पश्चिम बंगाल में अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं। बीजेपी ने अपनी तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हर महीने राज्य का दौरा करेंगे। उधर तृणमूल कांग्रेस सरकार में सिर फुटव्वल तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस में नंबर दो और ममता बनर्जी के खास कैबिनेट मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने पार्टी को संदेश देते हुए कहा कि उनका न किसी ने चयन किया और न उन्हें नामित किया। वे अपनी मेहनत से मंत्री पद तक पहुंचे हैं।
शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को हल्दिया में एक सहकारी समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ‘मैं कड़ी मेहनत से ऊंचाई तक पहुंचा हूं। मैं निर्वाचित नेता हूं। मैं चयनित या नामित नेता नहीं हूं।’ उनका यह बयान सहकारी समिति में अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद सामने आया। माना जा रहा है कि ऐसा करके शुभेंदु अधिकारी पार्टी के नीति निर्धारकों पर निशाना साधा है।
शुभेंदु अधिकारी के बयान के बाद पार्टी के अंदर ही विरोध शुरू हो चुका है। पार्टी के कई नेताओं ने उनके इस बयान को गलत बताया। साथ ही कहा कि उनका यह बयान तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता और सांसद को लक्षित था। पूर्वी मिदनापुर के तृणमूल नेता अखिल गिरी ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी को बताना चाहिए कि वह किसके बारे में बात कर रहे हैं।
इससे पहले नंदीग्राम में एक अलग रैली कर बगावत का बिगुल फूंकने वाले शुभेंदु अधिकारी ममता की कैबिनेट बैठक में नहीं पहुंचे। इसके साथ ही तीन और मंत्री राजीव बंद्योपाध्याय, गौतम देव और रवींद्रनाथ घोष भी बैठक में नहीं पहुंचे। यह भी खबर है कि शुभेंदु अधिकारी के तीनों करीबी नेताओं की सुरक्षा भी हटा दी गई है।
बताया जा रहा है कि शुभेंदु काफी वक्त से पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज हैं। लेकिन पहली बार उन्होंने अपनी नाराजगी का सार्वजनिक तौर पर इजहार किया। पिछले एक महीने से शुभेंदु की हर रैली में जो पोस्टर लगाए जा रहे हैं उनमें ममता बनर्जी और टीएमसी दोनों का ही नामोनिशान नजर नहीं आ रहा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 5 नवंबर को बंगाल में दो दिवसीय दौरे पर गए थे और वहां उन्होंने बीजेपी की तैयारी के साथ ममता सरकार पर जबर्दस्त निशाना साधा था। शाह के लौटने के बाद बंगाल की राजनीति में अचानक गर्माहट बढ़ गई। उधर बीजेपी शुभेंदु को पार्टी जॉइन करने का पहले ही खुला ऑफर दे चुकी है। इससे अब ममता बनर्जी की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं।
गौरतलब है कि शुभेंदु अधिकारी सत्तारूढ़ ममता सरकार में वरिष्ठ मंत्री हैं। राज्य के मिदनापुर और जनजातीय क्षेत्र जंगलमहल में तृणमूल के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। जिस नंदीग्राम आंदोलन से ममता बनर्जी को बंगाल की सत्ता मिली थी, उस आंदोलन का आर्किटेक्ट शुभेंदु को माना जाता है। ममता बनर्जी के साथ शुरुआती दौर से ही जुड़े हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी पार्टी के साथ नाराजगी की खबरें बाहर आ रही हैं। इसी के चलते वे तृणमूल कांग्रेस और राज्य मंत्रिमंडल से दूरी बनाकर चल रहे हैं।