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ममता का मुस्लिम प्रेम, बंगाल में ओबीसी लिस्ट में बड़ी गड़बड़ी! राज्य सूची में 179 ओबीसी समूहों में से 118 मुस्लिम समुदाय के

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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के नाम पर बड़े घोटाले को अंजाम दिया है। वोट बैंक के लिए बांग्लादेशी मुसलमानों और रोहिंग्याओं को पश्चिम बंगाल में बसाने के साथ ही अब उन्होंने आरक्षण के नाम पर पिछड़ी जाति को इस्लाम में धर्मांतरित करने का घिनौना काम भी किया है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने देशभर में ओबीसी आरक्षण की समीक्षा करना शुरू किया है। इस समीक्षा में यह देखना है कि देशभर में ओबीसी वर्ग को दिए जाने वाले संवैधानिक अधिकार को पूरी तरह पालन किया जा रहा है या नहीं। इस जांच के क्रम में पिछड़ा वर्ग आयोग ने 25 फरवरी 2023 को बंगाल के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। समीक्षा और जांच के दौरान आयोग को पता चला कि बंगाल में कुल 179 जातियां ओबीसी में हैं। 179 ओबीसी जातियों की पूरी सूची जब केंद्रीय ओबीसी आयोग ने देखा तो पता चला कि सूबे में कुल 118 जातियां मुस्लिम ओबीसी से हैं जबकि लिस्ट में हिंदू ओबीसी की संख्या महज 61 है।

मुस्लिम जातियों को ओबीसी दर्जा देने के पीछे मुस्लिम तुष्टिकरण!
पश्चिम बंगाल में राज्य सूची के तहत ओबीसी का दर्जा देने में व्यापक गड़बड़ी का आरोप सरकार पर लगा है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा कि बंगाल राज्य सूची में 179 ओबीसी समूहों में से 118 मुस्लिम समुदाय के हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल की ओबीसी सूची में बांग्लादेशी प्रवासियों और कुछ रोहिंग्याओं को शामिल किए जाने की भी शिकायतें मिली हैं। एनसीबीसी मामले की जांच कर रहा है और राज्य से समस्या का समाधान करने को कहा है। एनसीबीसी प्रमुख ने कहा कि इतनी सारी मुस्लिम जातियों को ओबीसी का दर्जा देने के पीछे तुष्टिकरण की राजनीति है।

मुसलमानों को ज्यादा लाभ दे रहीं ममता बनर्जी
एनसीबीसी के अध्यक्ष ने कहा कि बंगाल में ओबीसी समुदायों को श्रेणी ए और बी में विभाजित किया गया है। श्रेणी ए में अधिक संख्या में पिछड़ी जातियां सूचीबद्ध हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत मुस्लिम जातियां हैं। उन्होंने दावा किया कि श्रेणी बी में जिसका लाभ कम है उसमें 54 प्रतिशत हिंदू जातियां हैं।

2011 के बाद लिस्ट में 65 मुस्लिम जातियां जोड़ी गई
मेडिकल कॉलेजों में श्रेणी ए के तहत 91.5 प्रतिशत मुस्लिम और 8.5 प्रतिशत हिंदू पाए गए। 2011 तक, बंगाल में कुल ओबीसी जातियां 108 थीं, जिनमें से 53 मुस्लिम समुदाय थीं और 55 हिंदू थीं। लेकिन 2011 के बाद, ओबीसी सूची में कुल जातियों की संख्या बढ़कर 179 हो गई, और नए 71 जुड़ने वालों में 65 मुस्लिम जातियां और छह हिंदू जातियां शामिल थीं।

2011 के बाद 70 प्रतिशत हिंदू आबादी से 6 और 26 प्रतिशत मुस्लिम आबादी से 65 ओबीसी जातियां जोड़ी गई
पश्चिम बंगाल की कुल जनसंख्या में हिंदुओं की कुल आबादी 70.5 प्रतिशत है जबकि कुल आबादी के 27 प्रतिशत मुस्लिम बंगाल में रहते हैं। लेकिन 2011 के बाद राज्य के ओबीसी जातियों की सूची में भारी बदलाव आया और इसमें ओबीसी अतिरिक्त जातियों के 71 जातियों को जोड़ा गया जिसमें से 65 ओबीसी जातियां मुस्लिम समाज से जोड़ी गई जबकि मात्र 6 ओबीसी जातियां ही हिंदू समाज की जोड़ी गई। साल 2011 के पहले बंगाल में महज 108 जातियां ही पिछड़ी जाति के दायरे में आती थी जिसमें 53 मुस्लिम वर्ग के ओबीसी और 55 हिंदू ओबीसी वर्ग से आती थी।

सरकार ने कहा- हिंदू लोगों ने इस्लाम धर्म अपना लिया
सरकार संचालित सांस्कृतिक शोध संस्थान की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बंगाल में बड़ी संख्या में हिंदू लोगों ने इस्लाम धर्म अपना लिया है। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के सामने बंगाल पिछड़ा आयोग ने तर्क दिया कि बंगाल में ओबीसी कैटेगरी में फायदा उठाने वाले अधिकांश मुस्लिम ओबीसी हिंदू से ही मुस्लिम बने हैं। इस बाबत हंसराज आयोग का कहना है कि उन्होंने तर्क दिया है लेकिन साक्ष्य नहीं दिया। केंद्रीय पिछड़ा आयोग का कहना है कि बंगाल ओबीसी वर्ग में बांग्लादेशी घुसपैठियों और उनके आश्रितों को लाकर मिक्स किया गया है।

बंगाल में ओबीसी की A कैटेगरी में 73 जातियां मुस्लिम, मात्र 8 जातियां हिंदू
बंगाल में ओबीसी को 2 कैटेगरी में बांटा गया है। जिसमें से A कैटेगरी के अति पिछड़ा वर्ग में 81 जातियों में से 73 जातियां मुस्लिम ओबीसी हैं जबकि मात्र 8 जातियां ही हिंदू ओबीसी वर्ग की हैं। वहीं ओबीसी वर्ग के हैं B कैटेगरी बैकवर्ड कम्युनिटी के 98 जातियों में से 45 मुस्लिम ओबीसी हैं 53 हिंदू ओबीसी वर्ग के लोग आते हैं।

राज्य सरकार की नौकरियों में 91.5 प्रतिशत लाभ मुस्लिम ओबीसी को
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का कहना है कि उसने जांच में ये पाया है कि राज्य सरकार की नौकरियों में भर्ती में A कैटेगरी के ओबीसी वर्ग के नियुक्ति में 91.5 प्रतिशत लाभ मुस्लिम ओबीसी को मिला है जबकि हिन्दू ओबीसी को मात्र 8.5 प्रतिशत ही फायदा मिल पा रहा है। वहीं B कैटेगरी वर्ग के ओबीसी को भर्ती में मिलने वाले फायदों में 54 प्रतिशत हिंदू ओबीसी थे और 45.9 प्रतिशत मुस्लिम ओबीसी जातियों के लोगों को फायदा हुआ है।

बंगाल ओबीसी सूची गलत, ओबीसी जनता के साथ अन्याय
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का मानना है कि तुष्टिकरण की नीति के कारण जानबूझकर बंगाल में ये सब काम किया गया है। जहां कुल आबादी के 34 प्रतिशत ओबीसी हैं। आयोग का कहना है कि बंगाल के मेडिकल कॉलेज में 90 प्रतिशत मेडिकल स्टूडेंट मुस्लिम ओबीसी कैटेगरी के हैं। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने बंगाल सरकार और राज्य पिछड़ा आयोग को कहा है कि राज्य की ओबीसी सूची गलत बना है जो असली ओबीसी जनता के साथ अन्याय है। आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया है जल्द से जल्द राज्य की पिछड़ा वर्ग की सूची को दुरुस्त किया जाए। इस क्रम में पश्चिम बंगाल सरकार से पिछले 12/13 सालों का रिक्रूटमेंट डिटेल मांगा है।

आरक्षण का लाभ रोहिंग्या उठा रहे
बंगाल में पिछड़े वर्ग के लोगों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पिछड़े वर्ग के लोगों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ रोहिंग्या मुसलमान उठा रहे हैं। जब इस पर बंगाल सरकार से जवाब मांगा गया तो कहा गया कि इसमें से अधिकांश लोग पहले हिंदू ही थे।

बंगाल में फिलहाल 45 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान
फिलहाल पश्चिम बंगाल में सरकारी संस्थाओं और नौकरियों में 45 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, जिसमें 17 प्रतिशत ओबीसी, 28 प्रतिशत फीसदी आरक्षण समाज के एससी/एसटी जातियों को दिया जाता है।

राज्य के NRI कोटा आरक्षण खत्म होना चाहिए
केंद्रीय पिछड़ा आयोग का कहना है कि राज्य के NRI कोटा को भी ओबीसी के लिए निर्धारित 17 प्रतिशत कोटे से ही रिजर्वेशन दिया जा रहा है, उसको भी खत्म किया जाना चाहिए।

आरक्षण के असल हकदार हिंदू जातियों को मिले आरक्षण का फायदा
राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार को कहा है कि राज्य में आरक्षण का दायरा 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए और ओबीसी आरक्षण का दायरा 5 प्रतिशत बढ़ाते हुए 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 22 प्रतिशत किया जाए और साथ ही मुस्लिम ओबीसी के सूची को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाए ताकि आरक्षण के असल हकदार हिंदू जातियों का इसका फायदा ठीक से मिल सके। केंद्रीय पिछड़ा आयोग ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकार जल्द पिछड़ों की सूची को दुरुस्त कर लेगी और हिंदू पिछड़ा वर्ग को उसका हक मिल पाएगा।

ओबीसी सूची को ठीक नहीं किया गया तो आयोग एक्शन लेगा
ओबीसी कमीशन के अध्यक्ष हंसराज अहीर का कहना है कि अगले महीने कमीशन बंगाल दौरे पर जाएगी। इस मुद्दे पर बंगाल सरकार की दो सुनवाई करेंगे अगर उसके बाद भी ओबीसी सूची को ठीक नहीं किया गया तब राज्य सरकार के खिलाफ आयोग एक्शन लेगा। बंगाल सरकार की अकर्मण्यता की स्थिति में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग इसकी शिकायत सीधे राष्ट्रपति को कर सकता है। देश के राष्ट्रपति पिछड़ा आयोग के इस शिकायत को अध्ययन के बाद देश की संसद (लोकसभा) को भेज सकते हैं उसके बाद इसको तामील करवाने की जिम्मेदारी लोकसभा की होगी।

ममता ने कर दी मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदे पार कर गई हैं। मुस्लिमों को तमाम सुविधाएं देने के साथ ही हिंदुओं के खिलाफ कई ऐसे कदम उठाई है, जिनसे लगता है कि वे पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाने पर तुली हुई हैं। ममता बनर्जी की वोट बैंक की राजनीति के कारण बंगाल के कई इलाके मुस्लिम बहुल हो गए हैं। राज्य में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या एक करोड़ से भी ज्यादा हो चुकी है। अवैध घुसपैठ ने राज्य की जनसंख्या का समीकरण बदल दिया है। उन्हें सियासत के चक्कर में देश में वोटर कार्ड, राशन कार्ड जैसी सुविधाएं मुहैया करवा दी जाती हैं और इसी आधार पर वे देश की आबादी से जुड़ जाते हैं।

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