प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 4 अप्रैल को आपदा के प्रभाव से निपटने के लिए विश्व से एकीकृत रवैया अपनाने का आह्वान किया। 5वें आपदा अनुकूल बुनियादी ढांचे पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन- आईसीडीआरआई-2023 को संबोधित करते हुएप्रधानमंत्री ने कहा कि सीडीआरआई इस वैश्विक दृष्टिकोण पर विकसित हुआ है कि निकट रूप से जुड़ी दुनिया में, आपदाओं का प्रभाव केवल स्थानीय नहीं होगा। इसलिए हमें प्रतिक्रिया को अलग-थलग नहीं, बल्कि एकीकृत रूप देना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ ही वर्षों में विकसित और विकासशील, बड़े या छोटे या वैश्विक दक्षिण या वैश्विक उत्तर के 40 से अधिक देश, सीडीआरआई का हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने इसे उत्साहजनक बताया कि सरकारों के अलावा, वैश्विक संस्थान, निजी क्षेत्र और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी इसमें शामिल हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्ष की थीम ‘सहनीय और समावेशी अवसंरचना निर्माण’ (Delivering Resilient and Inclusive Infrastructure) के संदर्भ में आपदा से निपटने से जुड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर पर चर्चा के लिए कुछ प्राथमिकताओं का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा “इंफ्रास्ट्रक्चर न केवल लाभ के बारे में है, बल्कि पहुंच और सहनीयता से भी जुड़ी है। अवसंरचना से कोई पीछे नहीं छूटना चाहिए और संकट के समय में भी लोगों की सेवा करनी चाहिए।“ प्रधानमंत्री ने अवसंरचना के समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि सामाजिक और डिजिटल अवसंरचना उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी कि परिवहन अवसंरचना।
प्रधानमंत्री ने त्वरित राहत के साथ-साथ, सामान्य स्थिति की शीघ्र बहाली पर भी ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सहनीयता एक आपदा और दूसरी आपदा के बीच के समय में निर्मित होती है। पिछली आपदाओं का अध्ययन करना और उनसे सबक सीखना ही आगे का रास्ता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आपदाओं का सामना करने में सक्षम अवसंरचना के निर्माण में स्थानीय ज्ञान के कुशल इस्तेमाल पर जोर दिया। स्थानीय ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीक इसके लिए बहुत अच्छी हो सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अलावा, यदि अच्छी तरह से दस्तावेज तैयार किए जाते हैं, तो स्थानीय ज्ञान वैश्विक सर्वोत्तम तौर-तरीका बन सकता है।
भारत की जी20 अध्यक्षता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने सीडीआरआई को कई कार्यकारी समूहों में शामिल करने की जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘आप यहां जिन समाधानों को अंतिम रूप देंगे, उन पर वैश्विक नीति-निर्माण के उच्चतम स्तर पर ध्यान दिया जाएगा।’