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किसी भी बुनियादी ढांचे का विकास जन केंद्रित होना चाहिए और भारत बिलकुल यही कर रहा है- प्रधानमंत्री मोदी

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फाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि किसी भी बुनियादी ढांचे का विकास जन केंद्रित होना चाहिए और भारत बिलकुल यही कर रहा है। आपदा अवरोधी अवसंरचना पर चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को वीडियो संदेश के माध्यम से सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसीलिए हम अगली पीढ़ी वाली नियादी ढांचे का निर्माण करके निर्धनतम और अत्यंत जोखिम वाले वर्गों की आवश्यकताओं को मद्देनजर रखते हुए उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब लोगों को समानता के आधार पर उच्च गुणवत्ता, भरोसेमंद और सतत सेवाएं प्रदान करना होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, पेयजल, बिजली तथा परिवहन के क्षेत्रों और प्रत्‍यक्ष रूप से जलवायु परिवर्तन की समस्‍या के समाधान के लिए बुनियादी सेवाओं में वृद्धि कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लोग बहुत स्पष्ट तरीके से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर रहे हैं। यही कारण है कि हम कॉप-26 में अपने विकास प्रयासों के समानान्तर 2070 तक ‘नेट-ज़ीरो’ को हासिल करने के लिए संकल्पित हैं।

प्रधानमंत्री ने मानव क्षमता के भरपूर उपयोग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्त्व का उल्लेख करते हुए कहा कि अवसंरचना की क्षति पीढ़ियों तक चलती रहती है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमारे पास उपलब्ध आधुनिक प्रौद्योगिकी और ज्ञान के आधार पर क्या हम परिस्थितियों का सामना करने वाली अवसंरचना का निर्माण कर सकते हैं, जो सदैव कायम रहे?” उन्होंने कहा कि यही चुनौती सीडीआरई की रचना की बुनियाद है। उन्होंने कहा कि गठबंधन का विस्तार हुआ है और उसने मूल्यवान योगदान किए हैं। उन्होंने कॉप-26 में शुरू की गई ‘इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेजेलियंट आईलैंड स्टेट्स’ पहल और पूरी दुनिया में 150 हवाई अड्डों के सम्बंध में ‘रेजेलियंट एयरपोर्ट्स’ पर सीडीआरआई के कामकाज का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि सीडीआरआई के नेतृत्व में चलने वाले ‘ग्लोबल असेसमेंट ऑफ डिजास्टर रेसेलियंस ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम्स’ से वैश्विक ज्ञान के सृजन में मदद मिलेगी, जो बहुत मूल्यवान होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें अपने भविष्य को हर परिस्थिति के लायक बनाना है, तो हमें हर परिस्थिति के योग्य अवसंरचना परिवर्तन के लिए काम करना होगा। हर परिस्थिति में काम करने के लायक अवसंरचना को हमारे विस्तृत समायोजक प्रयासों के केंद्र में भी रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, “अगर हम अवसंरचना को हालात का सामना करने लायक बनायेंगे, तो न केवल अपने लिए, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के लिए आपदाओं को रोक पायेंगे।”

उद्घाटन सत्र को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, घाना के राष्ट्रपति नाना एडो डंकवा अकूफ़ो-एडो, जापान के प्रधानमंत्री फूमिओ किशीदा और मैडागास्कर के राष्ट्रपति आंद्रे निरिना राजोलिना ने भी सम्बोधित किया।

देखिए वीडियो-

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