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भारत के ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम के खिलाफ प्रोपेगेंडा, मोदी सरकार ने दिया करारा जवाब

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कोरोना महामारी के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत पूरी दुनिया के लिए एक संकटमोचक बनकर सामने आया है। भारत ने अपने ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम के जरिए करीब 83 देशों को स्‍वदेशी कोरोना वैक्सीन भेजकर मदद की है, जिसकी तारीफ कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों ने किया है। लेकिन मोदी सरकार विरोधी ऐसे व्यक्ति, दल और संगठन है, जो अपने निहित स्वार्थ की वजह से ‘वैक्सीन मैत्री’ के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों को मोदी सरकार ने आंकड़ों और महत्व के जरिए आईना दिखाया है।  

मोदी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार यानि 8 अप्रैल, 2021 को कहा कि ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत भारत ने अब तक 83 देशों को कोविड-19 टीकों की 6.45 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्‍ध कराया है। इनमें 1.05 करोड़ खुराक अनुदान के रूप में भेजे गए हैं, जबकि 3.58 करोड़ वाणिज्यिक आधार पर आपूर्ति की गई है। संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में ‘कोवैक्स’ पहल के अन्तर्गत अतिरिक्त 1.82 करोड़ खुराक दिए गए हैं। गौरतलब है कि स्वदेशी टीका उत्पादकों ने द्विपक्षीय रूप से या कोवैक्स पहल के माध्यम से अन्य देशों को वैक्सीन आपूर्ति करने के लिए अनुबंध भी किया है। 

अधिकारी के मुताबिक अनुदान के रूप में दिए गए 1.05 करोड़ टीकों में से करीब 75 प्रतिशत टीके पड़ोसी देशों को दिए गए हैं। भारत ने सबसे पहले अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन देने के साथ वैक्सीन मैत्री पहल की शुरुआत की। मालदीव, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के साथ, मॉरीशस और सेशेल्स को वैक्सीन दी गई।

इस बीच, बीजेपी के विदेश मामलों के विभाग के प्रभारी और वैज्ञानिक विजय चौथवाले ने कहा कि जब हमारे देश की सीमाएं दूसरे देशों के साथ भी जुड़ी होती हैं, तो वहां फैली महामारी का असर हमारे देश पर भी पड़ता ही है। अगर हमारे पड़ोसी देश में महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है तो इससे हमारे देश में भी संक्रमण को रोकने में काफी सहायता मिलती है।

उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, कई छोटे और विकासशील देशों, जिनके पास वैक्सीन तैयार की कोई क्षमता नहीं है, उन्हें भारत की ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम से बहुत फायदा पहुंचा है।” उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि जो पार्टी दशकों से भारत पर राज कर रही है, वह ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम का रणनीतिक महत्व नहीं समझती।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने राज्यसभा को बताया था कि  ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत भारत ने 70 से अधिक देशों को कोविड-19 वैक्सीन की आपूर्ति की है। कोविड महामारी से निपटना हम सभी के लिए एक कठिन चुनौती है। लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक चुनौती के दौर में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरी मित्रता को लेकर जो कदम उठाए उससे भारत का विश्व में कद ऊंचा हुआ है और देश के प्रति सद्भाव की भावना निर्मित हुई है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में डिजिटल माध्यम से संबोधन के दौरान आश्वासन दिया था कि भारत के टीका उत्पादन और आपूर्ति क्षमता का उपयोग इस संकट से निपटने में पूरी मानवता के लिए किया जाएगा। ‘वैक्सीन मैत्री’ न सिर्फ वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी सदियों पुरानी परंपरा को ही नहीं दर्शाता, बल्कि यह भारत की बढ़ती क्षमताओं का इस्तेमाल मानवता के कल्याण के लिए करने की इस सरकार की सोच को भी ज़ाहिर करता है। 

दूसरे देशों को टीकों की आपूर्ति करना अपने देश में पर्याप्त उपलब्धता होने पर ही संभव है। मोदी सरकार इसकी लगातार निगरानी कर रही है और इस दौरान घरेलू टीकाकरण कार्यक्रम की जरुरतों को ध्यान में रखा जा रहा है, क्योंकि इसे कई चरणों में किया जाना है। एक सशक्त समिति इस पूरी प्रक्रिया पर नज़र रखती है।

दरअसल, ये मुद्दा इसलिए उठा है क्योंकि भारत के ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम को लेकर भी राजनीति शुरू हो चुकी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश के सभी नागरिकों के लिए कोरोना वैक्सीन की पैरवी करते हुए बुधवार को कहा कि ‘इस वैक्सीन की जरूरत को लेकर बहस करना हास्यास्पद है। हर भारतीय सुरक्षित जीवन का हकदार है, इसलिए हर भारतीय को वैक्सीन मुहैया कराई जाए।’

वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार को 25 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीकाकरण की अनुमति देने की मांग की थी। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि जब तक वैक्सीन की आपूर्ति सीमित है, तब तक ‘प्राथमिकता’ के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में काफी विचार-विमर्श के बाद टीकाकरण की रणनीति तैयार की गई है। वैक्सीन की कमी के आरोपों को खारिज करते हुए हर्षवर्धन ने महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों पर बुधवार को हमला बोला और उनपर पात्रता रखने वाले पर्याप्त संख्या में लाभार्थियों को टीका लगाए बिना सभी के लिए टीकों की मांग कर लोगों में दहशत फैलाने और अपनी ‘विफलताएं’ छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। 

 

 

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