईसाई हैं। अरुणाचल में धर्मांतरण का सिलसिला 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू हो गया था। तब पहली बार सरकार ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को अपने सेंटर खोलने की इजाज़त दी थी। माना जाता है कि राजीव गांधी पर दबाव डालकर खुद सोनिया ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को घुसाया था।

हिंदू विरोधी सोनिया गांधी के लिए चित्र परिणाम

हिंदू धर्माचार्यों पर जुल्मो-सितम की कांग्रेस की नीति

  • नवंबर 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के अंदर ही दिवाली के मौके पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के एक केस में गिरफ्तार करवाया गया।
  • यूपीए सरकार के दौरान मालेगांव ब्लास्ट मामले में उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने की साजिश रची गई थी।
  • समझौता ब्लास्ट केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था, लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया। इसके बाद इस केस में स्वामी असीमानंद को फंसाया गया। 

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