भीमा-कोरेगांव हिंसा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार किए गए पांच ‘अर्बन नक्सलियों’ की नजरबंदी चार हफ्ते तक बढ़ा दी गई है। कोर्ट ने इस केस में एसआईटी जांच की मांग को भी खारिज कर दिया है और पुणे पुलिस को अपनी जांच जारी रखने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक वजह को भी खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश से यह साफ हो गया है कि इन ‘अर्बन नक्सलियों’ की गिरफ्तारी सरकार का विरोध करने के कारण नहीं बल्कि उनके खिलाफ मिले पुख्ता सबूतों के आधार पर की गई है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इन शहरी नक्सलियों की गिरफ्तारी के विरोध में एसआईटी की जांच की मांग करने वाली इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य चार कार्यकर्ताओं की याचिका पर यह आदेश दिया है।
Supreme Court extends house arrest for four weeks of five activists Varavara Rao, Arun Ferreira, Vernon Gonsalves, Sudha Bharadwaj and Gautam Navlakha in Bhima-Koregaon case. SC refuses to constitute SIT & asks Pune police to go ahead with the probe https://t.co/mnH3wryQNZ
— ANI (@ANI) 28 September 2018
28 अगस्त को पुणे पुलिस ने किया था गिरफ्तार
आपको बता दें कि इस साल जनवरी में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस ने बीते 28 अगस्त को देश के कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर नक्सलियों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को हैदराबाद से, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था। वहीं ठाणे से अरुण फरेरा और गोवा से वर्नान गोन्जाल्विस को गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान उनके घर से लैपटॉप, पेन ड्राइव और कई कागजात भी जब्त किए गए थे। पुलिस ने इनपर देश को हिंसा में झोंकने की साज़िश में शामिल होने का आरोप लगाया था।
एक्सपोज हो गए राहुल गांधी
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ताजा आदेश से राहुल गांधी एक्सपोज हो गए हैं। दरअसल राहुल गांधी ने इन ‘अर्बन नक्सलियों’ का पक्ष लेते हुए इसे सरकार की साजिश कहा था। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘मूर्खता के लिए केवल एक जगह है और वह कांग्रेस है। ‘भारत के टुकड़े-टुकड़े गैंग’, माओवादी, नकली कार्यकर्ता और भ्रष्ट तत्वों का समर्थन कीजिए। उन सभी को बदनाम करें जो ईमानदार हैं और काम कर रहे हैं। राहुल गांधी की कांग्रेस में आपका स्वागत है।’
Those who stooped down to the level of polticising an issue of national security have been exposed by the Honourable Supreme Court’s decision today.
It is high time that the Congress now clears it’s stand on this critical issue of Urban Naxalism.
— Amit Shah (@AmitShah) 28 September 2018
Those who stooped down to the level of polticising an issue of national security have been exposed by the Honourable Supreme Court’s decision today.
It is high time that the Congress now clears it’s stand on this critical issue of Urban Naxalism.
— Amit Shah (@AmitShah) 28 September 2018
There is only one place for idiocy and it’s called the Congress. Support ‘Bharat Ke Tukde Tukde Gang’, Maoists, fake activists and corrupt elements. Defame all those who are honest and working.
Welcome to Rahul Gandhi’s Congress. #BhimaKoregaon https://t.co/eWoeT0qo1L
— Amit Shah (@AmitShah) 28 September 2018
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आड़ में छिपे इन ‘Urban Maoists’ को पहचानिए
पिछले साल महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश के सिलसिले में 28 अगस्त को कई गिरफ्तारियां की गई थीं। इन पर नक्सलियों के प्रति सहानुभूति रखने के साथ पीएम मोदी की हत्या की साजिश में शामिल रहने का आरोप है। सभी आरोपियों पर सेक्शन 153 A, 505(1) B, 117, 120B, 13, 16, 18, 20, 38, 39, 40 और UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम ऐक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
हालांकि मीडिया का एक धड़ा इन ‘खूंखार नक्सलियों’ को ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्त्ता बता रहा है, पर क्या यही इन लोगों की असलियत है, या सच्चाई कुछ और है?
पहले तो आपको बता दें कि जितने भी लोग गिरफ्तार किए गए हैं, ये सभी नक्सालियों के समर्थक हैं और इनका नक्सलियों के साथ सीधा संबंध है। विशेष बात यह है कि इनमें अधिकतर पर यूपीए सरकार के दौरान भी एक्शन लिया गया था और कइयों को जेल भेजा गया था। आइये इन तथाकथित Activists की पृष्ठभूमि पर एक नजर डालते हैं।
वर्नोन गोंजालवेज
19 अगस्त, 2007 को, वर्नोन गोंजालवेज को महाराष्ट्र एटीएस ने गिरफ्तार किया था
नक्सली नेता के रूप में विस्फोटक रखने और देश विरोध की योजनाएं बनाने का आरोप था
इनके पास से 09 डेटोनेटर, जिलेटिन की 20 छड़ों के साथ अन्य आपत्तिजनक सामान भी बरामद किया गया था
गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और आर्म्स एक्ट के तहत इन्हें 2007 में दोषी ठहराया गया
नागपुर की एक अदालत ने 11 अप्रैल, 2014 को उन्हें 05 साल जेल की सजा सुनाई
पीएम मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ तो इन्होंने रिपोर्ट को ‘झूठा’ कहा और आर्टिकल लिखा
वरवरा राव
राज्य के खिलाफ षड्यंत्र और युद्ध की तैयारी करने के लिए 1980 में दो साल के लिए जेल भेजे गए
सशस्त्र और हिंसक संघर्ष के समर्थन में वारवरा राव ने हमेशा अपने विचार व्यक्त किए
इन्होंने ‘पीपुल्स आर्मी’ नाम से नक्सलियों का ‘red guard’ बनाने की वकालत की थी
‘red guard’ के हर पलटन में 200 नक्सलियों के शामिल होने की दलील दी थी
हैदराबाद के रहने वाले वरवरा राव पर शहरी नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप है
वरवरा राव का नाम नक्सलियों से संबंध रखने वाले रोना विल्सन के यहां से जब्त दस्तावेज में आया था
यलगार परिषद के सदस्य रोना विल्सन के दस्तावेजों से पीएम मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ
रोना विल्सन से 2005 में संसद हमले के आरोपी एसआरए गिलानी से सबंध मामले में पूछताछ की थी
गौतम नवलखा
कश्मीर में रहने के दौरान अलगाववादियों के के साथ मिलकर शांति भंग करने का आरोप
जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने साल 2010 में उन्हें कश्मीर में घुसने पर पाबंदी लगा दी थी
पेशे से पत्रकार भारत सरकार की नीति के उलट कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का पक्षधर
इंटरनेशनल पिपुल्स ट्रिब्यूनल ऑन ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस इन कश्मीर के संयोजक रहे
सुधा भारद्वाज
नक्सलियों के लीगल सेल की संरक्षक के तौर पर मशहूर, सिर्फ और सिर्फ नक्सलियों के केस लड़ती हैं
2007 और 2010 में बिनायक सेन के बचाव में केस लड़ीं, हालांकि सेन को आजीवन कारावास की सजा मिली
रिपब्लिक टीवी का खुलासा – छत्तीसगढ़ को कश्मीर जैसा बनाने की साजिश वाला पत्र कॉमरेड प्रकाश को लिखा
पत्र में यह भी खुलासा किया गया था कि सुधा भारद्वाज ने इसके लिए पैसे की भी मांग की थी
ट्रेड यूनियन और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के विजिटिंग प्रोफेसर
छत्तीसगढ मुक्ति मोर्चा की संस्थापक सदस्य, पिपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज की संस्थापक
पीयूसीएल संसद हमले के दोषी आतंकवादी अफजल गुरू की फांसी की निंदा करता है
अरुण परेरा
माओवादियों के संदेश वाहक के रूप काम करने का आरोप, वर्ष 2007 गिरफ्तार कर जेल भेजे गए
देशद्रोह के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत साढ़े चार साल जेल में बिताए
पीएम मोदी की हत्या की साजिश को इन्होंने आर्टिकल लिख कर Fake करार देने की कोशिश की
यलगार परिषद से जुड़े होने के मामले में इस बार गिरफ्तारी की गई