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झारखंड सरकार के दबाव में रांची पुलिस ने उपद्रवियों का हटाया पोस्‍टर, झामुमो ने किया बचाव, कांग्रेस विधायक ने की शहीद का दर्जा देने की मांग

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झारखंड की राजधानी रांची में हुई हिंसा मामले में उपद्रवियों का पोस्टर जारी किया गया था। लेकिन सियासी दबाव के कारण पोस्टर लगने के कुछ ही मिनटोंं के बाद हटा लिया गया। इसके बाद राज्य में सियासत तेज हो गई है। जहां हेमंत सरकार पर दबाव में पोस्टर हटाने का आरोप लग रहा है, वहीं कांग्रेस और झामुमो बचाव में दलीलें पेश कर रहे हैं। यहां तक कि कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी पुलिस कार्रवाई में मारे गए उपद्रवियों को शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।

हेमंत सरकार के मंत्री ने किया उपद्रवियों का बचाव

दरअसल झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के निर्देश पर झारखंड के डीजीपी ने रांची हिंसा में शामिल उपद्रवियों का पोस्टर रिलीज किया था। रांची पुलिस की ओर से सभी उपद्रवियों की फोटो सार्वजनिक करते हुए राजधानी के विभिन्न चौक चौराहों पर पोस्टर लगा दिया गया था। इसके बाद पोस्टर को लेकर दबाव की राजनीति शुरू हो गई। झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि हिंसा करने वाली भीड़ के सदस्यों की तस्वीरें प्रदर्शित करना मेरी निजी राय में गलत है। जनता की नजर में भले ही उन पर आरोप लगे हों, लेकिन कानून की नजर में वे अभी तक आरोपित नहीं हैं।

झारखंड मुक्ति मोर्चा का छलका दर्द

झारखंड सरकार में शामिल मुख्य राजनीतिक पार्टी जेएमएम ने ही इस पोस्टर पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पोस्टर लगाने से पहले यह आकलन करना चाहिए कि समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जख्म को जितना हरा किया जाएगा उतना अधिक फैलेगा। उन्होंने नसीहत दी कि पुलिस को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करनी है तो उन्हें चिन्हित करें और जेल भेजे किसी को भी सार्वजनिक तौर पर बदनाम करना सही नहीं है।

कांग्रेस विधायक ने मारे गए उपद्रवियों को बताया शहीद

झारखंड के जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी एक कदम आगे बढ़ते हुए मारे गए उपद्रवियों को शहीद का दर्जे देने, 50 लाख रुपये का मुआवजा और उसके परिजनों को सरकारी नौकरी देने, फायरिंग की मजिस्ट्रियल जांच की मांग की। उन्होंने आगे कहा कि रांची की घटना जांच का विषय है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इससे पहले इरफ़ान अंसारी ने उपद्रवियों की बजाय पुलिस पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। उन्होंने गोली चलाने पर पुलिस की निंदा करते हुए रांची SP सिटी पर कार्रवाई की बात कही थी।

हेमंत सरकार के दबाव में पोस्टर हटाने का आरोप 

अब राजनीतिक दबाव में पुलिस द्वारा पांव पीछे खींचने को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने निशाना साधा है। बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का कहना है कि सरकार के निर्देश पर पुलिस दबाव में हैं। अगर पुलिस ने पोस्टर में संशोधन कर लिया है तो उसे फिर से लगाना चाहिए। इस प्रकार पुलिस अगर दबाव में काम करेगी तो अपराधियों पर नकेल नहीं कसा जा सकेगा। उपद्रवियों की तस्वीरें जब सार्वजनिक होगी तो उनकी पहचान करने में आसानी होगी।

राज्यपाल के निर्देश पर पुलिस ने लगाया था पोस्टर 

गौरतलब है कि पैगंबर पर विवादित टिप्पणी को लेकर रांची में 10 जून को नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इस हिंसा को लेकर राज्यपाल रमेश बैस से 13 जून को राज्य के डीजीपी नीरज सिन्हा सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को राजभवन तलब किया था और हिंसा में शामिल उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। उन्होंने बकायदा इसमें उपद्रवियों के नाम और पते भी लिखने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही इस हिंसा की पूरी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजने की बात कही थी।

 

 

 

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