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देश को कमजोर करना राहुल गांधी की फितरत, देखिए कैसे चुनाव-संसद सत्र के पहले शुरू होता है इनका एजेंडा

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संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्षी सांसद जमकर हंगामा कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गौतम अदानी का नाम आने पर सरकार को घेरने की कोशिश की। बीजेपी ने भी कांग्रेस के एक-एक धागे खोलने शुरू कर दिए। कांग्रेस पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा का मुद्दा जोर-शोर से उठा दिया। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बहनोई को कहां-कहां से गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया, अगर इसका खुलासा कर देंगे तो कहीं मुंह नहीं छिपा पाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा सभी बेल पर बाहर हैं। सभी भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी हैं। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश को कमजोर करना कांग्रेस नेता की फितरत है। भारत की तरक्की से राहुल गांधी को परेशानी है। देश की जनता का साथ राहुल गांधी को नहीं मिल रहा है तो पीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, जो पूरी तरह बेबुनियाद हैं।

कांग्रेस की ओर से जेपीसी की मांग पर पलटवार करते हुए बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति तब बैठती है जब आरोप सिद्ध हो जाए। जब सरकार पर आरोप लगता है तब संयुक्त संसदीय समिति बिठाई जाती है किसी निजी व्यक्ति के मुद्दे पर नहीं। उन्होंने कहा कि वे विदेशी रिपोर्टों (हिंडनबर्ग रिपोर्ट) पर बातें कर रहे हैं, यह तो कांग्रेस का तारीका है। मैं स्पष्ट कहता हूं कि इनके खुद के नेता जिनके कहने के बगैर ये कुछ नहीं करते हैं उनकी संपत्ति ही देखें कि 2014 में इनके नेता की कितनी संपत्ति थी और आज कितनी है।

संयोग नहीं है कि जैसे ही संसद का सत्र शुरू होने वाला होता है और देश में चुनाव नजदीक आता है तो विपक्ष बोतल से एक जिन्न बाहर निकाल लाता है। 2018 में राफेल, 2021 में पेगासस और 2023 में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री और हिंडनबर्ग रिपोर्ट। आप खुद देख लीजिए-

2023: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री और हिंडनबर्ग
देश में होने हैं 10 चुनाव, इसीलिए रची जा रही साजिशें
देश में इस साल 9 विधानसभा चुनाव होने हैं और 2024 में लोकसभा चुनाव है। 2023 में कुल 9 राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल है। ऐसे में विपक्षी दल और विदेशी ताकतों के लिए यह माकूल समय है और वे अपनी पूरी शक्ति झोंककर पीएम मोदी को सत्ता से बाहर करना चाहते हैं। इसीलिए बीबीसी डाक्यूमेंट्री लाई गई और उसके बाद भारत के विकास में योगदान देने वाली प्रमुख कंपनी अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट लाई गई। लेकिन ऐसी साजिश करने वालों को समझनी चाहिए भारत का मतलब अडानी नहीं है। भारत में अनगिनत अडानी भरे पड़े हैं। भारत में विकास की रफ्तार अब थमने वाली नहीं है।

गुजरात दंगों में पीएम मोदी को क्लीनचिट, इसके बाद भी बीबीसी डाक्यूमेंट्री के जरिये नफरत फैलाने की साजिश
गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगा मामले में विपक्ष बीते दो दशक से पीएम मोदी की भूमिका पर सवाल खड़ा करता रहा है। इस मामले में गठित एसआईटी ने जब पीएम को क्लीनचिट दी तो यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा। शीर्ष अदालत ने न सिर्फ क्लीनचिट को सही ठहराया, बल्कि याचिका दायर करने वाली कुछ हस्तियों के खिलाफ जांच के भी निर्देश दिए। बाद में इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी हुई। इसके बाद भी विपक्ष ने बीबीसी डाक्यूमेंट्री के जरिये नफरत फैलाने की साजिश की।

मुस्लिम तुष्टिकरण और जाति की राजनीति करने वाले असमंजस में
यह हो सकता है कि आज तक जो दल फूट डालो राज करो, मुस्लिम तुष्टिकरण, जाति की राजनीति कर चुनाव जीतते आए हैं, उन्हें ये बात आसानी से समझ में न आए। आज ये दल असमंजस में हैं पीएम मोदी का मुकाबला किस तरह किया जाए। यही वजह है कि इससे पहले ऐसा कभी देखने में नहीं आया कि किसी पीएम के खिलाफ सुनियोजित तरीके से नफरत का माहौल बनाया गया हो।

2022: सर्जिकल स्ट्राइक, धारा 370, राम मंदिर, कोरोना वैक्सीन
सात राज्यों में चुनाव से पहले विपक्ष ने कई मुद्दे उछाले
वर्ष 2022 में सात राज्यों पांच राज्यों यूपी, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव से पहले विपक्ष ने राफेल, सर्जिकल स्ट्राइक, धारा 370, राम मंदिर, कोरोना वैक्सीन आदि मुद्दों को उठाया। 7 में से 6 राज्यों में बीजेपी ने जीत हासिल की, लेकिन विपक्ष ने अपना नफरत फैलाना नहीं छोड़ा। जिन बातों पर देश गर्व करता है, कांग्रेस व विपक्षी दलों ने उस पर भ्रम व झूठ फैलाने का प्रयास किया और टूलकिट गैंग के साथ मिलकर देश में आपसी वैमनस्यता फैलाने का साजिश रची। सत्ता के लिए विपक्ष कितना गिरेगा यह तो आने वाला समय बताएगा।

वर्ष 2022 में चार मोर्चे पर विपक्ष की शिकस्त
वर्ष 2022 में अदालती मोर्चे पर विपक्ष को चार अहम मामलों में मोदी सरकार के समक्ष शिकस्त झेलनी पड़ी। इनमें गुजरात दंगा में पीएम मोदी को एसआईटी से मिली क्लीनचिट, पेगासस जासूसी मामला, ईडी को धनशोधन मामले में विशेष अधिकार और सामान्य वर्ग को सरकारी नौकरी में दस फीसदी आरक्षण का मामला शामिल है। इन सभी मामलों में शीर्ष अदालत ने विपक्ष की ओर से दी गई दलीलें ठुकरा दी।

2021: पेगासस
पांच में राज्यों में चुनाव से पहले निकला पेगासस जिन्न
वर्ष 2021 में पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, पुडुचेरी में चुनाव से पहले विपक्ष ने पेगासस का जिन्न निकाला। झूठ पर झूठ बोलते जाओ देश को गुमराह करते जाओ। कुछ यही हाल आज देश में विपक्ष का है। कभी वैक्सीन के नाम पर झूठ परोसा तो कभी किसानों के नाम पर। कभी राफेल का जिन्न बाहर निकाला तो कभी पेगासस का। जबकि कोर्ट, जनता की अदालत और दूसरी जांच एजेसियों ने साफ कर दिया था कि राफेल डील पूरी तरह से सही है।

2018: राफेल
2018 में पांच राज्यों में चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष ने निकाला राफेल जिन्न
वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हुए। इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव हुए। इन चुनवों से विपक्ष ने नफरत के एजेंडे के तहत राफेल को जिन्न को बाहर निकाला। लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी और देश की जनता ने 2019 में पीएम मोदी और बीजेपी को भारी समर्थन देकर रिकार्ड सीटों के साथ देश की सत्ता की कमान सौंपी।

राफेल सौदा मामले में भी विपक्ष को झटका
फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में सीधे पीएम मोदी पर विपक्ष ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। हालांकि जब यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा तो आरोप लगाने वालों को फटकार झेलनी पड़ी। साल 2019 के अंत में आए फैसले में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि सौदे की खरीद प्रक्रिया में कोई खामी नहीं है। वायुसेना को ऐसे विमानों की जरूरत है। मोटे तौर पर सौदे में पूरी प्रक्रिया अपनाई गई है।

नोटबंदी पर भी विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी
बीते छह साल से मोदी सरकार के खिलाफ अहम सियासी मुद्दा रहे नोटबंदी पर भी विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी। 2019 के बाद से मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने करीब आधा दर्जन मुद्दों को हवा दी लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में हर बार नाकामी का सामना करना पड़ा। नोटबंदी से पहले विपक्ष को पेगासस जासूसी कांड, गुजरात दंगे में पीएम नरेंद्र मोदी को एसआईटी से मिली क्लीनचिट, जस्टिस लोया की मौत, धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय को मिले विशेष अधिकार, सामान्य वर्ग आरक्षण जैसे मामले में फैसला मोदी सरकार के पक्ष में आया।

2019 में अमेरिका की टाइम पत्रिका ने मोदी को बताया था विभाजनकारी
2019 में लोकसभा चुनाव से पहले अमेरिका की टाइम पत्रिका की आवरण कथा की खूब चर्चा हुई। इस आवरण कथा में मोदी को विभाजनकारी बताया गया था। भारत में मोदी विरोधियों ने इसे हाथों हाथ लिया। एक बार तो ऐसा लगा कि चुनाव नतीजे की घोषणा हो गई। देश में मोदी विरोधियों ने उस लेख को लेकर सोशल मीडिया से लेकर न जाने कहां-कहां तक एक बार नहीं कई कई बार लिखा। उसी पत्रिका में मोदी की आर्थिक नीतियों की सराहना करते हुए एक लेख छपा है, लेकिन इस लेख को उल्लेख योग्य नहीं माना गया। इससे यह साबित होता है कि देश में मोदी की आलोचना या विरोध करने वाले नहीं, नफरत करने वाले हैं। अगर ये विरोधी होते तो आलोचना और प्रशंसा, दोनों मुद्दों पर चर्चा करते।

विपक्ष के पास खोखले आरोपों के सिवा कुछ नहीं
राफेल को लेकर साल 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पीएम मोदी को अपशब्द कहने की वही नफरत वाली रणनीति अपनाई गई। उसके बाद क्या हुआ नतीजा हम सबने देखा था। राफेल के मुद्दे पर देश के लोग विपक्ष को पहले करारा जवाब दे चुके हैं। राफेल के मूल्य निर्धारण, खरीद की प्रक्रिया और सौदे के अन्य सभी पहलुओं की जांच भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने की है। पेगासस में वही झूठ फैलाने की कोशिश की गई। लेकिन ये सारे झूठ सत्य की कसौटी पर फेल हो गए और जनता ने उसे नकार दिया। आज भी विपक्ष उसी ‘टूलकिट’ के साथ प्रयोग करना चाहते हैं।

पीएम मोदी करते हैं नई अस्मिता की राजनीति, विपक्ष के लिए यह दूर की कौड़ी
मोदी सरकार में जाति, धर्म से हटकर एक वर्ग तैयार हुआ है। इसे नई अस्मिता की राजनीति कहें, केंद्रीय योजनाओं का लाभार्थी वर्ग कहें, विकास के साथ खड़ा होने वाला वर्ग कहें या कुछ और नाम दें, लेकिन इस वर्ग को मोदी पर भरोसा भी है और उम्मीद भी। इस वर्ग का यही भरोसा मोदी की सबसे बड़ी ताकत है। यह वर्ग इस बात से कतई प्रभावति होने को तैयार नहीं है कि उसका सांसद कैसा था या कैसा होगा? वह देख रहा है कि उसका वोट मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाएगा। अभी वह मोदी के अलावा किसी के बारे में सोचने को तैयार नहीं है। क्योंकि मोदी के होने से ही उसके जीवन में सुधार आ रहा है। इस वर्ग में हर जाति के लोग हैं। मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं का एक तबका भी इसमें शामिल है।

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