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श्री काशी विश्वनाथ का भव्य धाम आज विश्व को समर्पित करेंगे प्रधानमंत्री मोदी, 250 साल बाद बदली सूरत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज, 13 दिसंबर को दोपहर 1 बजे के करीब वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद करीब 339 करोड़ रुपये की लागत से बने श्री काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे।

वाराणसी की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री 13 दिसंबर को दोपहर लगभग 12 बजे काल भैरव मंदिर भी दर्शन करने के लिए जाएंगे और फि‍र शाम को करीब 6 बजे रो-रो जहाज पर सवार होकर मां गंगा की भव्‍य आरती देखेंगे।

प्रधानमंत्री 14 दिसंबर को दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे वाराणसी स्थित स्‍वर्वेद महामंदिर में सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान के 98वें वार्षिकोत्सव में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय यात्रा के दौरान असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन में भी भाग लेंगे। इस सम्मेलन में बिहार और नगालैंड के उपमुख्यमंत्री भी भाग लेंगे। यह सम्मेलन गवर्नेंस से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। इतना ही नहीं, यह टीम इंडिया की भावना को आगे बढ़ाने के प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है।

प्रधानमंत्री मोदी का सपना था कि बाबा विश्वनाथ के तीर्थयात्रियों और भक्तों को पवित्र नदी में डुबकी लगाने के बाद बिना किसी परेशानी गंगाजल लेकर मंदिर में अर्पित करने में कोई कठिनाई ना हो। इस सपने को साकार करने के लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी के तट से जोड़ने के लिए एक सुगम मार्ग की एक परियोजना के रूप में श्री काशी विश्वनाथ धाम की परिकल्पना की गई। इस पुनीत कार्य को शुरू करने के लिए 8 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना की आधारशिला रखी।

प्रधानमंत्री ने परियोजना के सभी चरणों में काफी रुचि दिखाई। परियोजना को बेहतर बनाने और दिव्यांगजनों समेत सभी तीर्थयात्रियों के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाने के क्रम में उन्होंने लगातार इनपुट दिए और इस सम्बन्ध में अपना दृष्टिकोण साझा किया। परियोजना को रैंप, एस्केलेटर और अन्य आधुनिक सुविधाओं के साथ डिजाइन किया गया, ताकि दिव्यांगजनों और वृद्ध लोगों को पहुंचने में आसानी हो।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करने के लिए परियोजना के पहले चरण में कुल 23 भवनों को बनाया गया है। इनमें यात्री सुविधा केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम, दर्शक दीर्घा, फूड कोर्ट शामिल हैं।

इस परियोजना के अंतर्गत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास 300 से अधिक संपत्तियों की खरीद और अधिग्रहण किए गए। सभी को साथ लेकर चलने का प्रधानमंत्री का विजन ही वह सिद्धांत था, जिसके आधार पर इन अधिग्रहणों के लिए आपस में बातचीत से हल निकाला गया। इस प्रयास में करीब 1400 दुकानदारों, किराएदारों और मकान मालिकों का पुनर्वास सौहार्दपूर्ण ढंग से पूरा किया गया। इसकी सफलता का प्रमाण यह है कि परियोजना के विकास से संबंधित अधिग्रहण या पुनर्वास को लेकर देश के किसी भी न्यायालय में कोई भी मुकदमा लंबित नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के तहत यह भी सुनिश्चित किया गया कि परियोजना के विकास के दौरान सभी विरासत संरचनाओं को संरक्षित किया जाए। यह दूरदर्शिता तब काम आई, जब पुरानी संपत्तियों को नष्ट करने की प्रक्रिया के दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोज निकाला गया। इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि मूल संरचना में कोई बदलाव न हो।

इस परियोजना की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह परियोजना अब लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है, जबकि पहले संबंधित परिसर तकरीबन 3000 वर्ग फुट तक ही सीमित था। कोविड महामारी के बावजूद इस परियोजना का निर्माण कार्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही पूरा कर लिया गया है।

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