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चीन को कड़ा संदेश देने की तैयारी में मोदी सरकार, भारत-ताइवान ट्रेड डील पर शुरू हो सकती है औपचारिक बातचीत

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भारत-चीन सीमा पर टकराव जारी है। चीन भारत के पड़ोसी देशों को अपने पक्ष में करने के लिए आर्थिक प्रलोभन के साथ हर तरह के हथकंडे अपना रहा है। पाकिस्तान से उसके रिश्ते जगजाहिर है। लेकिन हाल की घटनाओं से पता चलता है कि नेपाल उसके जाल में फंस चुका है। उधर बांग्लादेश को भी अपने पाले में लाने के लिए कोशिश कर रहा है। ऐसे में भारत ने ताइवान से अपने संबंधों को औपचारिक रूप देकर चीन को उसी की भाषा में समझाने की रणनीति पर विचार कर रहा है।   

ताइवान कई वर्षों से भारत के साथ ट्रेड डील पर बातचीत करना चाहता है, लेकिन भारत सरकार इससे बचती रही है। भारत नहीं चाहता था कि चीन के साथ उसके रिश्ते खराब हो। लेकिन चीन की चालों से परेशान भारत और ताइवान एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक दोनों देश जल्द ट्रेड डील पर औपचारिक बातचीत शुरू कर सकते हैं।

ताइवान के साथ औपचारिक रूप से व्यापार वार्ता शुरू करने के लिए भारत सरकार के भीतर समर्थन बढ़ रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि ताइवान के साथ ट्रेड डील से भारत को टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स में ज्यादा निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। अधिकारी ने कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि बातचीत शुरू करने के लिए कब अंतिम फैसला लिया जाएगा।

इस महीनें की शुरुआत में मोदी सरकार ने ताइवान की फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप, विस्ट्रॉन ग्रुप और पेगाट्रॉन कॉर्पोरेशन को स्मार्टफोन के उत्पादन के लिए मंजूरी प्रदान की थी। इससे भारत में एक बड़ा निवेश आ सकेगा।

अधिकांश देशों की तरह भारत ने भी ताइवान को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। ऐसे में भारत अगर औपचारिक रूप से ताइवान के साथ ट्रेड डील पर बातचीत शुरू करता है, तो यह ताइवान के लिए एक बड़ी जीत होगी। क्योंकि ताइवान को चीन के दबाव के कारण किसी भी बड़े देश के साथ व्यापार वार्ता शुरू कने में बड़ा संघर्ष करना पड़ा है। 

दोनों देशों के बीच रिप्रजेंटेटिव ऑफिसेज के रूप में अनऑफिशियल डिप्लोमैटिक मिशन हैं। दोनों देशों ने अपने आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए 2018 में एक अपडेटेड द्विपक्षीय निवेश करार पर हस्ताक्षर किए थे। 2019 में दोनों देशों के बीच व्यापार 18 प्रतिशत बढ़कर 7.2 अरब डॉलर पहुंच गया था। ट्रेड डील पर बातचीत शुरू होने से चीन की हरकतों से परेशान दो देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे और चीन को भी करारा जवाब मिलेगा। 

बता दें कि 10 अक्टूबर को ताइवान ने अपने राष्ट्रीय दिवस को लेकर भारतीय अखबारों में विज्ञापन दिए। अखबारों में छपे इन विज्ञापनों को लेकर चीन ने नाराजगी जाहिर की। चीन के कदम पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने ट्वीट किया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और यहां पर मीडिया को पूरी आजादी है। ऐसा लग रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी यहां भी सेंसरशिप लगाना चाहती है, लेकिन चीन को ताइवान के भारतीय दोस्त एक ही जवाब देंगे-दफा हो जाओ।

 

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