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गहलोत सरकार की मिलीभगत से हुए करौली दंगे, ओवैसी का सरकार पर सीधा हमला, भाजयुमो अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या और प्रदेश अध्यक्ष पूनियां को बॉर्डर पर रोका, करौली कलेक्टर को हटाना पड़ा

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राजस्थान के करौली में हुए दंगे, आगजनी और हिंसा को लेकर गहलोत सरकार घिरती जा रही है। एक ओर बीजेपी इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठा रही है और कांग्रेस सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति को दंगे का कारण बता रही है। दूसरी ओर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने करौली में दंगे को लेकर कांग्रेस की गहलोत सरकार पर सीधे ही हमला बोल दिया। ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि करौली में दंगे कांग्रेस सरकार की मिलीभगत के चलते हुए हैं। यहां दंगा बिना सरकार के चाहे हो ही नहीं सकता। ओवैसी ने कहा कि गहलोत सरकार से हम न्यायिक जांच एवं नुकसान की भरपाई की मांग कर रहे हैं। इधर सरकार के इशारे पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां को दौसा-करौली बॉर्डर पर रोक लिया गया, जिसे लेकर बीजेपी की न्याय रैली से पहले जमकर बवाल हुआ। सरकार ने दबाव में करौली कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत को हटा दिया है।

सरकार के चाहे बिना दंगा नहीं हो सकता, जुलूस की अनुमति देकर सरकार सो गई
राजस्थान आए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया से बातचीत में साफ तौर पर कहा कि, “मैं कहता हूं सरकार की मिलीभगत से दंगे हुए हैं। सरकार नहीं चाहती तो नहीं होते। कोई भी दंगा बिना सरकार के चाहे हो ही नहीं सकता। जुलूस की अनुमति सरकार ने दी। पता भी था कि आपत्तिजनक गाने लगाए जाएंगे, जिसे प्रशासन रोक सकता था, लेकिन वो दंगा होने तक सोए रहे।“ राजस्थान में अपनी पार्टी की जमीन तलाशने से सवाल पर ओवैसी ने कहा कि हमारा लक्ष्य समाज में लीडरशिप पैदा करने का है। गुर्जर, जाट, राजपूत हर समाज में लीडर हैं। मुसलमान लीडरशिप की बात करता है तो कहेंगे कि आप सिर्फ गुलामी कीजिए, इफ्तार पार्टी में आ जाइए खुश रहिए।

ओवैसी पर गलत इल्जाम लगाने वाली कांग्रेस में हार की जिम्मेदारी परिवार पर क्यों नहीं आती
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुस्लिम पहले विकल्प न होने के कारण कांग्रेस से जुड़े, बाकी असलियत में तो कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को दिया ही क्या है? यही वजह है कि लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस का सफाया हो गया। एक सीट नहीं जीते। मुख्यमंत्री का बेटा ही हार गया। अब कांग्रेस खुद कुछ कर पाती तो इल्जाम लगाने के लिए सिर ढूंढती है। चलो इस बार ओवैसी पर ही इल्जाम लगा दो। यह कांग्रेस की बौद्धिक बेईमानी है। कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी परिवार पर क्यों नहीं आती? कांग्रेस को तो सबक सीखना चाहिए राहुल गांधी ने कह दिया कि सत्ता से कोई मोहब्बत नहीं है। तो आप सब लोग बैठ जाइए ना।

बीजेपी और भाजयुमो नेताओं को पुलिस ने करौली-दौसा बॉर्डर पर ही रोका
इधर करौली हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी की न्याय रैली से पहले जमकर बवाल हो गया। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां और भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या की अगुवाई में पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता दौसा-करौली बॉर्डर पर पहुंचे थे। पुलिस ने उन्हें वहीं रोक लिया। करीब दो घंटे तक पूनियां और सूर्या समेत अन्य नेताओं, कार्यकर्ता के साथ पुलिस की धक्का मुक्की होती रही। मगर करौली में प्रवेश से पहले ही पुलिस ने उनको रोके रखा। इसके बाद सतीश पूनियां और सूर्या वहीं धरने पर बैठ गए। इसके बाद भीड़ को मौके से खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया। इसके बाद मौके से तमाम नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

करौली दंगों के पीड़ितों से मिलने जा रहे बीजेपी नेताओं को पुलिस ने किया गिरफ्तार
दरअसल, भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या और भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु शर्मा करौली हिंसा के पीड़ितों से मिलना चाहते थे। करौली बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था। पुलिस ने दौसा-करौली बॉर्डर को पूरी तरह से बंद कर दिया। करौली स्टेट हाइवे बंद कर दिया गया। कई आईपीएस, आरपीएस और 700 से ज्यादा पुलिस के जवान बॉर्डर पर तैनात कर दिए। ड्रोन कैमरों से पूरे हालात पर नजर रखी जा रही थी। पुलिस के साथ काफी देर तक धक्का मुक्की के बाद तेजस्वी सूर्या, सतीश पूनियां और अन्य नेता सड़क पर ही धरने पर बैठ गए हैं। उधर, सतीश पूनियां का कहना है कि हम शांतिपूर्वक तरीके से पीड़िताों से मिलने जा रहे थे लेकिन हमें रोका गया है। प्रदेश सरकार और पुलिस की यह तानाशाही नहीं चलेगी। कुछ ही देर में पुलिस ने सख्त कदम उठाते हुए तमाम नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

दिल्ली और करौली के दंगों में फर्क नहीं, दोनों ही सुनियोजित थे

दिल्ली की केजरीवाल सरकार और राजस्थान की गहलोत सरकार में क्या कोई समानता है ? हां है….दोनों ही सरकारें सुनियोजित दंगे की साजिश को रोकने में नाकाम रहीं। केजरीवाल सरकार इसलिए एक कदम आगे रही कि आप नेताओं ने दंगों को भड़काने का भी काम किया था। 2020 में हुए दिल्ली दंगे की तर्ज पर राजस्थान के करौली में हुआ उपद्रव पहले से ही प्लांड था। छतों से सैकड़ों टन पत्थर और दर्जनों लाठी-सरिए, चाकू की बरामदगी इसके चीखते सबूत हैं। करौली में हिंसा का अलर्ट होने और जुलूस के दौरान छतों पर पुलिस जवान लगाने में लापरवाही नहीं, पुलिस अधीक्षक ने जान-बूझकर ऐहतियातन कदम उठाने की जरूरत नहीं समझी।

राज्यपाल बोले-पत्थरबाजी पूर्व नियोजित, दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी कहा है कि करौली में पत्थरबाजी पूर्व नियोजित थी। मिश्र वाराणसी एयरपोर्ट से सड़क मार्ग द्वारा सर्किट हाउस पहुंचे जहां उन्होंने करौली हिंसा को लेकर बड़ा बयान दिया। मीडिया से बातचीत में कलराज मिश्रा ने राजस्थान के किरौली में घटी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि जिस ढंग से पत्थरबाजी हुई, मैं ये कह सकता हूं कि ये घटना पूर्वनियोजित है। यदि सावधानी से कदम उठाए गए होते तो इस घटना को रोका जा सकता था। इसकी जांच चल रही है, उसके बाद सारे तथ्य सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

दंगाइयों को रोकने के बजाए पुलिसकर्मी तमाशबीन बनकर वीडियो बनाते रहे
करौली के दंगों की पड़ताल में यह सामने आया है कि जब दंगाई पत्थर बरसा रहे थे, दुकानें जला रहे थे, लोगों पर लाठी-सरियों से हमला कर रहे थे, पुलिस तमाशबीन बनकर खड़ी थी। मोबाइल में वीडियो रिकॉर्ड किए जा रहे थे। साफ दिख रहा है कि पुलिस ने दंगों को कंट्रोल करने की कोशिश ही नहीं की। पथराव के बाद लोग घरों से लाठी-डंडे लेकर गली में आ गए। वाहनों में तोड़फोड़ करते रहे। पुलिस की मौजूदगी में दंगाई लोगों को लाठी-सरियों से मार रहे थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

दंगाइयों ने मकानों की छतों पर कई टन पत्थर जमा किए हुए थे
बाइक रैली पर पथराव किया जाएगा, ये पहले से तय था। उपद्रव के 24 घंटों बाद पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने मौके का जायजा लिया तो उन्हें कई घरों की छत पर पत्थरों के ढेर मिले। कई मकानों के ऊपर कई टन पत्थर पहले से ही जमा किए हुए थे। सांसद मनोज राजोरिया ने बताया- ‘मैंने कलेक्टर व एसपी के साथ मौके का दौरा किया। जहां कई मकानों पर पत्थरों के ढेर मिले हैं। मकानों से दो-तीन ट्रॉली पत्थर निकाले गए। इनमें एक मकान के ऊपर जिम संचालित हो रहा था।’ चश्मदीदों ने बताया कि पथराव के बाद अफरा-तफरी का माहौल बन गया और लोग जान बचाने के लिए भागे। अचानक भीड़ में मुंह पर नकाब बांधे युवक घुस आए। उनके हाथ में लाठी-सरिए और चाकू थे। उन्होंने भागते लोगों पर हमला किया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

दंगाइयों ने बेखौफ होकर पुलिसकर्मियों के सामने ही जलाईं दुकानें, मोटरसाइकिल
दंगे के चश्मदीद बताते हैं कि पुलिसकर्मी दंगाइयों को केवल बोलते रहे कि ठीक है, गाड़ी तोड़ दिया, अब चले जाओ, जाओ, नहीं तो दंगा हो जाएगा। अरे हो गया, हो गया, अब बस जाओ, जाओ, आराम से घर जाओ। पथराव के बाद दंगाइयों ने पुलिस के सामने दुकानों में आग लगाई, गाड़ियां जलाईं। पुलिस सख्ती से निपटने के बजाय सिर्फ दंगाइयों से औपचारिक समझाइश करते नजर आई। इसी लापरवाही का नतीजा था कि 1 मकान, 35 दुकानें और 30 से ज्यादा बाइक्स जला दी गईं। 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनमें 4 पुलिसकर्मी भी हैं।

 

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