Home समाचार आखिर क्या हैं नए कृषि कानून के प्रावधान

आखिर क्या हैं नए कृषि कानून के प्रावधान

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मोदी सरकार शुरुआत से ही गरीबों और किसानों के हितों के लिए समर्पित रही है। नए कृषि कानून से न सिर्फ खेती-बाड़ी का काम आसान होगा, किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी इसका लाभ होगा। यही वजह है कि नए कृषि कानून को कृषि सुधार की दिशा में मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कृषि कानूनों का विरोध चंद स्वार्थी राजनीतिक और स्वार्थी तत्वों के इशारे पर हो रहा है। आइए एक नजर डालते हैं नए कृषि कानून के प्रावधानों पर।

मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा कानून 

सरकार का पक्ष: इस कानून को सरकार ने कांट्रैक्ट फार्मिंग के मसले पर लागू किया है। इससे खेती का जोखिम कम होगा और किसानों की आय में सुधार होगा। समानता के आधार पर किसान प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम होगा। किसानों की आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स तक पहुंच सुनिश्चित होगी। मतलब यह है कि इसके तहत कांट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। जिसमें बड़ी-बड़ी कंपनियां किसी खास उत्पाद के लिए किसान से कांट्रैक्ट करेंगी। उसका दाम पहले से तय हो जाएगा। इससे अच्छा दाम न मिलने की समस्या खत्म हो जाएगी।

कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार-संवर्धन एवं सुविधा कानून 

सरकार का पक्ष:  इस कानून के लागू हो जाने से किसानों के लिए एक सुगम और मुक्त माहौल तैयार हो सकेगा, जिसमें उन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने की आजादी होगी। ‘एक देश, एक कृषि मार्केट’ बनेगा। कोई अपनी उपज कहीं भी बेच सकेगा। किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे, जिससे बाजार की लागत कम होगी और उन्हें अपने उपज की बेहतर कीमत मिल सकेगी।

इस कानून से पैन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति, कंपनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकते हैं। कृषि माल की बिक्री कृषि उपज मंडी समिति (APMC) में होने की शर्त हटा ली गई है। जो खरीद मंडी से बाहर होगी, उस पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगेगा।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020
इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने का प्रावधान है। ऐसा माना जा रहा है कि कानून के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी। 1955 के इस कानून में संशोधन किया गया है। 

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