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आधार से लग रही भ्रष्टाचार पर लगाम, गायब हो गए 80 हजार फर्जी शिक्षक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की सत्ता संभाली है, भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाया है। पिछले चार वर्षों में मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकारी धन लूटने वालों के सभी रास्ते धीरे-धीरे बंद कर दिए हैं। भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने में आधार काफी कारगर सिद्ध हो रहा है। आधार के कारण तमाम सरकारी विभागों और मंत्रालयों से लाभ लेने वाले लोगों के फर्जीवाड़े का पता चल रहा है। इससे न सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है, बल्कि सरकार का हजारों करोड़ रुपया भी बच रहा है।

आधार के असर से गायब हो गए 80 हजार फर्जी शिक्षक
आधार के कारण पकड़ में आए 80 हजार फर्जी शिक्षक अब गायब हो गए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को मिले शिक्षकों के नए आंकड़ों में एक भी फर्जी शिक्षक (घोस्ट टीचर) नहीं बचा है। हिंदुस्तान की खबर के अनुसार एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस साल जनवरी में अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करते हुए खुलासा किया था कि शिक्षकों के आधार नामांकन से पता चला है कि देश में 80 हजार घोस्ट टीचर मौजूद हैं। एक ही आधार के जरिए एक से अधिक संस्थानों में शिक्षक की मौजूदगी और गलत आधार नंबर देखकर मंत्रालय इन आंकड़ों तक पहुंचा था। मंत्रालय ने यूजीसी और एआईसीटीई से इस मामले में कार्रवाई करने को कहा था। दोनों नियामक संस्थानों की ओर से लगातार हुई पूछताछ के बाद सभी घोस्ट शिक्षकों के मामले समाप्त हो गए।

आधार भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा हथियार बन चुका है। आपको बताते हैं किस आधार कार्ड से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में किस तरह मदद मिल रही है। 

तमिलनाडु में गायब हुए 1.4 करोड़ फर्जी राशनकार्डधारी
तमिलनाडु में आधार को राशन कार्ड से जोड़ने के बाद 10 लाख से अधिक फर्जी और डुप्लीकेट राशन कार्ड रद्द हुए हैं। इतना ही नहीं इन राशन कार्डों में दर्ज 1.43 करोड़ लोगों के नाम भी सब्सिडी का अनाज पाने वाले लाभार्थियों की सूची से हटाया गया है। तमिलनाडु सरकार के एक अधिकारी के अनुसार राशन कार्ड को आधार से जोड़ने के बाद डाटाबेस में 8 करोड़ लोगों की संख्या घटकर 6.6 करोड़ रह गई है। तमिलनाडु में अब वैध राशनकार्डों की संख्या 1.96 करोड़ रह गई है। 

मिड डे मील योजना में भी फर्जी छात्रों का पर्दाफाश
यह एक बड़ा खुलासा है जो आधार के जरिये पहचान कन्फर्म करने की प्रक्रिया से सामने आया है। इससे पहले मध्यान्ह भोजन यानी मिड डे मील योजना में भी ऐसी ही गड़बड़ियां सामने आई थीं। पिछले वर्ष अप्रैल में पता चला था कि इस योजना में 4 लाख 40 हजार छात्रों का रजिस्ट्रेशन फर्जी तरीके से हुआ है। यह आंकड़ा भी सिर्फ तीन राज्यों-आंध्र प्रदेश, झारखंड और मणिपुर के बच्चों का था। ऐसे में अनुमान ही लगाया जा सकता है कि गड़बड़ी किस स्तर पर हो रही होगी और आधार लिंकेज इसका पर्दाफाश करने में कितना कारगर है। मोदी सरकार अपने सुधारवादी कार्यक्रमों में आधार लिंकेज को शामिल कर भ्रष्टाचार पनपाने वाले लीकेज को खत्म करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

राशन कार्ड से आधार जुड़ा तो मिले 3 करोड़ फर्जी 
आधार नंबर से राशन कार्ड को जोड़ने की योजना से भी सरकारी खजाने को राहत मिली है। खाद्य सब्सिडी में सालाना 17 हजार करोड़ रुपये की चोरी रुक गई है। आधार लिंकिंग से देश भर में कुल 3 करोड़ फर्जी और नकली राशन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 23.20 करोड़ राशन कार्ड हैं जिसे शत प्रतिशत डिजिटल किया जा चुका है। अब तक 19 करोड़ यानी 82 फीसदी राशन कार्ड को आधार से जोड़ा जा चुका है। इसमें 2.95 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले। इन फर्जी राशन कार्डों को रद्द करने से सालाना 17 हजार करोड़ की बचत हो रही है।

पौने चार करोड़ फर्जी गैस कनेक्शन खत्म 
सरकार ने रसोई गैस कनेक्शन से आधार लिंक करना अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही गैस सब्सिडी आधार लिंक्ड बैंक खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट के तहत जाने लगा। इससे नकली कनेक्शन और चोर-बाजारी की समस्या पर रोक लगाने में मदद मिली है। 1 दिसंबर, 2017 तक के ताजा सरकारी आंकडों के मुताबिक आधार से लिंक करने की वजह से कुल 3,77,94,000 गैस कनेक्शन रद्द किए जा चुके हैं। इनमें फर्जी, एक नाम से अलग-अलग कंपनियों में कनेक्शन और निष्क्रिय गैस कनेक्शन शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फर्जी गैस कनेक्शन रद्द किए गए हैं। वहीं एलपीजी कनेक्शन को आधार नंबर और बैंक खाते के जोड़ने के बाद से अब तक सरकार 29,668 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत कर चुकी है।

राज्य रद्द किए गए एलपीजी कनेक्शन 
उत्तर प्रदेश 55.87 लाख
महाराष्ट्र 36.15 लाख
आंध्र प्रदेश 28.72 लाख
बिहार 11.42 लाख
झारखंड 4.89 लाख

 

वित्त वर्ष सब्सिडी में बचत की रकम
2014-15 14,818 करोड़
2015-16 6,443 करोड़
2016-17 4,608 करोड़
2017-18 29,708 करोड़

 

मनरेगा के एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड रद्द 
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए आधार नंबर को इस योजना के लिए अनिवार्य कर दिया। आधार नंबर लिंक होने पर मनरेगा में देश भर में एक करोड़ से ज्यादा जॉब कार्ड फर्जी मिले। सरकार ने तत्काल प्रभाव से फर्जी जॉब कार्ड को रद्द कर दिया।

बिछड़े परिजनों को मिलाया
आधार सिर्फ भ्रष्टाचार रोकने में ही नहीं, लापता परिजनों को खोजने में भी कारगर साबित हुआ है। आधार कार्ड पहचान का आधार होने के साथ-साथ अपनों को मिलाने का जरिया भी बन रहा है। आधार कार्ड बने होने की वजह से अपनों से बिछड़ गए सैकड़ों लोगों को वापस अपना परिवार मिल गया है। आधार नंबर की बदौलत 500 गुमशुदा बच्चों का पता लगाया गया। इसका सबसे बड़ा मानवीय पक्ष यह है कि अगर आधार न होता तो सैकड़ों व्यक्ति गुमनामी के अंधेरे खो गए होते।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने संसद में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए Prevention of Money-Laundering (Maintenance of Records) पारित किया। इस कानून के तहत सरकार ने कई योजनाओं और सेवाओं के साथ आधार नंबर से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है। जाहिर है सरकार के इस कदम से सब्सिडी बिचौलिए की जेब में न जाकर लाभार्थियों के खाते में जा रही है। 

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