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MODI सरकार की शानदार नीतियों से कोरोना के बाद भी बंपर नई कंपनियां, YOGI का यूपी दिल्ली से आगे निकला, महाराष्ट्र 60 हजार नई कंपनियों के साथ अव्वल, डबल इंजन सरकारों की डबल रफ्तार

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प्रधानमंत्री मोदी की बेहतर आर्थिक नीतियों, अर्थ-व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कोरोना के बाद लगातार बूस्टर डोज का ही सुपरिणाम कि सदी इस सबसे बड़ी महामारी के बावजूद देश में नई कंपनियां लगातार खुल रही हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि पीएम मोदी द्वारा दिए योगी ही उपयोगी के नारे को सार्थक करते हुए उत्तर प्रदेश ने नई कंपनियां खोलने के मामले में कई राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के खात्मे और फिर से डबल इंजन की सरकार बनने का फायदा प्रदेश को हुआ है। राज्य सरकार के साथ अब केंद्र् सरकार के भी साथ आ जाने से नई कंपनियों ने सबसे ज्यादा भरोसा देश की आर्थिक राजधानी वाले राज्य में दिखाया है।

योगी का यूपी नई कंपनियां खोलने में दिल्ली और अन्य प्रदेशों के आगे निकला
भारतीय अर्थव्यवस्था के कोविड-19 से प्रभावित होने के बावजूद नई कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस दौरान सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में नई कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया। योगी आदित्यनाथ के राज पर विश्वास के कारण यूपी ने भी नई कंपनियों के मामले में ऊंची छलांग लगाई है। उत्तर प्रदेश नई कंपनियां खोलने में दिल्ली और अन्य प्रदेशों को पछाड़कर आगे निकल आया है। कॉरपोरेट मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के तीन साल बाद उत्तर प्रदेश ने दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों को उद्योग लगाने के मामले में पीछे छोड़ दिया है। यहां पर कुल 1.08 लाख सक्रिय कंपनियां हैं।महाराष्ट्र कुल तीन लाख से ज्यादा सक्रिय कंपनियों के साथ देश में अव्वल
कोरोना के बाद देश में नई कंपनियां खुलने के मामले में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर हैं। यहां पिछले तीन सालों में 30 हजार कंपनियां खोली गई हैं जबकि महाराष्ट्र में इसी दौरान 60,000 नई कंपनियां खोली गई हैं। यूपी ने इस मामले में दिल्ली को पीछे छोड़ दिया है। कॉरपोरेट मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के तीन साल बाद उत्तर प्रदेश ने दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों को उद्योग लगाने के मामले में पीछे छोड़ दिया है। सितंबर अंत तक महाराष्ट्र में कुल तीन लाख सक्रिय कंपनियां थीं, जबकि दिल्ली में 2.2 लाख कंपनियां थीं। 1.04 लाख के साथ कर्नाटक चौथे और 99,038 कंपनियों के साथ तमिलनाडु पांचवें स्थान पर काबिज है।

यूपी के लगातार विकास के असर से नई कंपनियों में दिल्ली का दबदबा घटा
आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के लगातार विकास का सीधा असर दिल्ली पर पड़ा है, जिससे वहां सक्रिय और नई कंपनियों का दबदबा घटता जा रहा है। 2017 से दिल्ली में केवल 20,000 कंपनियां ही खुलीं हैं। सक्रिय कंपनियों में दिल्ली की हिस्सेदारी उस समय 20 फीसदी थी जो अब घटकर 15 फीसदी पर आ गई है। कंपनी मामलों के मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में 1.67 लाख नई कंपनियां रिजिस्टर्ड हुई। यह इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2020-21 के मुकाबले 8 फीसदी ज्यादा है। 2020-21 में 1.55 लाख नई कंपनियां रजिस्टर्ड हुई थीं।ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) से बिजनेस करना हुआ आसान
कंपनी मामलों के मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस ड्राइव के तहत देश में कारोबार को आसान बनाने के लिए मोदी सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। इस वजह से और बेहतर आर्थिक नीतियों के कारण कंपनियों के रजिस्ट्रेशन में बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले 2020-21 में सबसे ज्यादा नई कंपनियां रजिस्टर्ड हुई थी। बयान के मुताबिक, 2018-19 में 1.24 लाख और 2019-20 में 1.22 लाख नई कंपनियों ने कंपनी कानून के तहत रजिस्ट्रेशन कराया था। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने रिकॉर्ड स्तर पर नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन पर एक बयान जारी करते हुए कहा है कि देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस डाइव के कारण देश में बिजनेस करना आसान हो गया है। मोदी सरकार ने पिछले कुछ सालों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर बहुत ज्यादा फोकस किया है।बिजनेस सर्विसेज और मैन्युफैकचरिंग क्षेत्र में नई कंपनियां सबसे ज्यादा आईं
कॉरपोरेट मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के तीन साल बाद उत्तर प्रदेश ने दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों को उद्योग लगाने के मामले में पीछे छोड़ दिया है। सेक्टर की बात करें तो सबसे ज्यादा बिजनेस सर्विसेज में 44,168 कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इसके बाद मैन्युफैकचरिंग क्षेत्र की 34,640 कंपनियों का नया रजिस्ट्रेशन हुआ है। कम्युनिटी, पर्सनल, सोशल सर्विस के तहत 23,416 कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया। बयान में कहा गया है कि कृषि और इससे जुड़ी सेवाओं के लिए 13,387 नई कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन इस अवधि में करवाया है। नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के मामले में महाराष्ट्र अव्वल है।

कंपनियों के रजिस्ट्रेशन से लेकर टैक्स और रिटर्न की प्रक्रिया पारदर्शी और आसान हुई
दरअसल मोदी सरकार ने कोरोना काल के बाद ही नहीं, इससे पहले भी पिछले 8 वर्षों में भारत में व्यापार को आसान बनाने (Ease of Doing Business) के लिए कई सुधार उपाय किए हैं। विकास की रफ्तार में बाधा डालने वाले कई पुराने कानूनों को हटाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म’ के सिद्धांत से प्रेरित होकर भारत में किए सुधारों का असर अब दिखाई देने लगा है। यही वजह है कि भारत की अर्थव्यस्था कोरोना महामारी एवं यूक्रेन संकट के बाद भी मजबूत बनी हुई है। निर्यात के मोर्चे पर सरकार ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। भारत तेजी से ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में तरक्की कर रहा है। अब कंपनी के रजिस्ट्रेशन से लेकर टैक्स भरने, रिटर्न पाने की प्रक्रिया पारदर्शी और आसान हुई हैं। कंपनी की रजिस्ट्रेशन फीस खत्म कर के, केवल लीगल ड्यूटी और स्टॉम्प ड्यूटी शुल्क ही लिए जाते हैं। माइक्रो स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज (MSME) का सबसे ज्यादा ख्याल रखा जा रहा है।

भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था

कोरोना महामारी की तीसरी लहर, सप्लाई की चुनौतियों और रूस-यूक्रेन जंग के कारण कमोडिटी और क्रूड की कीमत में तेजी से जीडीपी ग्रोथ प्रभावित हुई। इसके बावजूद वित्त वर्ष 2021-22 में देश की जीडीपी 8.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी। यह 22 साल में सबसे अधिक है। इसके साथ ही भारत फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली इकॉनमी बन गई। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी 147.36 लाख करोड़ रुपये हो गई जबकि एक साल पहले यह 135.58 लाख करोड़ रुपये रही थी। भारत की तुलना में चीन की इकॉनमी जनवरी-मार्च 2022 की तिमाही में 4.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी।व्यापार, होटल, परिवहन की वृद्धि दर 11 प्रतिशत,

बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य सेवा क्षेत्रों की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 3.6 प्रतिशत की दर से घट गई थी। आंकड़ों के अनुसार व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से संबंधित सेवाओं की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 11.1 प्रतिशत रही। एक साल पहले इन क्षेत्रों में 20.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वहीं वित्तीय, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विस सेक्टर की वृद्धि दर एक साल पहले के 2.2 प्रतिशत की तुलना में 4.2 प्रतिशत पर रही। लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाओं ने 12.6 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की जो एक साल पहले 2020-21 में 5.5 प्रतिशत गिर गई थी।नया कारोबार आसानी से शुरू करने के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष पांच देशों में

मोदी सरकार ने बीते कुछ सालों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Starting New Business) पर काफी ध्यान दिया है। केंद्र सरकार देश में बिजनेस करना और आसान बनाने पर लगातार काम रही है। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का असर अब दिख रहा है। भारत अब नया कारोबार आसानी से शुरू करने के मामले में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शुमार है। देश के किन राज्यों में बिजनेस करना आसान है। इसे लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 30 जून 2022 को एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में इज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) के मामले में बढ़िया प्रदर्शन करने वाले 7 राज्यों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और तेलंगाना उन 7 राज्यों में शामिल हैं, जिन्होंने बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (BRAP) 2020 रिपोर्ट को लागू करने के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओड़िशा और मध्य प्रदेश अन्य राज्य हैं, जिन्हें रैंकिंग में लक्ष्य हासिल करने को लेकर सफल राज्यों के रूप में शामिल किया गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग कैसे तय की जाती है?

जिन 10 पैमानों के आधार पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग तय की जाती है, उनमें बिजली कनेक्शन लेने में लगने वाला समय, कॉन्ट्रैक्ट लागू करना, बिजनेस शुरू करना, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, दिवालिया होने के मामले सुलझाना, कंस्ट्रक्शन सर्टिफिकेट, लोन लेने में लगने वाला समय, माइनॉरिटी इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा, टैक्स पेमेंट और ट्रेडिंग अक्रॉस बॉर्डर जैसे मापदंड शामिल हैं। एक 11वां पैमाना ‘श्रम बाजार के नियम’ भी होता है।

10 करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनियों को टैक्स ऑडिट से छूट

जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ है और जिनका 95% ट्रांजैक्शन डिजिटल मोड में हुआ हो तो उन्हें टैक्स ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है। पहले यह लिमिट 5 करोड़ थी। डिजिटल ट्रांजैक्शन का ‌रिकॉर्ड पहले से ही सरकार के पास होता है। ऐसे में ऑडिट कराने और सीए को फीस देने से कंपनियां बच जाएंगी। सरकार ने एकल मालिकाना वाली कंपनी को शेयरधारकों से मिले पैसे और टर्नओवर पर टैक्स में छूट दी है। स्टेक टेक्नोलॉजीस के CEO अतुल राय के मुताबिक, ‘स्टार्टअप्स को मिली ये छूट ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगी।’ छोटी कंपनी की परिभाषा बदलने का प्रस्ताव भी बजट में है। अभी तक 50 लाख रुपए तक निवेश और दो करोड़ रुपए तक सालाना टर्नओवर वाली कंपनी छोटी कहलाती थी। अब दो करोड़ तक निवेश और 20 करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनी छोटी कंपनी होगी। इससे उन्हें छोटी कंपनियों के फायदे मिलेंगे, जिसमें ब्याज आदि में छूट मिलेगी।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को और सुगम बनाने के लिए उठाए गए कदम

1. इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (IBC) और बाद में इसमें किए गए संशोधनों से दिवालिया प्रक्रिया से जुड़ी कुछ खास परेशानियों को दूर करने में मदद मिली। साथ ही इससे कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) को भी मजबूती मिलेगी।

2. आईबीसी, 2016 के तहत कॉरपोरेट के लिए डिफॉल्ट की सीमा एक लाख रुपये थी। PM Garib Kalyan Package के तहत इसे एक करोड़ रुपये किया गया।

3. IBC (Amendment) Act, 2020 से CIRP के तहत कार्रवाई से अस्थायी राहत मिल जाती है। यह कोविड-19 से प्रभावित कंपनियों के लिए काफी रिलीफ वाला कदम है।

4. कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2019 से इनफोर्समेंट एजेंसियों को मजबूती मिली है।

5. कंपनीज एक्ट, 2013 के तहत टेक्निकल और प्रोसेस जुड़े उल्लंघनों को अपराध की सूची से बाहर कर दिया गया है।

इसी के साथ निर्यातकों के लिए ‘निर्विक’ नामक एक नई निर्यात ऋण बीमा योजना लाई गई है। इस योजना में बैंकों द्वारा निर्यात ऋण के लिए बीमा कवर को 60 फीसद से बढ़ाकर 90 फीसद कर दिया गया है। इससे भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिला है।

 

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