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सिर्फ विज्ञापनों और अफवाहों के जरिए कोरोना से लड़ रहे हैं केजरीवाल, आजतक ने फैलायी झूठी खबर

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पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए हर तरह के उपाय किए जा रहे हैं। वहीं दिल्ली में कोरोना से संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज का कोरोना कनेक्शन सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने प्रचार-प्रसार में व्यस्त हैं, उन्हें किसी की परेशानी से कोई मतलब नहीं। टेलीविजन खोलते ही कुछ दिखे ना दिखे, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ज़रूर दिख जाएंगे। उनकी बातें सुन कर लगता है कि दिल्ली में सब ठीक है, पर हकीकत जानकर आप हैरान रह जाएंगे। 

मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों को तीन माह से वेतन नहीं
कोरोना वायरस के संक्रमण के समय भी मोहल्ला क्लीनिक में डटे डॉक्टरों को तीन माह से वेतन नहीं मिला है। डॉक्टरों का कहना है कि बिना वेतन के घर चलाना मुश्किल हो रहा है। इतना ही नहीं, कोरोना से बचाव के लिए जरूरी उपकरण भी इन डॉक्टरों के पास नहीं हैं।

वेतन नहीं मिलने से परेशान डॉक्टर 
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन से जुड़े डॉ. पुनीत ने कहा कि वेतन के अभाव में समस्याएं खड़ी हो रही हैं। उन्होंने अपनी समस्या के बारे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को सोशल मीडिया के जरिए सूचना दी। वहीं अन्य डॉक्टर ने कहा कि वेस्ट दिल्ली के डॉक्टरों को दो माह से वेतन नहीं मिला है, जबकि शाहदरा के डॉक्टरों को तीन माह का वेतन नहीं मिला है। उन्होंने कहा को वेतन के अभाव में काम कैसे चलेगा?

मास्क-सेनेटाइजर तक नहीं
मोहल्ला क्लीनिक में काम कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि मौजपुर में उनके साथी डॉक्टर पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके बावजूद कोरोना से बचने के लिए उनके पास किट, मास्क व सेनेटाइजर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो मरीजों का इलाज कैसे कर पाएंगे।
4 लाख लोगों को खाना खिलाने का दावा खोखला
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि 568 स्कूलों में खाना खिलाने का काम शुरू किया गया है। साथ ही 238 रैन बसेरों में खाना खिलाया जा रहा है। चार लाख लोगों को खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। सवाल उठता है कि इतनी सुविधा के बावजूद लोग दिल्ली से पलायन के लिए मजबूर क्यों हुए ? इस सवाल का जवाब है कि केजरीवाल ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए सिर्फ अफवाहों का सहारा लिया। इसमें उनके नेताओं और अधिकारियों ने भरपूर साथ दिया। पड़ोसी राज्यों से आए गरीब और मजबूर लोगों तक न तो भोजन-पानी की सुविधा पहुंचाई गई, बल्कि उनके घरों के बिजली-पानी के कनेक्शन तक काट दिए गए। यहां तक कि दिल्ली सरकार के अधिकारी बक़ायदा एनाउंसमेंट कर अफ़वाह फैलाते रहे कि यूपी बॉर्डर पर बसें खड़ी हैं, जो उन्हें यूपी और बिहार ले जाएंगी। लोगों को घरों से निकालकर डीटीसी की बसों से आनंद विहार बस अड्डे तक छोड़ दिया गया।

टीवी चैनल आजतक ने फैलायी झूठी खबर
केजरीवाल की अफवाह को फैलाने में आजतक भी मदद कर रहा है। आजतक ने एक मंदिर द्वारा चलाए जा रहे कम्युनिटी किचेन को ‘केजरीवाल का कम्युनिटी किचेन’ कह कर न सिर्फ़ प्रचारित किया बल्कि इस उपलब्धि के लिए दिल्ली सरकार की ही पीठ थपथपाई। 

आजतक ने लिखा कि अपने गांव को पलायन करने वाले मजदूरों और गरीबों की भारी भीड़ बॉर्डर पर रोजाना देखने को मिलती है। इन्ही मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने पूरा जोर लगा दिया है। इसके बाद लिखा गया कि केजरीवाल सरकार मजदूरों के रहन-सहन के इंतजाम में जुटी है और ऐसे ही एक कम्युनिटी किचेन को झंडेवालान में चलाया जा रहा है।

जब इसकी पड़ताल की गई, तो हकीकत समाने आई वह हैरान करने वाली थी। आजतक की खबर की सच्चाई यह है कि इस कम्युनिटी किचेन को ‘झंडेवालान मंदिर कमिटी’ और समाजसेवा संगठन ‘सेवा भारती’ मिल कर चला रही है। 

‘सेवा भारती’ ने भी साफ कर दिया है कि इस कम्युनिटी किचेन को चलाने में उसे सिर्फ़ झंडेवालान मंदिर का सहयोग प्राप्त है और उसके अलावा किसी का भी सहयोग नहीं मिला है। वहाँ प्रतिदिन 30,000 लोगों को खाना खिलाया जा रहा

केजरीवाल के विज्ञापन की वजह से कई मीडिया संस्थान इस संकट के समय भी उनका महिमामंडन में लगे हैं। जहां कई सामाजिक संगठन जनसेवा में लगे हैं। वहीं केजरीवाल एंड कंपनी अफवाह फैलाने में लगी है। इसमें मीडिया भी भरपूर साथ दे रही है, जो मंदिरों के योगदान को जानबूझ कर छिपाकर केजरीवाल का गुणगान कर रही है।

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