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पिता की 27 साल पुरानी मांग को मोदी सरकार ने किया पूरा, विरोध में सड़कों पर उतरा किसान बेटा

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नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का साथ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी दे रहे हैं। राकेश बड़े किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे हैं। 27 साल पहले जिन सुधारों को लेकर महेंद्र सिंह टिकैत सरकार से लड़े थे, आज मोदी सरकार ने उनकी मांगों को पूरा कर दिया है, तो उसी के खिलाफ उनके बेटे राकेश टिकैत सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

राकेश टिकैत फिलहाल किसानों के उस कोर ग्रुप में शामिल हैं जो कृषि संशोधन बिल पर लगातार सरकार से बात कर रही है। राकेश टिकैत एमएसपी को कानूनी मान्यता देने के साथ ही तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। नये कृषि कानून अन्य चीजों के अलावा किसानों को अपनी उपज खुले बाजार में बेचने की आजादी देते हैं। लेकिन राकेश टिकैत इस आजादी को किसानों के हित में नहीं मानते हैं। वो इन कानून को वापस लेने के लिए सरकार पर लगातार दबाव डाल रहे हैं।

27 साल पहले महेंद्र सिंह टिकैत और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के चार अन्य नेताओं ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के निमंत्रण पर उनसे मुलाकात की थी। तब महेंद्र सिंह टिकैत ने प्रधानमंत्री राव को देने के लिए किसान समस्याओं का एक ज्ञापन तैयार किया था। उसी ज्ञापन में पहली बार किसानों के लिए पूरे देश का बाजार खोले जाने की मांग की गई थी। ताकि किसान फसल को जहां अच्छे दाम मिले वहां जाकर बेच सके। उसे किसी मंडी के लाइसेंसधारी(आढ़तियों) को फसल बेचने की बाध्यता नहीं हो।

उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल भारतीय किसान यूनियन के तत्कालीन जिलाध्यक्ष रहे वीरेंद्र सिंह प्रमुख ने कहा कि उस वार्ता के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने किसानों की मांगों को तत्काल पूरा करने में असमर्थता जता दी थी। बाद में महेन्द्र सिंह टिकैत ने किसानों को अपनी उपज पूरे देश में कहीं भी लेजाकर बेचने की छूट दिए जाने की मांग को जोर शोर से उठाया। हालांकि महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा किसानों के लिए किए गए आंदोलनों के बावजूद इस मांग को उनके जीवनकाल में पूरा नहीं किया जा सका। 2011 में उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के नौ साल बाद केंद्र की मोदी सरकार ने महेंद्र सिंह टिकैत और किसानों की दशकों पुरानी इस मांग को पूरा कर दिया। 

अब वही भारतीय किसान यूनियन और टिकैत के बेटे उन कानूनों का विरोध कर रहे हैं, जो 27 साल पहले टिकैत की मांगों के अनुरूप हैं। मोदी सरकार ने किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं, जो किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा खुद ले लेते हैं, उनसे बचाने के लिए कानून बनाया है। सरकार ने कानून के तहत किसानों के लिए रक्षा कवच प्रदान किया हैं। किसानों पर से कानून का बंधन खत्म कर दिया गया है। अब किसानों को जहां मन आएगा, अपनी उपज बेचेगा। किसान अब किसी बिचौलिए का मोहताज नहीं रहेगा और अपनी उपज के साथ अपनी आय भी बढ़ाएगा। 

गौरतलब है कि आज बीकेयू के अध्यक्ष महेंद्र सिंह टिकैत के बड़े बटे नरेश टिकैत हैं। लेकिन, संगठन की बागडोर असल मायनों में महेंद्र सिंह टिकैत के छोटे बेटे राकेश टिकैत ने संभाल रखी है। केंद्र सरकार से बातचीत करने वाले किसानों में राकेश टिकैत भी शामिल हैं। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के भी भारतीय किसान यूनियन के साथ लिंक सामने आए हैं।

 

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