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इमरान खान के झूठ को भारत ने किया बेनकाब, महिला अधिकारी ने 16 प्वाइंट में धो डाला

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संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के हर दावों की भारत ने बखिया उधेड़ दी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के भड़काऊ भाषण का करारा जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय की फर्स्ट सेक्रटरी विदिशा मैत्रा ने इमरान खान को धो डाला। ‘राइट टू रिप्लाई’ के तहत विदिशा मैत्रा ने कहा कि इमरान खान ने कश्मीर को लेकर जो कुछ भी कहा वह झूठ है और उन्होंने वैश्विक मंच का दुरुपयोग कर दुनिया को गुमराह करने का काम किया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव मैत्रा ने 15 प्वाइंट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को धो डाला। देखिए प्वाइंट वाइज विदिशा मैत्रा का जवाब-

1. मैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बयान के संदर्भ में भारत के जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करना चाहती हूं।

2. इस सम्मानित सदन के पटल पर बोला गया एक-एक शब्द, यह समझा जाता है कि उसका ऐतिहासिक महत्व होता है। लेकिन, आज हमने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से जो कुछ भी सुना है, वह दोगलेपन का कटु चित्र है। हमारे और उनके; अमीर और गरीब; विकसित और विकासशील; मुस्लिम और अन्य को लेकर जिस तरह बातें कही गईं, वे संयुक्त राष्ट्र को विभाजित करने वाली कहानी का हिस्सा हैं। मतभेदों को धार देने और नफरत बढ़ाने वाले इस भाषण को संक्षेप में ‘घृणायुक्त भाषण’ कहा जा सकता है।

3. महासभा ने अभिव्यक्ति के अवसर का ऐसा दुरुपयोग बल्कि उसके साथ दुर्व्यवहार की स्थिति पहले शायद ही कभी देखी हो। ‘तबाही’, ‘खून खराबा’, ‘जातीय श्रेष्ठता’, ‘बंदूक उठाना’ और ‘अंतिम दम तक लड़ना’ ये सभी ऐसे शब्द हैं, जो 21वीं सदी के विजन को नहीं बल्कि मध्ययुगीन मानसिकता को व्यक्त करते हैं।

4. प्रधानमंत्री इमरान खान की परमाणु विनाश की धमकी छिछलेपन का परिचय देती है, उसमें कोई राजनयिक कौशल नहीं है।

5. वे एक ऐसे देश के प्रधानमंत्री हैं, जिसका आतंकवाद के समूचे उद्योग पर आधिपत्य है, उनके द्वारा आतंकवाद को उचित ठहराना निर्लज्जतापूर्ण और फसादी बयान लगता है।

6. एक ऐसा व्यक्ति, जो कभी जेंटलमैन गेम कहे जाने वाले क्रिकेट का खिलाड़ी रहा हो, उनका आज का भाषण भोंडेपन की सभी सीमाएं पार करते हुए डर्रा-आदम खेल की बंदूकों की याद दिलाने वाला है।

7. अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षकों को इस बात की जांच करने के लिए आमंत्रित किया है कि पाकिस्तान में कोई उग्रवादी संगठन नहीं है, दुनिया उम्मीद करती है कि वह अपने वादे को निभाएंगे।

8. यहां कुछ सवाल हैं जिनका उत्तर पाकिस्तान को देना चाहिए, यदि वह प्रस्तावित जांच का अग्रदूत है।

*क्या पाकिस्तान इस बात की पुष्टि करता है कि उसके यहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध 25 उग्रवादी गुट हैं और संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्दिष्ट 130 आतंकवादी वहां पनाह पाए हुए हैं?

*क्या पाकिस्तान यह स्वीकार करता है कि वह दुनिया में एकमात्र ऐसी सरकार है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित अलकायदा और दाऐश की सूची में शामिल एक व्यक्ति को पेंशन दे रहा है?

*क्या पाकिस्तान इस बारे में स्पष्टीकरण देगा कि न्यूयॉर्क में उसे अपना प्रमुख बैंक, द हबीब बैंक इसलिए बंद करना पड़ा कि आतंकवाद को धन मुहैया कराने के लिए उस पर करोड़ों डॉलर जुर्माना लगाया गया?

*क्या पाकिस्तान इस बात से इन्कार कर सकता है कि वित्तीय कार्रवाई कार्यदल ने उसे 27 मानदंडों में से 20 से अधिक का उल्लंघन करने के लिए नोटिस जारी किया? और

*क्या प्रधानमंत्री इमरान खान न्यूयॉर्क से इस बात से इन्कार कर सकते हैं कि वे ओसामा बिन लादेन के मुक्त रूप से रक्षक रहे हैं?

9. आतंकवाद और नफरत फैलाने वाले भाषणों के बाद, पाकिस्तान खुद को मानवाधिकारों के बड़े हिमायती के रूप में पेश करने का बड़ा दांव खेल रहा है।

10. यह एक ऐसा देश है जहां अल्‍पसंख्‍य समुदाय का प्रतिशत वर्ष 1947 के 23 प्रतिशथ से घटकर अब सिर्फ तीन प्रतिशत रह गया है और जहां ईसाई, सिख, अहमदिया, हिंदू, शिया, पश्तून, सिंधियों और बलूचियों को ईश निंदा कानूनों, उत्पीड़न और घृणित प्रताणना से गुजरने तथा उन्‍हें धर्मातंरण के लिए विवश किया जाता है।

11. मानवाधिकारों की वकालत करने का उसका नया शौक लुप्‍तप्राय हो रहे पहाड़ी बकरों मारखोर के शिकार में ट्राफी जीतने की कोशिश जैसा है।

12. प्रधान मंत्री इमरान खान और कर्नल नियाज़ी, नरसंहार आज की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍थाओं का हिस्‍सा नहीं है। हम आपसे अनुरोध करेंगे कि आप इतिहास की अपनी कम समझ को व्‍यापक बनाएं और 1971 में अपने ही लोगों के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा किए गए भीषण नरसंहार और इसमें लेफ्टिनेंट जनरल एकेके नियाज़ी द्वारा निभाई गई भूमिका को न भूलें। बंगलादेश की माननीय प्रधानमंत्री द्वारा आम सभा में आज दोपहर इस बात का जिक्र किया जाना इसका एक ठोस प्रमाण है।

13. जम्‍मू कश्‍मीर में विकास और भारत के साथ उसके विलय की प्रक्रिया को बाधित कर रहे एक पुराने तथा अस्‍थाई प्रावधान को खत्‍म किए जाने के संबंध में पाकिस्तान की जहर बुझी प्रतिक्रिया इस बात का प्रतीक है कि जो टकराव में यकीन रखते हैं वे कभी शांति को पंसद नहीं कर सकते।

14. एक तरफ जहां पाकिस्‍तान बड़े स्‍तर पर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है वहीं दूसरी ओर वह नफरत भरे बयान देने के मामले में निचले स्‍तर पर उतर गया है जबकि भारत जम्‍मू-कश्‍मीर को विकास की मुख्‍य धारा से जोड़ने की कोशिश कर रहा है।

15. भारत के बहुरंगी लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था तथा संपन्न और विविधता वाले बहुलवाद और सहिष्णुता की सदियों पुरानी विरासत के साथ जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को जोड़ने की कभी न बदलने वाली प्रक्रिया जारी है।

16. भारत के लोग नहीं चाहते कि कोई दूसरा उनकी तरफ से बोले खासकर ऐसे लोग तो बिल्‍कुल नहीं जिन्‍होंने आतंवाद का पूरा उद्योग खोल रखा है।

देखिए वीडियो-

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