प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत हर सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। इसी कड़ी में कपड़ा सेक्टर में भारत जल्द ही वैश्विक हब बनकर उभरने के लिए तैयार है और वह दिन दूर नहीं जब विदेशों में भारतीय कपड़ों की धूम होगी। यह सब संभव हो रहा है पीएम मोदी के विजन से, जिन्होंने पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने की अवधारणा रखी। देश के सात राज्यों में पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित किए जा रहे हैं जिससे लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, करोड़ों रुपये का निवेश होगा और आर्थिक समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे। 18 अप्रैल 2023 को उत्तर प्रदेश में टेक्सटाइल पार्क का शुभारंभ हुआ है। इससे पहले मार्च 2023 में तमिलनाडु और कर्नाटक में इस पार्क का शुभारंभ किया जा चुका है। सरकार के इस मेगा इंटिग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क से कपड़े तैयार करने से लेकर उनकी मार्केटिंग, डिजाइनिंग और एक्सपोर्ट सभी एक ही जगह से हो सकेगा। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ का एक बेहतरीन उदाहरण होगा।
उत्तर प्रदेश के लिए महत्त्वपूर्ण दिन !
आज उत्तर प्रदेश में होगा #PragatiKaPMMitra पार्क का शुभारंभ। pic.twitter.com/GNNLcldDAD
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) April 18, 2023
यूपी में यह पार्क लखनऊ-हरदोई के बीच एक हजार एकड़ में बनेगा
उत्तर प्रदेश में वस्त्र उद्योग की बेहद संपन्न परंपरा रही है। इसी परंपरा के आधार पर उत्तर प्रदेश को वस्त्र उद्योग (टेक्सटाइल इंडस्ट्री) ग्लोबल हब बनाने की पहल की गई है। पीएम मित्र योजना के तहत हरदोई एवं लखनऊ की सीमा पर करीब 1000 एकड़ में बनने वाला टेक्सटाइल पार्क इस सपने को पंख लगाएगा।
5 साल में 5 लाख रोजगार और 7500 करोड़ निवेश का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश में देश का टेक्सटाइल हब बनने की पूरी संभावना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के मद्देनजर इस क्षेत्र की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। इसीलिए हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग विभाग ने 5 साल में 5 लाख रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए 7500 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य मुश्किल भी नहीं है। देश की सबसे अधिक आबादी होने के नाते काम करने के भरपूर मानव संसाधन और तैयार माल के लिए बाजार यहां सहज उपलब्ध है।
रेडीमेड गारमेंट्स की 115 निर्यातोन्मुखी इकाइयों की होगी स्थापना
पीएम मित्र पार्क के अलावा बीजेपी सरकार देश-दुनिया में रेडीमेड गारमेंट्स के उत्पादन में पहचान बना चुके नोएडा में इसे संगठित रूप देने के लिए वहां अपैरल पार्क बनाएगी। इस पार्क में रेडीमेड गारमेंट्स की लगभग 115 निर्यातोन्मुखी इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य है। एक अनुमान के अनुसार इसमें तीन हजार करोड़ का निवेश आएगा। सितंबर 2025 तक सभी इकाइयों में व्यावसायिक उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार की पांच टेक्सटाइल एंड अपैरल पार्क बनाने की योजना
उत्तर प्रदेश सरकार की योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर पांच टेक्सटाइल एंड अपैरल पार्क बनाने की भी है। इसके लिए अगले कुछ महीनों में जमीन चिन्हित कर टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 2026 तक इनमें उत्पादन शुरू कराने का लक्ष्य है।
उत्तर प्रदेश को देश का ‘टेक्सटाइल हब’ बनाने की मुहिम
इन्वेस्ट इंडिया की रिपोर्ट (जुलाई-2020) के मुताबिक इस सेक्टर में प्रति एक करोड़ के निवेश पर औसतन 70 लोगों को रोजगार मिलता है। भाजपा ने अपने लोककल्याण संकल्पपत्र-2022 में ‘हर परिवार-एक रोजगार’ का लक्ष्य रखा है। संकल्पपत्र में उत्तर प्रदेश को देश का ‘टेक्सटाइल हब’ बनाने की प्रतिबद्धता जताई गई है।
टेक्सटाइल के क्षेत्र में है उत्तर प्रदेश की बेहद सम्पन्न परंपरा
प्रदेश में वस्त्र उद्योग की बेहद संपन्न परंपरा के नाते यहां दक्ष श्रमिकों की भी कोई कमी नहीं है। जरूरत समय के अनुसार प्रशिक्षण देकर उनका हुनर निखारने की है। वाराणसी की रेशमी साड़ियां, भदोही की हाथ से बनी कालीन, लखनऊ की चिकनकारी, बरेली की जरी जरदोजी, नोएडा के रेडीमेड गारमेंट्स की देश-दुनिया में अपनी पहचान है। प्रदेश के 34 जिले हथकरघा बाहुल्य हैं। इसी तरह मऊ, अम्बेडकर नगर, वाराणसी, मेरठ, कानपुर, झांसी, इटावा, संतकबीरनगर आदि जिले पॉवरलूम बहुल हैं। ये आंकड़े और उत्पाद सम्पन्न परंपरा के सबूत हैं।
सम्पन्न परंपरा वाले शहरों में बनेंगी फ्लैटेड फैक्ट्रियां
इस उद्योग को संगठित रूप देने के लिए जिन शहरों या उनके आसपास रेडीमेड गारमेंट्स की संपन्न परंपरा रही है, उनमें सरकार फ्लैटेड फैक्ट्री बनाएगी। पहले चरण में इसके लिए कानपुर नगर, गोरखपुर और आगरा को चुना गया है। क्लस्टर अप्रोच की संभानाओं के मद्देनजर ही सरकार सभी एक्सप्रेसवे के किनारों बनने वाले औद्योगिक गलियारों में उस क्षेत्र की परंपरा के अनुसार टेक्सटाइल उद्योग की स्थापना भी करेगी। आगे चलकर राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम एवं एमएसईसीडीपी योजना के तहत 500 करोड़ रुपये की लागत से हर ब्लॉक में ऐसे क्लस्टर विकसित किए जाएंगे।
पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक नजर-
Today is a very special day for my sisters and brothers of Tamil Nadu! The aspirational district of Virudhunagar will be home to a PM MITRA mega textiles park. This will boost the local economy and will prove to be beneficial for the youngsters of the state. #PragatiKaPMMitra https://t.co/h8n44xs6Pi
— Narendra Modi (@narendramodi) March 22, 2023
तमिलनाडु के विरुधुनगर में पीएम मित्र पार्क का शुभारंभ 22 मार्च को
देश के पहला पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क का शुभारंभ तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में 22 मार्च 2023 को किया गया। इसमें करीब दो लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आज तमिलनाडु की मेरी बहनों और भाइयों के लिए एक बहुत ही खास दिन है। विरुधुनगर जिला पीएम मित्रा मेगा टेक्सटाइल पार्क का घर होगा। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और राज्य के युवाओं के लिए फायदेमंद साबित होगा। तमिलनाडु में पीएम मित्रा परियोजना में निवेश प्रतिबद्धताओं पर राज्य के अधिकारियों और कंपनियों के बीच कुल 11 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।
Congratulations to my sisters and brothers of Karnataka for the establishment of a PM Mitra mega textiles park in Kalaburagi. This park will celebrate Karnataka's rich textiles tradition and also create employment opportunities for the people.#PragatiKaPMMitra https://t.co/Q087oQc9u9
— Narendra Modi (@narendramodi) March 28, 2023
कर्नाटक के कलबुर्गी में पीएम मित्र पार्क का शुभारंभ 28 मार्च को
देश के दूसरे पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क का शुभारंभ कर्नाटक के कलबुर्गी में 28 मार्च 2023 को किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कलबुर्गी में पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए कर्नाटक के लोगों को बधाई दी है। अपने संदेश में पीएम मोदी ने कहा कि इस पार्क से कर्नाटक की समृद्ध कपड़ा परंपरा आगे बढे़गी और लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इस टेक्सटाइल पार्क के माध्यम से दुनिया को भारत की टेक्सटाइल विविधता और लोगों की रचनात्मकता की झलक देखने को मिलेगी।
पीएम मित्र मार्क में 70 हजार करोड़ रुपये का निवेश आएगा
पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बनाए जा रहे हैं। पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क में करीब 70 हजार करोड़ रुपये का निवेश आएगा। इन पार्कों को 2027-28 तक पूरा किया जाना है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि था पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क 5F (फार्म टू फाइबर टू फैक्ट्री टू फैशन टू फॉरेन) विजन के अनुरूप कपड़ा क्षेत्र को बढ़ावा देंगे। इन पार्कों के माध्यम से लगभग 70,000 करोड़ रुपये के निवेश और 20 लाख रोजगार सृजन की परिकल्पना की गई है।
पीएम मित्र पार्क से 20 लाख से ज्यादा लोगों को मिलेगा रोजगार
पीएम मित्र पार्क से 20 लाख से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। कपड़ा मंत्रालय रुपये के कुल परिव्यय के साथ 7 मेगा एकीकृत कपड़ा क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) पार्क स्थापित करेगा। इन पार्क्स को पीपीपी मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इस मेगा परियोजना से कपड़ा उद्योग में बूम आएगा। इसमें कपड़ों की डिजाइनिंग से लेकर उनकी मार्केटिंग और एक्सपोर्ट सभी एक ही जगह होगा। अभी भारत दुनिया में कपड़ों का छठा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है।
विदेशों में बजेगा भारतीय कपड़ों का डंका
अब विदेशों में भारतीय कपड़ों का डंका बजने वाला है। इस क्षेत्र में लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा और आगे बढ़ने के नए रास्ते खुलेंगे। दरअसल मोदी सरकार ने देश के सात राज्यों में पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क की मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की सबसे खास बात यह है कि इसमें कपड़ों का पूरा काम एक ही जगह होगा।
भारतीय अपेरल एक्पोर्टर्स को होगा फायदा
अपेरल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (AEPC) के चेयरमैन नरेन गोयनका का कहना है कि पीएम मित्र एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा। पीएम मित्र के तहत बने हब में रुई की कताई, धागे की बुनाई, उसकी रंगाई, कपड़े बनाना, कपड़े की छपाई और सिलाई एक ही स्थान पर होगी। यह लॉजिस्टिक कॉस्ट को काफी कम कर देगा। वैल्यू चेन को एक ही जगह करने से लागत में काफी कमी आएगी। इससे भारतीय अपेरल एक्सपोर्टर दुनिया भर के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे।
13 राज्यों से मिले 18 प्रस्तावों में से 7 स्थलों का चयन
पीएम मित्र पार्क के लिए 18 प्रस्तावों में से 7 स्थलों का चयन किया गया है। 18 प्रस्ताव 13 राज्यों से प्राप्त हुए थे। इसके लिए पात्र राज्यों और स्थलों का मूल्यांकन एक पारदर्शी चयन प्रणाली द्वारा किया गया, जो कनेक्टिविटी, मौजूदा इकोसिस्टम, वस्त्र/उद्योग नीति, इंफ्रास्ट्रक्चर, उपयोगिता सेवाओं आदि जैसे विभिन्न प्रकार के कारकों को ध्यान में रखते हुए वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर किया गया। पीएम गति शक्ति- बहु-राष्ट्रीय मास्टर प्लान के सत्यापन के लिए मोडल कनेक्टिविटी का भी उपयोग किया गया था।
रुई की कताई, कपड़े की छपाई और एक्सपोर्ट एक ही जगह से होगा
पीएम मित्र मेगा टेक्स्टाइल पार्क की सबसे अच्छी बात यह है कि रुई की कताई से लेकर धागे की बुनाई, उसकी रंगाई, कपड़े बनाना, कपड़े की छपाई और सिलाई, और यही नहीं, कपड़ों की मार्केटिंग, डिजाइनिंग और एक्सपोर्ट, सभी एक ही जगह से हो सकेगा!
वस्त्र निर्माण में वैश्विक केंद्र बनेगा भारत
पीएम मित्र पार्क भारत को वस्त्र निर्माण और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह उम्मीद की जाती है कि ये पार्क कपड़ा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मदद करेंगे और साथ ही इस क्षेत्र के वैश्विक दिग्गजों को भारत में विनिर्माण के लिए आकर्षित करेंगे।
पीएम मित्र पार्क से विश्वस्तरीय औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होंगे
पीएम मित्र पार्क विश्वस्तरीय औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद करेंगे, जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सहित बड़े पैमाने पर निवेश को आकर्षित करेगा और क्षेत्र के भीतर नवाचार और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करेगा।
प्रति पार्क 500 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता
वस्त्र मंत्रालय इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी करेगा। केंद्र और राज्य सरकार के स्वामित्व वाली एक स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) प्रत्येक पार्क के लिए स्थापित की जाएगी, जो परियोजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी। वस्त्र मंत्रालय पार्क एसपीवी को विकास के लिए पूंजीगत सहायता के तौर पर प्रति पार्क 500 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
प्रति पार्क 300 करोड़ रुपये तक का प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन
पीएम मित्र पार्क में इकाइयों को तेजी से कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति पार्क 300 करोड़ रुपये तक का प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन समर्थन (सीआईएस) भी प्रदान किया जाएगा। मास्टर डेवलपर और निवेशक इकाइयों को अतिरिक्त प्रोत्साहन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार की अन्य योजनाओं के साथ सम्मिश्रण की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
कपड़ा उद्योग में अब तक लगभग 1,536 करोड़ रुपये का निवेश
पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क कपड़ा क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा प्रदान करेगा, करोड़ों का निवेश भी लेकर आएगा और लाखों नौकरियां पैदा करेगा। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ का एक बेहतरीन उदाहरण होगा। वहीं टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ओर से कहा गया है कि उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के तहत कपड़ा उद्योग में अब तक लगभग 1,536 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
मेक इन इंडिया के बेहतरीन उदाहरण बनेंगे टेक्सटाइल पार्क
ये टेक्सटाइल पार्क दुनिया के लिए भारत में बनाओ (मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड) पहल का बेहतरीन उदाहरण बनेंगे। वहीं, वाणिज्य व कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि टेक्सटाइल पार्क बनने से भारत एक वैश्विक निवेश, विनिर्माण और निर्यात केंद्र बनेगा। निवेशकों, निर्माताओं, निर्यातकों और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए एक नायाब अवसर बताते हुए गोयल ने कहा कि विश्व स्तरीय सुविधाओं, अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और एकीकृत मूल्य शृंखला से वैश्विक चैंपियन तैयार होंगे।
बिखरे कपड़ा उद्योग को मिलेगी ताकत
इस नई पहल से भारतीय उद्योग विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बन जाएगा, क्योंकि टेक्सटाइल पार्कों से परिचालन व लागत में कमी आएगी। बिखरे कपड़ा उद्योग को ताकत मिलेगी। दक्षता में सुधार होगा और उच्च गुणवत्ता के वस्त्रों व परिधानों की तय समय में आपूर्ति हो पाएगी। पार्कों का चयन एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। इसे अभिनव पीएम गतिशक्ति नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर मास्टर प्लान के साथ जोड़कर तैयार किया गया है। टेक्सटाइल पार्क में केंद्र और संबंधित राज्य दोनों विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) में भागीदार होंगे जो इन पार्कों की स्थापना और प्रबंधन करेंगे।
5 सालों में कुल 4,445 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे
इस स्कीम के तहत अगले 5 सालों में कुल 4,445 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ये पार्क पीपीपी मॉडल पर विकसित किया जाने हैं। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ का एक बेहतरीन उदाहरण होगा। सरकार का मेगा इंटिग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क विकसित करने का उद्देश्य कपड़े तैयार करने से लेकर उनकी मार्केटिंग, डिजाइनिंग और एक्सपोर्ट सभी एक ही जगह से किए जाने का है। इन पार्कों के माध्यम से लगभग 70,000 करोड़ रुपये के निवेश और 20 लाख रोजगार सृजन की परिकल्पना की गई है।
भारत दुनिया में कपड़ों का छठा बड़ा एक्सपोर्टर
विशेषज्ञों का मानना है कि सारी बुनियादी सुविधाएं एक जगह होने से टेक्सटाइल सेक्टर में बड़ी तादाद में रोजगार सजृन होने के साथ एक्सपोर्ट मार्केट बूम आएगा। दरअसल भारत में टेक्सटाइल सेक्टर बड़ी तादाद में रोजगार देता है। वर्तमान में भारत दुनिया में कपड़ों का छठा बड़ा एक्सपोर्टर है।
टेक्सटाइल पार्क जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यः
5एफ को करेंगे साकारः पीएम मोदी ने कहा कि टेक्सटाइल पार्क 5एफ यानी फार्म टू फाइबर टू फैक्ट्री टू फैशन टू फॉरेन के विजन को साकार करेंगे।
करोड़ों का निवेश आएगाः कपास की खेती से लेकर सीधे विदेश निर्यात की संकल्पना पर आधारित इन फार्मों के जरिये संबंधित राज्यों में करोड़ों रुपये का निवेश आएगा।
इन शहरों में बनेंगेः उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मध्यप्रदेश के धार, महाराष्ट्र के अमरावती, तेलंगाना के वारंगल, तमिलनाडु के विरधुनगर, कर्नाटक के कलबुर्गी और गुजरात के नवसारी में।
दुनिया से कर सकेंगे मुकाबला : इन पार्कों में कपड़ा उद्योग का विश्वस्तरीय ढांचा होगा। इससे भारतीय कपड़ा उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर पाएगा व प्रशिक्षण व शोध को भी बढ़ावा मिलेगा।
सबसे बड़ा निर्यातक बनने का लक्ष्य : भारत दुनिया के बड़े वस्त्र निर्यातकों में से एक है, 2030 तक 100 अरब डॉलर के वस्त्र निर्यात का लक्ष्य हासिल करना है। 2047 तक विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक बनना है।
मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ : संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर भारत हस्ताक्षर कर चुका है। कनाडा, ब्रिटेन, इस्राइल और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत कर रहा है। ये समझौते कपड़ा उद्योग को विकसित बाजारों तक पहुंच बनाने में मददगार होंगे।
कपड़ा क्षेत्र की उपलब्धियों और उसके किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों पर एक नजर-
20 रणनीतिक अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी
कपड़ा मंत्रालय ने एग्रो-टेक्सटाइल, स्पेशियलिटी फाइबर, स्मार्ट टेक्सटाइल, एक्टिव-वियर टेक्सटाइल, रणनीतिक एप्लीकेशन क्षेत्र, रक्षात्मक परिधान और खेल परिधान की लगभग 74 करोड़ रुपये की 20 रणनीतिक अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। ये सभी रणनीतिक अनुसंधान परियोजनायें प्रमुख कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन’ के दायरे में आती हैं। इनमें 20 अनुसंधान परियोजनायें, पांच स्पेशियलिटी फाइबर परियोजनायें, छह एग्री-टेक्सटाइल परियोजनायें, स्मार्ट टेक्सटाइल से दो, रक्षात्मक परिधान से दो, जियो-टेक्सटाइल से दो, एक्टिव-वीयर से एक, रणनीतिक एप्लीकेशन क्षेत्र से एक और खेल परिधान से एक परियोजना शामिल है।
तकनीकी टेक्सटाइल के क्षेत्र में विकास तथा अनुसंधान
भारत में तकनीकी टेक्सटाइल के क्षेत्र में विकास तथा अनुसंधान के लिये उद्योग तथा अकादमिक जगत का जुड़ाव जरूरी है। अकादमीशियनों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ साझा समझ विकसित करना समय की जरूरत है। मशीनों और उपकरणों के स्वदेशीकरण की बहुत जरूरत है, ताकि तकनीकी टेक्सटाइल सेक्टर विश्व मंच पर अपने कदम मजबूती से जमा सके।
तिरुपुर जैसे 75 टेक्सटाइल हब बनाना चाहती सरकार
भारत सरकार तिरुपुर जैसे 75 टेक्सटाइल हब बनाना चाहती है जो न सिर्फ वस्त्र उत्पादों के निर्यात में सहायता एवं टिकाऊ प्रौद्योगिकी का समावेश सुनिश्चित करेगा, बल्कि रोजगार के बड़े अवसर भी पैदा करेगा। तिरुपुर ने देश को गौरवान्वित किया है और यह हर वर्ष 30,000 करोड़ रुपये के वस्त्र उत्पादन का केन्द्र है। वस्त्र क्षेत्र छह लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं चार लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और इस प्रकार कुल मिलाकर 10 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
तिरुपुर से होने वाला अनुमानित निर्यात 30,000 करोड़ रुपये
1985 में, तिरुपुर 15 करोड़ रुपये मूल्य के वस्त्र उत्पादों का निर्यात कर रहा था। मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष में, तिरुपुर से होने वाला अनुमानित निर्यात 30,000 करोड़ रुपये का है, जोकि लगभग दो हजार गुना की वृद्धि है। इस इलाके में वस्त्र क्षेत्र की अभूतपूर्व वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 37 से अधिक वर्षों के दौरान, तिरुपुर में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 22.87 प्रतिशत हो गई है। तिरुपुर के वस्त्र क्षेत्र में कार्यरत लोगों में से लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं और वंचित वर्गों के लोग हैं। तिरुपुर होजरी, बुने हुए वस्त्रों, कैजुअल वियर, स्पोर्ट्सवियर का प्रमुख स्रोत है और रुई की ओटाई का एक पारंपरिक केन्द्र है।
वस्त्र क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता
पूरे भारत में लगभग 3.5-4 करोड़ लोग अकेले वस्त्र क्षेत्र की समग्र मूल्य श्रृंखला में संलग्न हैं। वस्त्र क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। इस उद्योग का आकार लगभग 10 लाख करोड़ रुपये का है। इसका निर्यात लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये का है। वस्त्र क्षेत्र के अगले पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ के निर्यात के साथ 20 लाख करोड़ रुपये वाला उद्योग बनने की संभावना है।
टेक्सटाइल क्षेत्र में ‘ब्रांड इंडिया’ बनेगा नंबर-1
जानकारों का भी मानना है कि भारत में सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से देश में टेक्सटाइल उद्योग में तेजी लाई जा सकती है। इससे ‘ब्रांड इंडिया’ का निर्माण करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही टेक्सटाइल निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के लिए भी पांच प्रमुख क्षेत्रों में सावधानीपूर्वक रणनीति बनाने की आवश्यकता होगी। इनमें परिधान, कपड़े, घरेलू वस्त्र, कृत्रिम फाइबर एवं धागे और टेक्निकल टेक्सटाइल क्षेत्र शामिल हैं।
बनारसी साड़ियों को मिले अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व
मोदी सरकार अपनी योजनाओं द्वारा इस क्षेत्र के विकास के प्रति आरंभ से ही कटिबद्ध रही है। प्रधानमंत्री पद संभालने के कुछ ही समय बात नरेन्द्र मोदी ने बनारसी साड़ियों के लिए प्रख्यात वाराणसी के लालपुर में व्यापार सुविधा केंद्र एवं शिल्प संग्रहालय की आधारशिला रखी। अपनी अतुलनीय सुंदरता, रंगों एवं बनावट के लिए पहचानी जाने वाली बनारसी साड़ियां देश का गौरव हैं। इसके महत्त्व को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना ही इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य था। यह प्रयास मोदी सरकार ही था, अन्यथा पूरवर्ती सरकार के पास तो इस केंद्र को बनाने के लिए देने लायक जमीन भी नहीं थी, जिसके चलते इसे शहर के बीच बनाए जाने की बजाय शहर से दूर बनाना पड़ा। सरकारी उपेक्षा का शिकार रहा यह उद्योग भयानक बदहाली झेल रहा था। मोदी सरकार के प्रयासों से इस उद्योग और इसके बुनकरों को बड़ी राहत मिली।
मोदी सरकार के प्रयासों से बदली दशा-दिशा
बनारसी साड़ी बनाने के अतिरिक्त यहां और भी कई लघु एवं कुटीर उद्योग थे, जिन्हें सरकारी सहायता की घोर आवश्यकता थी। मोदी सरकार ने इन सभी के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए 347 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं की शुरुआत की। प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसी योजनाओं का मूल भी ऐसे ही वर्गों का विकास है। यहां के हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग को तकनीकी व विपणन संबंधी सहयोग प्रदान करने के लिए यहां 305 करोड़ की लागत से टेक्सटाइल फैसिलिटेशन की शुरुआत हुई। बुनकरों की विशेष सुविधा के लिए कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर खोले गए। वाराणसी में 6 करोड़ रुपये की लागत वाला नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की शाखा स्थापित हुई। रीजनल सिल्क टेक्नोलॉजिकल रिसर्च स्टेशन भी शुरू हुआ। इन सभी के साथ-साथ 31 करोड़ की लागत वाली हस्तशिल्प उद्योग सर्वांगीण विकास योजना आरंभ की गई।
प्रधानमंत्री के आह्वान से और बढ़ा खादी का गौरव
भारतीय खादी व हस्तशिल्प की दिशा में किए गए प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से शायद ही कोई देशवासी होगा, जो परिचित न हो। रेडियो पर ‘मन की बात’ से लेकर अपनी अनेक योजनाओं तक प्रधानमंत्री ने इस उद्योग के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किए। उन्होंने सभी देशवासियों को भी इस के लिए प्रेरित किया कि वे अपने निजी जीवन में खादी को और अन्य हस्तशिल्प की वस्तुओं को अवश्य स्थान दें, चाहे वह कितने भी छोटे से छोटे रूप में क्यों न हो। दूसरों को उपहार आदि देते समय भी वे इसी प्रकार की वस्तुओं का उपयोग कर सकते हैं।
पीएम मोदी की दोतरफा नीतियों का चौतरफा लाभ
पीएम मोदी की पहल से भारतीय खादी और हस्तशिल्प के प्रति विदेशों में भी रुझान देखने को मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस विषय में दोतरफा नीति अपनाई। एक ओर तो उन्होंने वस्त्र उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल के उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित किया, ताकि उन्हें बड़ा लाभ मिल सके। दूसरी ओर उन्होंने इस उद्योग से जुड़े लोगों को नई से नई तकनीक और व्यवसायगत प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भी प्रेरित किया। इस संबंध में उन्होंने समय-समय पर राज्य सरकारों से भी संपर्क बनाए रखा और उन्हें हरसंभव सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए। कभी स्वतंत्रता संग्राम में देश का गौरव बढ़ाने वाली खादी को आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए देश से सहयोग की अपेक्षा है, जिसे सशक्त स्वर दिया प्रधानमंत्री मोदी ने।
मोदी राज में कालीन निर्यात 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा
कांग्रेस पार्टी ने आजादी के बाद देश पर 50 से अधिक वर्षों तक शासन किया लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो इसके लिए उसने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। इसी में एक सेक्टर है कालीन (कारपेट) उद्योग। भारत का कालीन उद्योग प्राचीन काल से प्रख्यात रहा है लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सेक्टर पर ध्यान दिया और इसकी वजह से आज कालीन निर्यात नए रिकार्ड बना रही है इससे जुड़ा उद्योग भी फल-फूल रहा है। वित्त वर्ष 2013-14 के अप्रैल-दिसंबर अवधि में कालीन निर्यात 7,127 करोड़ रुपये थी। वहीं 2022-23 में इसी अवधि में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़कर 11,274 करोड़ रुपये हो गया। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया कि कालीन निर्यात पिछले नौ साल में दोगुना के करीब पहुंचने वाला है।
आदिवासी हैंडीक्राफ्ट ने विदेशों में की 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई
देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया कि भारत अब सबसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों में से एक है, जिसमें आदिवासी हस्तशिल्प विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करते हैं। आज दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं।