बिहार में कांग्रेस अब खुलकर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बचाने के लिये सामने आ गई है। इसके लिये पार्टी ने तेजस्वी से इस्तीफा मांगने वालों का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया है। कहा जाता है कि भ्रष्टाचार और कांग्रेस का चोली-दामन जैसा साथ रहा है। बिहार में पार्टी की बेशर्मी इन आरोपों को पुख्ता करने लगी है। गौरतलब है कि अबतक लालू यादव अपने भ्रष्टाचार को बीजेपी की साजिश बताकर खिल्ली उड़ाने की कोशिश करते रहे हैं। लेकिन अब सोनिया गांधी की पार्टी भी लालू के नक्शे कदम पर चल पड़ी है।
तेजस्वी पर कांग्रेस का नया स्टंट
लालू यादव के बेटे तेजस्वी के खिलाफ बेनामी संपत्ति की जांच चल रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे के बावजूद तेजस्वी निर्लज्ज होकर कुर्सी से चिपके हुए हैं। कुर्सी के मोह में नीतीश कुमार भी अबतक कड़ी कार्रवाई का साहस नहीं जुटा पाये हैं। लेकिन अब कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर तेजस्वी का बचाव करना शुरू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस के एक विधान पार्षद दिलीप चौधरी ने तेजस्वी से स्पष्टीकरण मांगने वाले जेडीयू नीरज कुमार प्रवक्ता का मजाक उड़ाया है। उन्होंने जेडीयू प्रवक्ता पर ये कहकर तंज कसा है कि, क्या प्रवक्ता मंत्रियों को बनाते या हटाते हैं?
भ्रष्ट लालू के साथ, कांग्रेस का ‘हाथ’
कहा जा रहा है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के परिवार के बचाव में उतरकर कांग्रेस ने फिर साबित कर दिया है, कि उसकी विचारधारा जनता को लूटने वालों के साथ है। लालू के परिवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले दर्ज हैं। उनके परिवार से जुड़ी हजारों करोड़ की बेनामी संपत्तियां उजागर हो चुकी हैं। वो अदालत द्वारा घोषित घोटालेबाज हैं। लचीले कानूनों का फायदा उठाकर वो जेल से बाहर घूम रहे हैं। फिर भी कांग्रेस बेशर्म होकर उनका बचाव कर रही है।
लालू परिवार का मौजूदा घोटाला कांग्रेस सरकार की देन
लालू ने रेल मंत्री की हैसियत से जिस समय रेलवे के होटलों को लीज पर देने का घोटाला किया, उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह के नाम वाली सोनिया-राहुल की सरकार थी। टेंडर घोटाला ही नहीं, मनमोहन सरकार में रहते हुए उनपर जमीन लेकर कई सांसदों को मंत्री बनवाने का भी आरोप है। यानी लालू के जो कारनामें आज सुर्खियां बन रही हैं, दरअसल उसके लिए सीधे तौर पर मनमोहन सरकार ही जिम्मेदार है। कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के सामने पहले ही इस घोटाले को लाया गया था, लेकिन उन्होंने बाकी घोटालों के तरह भी इसे भी नजरअंदाज कर दिया। लालू ने मनमोहन सरकार में कई ऐसे नेताओं को मंत्री भी बनवाया, जिनपर लालू परिवार को उपहार स्वरूप करोड़ों की जमीन देने के आरोप हैं।
चारा घोटाले के समय से लालू के साथ है कांग्रेस
ये कोई पहला मामला नहीं है। जनता के खजाने को लूटने की लालू की आदत सी पड़ गई है। वो चारा घोटाले के सजायाफ्ता मुजरिम हैं। उनके चुनाव लड़ने तक पर भी पाबंदी है। फिर भी कांग्रेस को उनसे कभी परहेज नहीं रहा। कहा जाता है कि यूपीए सरकार के दौरान सोनिया-मनमोहन ने उनकी संसद सदस्यता बचाने के लिए एक विवादित अध्यादेश लाने का भी कुचक्र रचा था। लेकिन तब राहुल गांधी ने किसी कारण से एक बच्चे की तरह जोश में आकर उस अध्यादेश को ही फाड़ दिया था।
सोनिया-राहुल खुद भी दागदार
लालू ही नहीं उनके भ्रष्टाचारों के संरक्षक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी का भी दामन पाक-साफ नहीं है। अगस्ता-वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील में इटली की अदालत में जो नाम सामने आए, उससे देश की राजनीति में खलबली मच चुकी है। यही नहीं नेशनल हेराल्ड मामले में भी दोनों मां-बेटों पर पार्टी फंड में हेरफेर का आरोप हैं। इस मामले में दोनों कोर्ट से जमानत लेकर जेल से बाहर हैं। जाहिर है कि जब कांग्रेस का नेतृत्व भी भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है, तो वो किस मुंह से लालू जैसे भ्रष्टाटाचारी का विरोध कर पाएंगे।
घोटालों के लिये ही जानी जाती है सोनिया-मनमोहन सरकार!
कहा जाता है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में शायद ही कोई ऐसी कांग्रेसी सरकार रही हो जिसपर भ्रष्टाचार के दाग नहीं लगे हों। लेकिन मनमोहन सरकार ने 10 साल के अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के अपने ही सारे रिकॉर्ड डाले। कोयला घोटाला, 2जी घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाला, टाट्रा ट्रक घोटाला, आदर्श घोटाला, एयरसेल-मैक्सिस घोटाला और एयर इंडिया घोटाला प्रमुख है। इन सारे घोटालों से देश के खजाने को जितनी चपत लगी है अगर उन्हें घोटालेबाजों से उगलवा लिया जाए तो देश की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो सकती है।
भ्रष्टाचार से कांग्रेस का पुराना नाता !
बताया जाता है कि स्वतंत्र भारत में कांग्रेस का पूरा इतिहास ही भ्रष्टाचारों से भरा पड़ा है। ये सिलसिला तब भी जारी है, जब लोकसभा में उसके सांसदों की संख्या ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। कांग्रेस के इस घोटाले की शुरुआत आजादी के एक साल बाद ही यानी 1948 में जीप खरीद घोटाले के साथ शुरू हो गई। इसके बाद बोफोर्स घोटाले के आरोपों के चलते तो पूर्व पीएम राजीव गांधी की सत्ता तक जा चुकी है।
कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर मामले चल रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोपी हैं। वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम अपने बेटे कार्ति चिदंबरम के कारनामों के चलते भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं। कार्ति चिदंबरम पर अपने पिता के मंत्री रहते कई निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप है। वहीं पूर्व रेल मंत्री पी के बंसल पर भी रिश्वत लेकर नियुक्तियां करने के आरोप लग चुके हैं। जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का नाम आदर्श घोटाले में फंसा है, जिसकी वजह से उनकी कुर्सी तक जा चुकी है।